• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

कर्नाटक में मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल पूरा न होना इतिहास का अभिन्न अंग है!

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 23 जुलाई, 2019 08:33 PM
  • 23 जुलाई, 2019 08:33 PM
offline
कर्नाटक के सियासी नाटक का अंत हो गया है. कर्नाटक की राजनीति का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि वहां अब तक दो ही मुख्यमंत्री ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपने 5 सालों के कार्यकाल को पूरा किया है.

कर्नाटक में करीब 20 दिनों से चला आ रहा सियासी नाटक आखिरकार मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के इस्तीफे के साथ खत्म हुआ. इसी के साथ कुमारस्वामी का 14 महीने का मुख्यमंत्री का दूसरा कार्यकाल भी खत्म हो गया. विधानसभा में विश्वासमत के दौरान सरकार के पक्ष में 99 वोट और विपक्ष में 105 वोट पड़े. यानी कर्नाटक के इतिहास में मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा न करने की लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया. इससे पहले कुमारस्वामी 2006 में भी मुख्यमंत्री बने थे जिसका अंत भी दो साल से कम समय में  हुआ था. कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में अभी तक दो ही मुख्यमंत्री हुए हैं जो अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाने में कामयाब हुए हैं. इनमें पहला नाम देवराज उर्स का आता है जिन्होंने 1972 से 1977 तक मुख्यमंत्री का पद संभाला था.  जबकि दूसरा नाम सिद्धारमैया का है जिन्होंने इस पद पर साल 2013 से 2018  तक रहते हुए अपना कार्यकाल पूरा किया.

लम्बे समय से चल रहा कर्नाटक का सियासी नाटक आखिरकार कुमारस्वामी के इस्तीफे के साथ खत्म हुआ

इसे कर्नाटक का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इन 47 वर्षों में केवल दो ही मुख्यमंत्री ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल को पूरा किया. ध्यान रहे कि 1972 से पहले कर्नाटक को मैसूर के नाम से जाना जाता था. सबसे पहले 1978 में जब दूसरी बार देवराज उर्स ने मुख्यमंत्री की कमान संभाली तो उसके करीब दो साल के अंदर ही उनके कई समर्थकों ने रातों-रात पाला बदल लिया और गुंडूराव के नेतृत्व में सरकार का गठन कर लिया था. गुंडूराव को इंदिरा गांधी का समर्थक माना जाता था और यहीं से मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल पूरा नहीं होने का सफर शुरू हुआ.  

इसके बाद 1983  के विधानसभा चुनाव के बाद जनता पार्टी की सरकार बनी जिसके दो मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े और...

कर्नाटक में करीब 20 दिनों से चला आ रहा सियासी नाटक आखिरकार मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के इस्तीफे के साथ खत्म हुआ. इसी के साथ कुमारस्वामी का 14 महीने का मुख्यमंत्री का दूसरा कार्यकाल भी खत्म हो गया. विधानसभा में विश्वासमत के दौरान सरकार के पक्ष में 99 वोट और विपक्ष में 105 वोट पड़े. यानी कर्नाटक के इतिहास में मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा न करने की लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया. इससे पहले कुमारस्वामी 2006 में भी मुख्यमंत्री बने थे जिसका अंत भी दो साल से कम समय में  हुआ था. कर्नाटक के राजनीतिक इतिहास में अभी तक दो ही मुख्यमंत्री हुए हैं जो अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाने में कामयाब हुए हैं. इनमें पहला नाम देवराज उर्स का आता है जिन्होंने 1972 से 1977 तक मुख्यमंत्री का पद संभाला था.  जबकि दूसरा नाम सिद्धारमैया का है जिन्होंने इस पद पर साल 2013 से 2018  तक रहते हुए अपना कार्यकाल पूरा किया.

लम्बे समय से चल रहा कर्नाटक का सियासी नाटक आखिरकार कुमारस्वामी के इस्तीफे के साथ खत्म हुआ

इसे कर्नाटक का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इन 47 वर्षों में केवल दो ही मुख्यमंत्री ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल को पूरा किया. ध्यान रहे कि 1972 से पहले कर्नाटक को मैसूर के नाम से जाना जाता था. सबसे पहले 1978 में जब दूसरी बार देवराज उर्स ने मुख्यमंत्री की कमान संभाली तो उसके करीब दो साल के अंदर ही उनके कई समर्थकों ने रातों-रात पाला बदल लिया और गुंडूराव के नेतृत्व में सरकार का गठन कर लिया था. गुंडूराव को इंदिरा गांधी का समर्थक माना जाता था और यहीं से मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल पूरा नहीं होने का सफर शुरू हुआ.  

इसके बाद 1983  के विधानसभा चुनाव के बाद जनता पार्टी की सरकार बनी जिसके दो मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े और एसआर बोम्मई हुए जो 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. 1989 से 1994 तक कर्नाटक ने कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्रियों वीरेंद्र पाटिल, एस. बंगरप्पा और वीरप्पा मोइली को देखा और इनमें से कोई भी अपने कार्यकाल को पूरा नहीं कर पाया.

1996 और 1999 के बीच जनता दल के दो मुख्यमंत्री बने, ये थे एच डी देवेगौड़ा और जे एच पटेल. 1999 से लेकर 2004  तक कांग्रेस के एस एम कृष्णा मुख्यमंत्री रहे लेकिन वो भी थोड़े समय के लिए अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से चूक गए. इसके बाद बारी आती है 2004 की. इस समय कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर ने मिलकर सरकार बनाई. समझौते के अनुसार कांग्रेस के धर्म सिंह और जनता दल सेक्युलर के कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था. ये दोनों 2004 से 2007 तक सत्ता पर काबिज रहे और दो-दो साल से भी कम समय तक रह पाए.

कर्नाटक में नवम्बर 2007 से मई 2013 तक भाजपा का राज था.  इस दौरान बी एस येद्दियुरप्पा, डी वी सदानंद गौड़ा और जगदीश शेट्टार ने मिलकर सत्ता का सुख भोग. बात साफ है इन तीनों में से कोई भी पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया. साल 2013 के कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला और इसके नेता सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री का पदभार संभालते हुए शानदार पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. कर्नाटक के इतिहास में यह देवराज उर्स के बाद दूसरी बार हुआ था.

बात अगर वर्तमान की हो तो 2018 के विधानसभा विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्याबल नहीं था सबसे पहले भाजपा के येद्दियुरप्पा मुख्यमंत्री बने जिन्होंने 6 सरकार चलाई उसके बाद कुमारस्वामीआए जिन्होंने 14 महीने सत्ता सुख भोगा.

ये भी पढ़ें -

काले जादू से लेकर सेक्स वीडियो तक चला कर्नाटक का नाटक

कर्नाटक संकट के बाद ममता, गहलोत और कमलनाथ ये 4 नुस्खे आजमायें

कर्नाटक में विश्वासमत को लेकर Yeddyurappa की हड़बड़ी यूं ही नहीं है


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