• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

SC के जस्टिस हेमंत गुप्ता-जस्टिस सुधांशु धूलिया हिजाब बहस के दो सिरे बन गए!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 13 अक्टूबर, 2022 06:52 PM
  • 13 अक्टूबर, 2022 06:49 PM
offline
हिजाब मामले पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया के अलग अलग मत थे इसलिए अंतिम फैसला अब तीन जजों की बेंच सुनाएगी. इतना तो तय है कि जैसे जैसे दिन आगे बढ़ेंगे, हिजाब मामले पर सियासत तेज होगी. यानी फैसले को बड़ी बेंच को सौंपकर कोर्ट ने इस पूरे मामले को नया विस्तार दे दिया है.

कर्नाटक के स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में हिजाब पहनने पर लगे बैन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. बेंच में शामिल जजों जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया के मामले पर अलग अलग मत हैं. जहां एक तरफ जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज कर दीं, वहीं दूसरी तरफ जस्टिस सुधांशु धूलिया ने उन्हें स्वीकार किया. चूंकि मामले में दोनों ही जजों द्वारा सुनाए गए फैसले में मतभेद था अंतिम फैसला तीन जजों की बेंच सुनाएगी. 

हिजाब को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जो कुछ भी हुआ है कह सकते हैं कि विवाद जल्दी नहीं ख़त्म होने वाला

क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट में 

क्योंकि हिजाब मामले पर दोनों ही जजों की राय बंटी हुई थी इसलिए जब हम उस फैसले पर नजर डालें जो जस्टिस हेमंत गुप्ता ने दिया है तो उसमें जस्टिस गुप्ता ने फैसले पर 11 सवाल खड़े किये हैं. जस्टिस गुप्ता ने कहा है कि सवाल ये है कि क्या कॉलेज मैनेजमेंट छात्रों के यूनिफॉर्म पर या हिजाब पहनने को लेकर कोई फैसला कर सकता है? हिजाब पर बैन लगाना क्या आर्टिकल 25 का उल्लंघन है? क्या आर्टिकल 19 और आर्टिकल 25 एक जगह ही है? क्या सरकार के आदेश से मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है?  क्या छात्राओं की ये मांग कि धार्मिक पहचान की चीजों को मूलभूत अधिकार माना जा सकता है? क्या सरकार के आदेश से शिक्षा का उद्देश्य सही मुकाम पर पहुंचती है?

इन तमाम सवालों को करने के बाद जस्टिस गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी याचिका को खारिज कर दिया और हिजाब बैन के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.

कर्नाटक के स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में हिजाब पहनने पर लगे बैन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. बेंच में शामिल जजों जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया के मामले पर अलग अलग मत हैं. जहां एक तरफ जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज कर दीं, वहीं दूसरी तरफ जस्टिस सुधांशु धूलिया ने उन्हें स्वीकार किया. चूंकि मामले में दोनों ही जजों द्वारा सुनाए गए फैसले में मतभेद था अंतिम फैसला तीन जजों की बेंच सुनाएगी. 

हिजाब को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जो कुछ भी हुआ है कह सकते हैं कि विवाद जल्दी नहीं ख़त्म होने वाला

क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट में 

क्योंकि हिजाब मामले पर दोनों ही जजों की राय बंटी हुई थी इसलिए जब हम उस फैसले पर नजर डालें जो जस्टिस हेमंत गुप्ता ने दिया है तो उसमें जस्टिस गुप्ता ने फैसले पर 11 सवाल खड़े किये हैं. जस्टिस गुप्ता ने कहा है कि सवाल ये है कि क्या कॉलेज मैनेजमेंट छात्रों के यूनिफॉर्म पर या हिजाब पहनने को लेकर कोई फैसला कर सकता है? हिजाब पर बैन लगाना क्या आर्टिकल 25 का उल्लंघन है? क्या आर्टिकल 19 और आर्टिकल 25 एक जगह ही है? क्या सरकार के आदेश से मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है?  क्या छात्राओं की ये मांग कि धार्मिक पहचान की चीजों को मूलभूत अधिकार माना जा सकता है? क्या सरकार के आदेश से शिक्षा का उद्देश्य सही मुकाम पर पहुंचती है?

