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IAS Kannan Gopinathan का इस्तीफा 8 ब्यूरोक्रेट के रास्‍ते पर है

    • मुरली मनोहर श्रीवास्तव
    • Updated: 27 अगस्त, 2019 06:57 PM
  • 27 अगस्त, 2019 06:57 PM
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IAS Kannan Gopinathan resignation: राजनेताओं के सिपहसालार बनकर काम करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को राजनीति इतनी रास आने लगी कि उन्हें नौकरी छोड़ने से भी परहेज नहीं रह गया है.

IAS Kannan Gopinathan resignation: आजादी के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा देश में सबसे सम्मानित सेवा मानी जाती रही है. IAS और IPS अधिकारी रिटायर होने के बाद राजनीति में आते रहे हैं. नौकरी के दौरान राजनीति की बारीकियों को वे जाने लेते थे. जिससे राजनीति में उनका कामयाब होना आसान हो जाता था. लेकिन इधर कुछ दशक से यह पुराना ट्रेंड बदलने लगा है. राजनेताओं के सिपहसालार बनकर काम करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को राजनीति इतनी रास आने लगी कि उन्हें नौकरी छोड़ने से भी परहेज नहीं रह गया है.

कन्नन गोपीनाथन

2018 में केरल में आई बाढ़ के समय राहत कार्यों में मदद करने वाले 2012 बैच के आईएएस अधिकरी कन्नन गोपीनाथन ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया. केरल निवासी कन्नन इन दिनों केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में तैनात थे. केरल कैडर के आईएएस अफसर कन्नन गोपीनाथन ने कश्मीर में 'मौलिक अधिकारों के हनन' के खिलाफ विरोध दर्ज कराते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. गोपीनाथन ने कहा कि वो अपनी तरह से जीना चाहते हैं, भले ये एक दिन के लिए ही क्यों न हो.

कश्मीर में 'मौलिक अधिकारों के हनन' के खिलाफ विरोध दर्ज कराते हुए कन्नन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया

शाह फैसल

जनवरी 2019 में चर्चित आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था. जम्मू कश्मीर के निवासी और साल 2010 बैच के आईएएस टॉपर शाह फैसल ने राजनीति में उतरने का फैसला कर लिया. हालांकि लोगों के मन में इस अधिकारी के प्रति इस बात को लेकर सहानुभूति बनी कि व्यवस्था से परेशान यानी नागरिकों के हित में खुद को सुलभ न कर पाने के कारण उन्होंने इस्तीफा दिया है. लेकिन इस्तीफा देने के बाद उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी का गठन...

IAS Kannan Gopinathan resignation: आजादी के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा देश में सबसे सम्मानित सेवा मानी जाती रही है. IAS और IPS अधिकारी रिटायर होने के बाद राजनीति में आते रहे हैं. नौकरी के दौरान राजनीति की बारीकियों को वे जाने लेते थे. जिससे राजनीति में उनका कामयाब होना आसान हो जाता था. लेकिन इधर कुछ दशक से यह पुराना ट्रेंड बदलने लगा है. राजनेताओं के सिपहसालार बनकर काम करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को राजनीति इतनी रास आने लगी कि उन्हें नौकरी छोड़ने से भी परहेज नहीं रह गया है.

कन्नन गोपीनाथन

2018 में केरल में आई बाढ़ के समय राहत कार्यों में मदद करने वाले 2012 बैच के आईएएस अधिकरी कन्नन गोपीनाथन ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया. केरल निवासी कन्नन इन दिनों केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में तैनात थे. केरल कैडर के आईएएस अफसर कन्नन गोपीनाथन ने कश्मीर में 'मौलिक अधिकारों के हनन' के खिलाफ विरोध दर्ज कराते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. गोपीनाथन ने कहा कि वो अपनी तरह से जीना चाहते हैं, भले ये एक दिन के लिए ही क्यों न हो.

कश्मीर में 'मौलिक अधिकारों के हनन' के खिलाफ विरोध दर्ज कराते हुए कन्नन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया

शाह फैसल

जनवरी 2019 में चर्चित आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था. जम्मू कश्मीर के निवासी और साल 2010 बैच के आईएएस टॉपर शाह फैसल ने राजनीति में उतरने का फैसला कर लिया. हालांकि लोगों के मन में इस अधिकारी के प्रति इस बात को लेकर सहानुभूति बनी कि व्यवस्था से परेशान यानी नागरिकों के हित में खुद को सुलभ न कर पाने के कारण उन्होंने इस्तीफा दिया है. लेकिन इस्तीफा देने के बाद उन्होंने एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया और जम्मु कश्मीर की बागडोर संभालने के लिए प्रयास शुरु किया. धारा 370 हटने के बाद उन्होंने इस पर प्रश्न उठाया और इसका विरोध किया. फिलहाल वे नजरबंद हैं.

