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बिहार में जनता को जंगलराज का भूत अब रेलवे में दिखा है...

    • Ravi Anand
    • Updated: 19 अक्टूबर, 2022 09:51 PM
  • 19 अक्टूबर, 2022 01:13 PM
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जंगल राज का भूत लोगों की मानसिकता से निकाल पाना तेजस्वी के लिए आसान नहीं है. लोगों के दिलो-दिमाग में जंगलराज घर कर गया है. भले ही तेजस्वी जंगलराज के दाग को मिटाने के लिए पार्टी का नाम और सिंबल ही क्यों ना बदल दे, जंगलराज का दाग मिटने वाला नहीं है.

जंगल राज का भूत तेजस्वी जी को लगता है इस सदी में छोड़ने वाला नहीं है. लोगों के जेहन में 90 के दशक वाला जंगलराज का भूत घर कर गया है, उसे निकाल पाना तेजस्वी के लिए काफी मुश्किल है. भले ही तेजस्वी अपनी पार्टी राजद का नाम और सिंबल ही क्यों ना बदल दें. हालांकि हाल ही में राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के नाम और सिंबल बदलने पर विचार करने का निर्णय लिया गया है. खैर मुख्य मुद्दे पर आते हैं. करीब एक सप्ताह पूर्व मैं पटना से दिल्ली जाने के लिए श्रमजीवी एक्सप्रेस की सेकंड क्लास में यात्रा कर रहा था.

बक्सर स्टेशन से हमारे कोच एच ए (1) में हमारे सामने वाली बर्थ पर एक वृद्ध दंपति आकर बैठ गए. वृद्ध महिला आते ही बोलने लगी कि लालू का जंगलराज आ गया है. नेट पर दिखा रहा है कि एसी कोच आगे लगेगा और लग गया पीछे.  महिला ने बताया कि हमलोग आरा जंक्शन से अपने कोच एच ए (1)में जाने के लिए चढ़े और बक्सर में आकर कोच में पहुंचे.

बिहार में नीतीश कुमार का तेजस्वी यादव से गठबंधन अब भी लोगों की आंखों की किरकिरी की तरह है

माताजी ने कहा कि हम लोगों ने नीतीश को वोट दिया था, हमें क्या मालूम था कि नीतीश फिर से पलटी मारकर लालू के साथ चले जाएंगे. माताजी इतने गुस्से में थी की वहीं नहीं रुकी, उन्होंने फिर अपने पति से कहा कि महाजंगलराज आ गया है. अब आपको भी पेंशन 4 माह पर मिलेगी। वहीं महिला के पति ने कहा कि तुमको उससे क्या फर्क पड़ने वाला है. पेंशन 4 माह में मिले या 4 साल पर? तुम्हारे तीनों बेटे अच्छी नौकरी में है.

वृद्ध दंपति को लखनऊ तक जाना था,  माता जी मुगलसराय जंक्शन तक बोगी- आगे पीछे लगने का दोस्त लालू के जंगलराज को देती रही. हालांकि नेट पर कोच लगने की सूचना पीछे ही थी. यदि नेट पर कोच लगने की सूचना गलत भी...

जंगल राज का भूत तेजस्वी जी को लगता है इस सदी में छोड़ने वाला नहीं है. लोगों के जेहन में 90 के दशक वाला जंगलराज का भूत घर कर गया है, उसे निकाल पाना तेजस्वी के लिए काफी मुश्किल है. भले ही तेजस्वी अपनी पार्टी राजद का नाम और सिंबल ही क्यों ना बदल दें. हालांकि हाल ही में राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के नाम और सिंबल बदलने पर विचार करने का निर्णय लिया गया है. खैर मुख्य मुद्दे पर आते हैं. करीब एक सप्ताह पूर्व मैं पटना से दिल्ली जाने के लिए श्रमजीवी एक्सप्रेस की सेकंड क्लास में यात्रा कर रहा था.

बक्सर स्टेशन से हमारे कोच एच ए (1) में हमारे सामने वाली बर्थ पर एक वृद्ध दंपति आकर बैठ गए. वृद्ध महिला आते ही बोलने लगी कि लालू का जंगलराज आ गया है. नेट पर दिखा रहा है कि एसी कोच आगे लगेगा और लग गया पीछे.  महिला ने बताया कि हमलोग आरा जंक्शन से अपने कोच एच ए (1)में जाने के लिए चढ़े और बक्सर में आकर कोच में पहुंचे.

बिहार में नीतीश कुमार का तेजस्वी यादव से गठबंधन अब भी लोगों की आंखों की किरकिरी की तरह है

माताजी ने कहा कि हम लोगों ने नीतीश को वोट दिया था, हमें क्या मालूम था कि नीतीश फिर से पलटी मारकर लालू के साथ चले जाएंगे. माताजी इतने गुस्से में थी की वहीं नहीं रुकी, उन्होंने फिर अपने पति से कहा कि महाजंगलराज आ गया है. अब आपको भी पेंशन 4 माह पर मिलेगी। वहीं महिला के पति ने कहा कि तुमको उससे क्या फर्क पड़ने वाला है. पेंशन 4 माह में मिले या 4 साल पर? तुम्हारे तीनों बेटे अच्छी नौकरी में है.

वृद्ध दंपति को लखनऊ तक जाना था,  माता जी मुगलसराय जंक्शन तक बोगी- आगे पीछे लगने का दोस्त लालू के जंगलराज को देती रही. हालांकि नेट पर कोच लगने की सूचना पीछे ही थी. यदि नेट पर कोच लगने की सूचना गलत भी थी,  तो इसके लिए लालू का जंगलराज व तेजस्वी की सरकार कहीं से दोषी नहीं है. इसके लिए कोई दोषी है तो सिर्फ रेलवे प्रशासन.

अब तेजस्वी लोगों को कहां-कहां समझाएंगे कि जंगलराज नहीं है,  इस घटना के लिए हमारी सरकार दोषी नहीं है. तेजस्वी पार्टी का नाम बदल ले या सिंबल या फिर लालू-राबड़ी का फोटो पोस्टर से हटा दे. जंगलराज की मानसिकता लोगों के जेहन में बैठा है. इसे लोगों के दिलो-दिमाग से निकाल पाना तेजस्वी के लिए समाज में एक नई लकीर खींचने जैसा है.

वृद्ध दंपति अपने गंतव्य स्टेशन लखनऊ उतरे. वृद्ध दंपति को लेने के लिए  उनकी बेटी आई हुई थी. कोच के गेट तक वृद्ध दंपत्ति को छोड़ने के लिए मैं भी गया था, महिला ने गेट से उतरते ही अपनी बेटी से बोल पड़ी बिहार में फिर से जंगलराज आ गया है. हालांकि वृद्ध दंपति संभ्रांत परिवार से थे. महिला के पति वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के एचओडी पद से सेवानिवृत्त हुए थे. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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