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दिल्ली विधानसभा चुनाव और केजरीवाल की अनोखी वोटबैंक पॉलिटिक्स!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 08 अक्टूबर, 2019 04:02 PM
  • 08 अक्टूबर, 2019 04:02 PM
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दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं. जैसी तैयारी अरविंद केजरीवाल की है साफ़ है कि वो ठान चुके हैं कि वो दोबारा दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे. अपनी इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए केजरीवाल ने वोट बैंक की वो पॉलिटिक्स शुरू कर दी जो अन्य दलों से काफी अलग और केजरीवाल को फायदा पहुंचाने वाली है.

दिल्ली चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. 2020 में राज्य में चुनाव होने हैं. चुनाव नजदीक है इसलिए वर्तमान में जो रवैया दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का है, साफ़ पता चल रहा है कि केजरीवाल इस बात को मान चुके हैं कि दिल्ली में अगली सरकार दोबारा आम आदमी पार्टी की ही होगी. तैयारी तेज है. अगर बात रणनीति की हो तो आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी ने अपनी रणनीति बना ली है. बताया जा रहा है कि चुनाव खुद मुख्यमंत्री केजरीवाल के चेहरे पर लड़ा जाएगा. चुनाव हों तो मुद्दों का होना और उसके लिए वोट बैंक की पॉलिटिक्स बहुत जरूरी है. जैसा दिल्ली का माहौल है, इस बात को कहने में गुरेज नहीं किया जा सकता कि यहां मुद्दों की भरमार तो है ही. साथ ही यहां केजरीवाल के पास वोट बैंक पॉलिटिक्स करने का भरपूर चांस है.

आने वाले चुनावों को लेकर केजरीवाल की तैयारी पूरी है. वो जानते हैं कि दिल्ली का चुनाव कैसे जीतना है

बात वोटबैंक पॉलिटिक्स की चल रही है तो बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पॉलिटिक्स, हिंदू मुस्लिम की पॉलिटिक्स नहीं है. बल्कि वो जो पॉलिटिक्स कर रहे हैं, वो कांग्रेस भाजपा जैसे उन तमाम दलों की नाक में दम किये हुए हैं जो आगामी चुनावों में केजरीवाल के सामने हैं और केजरीवाल के खिलाफ बिगुल बजाने पर विचार कर रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि कुछ चीजों के मद्देनजर केजरीवाल ने उदाहरण सेट कर दिए हैं जिन्हें अगर वो हार भी जाते हैं तो अन्य दलों को मेंटेन रखना ही होगा.

बिजली की पॉलिटिक्स

बिजली बहुत बेसिक चीज है. बिना बिजली के जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती. ये कहना हमारे लिए बिलकुल भी गलत नहीं है कि बिजली को लेकर जो कुछ भी केजरीवाल सरकार ने किया है उसकी तारीफ विपक्ष तक करता है. बात चूंकि दिल्ली की चल रही है तो...

दिल्ली चुनाव के मुहाने पर खड़ा है. 2020 में राज्य में चुनाव होने हैं. चुनाव नजदीक है इसलिए वर्तमान में जो रवैया दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का है, साफ़ पता चल रहा है कि केजरीवाल इस बात को मान चुके हैं कि दिल्ली में अगली सरकार दोबारा आम आदमी पार्टी की ही होगी. तैयारी तेज है. अगर बात रणनीति की हो तो आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी ने अपनी रणनीति बना ली है. बताया जा रहा है कि चुनाव खुद मुख्यमंत्री केजरीवाल के चेहरे पर लड़ा जाएगा. चुनाव हों तो मुद्दों का होना और उसके लिए वोट बैंक की पॉलिटिक्स बहुत जरूरी है. जैसा दिल्ली का माहौल है, इस बात को कहने में गुरेज नहीं किया जा सकता कि यहां मुद्दों की भरमार तो है ही. साथ ही यहां केजरीवाल के पास वोट बैंक पॉलिटिक्स करने का भरपूर चांस है.