शाह फैसल कश्मीर में राजनीति संभाल रहे हैं

प्रश्न ये उठता है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा ज्वाइन करते वक्त देश की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय अस्मिता की शपथ उन्होंने ली होगी और इसका महत्व बखूबी वो जानते भी होंगे. क्या जम्मु-कश्मीर से धारा 370 हटाना भारतीय गणराज्य का अधिकार नहीं है. शाह फैसल निश्चित तौर पर मेहनती, ऊर्जावान और प्रबुद्ध होंगे तभी उन्होंने भारतीय प्रशासनिक जैसी मुश्किल परीक्षा में प्रथम रैंक प्राप्त किया था. यह जम्मू कश्मीर के युवाओं के आदर्श के रुप में पूरे देश में प्रसिद्ध हुए थे. सफल होने के बाद किसी व्यक्ति के मन में कितनी आकांक्षाएं और दबी हुई हैं यह समझ पाना उनके इस्तीफे से ही पता नहीं चल पाता है. आशाओं के साथ अपनी आकांक्षाएं पूरी करना और अपने मन मुताबिक कार्य करना किसी का भी अधिकार हो सकता है और उसके लिए कोशिश करनी भी चाहिए.

फारूक अहमद शाह

फरवरी 2019 में 2004 बैच के आईएएस अधिकारी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी फारूक अहमद शाह ने सरकारी सेवा से इस्तीफा दे दिया था.  जम्मू-कश्मीर की राजनीति में उनके शामिल होने के भी कयास लगाए गए. उन्होंने सेवा से इस्तीफा देते हुए कहा था कि वह मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टी या अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस में फिलहाल शामिल नहीं होंगे लेकिन वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़कर खुश होंगे. अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के सरकार के फैसले पर फारूक अहमद शाह ने कहा था, ‘हम फैसले से चकित हैं और इसने हमें निराश कर दिया है क्योंकि इस अनुच्छेद के साथ हमारी भावनाएं जुड़ी थीं.’

प्रीता हरित

मार्च 2019 में यूपी के मेरठ में इनकम टैक्स विभाग की प्रिंसिपल कमिश्नर प्रीता हरित ने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. महत्वाकांक्षा इतनी प्रबल थी कि इसको देखते हुए आगरा से इन्हें कांग्रेस ने लोकसभा टिकट भी दे दिया था. हरियाणा प्रांत की निवासी प्रीता हरित 1987 बैच की आईआरएस हैं, जो दलित अधिकारों के लिए लगातार काम करती रहीं और इसको लेकर चर्चा में भी बनी रही हैं.

अपराजिता सारंगी

बिहार की रहने वाली ओड़िसा बैच की आईएएस अधिकारी अपराजिता सारंगी की, 2018 में अपने पद से इस्तीफा देकर भाजपा के दामन थाम लिया था. जिन्हें भुवनेश्वर से भाजपा ने लोकसभा प्रत्याशी बनाया और वो यहां सांसद चुन ली गईं. अपराजिता 1994 बैच की आईएएस हैं. उन्होंने पांच साल तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहने के बाद वीआरएस के लिए आवेदन किया था. हालांकि इनके रिटायर होने में लगभग 11 साल अभी शेष बचे थे.

मणिशंकर अय्यर

1963 में भारतीय विदेश सेवा के लिए चुने गए मणिशंकर अय्यर ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को देखते हुए वर्ष 1989 में वीआरएस लेकर राजनीति की तरफ मुखातिब हुए और कांग्रेस से जुड़कर कई अहम पदों पर रहे.

सत्यपाल सिंह

वर्ष 1980 बैच के आईपीएस अधिकारी सत्यपाल सिंह वर्ष 2014 में मुंबई पुलिस आयुक्त पद से इस्तीफा देकर भाजपा के साथ हो लिए थे. इसका उन्हें बड़ा फायदा भी हुआ और यूपी के बागपत से बतौर भाजपा कैंडिडेट चुनाव जीतकर सदन पहुंचे और आज की तारीख में मानव संसाधन राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह बनकर केंद्रीय राजनीति का हिस्सा बन चुके हैं.

अरविंद केजरीवाल

मैगसेसे अवार्ड से वर्ष 2006 में नवाजे गए और वर्तमान में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल वर्ष 1992 में आईआरएस ज्वाइन किया था. कुछ समय गुजरने के बाद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वो आरटीआई एक्टिविस्ट के रुप में काम करने लगे. इनकी कार्यशैली फोक्सड थी सो दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुए.

अरविंद केजरीवाल ने आईआरएस से इस्तीफा दिया था

ओ पी चौधरी

छतीसगढ़ के रायपुर में कलेक्टर पद पर कार्यरत 2005 बैच के आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी ने अगस्त 2018 में अपने पद से इस्तीफा देकर  भाजपा का दामन थाम लिया था. इनके बारे में कहा जाता है कि ये छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह के बहुत नजदीकी रहे हैं. हलांकि इनके लिए नौकरी छोड़कर राजनीति में आना उतना सार्थक साबित नहीं हुआ. भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर छत्तीसगढ़ के खरसिया विधानसभा सीट से चौधरी ने चुनाव लड़ा, लेकिन वे इस चुनाव में हार गए.

ऐसे में सवाल ये उठता है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में क्वालीफाई करने के बाद सरकार को उनसे बड़ी उम्मीदें होती हैं. इस लिहाज से वो कार्य को संपादित भी करते हैं. लेकिन ऐसी कौन सी परिस्थिति है जो इतनी बड़ी नौकरी छोड़कर किसी न किसी बहाने राजनीतिक गलियारे में दस्तक दे रहे हैं. नौकरी छोड़ने से पहले लाख दलील देते हों मगर उनका आखिरी पड़ाव राजनीति ही देखने को मिलता है.

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केजरीवाल की राजनीति देखने के बाद शाह फैसल से कितनी उम्मीद हो?

आईएएस-आईपीएस अफसरों को भाजपा ज्वाइन करना पसंद है


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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