इन तमाम सवालों को करने के बाद जस्टिस गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी याचिका को खारिज कर दिया और हिजाब बैन के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है.

इसके बाद जब हम मामले की सुनवाई कर रहे दूसरे जज जस्टिस सुधांशु धूलिया का रुख करते हैं तो उनके तर्क अलग थे. जस्टिस धूलिया ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को गलत करारा दिया और इसपर कमेंट किया है.जस्टिस धूलिया ने अपने फैसले में धर्म को नहीं छुआ और कहा कि लड़कियों की शिक्षा बेहद अहम मामला है. लड़कियां बेहद मुश्किल के बाद पढ़ने आती हैं. वहीं उन्होंने ये भी कहा कि इस फैसले के अंतर्गत कुरान की व्याख्या करने की जरूरत नहीं है. लड़कियों के च्वाइस का सम्मान करना चाहिए. शिक्षा मिल सके ये जरूरी है न कि ये जरूरी है को उनको क्या ड्रेस पहनना चाहिए.

अपने फैसले में जस्टिस धूलिया ने इस बात पर भी जोर दिया कि कई इलाकों में लड़कियां स्कूल जाने से पहले घर का भी काम करती हैं. अगर हम इसपर बैन लगाते हैं तो लड़कियों की जिंदगी और मुश्किल होंगी. 

क्योंकि दोनों ही जजों की राय एक  दूसरे से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखती इसलिए सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच मामले की सुनवाई करेगी. मामले पर अंतिम फैसला कब तक आता है जवाब वक़्त देगा लेकिन हिजाब को लेकर जैसी राजनीति हो रही है चाहे वो मुस्लिम परास्त राजनेता हों या धर्मगुरु कोर्ट से इतर उन्होंने अपना फैसला सुना दिया है. 

तालिबानी फरमान की फेहरिस्त में बर्क सबसे अव्वल हैं!

अक्सर ही अपने बयानों से समाजवादी पार्टी को मुसीबत में डालने वाले यूपी के संभल से सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क ने मानना है कि हिजाब से महिलाओं का पर्दा रहता है. वहीं बर्क ने इस बात पर भी बल दिया कि इस्लाम में बेपर्दा होना मना है. सरकार इस्लाम के मामलों में दखल देकर माहौल खराब करना चाहती है. हिजाब न होने से हालात बिगड़ते हैं और महिलाओं की आवारगी बढ़ती है. बर्क ने ये भी कहा कि सरकार रोजगार और अन्य मुद्दों पर काम करने के बजाए इस्लाम में दखल दे रही है.

दुखी दिखे ओवैसी भी...

बर्क की तरह हिजाब मामले पर एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी भी कोर्ट की बातों से खासे आहत दिखे.  हिजाब मामले पर अपना पक्ष रखते हुए ओवैसी ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि मामले  पर सर्वसम्मत फैसला आएगा, लेकिन अगर दोनों जज इससे सहमत नहीं हैं तो कोई बात नहीं.  सवाल उठाते हुए ओवैसी ने कहा है कि अगर एक सिख लड़का पगड़ी पहन सकता है. एक हिंदू महिला मंगलसूत्र पहन सकती है और सिंदूर लगा सकती है तो एक मुस्लिम लड़की हिजाब क्यों नहीं धारण कर सकती. ओवैसी का मानना है कि ये चीज समानता के आधार के खिलाफ है. इससे धार्मिक आजादी के अधिकार का भी उल्लंघन होता है. 

सुप्रीम कोर्ट की हिजाब  को लेकर राय भिन्न है साथ ही  अभी कोई ठोस फैसला भी नहीं आया है इसलिए इतना तो तय है कि जैसे जैसे दिन आगे बढ़ेंगे हिजाब मामले पर सियासत तेज होगी. कह सकते हैं कि फैसले को बड़ी बेंच को सौंपकर कोर्ट ने इस पूरे मामले को नया विस्तार दे दिया है.  

ये भी पढ़ें-

BCCI के बहाने बीजेपी को घेर कर टीएमसी गांगुली पर दबाव तो नहीं बना रही है?

भाजपा के लिए हमेशा फायदेमंद रही है पीएम मोदी को अपशब्द कहने की परंपरा

पीएम मोदी के साथ नाता बनाकर मुलायम सिंह यादव ने लिखी नई इबारत  

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