आने वाले चुनावों को लेकर केजरीवाल की तैयारी पूरी है. वो जानते हैं कि दिल्ली का चुनाव कैसे जीतना है

बात वोटबैंक पॉलिटिक्स की चल रही है तो बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पॉलिटिक्स, हिंदू मुस्लिम की पॉलिटिक्स नहीं है. बल्कि वो जो पॉलिटिक्स कर रहे हैं, वो कांग्रेस भाजपा जैसे उन तमाम दलों की नाक में दम किये हुए हैं जो आगामी चुनावों में केजरीवाल के सामने हैं और केजरीवाल के खिलाफ बिगुल बजाने पर विचार कर रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि कुछ चीजों के मद्देनजर केजरीवाल ने उदाहरण सेट कर दिए हैं जिन्हें अगर वो हार भी जाते हैं तो अन्य दलों को मेंटेन रखना ही होगा.

बिजली की पॉलिटिक्स

बिजली बहुत बेसिक चीज है. बिना बिजली के जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती. ये कहना हमारे लिए बिलकुल भी गलत नहीं है कि बिजली को लेकर जो कुछ भी केजरीवाल सरकार ने किया है उसकी तारीफ विपक्ष तक करता है. बात चूंकि दिल्ली की चल रही है तो बताना जरूरी है कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त कर दी है. यानी जिसका बिल 200 यूनिट के अन्दर आएगा उसे उसके लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा.

अब भले ही अपने इस ऑफर के बाद खुद दिल्ली सरकार की रीढ़ टूट चुकी हो. राज्य सरकार भारी नुकसान में ओ मगर वो अपने उस वोटर को रिझाने में कामयाब हुई है जो अब तक बिजली के बढ़े हुए बिल की मार सक रहा था. बिजली को इस तरह फ्री किये जाने पर जब सरकार की आलोचना हुई तो अपना पक्ष रखकर उसने उन लोगों की बोलती बंद करने का प्रयास किया जिन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा की गई इस घोषणा के बाद दिल्ली में बिजली को एक बड़ा मुद्दा बना दिया था.

मामले का संज्ञान खुद  संजय सिंह ने लिया था और ऐसी तमाम बातें कहीं थी जिनको सुनने के बाद कांग्रेस और भाजपा जैसे दलों के पास सुनने, कहने, बताने को कुछ बचा नहीं.

पानी की पॉलिटिक्स

बिजली भले ही न भी हो तो इंसान का काम चल जाएगा लेकिन पानी न हो तो जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती. बात बीते अगस्त की है. केजरीवाल ने दिल्ली वालों का पानी फ्री करने की घोषणा की थी.  इस स्कीम के अंतर्गत दिल्ली सरकार ने पानी के बकाया बिलों को माफ कर दिया था. बताया गया था कि इस स्कीम का लाभ उन्हें मिलेगा, जिनके घरों में फंक्शनल मीटर हैं. आपको बताते चलें कि जिन उपभोक्ताओं ने 30 नवंबर 2018 से पहले मीटर लगवाएं हैं उन्हें ही इस योजना से लाभ दिया जाएगा. साथ ही जिन उपभोगताओं के घर में फंक्शनल मीटर हैं उन सभी की लेट फीस भी माफ कर दी जाएगी.

केजरीवाल सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले की जितनी भी आलोचना हो मगर राजनीतिक विशेषज्ञों  का मानना यही है कि इस छोटी सी स्कीम से दिल्ली के मुख्यमंत्री को चुनावों में बड़ा फायदा मिल सकता है.

दिल्ली में पीने का साफ़ पानी जैसे लोगों के लिए एक बड़ी मुसीबत है कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बिलकुल सही समय पर एक सही दाव खेला और जिसमें वो कामयाब रहे.

