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केरल में थरूर 'काली भेड़' हैं उन्हें कहां ही चुनाव लड़ने दिया जाएगा, सुरेश ने सिद्ध भी किया!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 23 सितम्बर, 2022 06:08 PM
  • 23 सितम्बर, 2022 06:08 PM
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जैसे केरल के कांग्रेसी एक सुर में उनके खिलाफ आए हैं, कहीं न कहीं ये बात खुद में साफ़ हो जाती है कि, थरूर के लिए अध्यक्ष इतनी भी आसान नहीं है. तमाम पापड़ हैं जिन्हें उन्हें बेलना होगा. थरूर के मामले में उनकी छवि उनकी दुश्मनी बनी है.

पद के लिहाज से भले ही शशि थरूर तिरुवनंतपुरम से सांसद हों. लेकिन केरल का आम कांग्रेसी उन्हें राई के दाने बराबर भी भाव नहीं देता. थरूर उनके जैसे न होकर 'इंटरनेशनल' हैं.आसान शब्दों में कहें तो केरल कांग्रेस कांग्रेस अगर भेड़ों का झुंड है तो शशि थरूर उस झुंड में मौजूद उस काली भेड़ की तरह हैं जिसे कोई भी दूर से पहचान सकता है. केरल से इतर यूपी बिहार एमपी राजस्थान के कांग्रेसियों को उपरोक्त लिखी बातों को पढ़कर बहुत ज्यादा आहत होने की कोई जरूरत नहीं है. कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना है. थरूर की भी इच्छा है कि वो अध्यक्ष बनें. लेकिन थरूर का अध्यक्ष का चुनाव लड़ना केरल कांग्रेस से जुड़े लोगों को रास नहीं आ रहा है. थरूर को केरल कांग्रेस से कोई बैक-अप सपोर्ट नहीं मिल रहा है और उनकी खिल्ली उड़ाई जा रही है सो अलग.

ये तो बहुत पहले ही मान लिया गया था कि केरल में थरूर की कांग्रेस अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी का विरोध होगा

दरअसल केरल के ज्यादातर कांग्रेस कार्यकर्ता इस बात को लेकर एकमत हैं कि राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ जाना चाहिए. केरल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के इस ख्वाब को पंख उस प्रस्ताव से मिले हैं जिसमें अलग अलग राज्य इकाइयों ने एकसुर में अध्यक्ष के रूप में राहुल की वापसी की बात की है. 

थरूर को लेकर केरल से जुड़े कांग्रेसियों की आम राय क्या है? इसका अंदाजा केपीसीसी मुखिया के सुरेश के उस बयान से लगाया जा सकता है जो उन्होंने लोकसभा में इंडिया टुडे को दिया था. सुरेश ने कहा था कि शशि थरूर को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. वह एक अंतरराष्ट्रीय व्यक्ति हैं. वहीं उन्होंने इस बात पर भी बल दिया था कि जो भी हो उम्मीदवार सर्वसम्मत उम्मीदवार होना चाहिए. हम अभी भी राहुल गांधी से...

पद के लिहाज से भले ही शशि थरूर तिरुवनंतपुरम से सांसद हों. लेकिन केरल का आम कांग्रेसी उन्हें राई के दाने बराबर भी भाव नहीं देता. थरूर उनके जैसे न होकर 'इंटरनेशनल' हैं.आसान शब्दों में कहें तो केरल कांग्रेस कांग्रेस अगर भेड़ों का झुंड है तो शशि थरूर उस झुंड में मौजूद उस काली भेड़ की तरह हैं जिसे कोई भी दूर से पहचान सकता है. केरल से इतर यूपी बिहार एमपी राजस्थान के कांग्रेसियों को उपरोक्त लिखी बातों को पढ़कर बहुत ज्यादा आहत होने की कोई जरूरत नहीं है. कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना है. थरूर की भी इच्छा है कि वो अध्यक्ष बनें. लेकिन थरूर का अध्यक्ष का चुनाव लड़ना केरल कांग्रेस से जुड़े लोगों को रास नहीं आ रहा है. थरूर को केरल कांग्रेस से कोई बैक-अप सपोर्ट नहीं मिल रहा है और उनकी खिल्ली उड़ाई जा रही है सो अलग.

