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इमरान खान ने Bajwa को एक्सटेंशन के बजाए टेंशन दे दी

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 28 नवम्बर, 2019 09:12 PM
  • 28 नवम्बर, 2019 09:12 PM
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इस समय पाकिस्तान (Pakistan) आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा (Pak Army Chief Qamar Javed Bajwa) तो सोच रहे होंगे कि किस घड़ी में इमरान खान (Imran Khan) का साथ देने की सोची, जो उनके खुद के लिए ही मुसीबत बन गए हैं.

पाकिस्तान (Pakistan) आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा (Pak Army Chief Qamar Javed Bajwa) के एक्सटेंशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उनका कार्यकाल बढ़ाए जाने की इमरान खान (Imran Khan) सरकार की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की 3 जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि सिर्फ राष्ट्रपति अधिसूचना जारी कर सकता है, जबकि इमरान खान ने अगस्त 2019 के दौरान बावजा के एक्सटेंशन को मंजूरी देते हुए अधिसूचना राष्ट्रपति के पास भेजी और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने उसे मंजूरी दे दी. इस प्रक्रिया में मंत्रियों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं, लेकिन कुछ नहीं किया गया. कोर्ट ने ये भी कहा है कि किसी भी विस्तार पर अधिसूचना चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही दी जा सकती है, जो 28 नवंबर 2019 को समाप्त हो रहा है. अब पाकिस्तान में विपक्ष लगातार इमरान खान के कामों को उनकी नाअहली (नालायकी) कह रहा है. ये बाजवा ही हैं, जिन्होंने इमरान खान को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने में एक अहम रोल अदा किया था, लेकिन उसी बाजवा को इमरान खान ने जो रिटर्न गिफ्ट दिया है, वह उनकी नालायकी दिखा रहा है.

बाजवा को इमरान खान ने मुसीबत में डाल दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि इस तरह से बाजवा को कार्यकाल का विस्तार नहीं दिया जा सकता है. बता दें कि इमरान खान की सरकार देश की सुरक्षा के कारणों का हवाला देते हुए उन्हें 3 साल का विस्तार दे चुके हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा करने के लिए कोई कानून ना होने की वजह से अभी इसे रोका जा रहा है. कार्यकाल विस्तार से जुड़ा कानून बनाने के लिए इमरान खान सरकार को 6 महीने का समय दिया गया है और तब तक बाजवा ही आर्मी चीफ रहेंगे. हां, कानून बनने के बाद क्या होगा ये देखना दिलचस्प...

पाकिस्तान (Pakistan) आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा (Pak Army Chief Qamar Javed Bajwa) के एक्सटेंशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उनका कार्यकाल बढ़ाए जाने की इमरान खान (Imran Khan) सरकार की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की 3 जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि सिर्फ राष्ट्रपति अधिसूचना जारी कर सकता है, जबकि इमरान खान ने अगस्त 2019 के दौरान बावजा के एक्सटेंशन को मंजूरी देते हुए अधिसूचना राष्ट्रपति के पास भेजी और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने उसे मंजूरी दे दी. इस प्रक्रिया में मंत्रियों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं, लेकिन कुछ नहीं किया गया. कोर्ट ने ये भी कहा है कि किसी भी विस्तार पर अधिसूचना चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही दी जा सकती है, जो 28 नवंबर 2019 को समाप्त हो रहा है. अब पाकिस्तान में विपक्ष लगातार इमरान खान के कामों को उनकी नाअहली (नालायकी) कह रहा है. ये बाजवा ही हैं, जिन्होंने इमरान खान को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने में एक अहम रोल अदा किया था, लेकिन उसी बाजवा को इमरान खान ने जो रिटर्न गिफ्ट दिया है, वह उनकी नालायकी दिखा रहा है.

बाजवा को इमरान खान ने मुसीबत में डाल दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि इस तरह से बाजवा को कार्यकाल का विस्तार नहीं दिया जा सकता है. बता दें कि इमरान खान की सरकार देश की सुरक्षा के कारणों का हवाला देते हुए उन्हें 3 साल का विस्तार दे चुके हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा करने के लिए कोई कानून ना होने की वजह से अभी इसे रोका जा रहा है. कार्यकाल विस्तार से जुड़ा कानून बनाने के लिए इमरान खान सरकार को 6 महीने का समय दिया गया है और तब तक बाजवा ही आर्मी चीफ रहेंगे. हां, कानून बनने के बाद क्या होगा ये देखना दिलचस्प रहेगा, लेकिन इमरान खान ने कानून बनाने से पहले ही एक नालायकी और कर दी है.

