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इमरान खान का 'इस्लाम' कार्ड मुस्लिम मुल्कों से पनाह पाने के लिए ही है

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 30 सितम्बर, 2019 08:53 PM
  • 30 सितम्बर, 2019 08:53 PM
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अंतर्राष्ट्रीय मंच पर तो पाकिस्तान पहले ही अलग थलग पड़ चुका था, इमरान खान की कोशिश अब जैसे भी हो मुस्लिम मुल्कों की बेरूखी से बचाने की भर की लगती है - इस्लामोफोबिया पर बार बार जोर देना सबसे बड़ा सबूत है.

कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान का भाषण पाकिस्तान का हुक्का पानी बंद होने से बचाने की आखिरी कवायद लगती है. वो तो पहले से ही कहने लगे थे कि NGA में भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला है - फिर भी आये हैं तो कुछ न कुछ तो कहना ही है. इमरान खान ने किया भी वही.

इमरान खान के भाषण में एक नयी बात जो देखी गयी वो रही - पाकिस्तान को मुस्लिम मुल्कों से जोड़े रखने की जी तोड़ कवायद. इमरान खान ने मुस्लिम मुल्कों से जुड़े रहने के लिए ही इस्लाम कार्ड खेला है.

कश्मीर नहीं तो इस्लामोफोबिया ही सही

संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान ने मुस्लिम मुल्कों को लुभाने के लिए एक खास लफ्ज का बड़ी चालाकी से इस्तेमाल किया - इस्लामोफोबिया. दरअसल, OIC जैसे संगठनों की बेरूखी पाकिस्तानी हुक्मरानों पर भारी पड़ने लगी थी. यही वजह है जो इमरान खान और पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को लगने लगा कि दुनिया की कौन कहे - ये हाल रहा तो मुस्लिम मुल्क भी पाकिस्तान ने मुंह मोड़ लेंगे.

संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में इमरान खान ने सबसे ज्यादा बार इस्लामोफोबिया का इस्तेमाल किया - ताकि मुस्लिम मुल्क ये समझें कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उनकी बात को जोर शोर से उठा रहा है. इमरान खान ये कोशिश पाकिस्तान के विक्टिम कार्ड के साथ साथ मुस्लिम मुल्कों को ये समझाने की रही कि दुनिया में उनके साथ मुस्मिल होने की वजह से भेदभाव हो रहा है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काफी पहले ही ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में एक बड़ी कूटनीतिक चाल चल दी थी. ट्रंप का ये कहना कि प्रधानमंत्री मोदी आतंकवाद से अकेले निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है.

...क्योंकि पाकिस्तान भी एक मुस्लिम मुल्क...

कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान का भाषण पाकिस्तान का हुक्का पानी बंद होने से बचाने की आखिरी कवायद लगती है. वो तो पहले से ही कहने लगे थे कि NGA में भी कोई फायदा नहीं मिलने वाला है - फिर भी आये हैं तो कुछ न कुछ तो कहना ही है. इमरान खान ने किया भी वही.

इमरान खान के भाषण में एक नयी बात जो देखी गयी वो रही - पाकिस्तान को मुस्लिम मुल्कों से जोड़े रखने की जी तोड़ कवायद. इमरान खान ने मुस्लिम मुल्कों से जुड़े रहने के लिए ही इस्लाम कार्ड खेला है.

कश्मीर नहीं तो इस्लामोफोबिया ही सही

संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान ने मुस्लिम मुल्कों को लुभाने के लिए एक खास लफ्ज का बड़ी चालाकी से इस्तेमाल किया - इस्लामोफोबिया. दरअसल, OIC जैसे संगठनों की बेरूखी पाकिस्तानी हुक्मरानों पर भारी पड़ने लगी थी. यही वजह है जो इमरान खान और पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को लगने लगा कि दुनिया की कौन कहे - ये हाल रहा तो मुस्लिम मुल्क भी पाकिस्तान ने मुंह मोड़ लेंगे.

संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में इमरान खान ने सबसे ज्यादा बार इस्लामोफोबिया का इस्तेमाल किया - ताकि मुस्लिम मुल्क ये समझें कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उनकी बात को जोर शोर से उठा रहा है. इमरान खान ये कोशिश पाकिस्तान के विक्टिम कार्ड के साथ साथ मुस्लिम मुल्कों को ये समझाने की रही कि दुनिया में उनके साथ मुस्मिल होने की वजह से भेदभाव हो रहा है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काफी पहले ही ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में एक बड़ी कूटनीतिक चाल चल दी थी. ट्रंप का ये कहना कि प्रधानमंत्री मोदी आतंकवाद से अकेले निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है.

...क्योंकि पाकिस्तान भी एक मुस्लिम मुल्क है!

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि अमेरिका में 9/11 और भारत में 26/11 एक ही तरह की घटना है और दोनों ही घटनाओं के पीछे एक ही मुल्क के संरक्षण देने की बात साबित हुई है. 9/11 के मास्टरमाइंड को पाकिस्तान के संरक्षण की बात उसी वक्त मालूम हो गयी जब अमेरिकी कमांडो ने एबटाबाद पहुंच कर ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. हाफिज सईद और मसूद अजहर कैसे पाकिस्तान में बने हुए हैं और एक्टिव हैं दुनिया देख ही रही है. हाफिज सईद का बंद बैंक खाता खुलवाने के लिए पाकिस्तान कैसे प्रयास कर रहा है ये भी सबने देख ही लिया है.

जब इमरान खान को पूरी तरह यकीन हो गया कि अब कश्मीर पर दुनिया में दाल नहीं गलने वाली है तो इस्लामोफोबिया के नाम पर गैरमुस्लिम मुल्कों को ललकारने लगे - वैसे निशाने पर सीधे सीधे अमेरिका ही है. जाहिर है ये सब इमरान खान ने पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के साथ मिल कर ही तय किया होगा.

पाक मीडिया और क्रिकेटरों से मिली तारीफ

पाकिस्तानी अखबारों के मुताबिक सूचना मंत्रालय ने इमरान के भाषण को इस तौर पर समझाने की कोशिश की है कि पाकिस्तान ने इस्लाम का असली चेहरा दुनिया के सामने पेश किया है. सूचना मंत्रालय की विशेष सलाहकार फिरदौस आशिक का कहना रहा, 'इमरान खान ने इस्लामी वर्ल्ड के प्रवक्ता के तौर पर भाषण दिया - और इस्लाम का असल चेहरा दुनिया के सामने पेश किया. इमरान खान पूरी दुनिया के मुसलमानों के कायद बनकर सामने आये हैं.'

पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शाहिद आफरीदी का तो दावा है कि अल्लाह इमरान खान से कोई बड़ा काम लेना चाहते हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शाहिद आफरीदी ने कहा कि इमरान खान ने इस्लाम, पाकिस्तान और कश्मीर का मसला बड़ी हिम्मत के साथ दुनिया के सामने पेश किया है. शाहिद आफरीदी की ही तरह पूर्व क्रिकेटर रमीज राजा ने ट्वीट किया है - 'जबर्दस्त मिस्टर खान, आपने कर दिखाया.'

इमरान और बाजवा की इस संयुक्त रणनीति पर पाकिस्तानी मीडिया का कवरेज भी इस बात का तस्दीक कर रहा है कि पाकिस्तानी हुक्मरानों ने परमाणु हथियार से पहले कूटनीतिक ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया है. देखना है इमरान का ये ब्रह्मास्त्र कोई असर दिखाता है या ये भी फुस्स हो जाता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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