शिक्षा की पॉलिटिक्स

पानी और बिजली की ही तरह शिक्षा भी जरूरी चीज है. आज जैसे दिल्ली के स्कूल हैं और उनमें जिस तरह का सुधार हुआ है वो अन्य राज्यों के लिए मिसाल हैं. केजरीवाल सरकार ने जो कुछ भी शिक्षा के लिए किया है उसने भाजपा को बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया है. बात दिल्ली बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार मनोज तिवारी की हो तो वो पहले ही कह चुके हैं कि केजरीवाल सरकार शिक्षा का राजनीतिकरण कर रही है.

शिक्षा पर केजरीवाल ने कितनी राजनीति की  इसका जवाब वक़्त की गर्त में छिपा है मगर जो वर्तमान है वो खुद-ब-खुद इस बात की तस्दीख कर रहा है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आश्चर्यजनक रूप से सुधार देखने को मिला है. इसके अलावा जो कुछ भी केजरीवाल ने प्राइवेट  स्कूलों की फीस के लिए किया उसने भी काफी हद तक उनका वोट उस वर्ग के बीच मजबूत कर दिया है जिनकी कमर बच्चों की भारी भरकम फ़ीस ने तोड़ कर रख दी थी.

महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की पॉलिटिक्स

ये तो बात हो गई मूलभूत सुविधाओं जैसे बिजली, पानी और शिक्षा की. चुनावों से ठीक पहले केजरीवाल सरकार द्वारा मेट्रो और बसों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा को भी एक बड़ा चुनावी अस्त्र माना जा रहा है. चूंकि महिलाओं की बस और मेट्रो यात्रा को फ्री करने के पीछे केजरीवाल ने महिला सुरक्षा का हवाला दिया था. इसलिए कहा जा रहा है कि ये स्कीम भी आने वाले चुनावों में केजरीवाल को खूब फायदा पहुंचाएगी.

रेहड़ी-पटरी वालों को लाइसेंस बांटने की पॉलिटिक्स

किसी अन्य नेता के मुकाबले वोटरों पर जो नजर केजरीवाल की है वो कमाल की है. केजरीवाल इस बात को बखूबी समझते हैं कि उनका असल वोटर है कौन ? और साथ ही वो उनसे चाहता क्या है? बात अगर दिल्ली के वोटर्स की हो तो रेहड़ी-पटरी दुकानदारों का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो अरविंद केजरीवाल को किसी रहनुमा की तरह देखता है. केजरीवाल ने इस भरोसे को और अधिक मजबूत करते हुए  2014 में बने स्ट्रीट वेंडिंग एक्ट को लागू किया है. दिलचस्प बात ये है कि ये पहली बार हुआ है जब किसी राज्य ने इसे लागू किया है.

ज्ञात हो कि, इस एक्ट के अंतर्गत दिल्ली के रेहड़ी-पटरी दुकानदारों को लाइसेंस दिया जाएगा. जिससे वसूली पर रोक लगेगी. साथ ही इस एक्ट में इस बात का भी ख्याल रखा गया है कि, आम नागरिकों कि सुविधाओं और ट्रैफिक पर इन रेहड़ी-पटरी दुकानदारों का कोई असर न पड़े. केजरीवाल सरकार की इस पहल को राजनितिक विशेषज्ञों द्वारा एक बड़ी पहल माना जा रहा है और कहा तो यहां तक जा रहा है कि अगर आने वाले समय में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है और केजरीवाल दोबारा मुख्यमंत्री बनते हैं तो इस पूरे प्रोसेस में रेहड़ी-पटरी दुकानदारों का एक अहम योगदान रहेगा.

बहरहाल केजरीवाल क्या कर रहे हैं और क्या नहीं कर रहे हैं इसपर अभी कुछ कहना जल्दबाजी है. लेकिन ये जरूर कहा जा सकता है कि केजरीवाल ने जो कुछ भी दिल्ली और दिल्ली की जनता के लिए कर दिया है, वो उन दलों के लिए नजीर है. जो आने वाले समय में चुनावों के चलते केजरीवाल के मुक़ाबिलऔर दिल्ली की जनता के सामने होंगे. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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