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यूपी में सुशासन लाकर ही मायावती का मुंह बंद कर सकते हैं अखिलेश

    • आईचौक
    • Updated: 02 अगस्त, 2016 10:48 AM
  • 02 अगस्त, 2016 10:48 AM
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महिला आयोग को लगता है कि पुलिस असली अपराधियों को पकड़ने की बजाए जो भी मिला उसे उठा कर फ्रेम कर दिया है. पुलिस ऐसा करती रही है इसलिए उसे ऐसे आरोपों से निजात पाने के लिए असली अपराधियों को सजा भी दिलाना होगा.

बुलंदशहर रेप केस में किसी मुख्यमंत्री से जो अपेक्षा होनी चाहिए, अखिलेश यादव वैसे ही एक्टिव दिखे, यही लाजिमी भी है. अखिलेश ने आला अफसरों को तो मौके पर दौड़ाया ही लापरवाह पुलिसवालों के खिलाफ वाजिब एक्शन भी लिया. बावजूद इसके वो विरोधियों के हल्ला बोल से नहीं बच पाये हैं.

मायावती ने बाकियों की तरह इस घटना के लिए भी अखिलेश से इस्तीफा मांगा है. राष्ट्रीय महिला आयोग तो इस कदर खफा है कि अखिलेश यादव जैसों को वोट न देने जैसी अपील तक कर डाली है.

महिला आयोग की राजनीति

महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग की चिंता बिलकुल जायज है. महिला आयोग ने पुलिस की कार्रवाई पर भी जो सवाल उठाया है वो भी सही है. महिला आयोग को लगता है कि पुलिस असली अपराधियों को पकड़ने की बजाए जो भी मिला उसे उठा कर फ्रेम कर दिया है. पुलिस ऐसा करती रही है इसलिए उसे ऐसे आरोपों से निजात पाने के लिए असली अपराधियों को सजा भी दिलाना होगा.

आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम का कहना है, "मैं चाहती हूं कि उत्तर प्रदेश की महिलाएं इस बात को समझें और आगे आकर उसे वोट दें जो उनकी हिफाजत कर सके."

बुलंदशहर की घटना के लिए कुमारमंगलम ने अखिलेश यादव की यूपी सरकार की कड़ी भर्त्सना की है और कहा है कि वहां महिला सशक्तिकरण की बात दूर की कौड़ी है. 2014 में आयोग की कमान संभालने से पहले कुमारमंगलम बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रह चुकी हैं.

यूपी में जंगलराज

बिहार में लालू प्रसाद के शासन काल की तरह ही मायावती यूपी में समाजवादी पार्टी के सत्ता में रहने के दौरान जंगलराज के आरोप लगाती रही हैं. मुख्यमंत्री चाहे मुलायम सिंह यादव हों या अखिलेश यादव सड़क पर समाजवादी पार्टी का झंडा लगाए गाड़ियों की हनक तो ऐसी ही होती है जैसे खुद वजीरे आजम ही गुजर रहे हों. इसके उलट, एक आम धारणा है कि मायावती के शासन में भ्रष्टाचार के मामले भले सामने आये हों, लेकिन अपराधी या तो जेल में नजर आते हैं या फिर सूबे की सीमा के...

बुलंदशहर रेप केस में किसी मुख्यमंत्री से जो अपेक्षा होनी चाहिए, अखिलेश यादव वैसे ही एक्टिव दिखे, यही लाजिमी भी है. अखिलेश ने आला अफसरों को तो मौके पर दौड़ाया ही लापरवाह पुलिसवालों के खिलाफ वाजिब एक्शन भी लिया. बावजूद इसके वो विरोधियों के हल्ला बोल से नहीं बच पाये हैं.

मायावती ने बाकियों की तरह इस घटना के लिए भी अखिलेश से इस्तीफा मांगा है. राष्ट्रीय महिला आयोग तो इस कदर खफा है कि अखिलेश यादव जैसों को वोट न देने जैसी अपील तक कर डाली है.

महिला आयोग की राजनीति

महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग की चिंता बिलकुल जायज है. महिला आयोग ने पुलिस की कार्रवाई पर भी जो सवाल उठाया है वो भी सही है. महिला आयोग को लगता है कि पुलिस असली अपराधियों को पकड़ने की बजाए जो भी मिला उसे उठा कर फ्रेम कर दिया है. पुलिस ऐसा करती रही है इसलिए उसे ऐसे आरोपों से निजात पाने के लिए असली अपराधियों को सजा भी दिलाना होगा.

आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम का कहना है, "मैं चाहती हूं कि उत्तर प्रदेश की महिलाएं इस बात को समझें और आगे आकर उसे वोट दें जो उनकी हिफाजत कर सके."

बुलंदशहर की घटना के लिए कुमारमंगलम ने अखिलेश यादव की यूपी सरकार की कड़ी भर्त्सना की है और कहा है कि वहां महिला सशक्तिकरण की बात दूर की कौड़ी है. 2014 में आयोग की कमान संभालने से पहले कुमारमंगलम बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रह चुकी हैं.

यूपी में जंगलराज

बिहार में लालू प्रसाद के शासन काल की तरह ही मायावती यूपी में समाजवादी पार्टी के सत्ता में रहने के दौरान जंगलराज के आरोप लगाती रही हैं. मुख्यमंत्री चाहे मुलायम सिंह यादव हों या अखिलेश यादव सड़क पर समाजवादी पार्टी का झंडा लगाए गाड़ियों की हनक तो ऐसी ही होती है जैसे खुद वजीरे आजम ही गुजर रहे हों. इसके उलट, एक आम धारणा है कि मायावती के शासन में भ्रष्टाचार के मामले भले सामने आये हों, लेकिन अपराधी या तो जेल में नजर आते हैं या फिर सूबे की सीमा के बाहर.

महिलाओं के खिलाफ अपराध और बलात्कार के मामलों में पिता मुलायम सिंह यादव की नई नई थ्योरी अक्सर अखिलेश यादव के लिए मुसीबत के सबब बने हैं.

अखिलेश यादव की छवि बेदाग है. राहुल गांधी ने भी अभी अभी उन्हें 'अच्छा लड़का' का खिताब दिया है. मायावती ने भी अखिलेश यादव को सिर्फ लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर ही घेरा है. अब अगर बुलंदशहर की तरह ही अपराध के दूसरे मामलों में अखिलेश यादव तत्परता दिखायें तो सत्ता में वापसी की उनकी उम्मीद बढ़ सकती है.

बुआ मायावती अब तक कानून व्यवस्था के नाम पर ही भतीजे अखिलेश को घेरती रही हैं. अखिलेश के शासन को लेकर जिस तरह से खबरें आ रही हैं जगह जगह लोग यही बता रहे हैं कि अखिलेश ने काम तो किया है, उसमें कोई शक नहीं है. अब अगर यूपी में कानून व्यवस्था सुधार कर अखिलेश नजीर पेश कर दें तो मायावती या फिर उनके दूसरे विरोधियों को भी घेरने के लिए नयी रणनीति अपनानी पड़ेगी. फिर तो अखिलेश यादव को भी सुशासन बाबू बनने की कोशिश करनी होगी जो मुश्किल तो है, मगर नामुमकिन बिलकुल नहीं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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