• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

'हिंदू आतंकवाद' कांग्रेस का फैलाया झूठ ही साबित हुआ!

    • मकरंद परांजपे
    • Updated: 20 अप्रिल, 2018 07:15 PM
  • 20 अप्रिल, 2018 07:11 PM
offline
हिन्दू राष्ट्रवाद फिर चाहे उसे हिंदूत्व कहें या राजनीतिक हिंदूवाद, को न तो अपना ध्येय ही खोना चाहिए और न ही बहुत ज्यादा बदलाव लाना चाहिए. हमारे जीवन के इस पहलू को न तो किसी को नज़रअंदाज़ और न ही छेड़छाड़ करना चाहिए.

अब ये लगभग साफ हो चुका है कि भारत में सेक्यूलरिज्म यानी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जो भी कुछ कहा और किया जाता है उसके पीछे अल्पसंख्यकवाद और उससे भी बदतर हिंदू विरोधी सोच ही होती है. यह काफी व्यथित करने वाला है. इसे हम विडंबना नहीं कह सकते क्योंकि अभी भी ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि आखिर हिन्दू कौन और क्या हैं.

1966 में पांच सदस्यीय संविधान खंडपीठ की तरफ से लिखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश पी.बी. गजेंद्रगढ़कर ने कहा था: 'हिंदू धर्म को परिभाषित करना या इसका पूरी तरह से वर्णन करना हमारे लिए असंभव नहीं तो कठिन जरुर है.'

छोटी सी जानकारी-

10 साल बाद 1976 में सुप्रीम कोर्ट ने एक और मामले को निपटाते हुए कहा, 'हिंदू' शब्द को शुद्धता के साथ परिभाषित करना मुश्किल है. क्योंकि ये तो सभी को पता है कि हिंदू धर्म के अंदर कई तरह के विश्वासों, धर्मों, प्रथाओं और पूजा आत्मसात हैं. हिंदू धर्म इनको खुद से अलग भी नहीं करता.' लेकिन फिर भी जब हिंदूओं की 'आतंकवादी' के रूप में ब्रांडिंग करने की बात आती है, तो हर कोई तुरंत इसका जानकर हो जाता है कि हिंदू कौन है. ऐसा लगता है कि इसका समर्थन करने के लिए किसी भी सबूत से अधिक महत्वपूर्ण ब्रांडिंग है.

साबित हो गया कि कांग्रेस ने अपनी फूट डालो और शासन करो की नीति के कारण हिंदू आतंकवाद का शब्द गढ़ा था

इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अक्सर हिंदू हितों के साथ पहचानी जाने वाली भाजपा ने 'हिंदू आतंकवाद या हिंदू टेरर' के बारे में अपने विचार लंबे समय से स्पष्ट कर रखा है. उनका मानना है कि 'हिंदू आतंकवाद' की बात बोगस, बेबुनियाद है. उदाहरण के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने 10 साल पहले 'हिंदू आतंकवाद' को कांग्रेस द्वारा फैलाया गया हौआ कहा था. चंडीगढ़ में एक चुनाव रैली में बोलते हुए आडवाणी ने कहा:...

अब ये लगभग साफ हो चुका है कि भारत में सेक्यूलरिज्म यानी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जो भी कुछ कहा और किया जाता है उसके पीछे अल्पसंख्यकवाद और उससे भी बदतर हिंदू विरोधी सोच ही होती है. यह काफी व्यथित करने वाला है. इसे हम विडंबना नहीं कह सकते क्योंकि अभी भी ये पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि आखिर हिन्दू कौन और क्या हैं.

1966 में पांच सदस्यीय संविधान खंडपीठ की तरफ से लिखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश पी.बी. गजेंद्रगढ़कर ने कहा था: 'हिंदू धर्म को परिभाषित करना या इसका पूरी तरह से वर्णन करना हमारे लिए असंभव नहीं तो कठिन जरुर है.'

