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तीन तलाक पर बहस और अमर सिंह की फजीहत

    • मौसमी सिंह
    • Updated: 08 दिसम्बर, 2016 05:15 PM
  • 08 दिसम्बर, 2016 05:15 PM
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तीन तलाक पर कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी और सपा नेता अमर सिंह के बीच बहस हो गई. दोनों के बीच हुई नोक-झोंक चटकारे लेकर पढ़ी जा सकती है, लेकिन इसके गहरे सियासी मायने भी हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को तीन तलाक को लेकर अपनी अहम राय जाहिर की कि यह असंवैधानिक है. मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है लेकिन सियासी रूप से यह काफी गर्म हो गया है. इसी को लेकर एक महिला सांसद और दूसरे यूपी के एक राजनेता के बीच तीखी बहस हुई. महिलाओं विषयों पर तेजतर्रार विचार रखने वाली रेणुका चौधरी के सामने पड़ गए थे सपा सांसद अमर सिंह. जो यूपी में मुस्लिम वोट बैंक की खातिर हर बात नापतौल कर बोल रहे थे. देखिए ये बहस आखिर कहां तक पहुंची और इसके मायने क्‍या हैं-

 तीन तलाक असंवैधानिक है: हाईकोर्ट

अमर सिंह - कृष्ण भगवान की 16 रानियां थीं. दशरथ की तीन रानियां थीं. पहले राजा-महाराजाओं की अनेक रानियां होती थीं. क्ष‍त्रीयों में ये परम्परा रही कि राजा हारा तो रानी दे दी. हिंदू धर्म बेहद उदार है. मुसलमानों की शरीयत संवेदनशील है. इस पर कोई हमारे जैसा व्यक्ति बयान दे, ये सही नहीं है.

रेणुका - पुराने जमाने की कहानी मत सुनाइये अमर सिंह जी,  इससे तीन तलाक का कोई मतलब नहीं है. एक पुरुष को अधिकार दे रहे हैं कि वो फोन पर बोले और तलाक ले ले. और हमारा जीवन तबाह हो जाए. महिलाओं का हक और मर्यादा रखनी चाहिए.

अमर सिंह - इनकी बात सही है पर मैं बोलूंगा तो उसका प्रभाव पूरे देश में पड़ेगा. इसलिए मैं अपनी वाणी को विराम दे रहा हूं क्योंकि ये मामला सुप्रीम कोर्ट जायेगा.

रेणुका - सुप्रीम कोर्ट जाने दीजिए, परलोक जाने दिजिये अमरसिंह जी. सती प्रथा के मामले में महिलाओं के हक के लिए राजा राम मोहन रॉय, एक आदमी खड़ा रहा, उसकी वजह से लोग जिंदा...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को तीन तलाक को लेकर अपनी अहम राय जाहिर की कि यह असंवैधानिक है. मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है लेकिन सियासी रूप से यह काफी गर्म हो गया है. इसी को लेकर एक महिला सांसद और दूसरे यूपी के एक राजनेता के बीच तीखी बहस हुई. महिलाओं विषयों पर तेजतर्रार विचार रखने वाली रेणुका चौधरी के सामने पड़ गए थे सपा सांसद अमर सिंह. जो यूपी में मुस्लिम वोट बैंक की खातिर हर बात नापतौल कर बोल रहे थे. देखिए ये बहस आखिर कहां तक पहुंची और इसके मायने क्‍या हैं-

 तीन तलाक असंवैधानिक है: हाईकोर्ट

अमर सिंह - कृष्ण भगवान की 16 रानियां थीं. दशरथ की तीन रानियां थीं. पहले राजा-महाराजाओं की अनेक रानियां होती थीं. क्ष‍त्रीयों में ये परम्परा रही कि राजा हारा तो रानी दे दी. हिंदू धर्म बेहद उदार है. मुसलमानों की शरीयत संवेदनशील है. इस पर कोई हमारे जैसा व्यक्ति बयान दे, ये सही नहीं है.

रेणुका - पुराने जमाने की कहानी मत सुनाइये अमर सिंह जी,  इससे तीन तलाक का कोई मतलब नहीं है. एक पुरुष को अधिकार दे रहे हैं कि वो फोन पर बोले और तलाक ले ले. और हमारा जीवन तबाह हो जाए. महिलाओं का हक और मर्यादा रखनी चाहिए.

अमर सिंह - इनकी बात सही है पर मैं बोलूंगा तो उसका प्रभाव पूरे देश में पड़ेगा. इसलिए मैं अपनी वाणी को विराम दे रहा हूं क्योंकि ये मामला सुप्रीम कोर्ट जायेगा.

रेणुका - सुप्रीम कोर्ट जाने दीजिए, परलोक जाने दिजिये अमरसिंह जी. सती प्रथा के मामले में महिलाओं के हक के लिए राजा राम मोहन रॉय, एक आदमी खड़ा रहा, उसकी वजह से लोग जिंदा हैं.

ये भी पढ़ें- तीन तलाक : इलाहाबाद हाईकोर्ट की बात विचार से ज्‍यादा कुछ नहीं

अमर सिंह - एक राजनेता होने के कारण मैं एक बड़े समुदाय के बारे में विचार प्रकट करुंगा तो उनकी कमेटी में, पर चैनल में नहीं बोल सकुंगा. मैं भावनात्मक नैतिक रूप से अपनी बहन से सहमत हूं. मैं एक दल का महासचिव हूं, मैं कुछ बोलुंगा तो पूरे दल पर लागू होगा.

रेणुका- यह मेरी भी अपनी राय है. मगर मैं अमर सिंह से सहमति नहीं हूं.

अमर सिंह- मैं वही कह रहा हूं जो इनकी पार्टी कह रही है. रेणुका बहादुर महिला हैं मेरी बहन हैं, महिला अधिकार के लिए लड़ाका महिलाओं में से एक हैं, यहां लोगों में झांसी की रानी हैं. पर मैं बोल नहीं सकूंगा.

रेणुका - इसीलिए ये समाज आगे नहीं बढ़ सकेगा. शबरीमला से लेकर हाजी अली से लेकर महिला आरक्षण क्षणिक हम लड़े हैं. इस पर भी लड़ाना है, तो लड़ेंगे.

अमर सिंह - शबरीमला महिला आरक्षण और हाजी अली अलग बात है. मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड से टकराने कि मेरी हिम्मत नहीं है.

रेणुका - हम कोई टकरा नहीं रहे, ये बात महिलाओं के अधिकार की है. जब आपको कभी रक्षा की ज़रूरत पडेगी तो महिलाएं खड़ी रहेगी.

अब सुनिए ये दिलचस्‍प बहस और बॉडी लैंग्‍वेज से अंदाज लगाइए अमर सिंह के दिल में क्‍या है-

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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