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नीतीश कुमार से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मुलाकात के मायने

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 12 जुलाई, 2018 01:12 PM
  • 12 जुलाई, 2018 01:12 PM
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क्या अमित शाह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात से एनडीए में सीटों के तालमेल को लेकर मचे घमासान का अंत होगा? क्या अमित शाह 'रूठे' नीतीश कुमार को मनाने में कामयाब होंगे?

बिहार में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर मची घमासान के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर रहे हैं. दोनों नेताओं की दो बार मुलाकात होनी है, पहली मुलाकात सुबह के नाश्ते पर और दूसरी मुलाकात रात के खाने पर. इस मुलाकात में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीटों के तालमेल पर बातचीत हो सकती है.

क्या इस मुलाकात से एनडीए में सीटों के तालमेल को लेकर मचे घमासान का अंत होगा? क्या अमित शाह 'रूठे' नीतीश कुमार को मनाने में कामयाब होंगे? क्या अमित शाह ऐसा कोई फार्मूला लाएंगे जिसे जेडीयू मान लेगा या फिर नीतीश कुमार वापस पुराने गठबंधन का हाथ थामेंगे? क्या नीतीश कुमार ही बिहार में एनडीए का चेहरा होंगे? या फिर यह मुलाकात बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन की आगे की दिशा तय करेगी? ये सारे सवाल उठना लाज़िमी ही हैं.

अमित शाह और नीतीश कुमार की ये मुलाकात काफी अहमियत रखती है (फाइल फोटो)

सीटों का तालमेल एक मुश्किल चुनौती

बिहार में लोकसभा की कुल 40 में से 25 सीटों पर जेडीयू अपना दावा ठोंकती रही है, लेकिन हाल में ही नीतीश कुमार इसमें नरमी बरतते हुए 17 सीटों पर लड़ने का इशारा किया था. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 22 सीटों पर जीत हासिल की थी और जेडीयू को मात्र 2 सीटें हासिल हुई थीं. बिहार में जेडीयू के अलावा रामविलास पासवान की एलजेपी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी भी है. भाजपा के सहयोगी हैं जो ज्यादा से ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाए हुए हैं. ऐसे में अमित शाह के लिए सीटों का बंटवारा कठिन चुनौती पेश कर रहा है.

एनडीए में एकजुटता का संदेश

अमित शाह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा एनडीए के अन्य सहयोगी दलों से भी मुलाकात करेंगे और इसके जरिये...

बिहार में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर मची घमासान के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर रहे हैं. दोनों नेताओं की दो बार मुलाकात होनी है, पहली मुलाकात सुबह के नाश्ते पर और दूसरी मुलाकात रात के खाने पर. इस मुलाकात में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीटों के तालमेल पर बातचीत हो सकती है.

क्या इस मुलाकात से एनडीए में सीटों के तालमेल को लेकर मचे घमासान का अंत होगा? क्या अमित शाह 'रूठे' नीतीश कुमार को मनाने में कामयाब होंगे? क्या अमित शाह ऐसा कोई फार्मूला लाएंगे जिसे जेडीयू मान लेगा या फिर नीतीश कुमार वापस पुराने गठबंधन का हाथ थामेंगे? क्या नीतीश कुमार ही बिहार में एनडीए का चेहरा होंगे? या फिर यह मुलाकात बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन की आगे की दिशा तय करेगी? ये सारे सवाल उठना लाज़िमी ही हैं.

अमित शाह और नीतीश कुमार की ये मुलाकात काफी अहमियत रखती है (फाइल फोटो)

सीटों का तालमेल एक मुश्किल चुनौती

बिहार में लोकसभा की कुल 40 में से 25 सीटों पर जेडीयू अपना दावा ठोंकती रही है, लेकिन हाल में ही नीतीश कुमार इसमें नरमी बरतते हुए 17 सीटों पर लड़ने का इशारा किया था. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 22 सीटों पर जीत हासिल की थी और जेडीयू को मात्र 2 सीटें हासिल हुई थीं. बिहार में जेडीयू के अलावा रामविलास पासवान की एलजेपी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी भी है. भाजपा के सहयोगी हैं जो ज्यादा से ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाए हुए हैं. ऐसे में अमित शाह के लिए सीटों का बंटवारा कठिन चुनौती पेश कर रहा है.

एनडीए में एकजुटता का संदेश

अमित शाह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा एनडीए के अन्य सहयोगी दलों से भी मुलाकात करेंगे और इसके जरिये यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि बिहार के एनडीए में सब कुछ ठीक चल रहा है.

विपक्षी पार्टियों की भावी रणनीति

इन दोनों नेताओं की मुलाकात पर बिहार की विपक्षी पार्टियों की रणनीति टिकी हुई है. क्योंकि इस मुलाकात में कई तरह के मुद्दों पर विचार विमर्श होगा और उसके अनुसार विपक्षी दल अपनी आगे की राजनीतिक रणनीति तय करेंगे. मसलन अगर नीतीश कुमार भाजपा के साथ रहते हैं तो उनके बीच सीटों का बंटवारा भी तय होगा. यानी इस मुलाकात के बाद ही राजद, कांग्रेस और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के बीच सीटों का बंटवारा तय होगा.

जब 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए राजनीतिक विसात बिछ चुकी है और बिहार में सीटों को लेकर मारा मारी है, वहीं दिल्ली में जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार का यह कहना कि उनकी पार्टी को कोई इग्नोर नहीं कर सकता है और इग्नोर करने वाले खुद ही इग्नोर हो जाएंगे और राजद नेता तेजस्वी यादव का कहना कि नीतीश चाचा के लिए गठबंधन में नो एंट्री है ऐसे में इन दो नेताओं की मुलाकात कितना अहम है, कोई भी समझ सकता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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