छोटी सी जानकारी-

10 साल बाद 1976 में सुप्रीम कोर्ट ने एक और मामले को निपटाते हुए कहा, 'हिंदू' शब्द को शुद्धता के साथ परिभाषित करना मुश्किल है. क्योंकि ये तो सभी को पता है कि हिंदू धर्म के अंदर कई तरह के विश्वासों, धर्मों, प्रथाओं और पूजा आत्मसात हैं. हिंदू धर्म इनको खुद से अलग भी नहीं करता.' लेकिन फिर भी जब हिंदूओं की 'आतंकवादी' के रूप में ब्रांडिंग करने की बात आती है, तो हर कोई तुरंत इसका जानकर हो जाता है कि हिंदू कौन है. ऐसा लगता है कि इसका समर्थन करने के लिए किसी भी सबूत से अधिक महत्वपूर्ण ब्रांडिंग है.

साबित हो गया कि कांग्रेस ने अपनी फूट डालो और शासन करो की नीति के कारण हिंदू आतंकवाद का शब्द गढ़ा था

इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अक्सर हिंदू हितों के साथ पहचानी जाने वाली भाजपा ने 'हिंदू आतंकवाद या हिंदू टेरर' के बारे में अपने विचार लंबे समय से स्पष्ट कर रखा है. उनका मानना है कि 'हिंदू आतंकवाद' की बात बोगस, बेबुनियाद है. उदाहरण के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने 10 साल पहले 'हिंदू आतंकवाद' को कांग्रेस द्वारा फैलाया गया हौआ कहा था. चंडीगढ़ में एक चुनाव रैली में बोलते हुए आडवाणी ने कहा: 'मालेगांव ब्लास्ट के बाद वोट बैंक के लिए कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद शब्द ईजाद किया. लेकिन भाजपा ने कभी भी मुस्लिम आतंकवाद जैसे किसी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया.' तब से अब तक में क्या बदल गया है?

एक तो ये कि कांग्रेस अब सत्ता में नहीं है. इसका नियंत्रण राज्य, इसकी मशीनरी, प्रेस, बौद्धिक वर्ग हर जगह से खत्म हो गया है. अब ये इस स्थिति में नहीं हैं कि इस तरह की बातों पर अपना नियंत्रण बनाकर रख सकें. 'हिंदू' या 'भगवा आतंक' इनकी तरफ से सत्ता बने रहने का एक हथियार था और दूसरी तरफ फूट डालो शासन करो की इनकी नीति का हिस्सा था.

दूसरी तरफ यह सभी धर्मों और परंपराओं को समान रूप से अच्छा या खराब साबित करने की कवायद का एक हिस्सा था. खराब साबित करने के लिए अपेक्षाकृत नास्तिक, भौतिकतावादी और आधुनिकतावादी विचारधाराओं जैसे मार्क्सवाद का सहारा लिया जाता है. 2008 में आडवाणी का बयान ऐसी विचारधाराओं के प्रभाव को दर्शाता है. वो कहते हैं, 'आतंकवादी, आतंकवादी होता है... जो भी अपराधी है, उसे दंडित किया जाना चाहिए, भले ही उसका कोई भी धर्म हो.'

यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि हालांकि सभी धर्मों में आदर्श नियम शांति और सद्भाव का है लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि उसका अनुसरण नहीं होता. कथनी और करनी में बहुत फर्क होता है.

मीडिया कवरेज-

हाल ही में 11 साल पुराने मक्का मस्जिद बम विस्फोट मामले में आंध्रप्रदेश और तिलंगाना हाईकोर्ट का फैसला आया. आरोपियों को 'दोषी नहीं' मानने का फैसला देने वाले जस्टिस के रविंद्र रेड्डी ने इस फैसले को सुनाने के बाद इस्तीफे की पेशकश की जिसे ठुकरा दिया गया. 18 मई, 2007 को हैदराबाद में बड़ी संख्या में लोग शुक्रवार की नमाज अता करने पहुंचे थे. 400 साल पुरानी इस मस्जिद में तभी एक शक्तिशाली पाइप बम ब्लास्ट हुआ जिसमें नौ लोगों की मौत हुई और 58 लोग घायल हुए.