इमरान खान ने विपक्ष को किया ट्रोल

अगर कानून बनाना है तो इमरान खान को विपक्ष की जरूरत होगी. अब जरा इमरान खान की नालायकी तो देखिए, जब विपक्ष की सबसे अधिक जरूरत है, तभी वह विपक्ष के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं. यकीनन बाजवा ये सब देखकर सोच रहे होंगे कि इमरान खान का साथ देकर उन्होंने कोई गलती तो नहीं कर दी. इमरान खान ने गुरुवार शाम को ट्वीट करते हुए लिखा- 'आज वो लोग बहुत खुश होंगे, जो चाहते थे कि संस्थाओं की लड़ाई में देश का माहौल बिगड़ जाए. ऐसा नहीं हुआ, लेकिन इससे हमारे बाहरी दुश्मन और देश के माफिया जरूर खुश हुए होंगे. वो माफिया, जो देश को लूट कर पैसे विदेश ले गए और देश का माहौल खराब कर के अपनी लूट की कमाई बचाना चाहते हैं.' बाहरी दुश्मन वह भारत के लिए कह रहे हैं और देश लूटने वाले नवाज शरीफ जैसे लोगों की ओर वह इशारा कर रहे हैं.

इमरान खान ने ये ट्वीट तो कर दिए, लेकिन ये नहीं सोचा कि कानून बनाने के लिए उन्हें विपक्षी की ही जरूरत पड़ेगी.

इमरान खान को अगर वहां का विपक्ष नालायक कह रहा है तो कुछ गलत नहीं कह रहा है. बाजवा के कार्यकाल का विस्तार और गलत समय पर ट्वीट करना ही उनकी नालायकी नहीं है, बल्कि पहले भी वह कई ऐसी बातें कर चुके हैं, जो उनकी नालायकी के ही नमूने हैं.

- करतारपुर कोरिडोर तो याद होगा. इमरान खान ने 1 नवंबर को ट्वीट करते हुए ऐलान किया था कि करतारपुर कोरिडोर के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों को पासपोर्ट की जरूरत नहीं होगी. लेकिन बाद में पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि भारत से आने वाले सिख यात्रियों के लिए पासपोर्ट जरूरी होगा.

- 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया. इसके बाद पाकिस्तान ऐसा बौखलाया कि इमरान खान कुछ भी बोलने लगे, बिना सोचे-समझे. अपनी इसी नालायकी में वह बोल गए कि पाकिस्तान किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा. उनके बयान के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री डॉक्टर मोहम्मद फैजल ने ट्वीट किया और इमरान खान सरकार के बयान का खंडन किया. वह बोले कि पाकिस्तान ने अपनी परमाणु नीति में कोई बदलाव नहीं किया है. आपको बता दें कि पाकिस्तानी मंत्रियों की ओर से लगातार भारत को परमाणु युद्ध की धमकियां दी जाती रही हैं.

- इमरान खान ने ही जापान और जर्मनी की सीमाएं भी मिला दी थीं, नालायकी का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा. सोशल मीडिया पर जब उनका वो वीडियो सामने आया था तो उनकी खूब खिल्ली उड़ी थी. चलिए वीडियो देख ही लीजिए.

अब आप ही सोचिए, जिस इमरान खान ने अंदर नालायकी के इतने गुण भरे हैं, उन्हें विपक्ष नाअहली कह के क्या गलत कर रहा है. बाजवा तो सोच रहे होंगे कि किस घड़ी में इमरान खान का साथ देने की सोची, जो उनके खुद के लिए ही मुसीबत बन गए हैं. खैर, इमरान खान की नालायकी के ये सिर्फ चंद नमूने थे. आप इमरान खान पर नजर बनाए रखिए, आपको आने वाले दिनों में भी ऐसे मौके मिलेंगे, जब उन्हें नालायक कहा जा सके.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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