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बेरोजगारी से निपटने का कांग्रेसी फॉर्मूला तो और भी निराशाजनक निकला

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 01 फरवरी, 2019 01:08 PM
  • 01 फरवरी, 2019 01:08 PM
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राजस्थान में युवाओं को नौकरी देने में असमर्थ अशोक गहलोत ने बेरोजगारी भत्ते में इजाफा करके ये बता दिया कि नौकरी शब्द उनके मेनिफेस्टो में एक चुनावी जुमले से ज्यादा और कुछ नहीं है.

अप्रैल में आम चुनाव हैं. चुनावों के दौरान ये बेहद जरूरी हो जाता है कि दल/ नेता कुछ ऐसी बात करे जो वोटर्स को प्रभावित कर ले जाए. बात राजस्थान चुनाव की है. वसुंधरा सरकार को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस ने कई बातें करीं. वो एक बात, जिसने लोगों का ध्यान सबसे ज्यादा खींचा. वो थी 'युवाओं को बेरोजगारी भत्ता.' चुनाव हुए. कांग्रेस की सरकार बनी और बात आई- गई हो गयी. लोगों को लगा की ये एक ऐसा चुनावी जुमला था जिसके दम पर कांग्रेस ने वोटों पर कब्ज़ा किया.कांग्रेस अपनी कोई बात भूली नहीं है. उसे अपने सभी वादें याद हैं.

एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐलान किया कि राजस्थान में बेरोजगार युवाओं को मार्च महीने से बेरोजगारी भत्ता मिलना शुरू हो जाएगा. राजस्थान विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि बेरोजगार युवाओं को प्रति माह 3,000 रुपए व युवतियों को 3,500 रुपए भत्ता मिलेगा. ज्ञात हो कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में राज्य के बेरोजगार युवाओं को 3,500 रुपए तक बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था.

बेरोजगारी भत्ते के नाम पर गहलोत राजस्थान के युवाओं को ठगते नजर आ रहे हैं

अपनी बात को पूरा करते हुए गहलोत ने कहा कि ‘एक मार्च से सबको 3,500 रुपए तक का भत्ता मिलेगा. जिसमें लड़कों को 3000 मिलेंगे तो वहीं लड़कियों के लिए ये राशी 3,500 रुपए होगी.’ इसके अलावा मुख्यमंत्री ने पिछली सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पिछली सरकार ने भी बेरोजगारी भत्ते के रूप में 600 रुपए की आर्थिक प्रोत्साहन राशि देनी शुरू की थी लेकिन अब हमने जन घोषणा पत्र में कहा है 600 रुपए के बजाय 3500 रुपए देंगे.

अप्रैल में आम चुनाव हैं. चुनावों के दौरान ये बेहद जरूरी हो जाता है कि दल/ नेता कुछ ऐसी बात करे जो वोटर्स को प्रभावित कर ले जाए. बात राजस्थान चुनाव की है. वसुंधरा सरकार को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस ने कई बातें करीं. वो एक बात, जिसने लोगों का ध्यान सबसे ज्यादा खींचा. वो थी 'युवाओं को बेरोजगारी भत्ता.' चुनाव हुए. कांग्रेस की सरकार बनी और बात आई- गई हो गयी. लोगों को लगा की ये एक ऐसा चुनावी जुमला था जिसके दम पर कांग्रेस ने वोटों पर कब्ज़ा किया.कांग्रेस अपनी कोई बात भूली नहीं है. उसे अपने सभी वादें याद हैं.

एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ऐलान किया कि राजस्थान में बेरोजगार युवाओं को मार्च महीने से बेरोजगारी भत्ता मिलना शुरू हो जाएगा. राजस्थान विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि बेरोजगार युवाओं को प्रति माह 3,000 रुपए व युवतियों को 3,500 रुपए भत्ता मिलेगा. ज्ञात हो कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में राज्य के बेरोजगार युवाओं को 3,500 रुपए तक बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था.

बेरोजगारी भत्ते के नाम पर गहलोत राजस्थान के युवाओं को ठगते नजर आ रहे हैं

अपनी बात को पूरा करते हुए गहलोत ने कहा कि ‘एक मार्च से सबको 3,500 रुपए तक का भत्ता मिलेगा. जिसमें लड़कों को 3000 मिलेंगे तो वहीं लड़कियों के लिए ये राशी 3,500 रुपए होगी.’ इसके अलावा मुख्यमंत्री ने पिछली सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पिछली सरकार ने भी बेरोजगारी भत्ते के रूप में 600 रुपए की आर्थिक प्रोत्साहन राशि देनी शुरू की थी लेकिन अब हमने जन घोषणा पत्र में कहा है 600 रुपए के बजाय 3500 रुपए देंगे.

किसानों की कर्ज माफ़ी के बाद समर्थक गहलोत और पार्टी द्वारा लिए गए इस फैसले को एक बड़ा निर्णय मान रहे हैं. अब अगर इस फैसले का गंभीरता से अवलोकन किया जाए तो खुद इस बात का अंदाजा हो जाता है कि अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के युवाओं के साथ एक बड़ा धोखा करते हुए उनके पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है. हो सकता है ये बात विचलित कर दे. मगर आए रोज नौकरी के लिए प्रधानमंत्री मोदी को घेरने वाले राहुल गांधी इस योग्य नहीं है कि वो राजस्थान के बेरोजगार युवाओं को नौकरी दिलवा सकें.

पिछले 4 सालों में राहुल गांधी ने जितनी भी रैली की है. यदि उनका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि वो अपनी रैलियों में बड़ी ही प्रमुखता से नौकरी की समस्या का वर्णन करते हैं. हर 10 किलोमीटर पर फैक्ट्री लगवाते हैं. आलू डलवाते हैं, सोना निकलवाते हैं. मेड इन इंडिया वाले मोबाइल फोन और तमाम उपकरणों की बात करते हैं. राजस्थान में उनकी पार्टी का शासन है आखिर क्यों नहीं उन्होंने वहां की जनता के लिए कोई सार्थक कदम उठाया और उन्हें रोजगार दिलवाया? आखिर क्यों सरकार ने इस 'बेरोजगारी भत्ते' की प्रथा को समाप्त नहीं किया.

कह सकते हैं कि कहीं न कहीं इस वादे को पूरा करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी ने राज्य के लोगों की एक बड़ी संख्या को अपंग बनाने का काम किया है. बात रोजगार और कांग्रेस पार्टी की चल रही है तो हमें राहुल गांधी को भी देखना होगा. अलग-अलग मुद्दों  को हाथियार बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल लगातार पीएम मोदी को घेरने का काम कर रहे हैं. ट्विटर पर एक बार फिर राहुल ने देश में नौकरियों की समस्या को हथियार बनाने हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने का काम किया है.

एक तरफ राजस्थान में युवाओं के साथ छल करते हुए उन्हें बेरोजगारी भत्ता दिलवाना. दूसरी तरह नौकरी के लिए पीएम को घेरना. अब वक़्त आ गया है जब कांग्रेस पार्टी को अपनी मंशा साफ करते हुए पूरे देश को ये बताना होगा कि आखिर उसके द्वारा की जा रही राजनीति का उद्देश्य क्या है? अंत में इतना ही कि राजस्थान में जो अशोक गहलोत ने किया वो न सिर्फ निंदनीय बल्कि इससे ये भी पता चलता है कि हमारे नेताओं को हमसे कोई मतलब नहीं है. हम उनकी नजर में महज एक वोट हैं, जिसके दम पर वो जीतते हैं और सत्ता सुख भोगते हुए मलाई चाटते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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