मुख्य आरोपी स्वामी असिमानंद के वकील जेपी शर्मा ने बताया 'किसी भी आरोपी के खिलाफ अभियोजन पक्ष (एनआईए) एक भी आरोप साबित नहीं कर पाया और उन सभी को बरी कर दिया गया है.' लेकिन मीडिया ने फैसले के बारे में बात करने, उसके बारे में बताने के बजाए जज द्वारा इस्तीफे की खबर को दिखाना ज्यादा जरुरी समझा. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ट्विटर पर इस फैसले के खिलाफ हमला बोला:

'एनआईए ने इस मामले में गंभीरता से जांच नहीं की क्योंकि उनके राजनीतिक मालिकों द्वारा उन्हें इसकी अनुमति नहीं थी.' वहीं फैसले के बाद भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने फैसले के बाद हिंदू धर्म को 'बदनाम करने' के लिए कांग्रेस पार्टी पर हमला किया. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा 'भगवा आतंक' शब्द के उपयोग किए जाने पर उन्होंने करारा प्रहार किया.

400 साल पुरानी मस्जिद में हए ब्लास्ट में 9 लोग मारे गए थे और 51 घायल हुए थेसच्ची धर्मनिरपेक्षता-

क्या इसका मतलब ये है कि कोई हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता? नहीं. लेकिन हिंदू धर्म की प्रकृति को देखते हुए, दूसरों की सोच बदलना (ब्रेनवॉश) और बड़ी संख्या में लोगों को दूसरों पर हमला करने के लिए तैयार कराना आसान नहीं होगा. जैसा कि जस्टिस गजेंद्रगढ़कर ने अपने फैसले में कहा था, 'दुनिया के दूसरे धर्मों के विपरीत, हिंदू धर्म किसी को भी अपना पैगम्बर या दूत नहीं मानता. ये किसी एक भगवान की भी पूजा नहीं करता है, यह किसी भी एक सिद्धांत का भी पालन नहीं करता है, यह किसी एक दार्शनिक अवधारणा पर विश्वास नहीं करता है, दरअसल यह किसी भी धर्म या पंथ की संकीर्ण पारंपरिक विशेषताओं को पूरा नहीं करती है.'

हिन्दू राष्ट्रवाद फिर चाहे उसे हिंदूत्व कहें या राजनीतिक हिंदूवाद, को न तो अपना ध्येय ही खोना चाहिए और न ही बहुत ज्यादा बदलाव लाना चाहिए. किसी हमारे जीवन के इस पहलू को न तो नज़रअंदाज़ और न ही छेड़छाड़ करना चाहिए. कट्टरता से हिंदूओं को भी उतनी ही तकलीफ होती है जितना दुसरे धर्मों को. साथ ही हिंदूओं को 'हिंदू आतंक' जैसे झूठ पर भी नजर रखना चाहिए जो इस धर्म को तोड़ने के मकसद से फैलाए जाते हैं. ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों ने अपनी 1871 की जनगणना में धर्म और जाति की शुरुआत की थी. इसके द्वारा उन्होंने ऐसी आग को हवा दे दी है जो अभी तक बुझने का नाम नहीं ले रही.

सच्ची धर्मनिरपेक्षता न तो अल्पसंख्यकों का पक्ष लेगी और न ही बहुमत की परंपराओं को विकृत करने का समर्थन करेगी. हिंदूओं को मुस्लिम, ईसाई, या किसी भी अन्य धर्म या परंपरा के खिलाफ सोचने, विचारधारा बनाने के पहले उसके पीछे की राजनीति को जान लेना चाहिए. किसी भी चीज या इंसान का विरोधी होने के पहले धर्म का समर्थक होना ज्यादा जरुरी है.

ये भी पढ़ें-

मक्का मस्जिद धमाका: तो क्या उन 11 बेकसूर लोगों को किसी ने नहीं मारा?

मक्का मस्जिद धमाके के 5 निर्दोष आरोपी की 'सजा' की भरपाई कौन करेगा?


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