ये तो बहुत पहले ही मान लिया गया था कि केरल में थरूर की कांग्रेस अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी का विरोध होगा

दरअसल केरल के ज्यादातर कांग्रेस कार्यकर्ता इस बात को लेकर एकमत हैं कि राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठ जाना चाहिए. केरल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के इस ख्वाब को पंख उस प्रस्ताव से मिले हैं जिसमें अलग अलग राज्य इकाइयों ने एकसुर में अध्यक्ष के रूप में राहुल की वापसी की बात की है. 

थरूर को लेकर केरल से जुड़े कांग्रेसियों की आम राय क्या है? इसका अंदाजा केपीसीसी मुखिया के सुरेश के उस बयान से लगाया जा सकता है जो उन्होंने लोकसभा में इंडिया टुडे को दिया था. सुरेश ने कहा था कि शशि थरूर को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. वह एक अंतरराष्ट्रीय व्यक्ति हैं. वहीं उन्होंने इस बात पर भी बल दिया था कि जो भी हो उम्मीदवार सर्वसम्मत उम्मीदवार होना चाहिए. हम अभी भी राहुल गांधी से कांग्रेस अध्यक्ष बनने का अनुरोध कर रहे हैं.

ध्यान रहे कि कई कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता ऐसे भी है जो भारत जोड़ी यात्रा को मिल रही कामयाबी का पूरा श्रेय राहुल गांधी को दे रहे हैं. ऐसे लोगों का मानना है कि ये राहुल गांधी का नेतृत्व और लोगों के बीच उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग ही है जिसके चलते यात्रा कामयाब है.  अध्यक्ष ऐसे ही आदमी को बनना चाहिए.

वहीं एक अन्य सांसद बेनी बेहानन की थरूर की उम्मीदवारी पर राय थोड़ी अलग है. बेहानन ने कहा कि थरूर पार्टी आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे.बेहानन के अनुसार, मुझे नहीं लगता कि शशि थरूर चुनाव लड़ेंगे. वह अवश्य ही पार्टी आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे."

यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि जो भी उम्मीदवार बने वह 'सहमति' वाला उम्मीदवार हो. लेकिन अब जबकि हम थरूर को सोनिया गांधी से मिलते देख चुके हैं तो माना यही जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव खासा दिलचस्प होने वाला है. 

थरूर चुनाव लड़ते हैं और तमाम मुश्किलों के बावजूद जीत पाते हैं या नहीं? इसका फैसला तो वक़्त की गर्त में छिपा है. मगर जब बात अध्यक्ष पद और उसके लिए हो रहे चुनाव की हो तो ये बता देना बहुत जरूरी हो जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए तमाम तरह के विकल्प अभी से आने शुरू हो गए पहला या तो ये कि राहुल गांधी सर्वसम्मति से चुने जाते हैं. दूसरा, कोई भी नामांकन दाखिल नहीं करता है और मामला सीडब्ल्यूसी के पास जाता है. तीसरा, एक आम सहमति वाला उम्मीदवार उभरता है और कोई मुकाबला नहीं होता है. चौथा, एक चुनाव होता है (अशोक गहलोत और शशि थरूर ने चुनाव लड़ने के अपने इरादे की घोषणा की है) और चुनाव के माध्यम से एक नया अध्यक्ष चुना जाता है.

गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन 24 सितंबर से 30 सितंबर तक दाखिल किए जा सकते हैं. नामांकन पत्रों की जांच की तिथि 1 अक्टूबर है, जबकि 8 अक्टूबर नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि है. यदि एक से अधिक उम्मीदवार हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 17 अक्टूबर को होगा और 19 अक्टूबर को मतों की गिनती की जाएगी और परिणाम घोषित किए जाएंगे. 

बहरहाल बात थरूर की हुई है. तो जैसे केरल के कांग्रेसी एक सुर में उनके खिलाफ आए हैं, कहीं न कहीं ये बात खुद में साफ़ हो जाती है कि, थरूर के लिए अध्यक्ष इतनी भी आसान नहीं है. तमाम पापड़ हैं जिन्हें उन्हें बेलना होगा. थरूर के मामले में उनकी छवि उनकी दुश्मनी बनी है तो अब जबकि उन्हें  आईना भाजपा ने नहीं बल्कि उनके अपने लोगों ने दिखाया है. आगे क्या करना है? क्या नहीं करना अब मर्जी उनकी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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