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चुनाव सिर पर हैं और खट्टर ने विरोधियों को मुद्दा दे दिया!

    • बिजय कुमार
    • Updated: 10 अगस्त, 2019 05:43 PM
  • 10 अगस्त, 2019 05:42 PM
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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से सोशल मिडिया पर कई तरह के मैसेज सर्कुलेट हो रहे हैं जिसमें वहां जमीन खरीदने तो वहां की लड़कियों से शादी करने की बात सामने आ रही हैं. ऐसे किसी भी बयान से किसी पद पर बैठे आदमी को बचना चाहिए. यहीं खट्टर से चूक हो गयी.

अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक बार फिर चर्चा में हैं हालांकि अगर उनके इस बार के पूरे बयान को सुना जाये तो उससे लगेगा की उनकी मंशा लिंगानुपात पर लोगों को जागरूक करने की थी लेकिन इसी बीच एक मजाक के उल्लेख के तौर पर ये कहना कि अब कुछ लोग कह रहे हैं अब तो कश्मीर खुल गया वहां से लड़कियां लाएंगे उनके लिए भारी पड़ गया.

सोशल मिडिया पर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से कई तरह के मैसेज सर्कुलेट हो रहे हैं जिसमें वहां जमीन खरीदने तो वहां की लड़कियों से शादी करने की बात सामने आ रही हैं जो कि आपत्तिजनक हैं और ऐसे किसी भी बयान से किसी पद पर बैठे आदमी को बचना चाहिए. यहीं खट्टर से चूक हो गयी और उनके द्वारा इस तरह से लोगों की टिप्पणियों का उल्लेख करने को विपक्ष अब मुद्दा बनाकर उनपर हमले कर रहा है.

बता दें कि एक कार्यक्रम में खट्टर ने कहा, 'हमारे मंत्री ओपी धनखड़ अकसर कहते हैं कि वह बिहार से 'बहू' लाएंगे. इन दिनों लोग कह रहे हैं कि अब कश्मीर का रास्ता खुल गया है वहां से लाएंगे". लेकिन अगर हम उनके पूरे बयान को सुनें तो शायद इसका कुछ और ही मतलब निकलेगा. उन्होंने कहा कि "हरियाणा का नाम बदनाम था कि ये बेटियों को मारने वाला प्रदेश है. लेकिन हमने अभियान चलाया और जो जेंडर रेश्यो लड़कियां की संख्या 1000 लड़कों के पीछे 850 थी, अब 1000 लड़कों के पीछे वही लड़कियों कि संख्या 933 हो गयी है. एक बहुत बड़ा काम ये समाज में परिवर्तन का काम है. आखिर बुजुर्ग लोग नौजवान लोग कोई भी व्यक्ति इस बात को समझेगा कि आने वाले समय में ये संकट खड़ा हो सकता है कि लड़कियां कम और लड़के ज्यादा हो जाएं तो हमारे धनखड़ जी ने कहा कि बिहार से लानी पड़ेंगी अब कुछ लोग कह रहे हैं अब तो कश्मीर खुल गया वहां से ले आएंगे. मजाक की बातें अलग हैं लेकिन समाज में रेश्यो ठीक होगा तो संतुलन ठीक बैठेगा"

अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक बार फिर चर्चा में हैं हालांकि अगर उनके इस बार के पूरे बयान को सुना जाये तो उससे लगेगा की उनकी मंशा लिंगानुपात पर लोगों को जागरूक करने की थी लेकिन इसी बीच एक मजाक के उल्लेख के तौर पर ये कहना कि अब कुछ लोग कह रहे हैं अब तो कश्मीर खुल गया वहां से लड़कियां लाएंगे उनके लिए भारी पड़ गया.

सोशल मिडिया पर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से कई तरह के मैसेज सर्कुलेट हो रहे हैं जिसमें वहां जमीन खरीदने तो वहां की लड़कियों से शादी करने की बात सामने आ रही हैं जो कि आपत्तिजनक हैं और ऐसे किसी भी बयान से किसी पद पर बैठे आदमी को बचना चाहिए. यहीं खट्टर से चूक हो गयी और उनके द्वारा इस तरह से लोगों की टिप्पणियों का उल्लेख करने को विपक्ष अब मुद्दा बनाकर उनपर हमले कर रहा है.

बता दें कि एक कार्यक्रम में खट्टर ने कहा, 'हमारे मंत्री ओपी धनखड़ अकसर कहते हैं कि वह बिहार से 'बहू' लाएंगे. इन दिनों लोग कह रहे हैं कि अब कश्मीर का रास्ता खुल गया है वहां से लाएंगे". लेकिन अगर हम उनके पूरे बयान को सुनें तो शायद इसका कुछ और ही मतलब निकलेगा. उन्होंने कहा कि "हरियाणा का नाम बदनाम था कि ये बेटियों को मारने वाला प्रदेश है. लेकिन हमने अभियान चलाया और जो जेंडर रेश्यो लड़कियां की संख्या 1000 लड़कों के पीछे 850 थी, अब 1000 लड़कों के पीछे वही लड़कियों कि संख्या 933 हो गयी है. एक बहुत बड़ा काम ये समाज में परिवर्तन का काम है. आखिर बुजुर्ग लोग नौजवान लोग कोई भी व्यक्ति इस बात को समझेगा कि आने वाले समय में ये संकट खड़ा हो सकता है कि लड़कियां कम और लड़के ज्यादा हो जाएं तो हमारे धनखड़ जी ने कहा कि बिहार से लानी पड़ेंगी अब कुछ लोग कह रहे हैं अब तो कश्मीर खुल गया वहां से ले आएंगे. मजाक की बातें अलग हैं लेकिन समाज में रेश्यो ठीक होगा तो संतुलन ठीक बैठेगा"

वैसे अनुच्छेद 370 हटने के बाद ऐसे बयान के लिए खट्टर भारतीय जनता पार्टी के पहले नेता नहीं हैं जो निशाने पर हैं बल्कि कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के पार्टी विधायक विक्रम सैनी ने भी इसी तरह की टिप्पणी की थी. विधायक विक्रम सैनी ने कहा, 'कश्मीर में महिलाओं पर कितना अत्याचार था. वहां की लड़की अगर उत्तर प्रदेश के लड़के से शादी कर ले तो उसकी नागरिकता खत्म. भारत की नागरिकता अलग और कश्मीर की नागरिकता अलग यानी एक देश, दो विधान कैसे होना चाहिए? जो मुस्लिम कार्यकर्ता हैं, उन्हें भी खुशी मनानी चाहिए. शादी वहां की कश्मीरी गोरी लड़की से करो, हिन्दू-मुसलमान कोई भी हो, यह पूरे देश के लिए खुशी का विषय है.'

ऐसा नहीं हैं कि मुख्यमंत्री खट्टर पहली बार अपने बयान को लेकर हमले झेल रहे हों इससे पहले पिछले साल रेप को लेकर खट्टर ने ऐसी बातें कहीं थीं, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. तब खट्टर ने कहा था, 'सबसे बड़ी चिंता यह है कि ये घटनाएं जो हैं रेप और छेड़छाड़ की, 80 से 90 फीसदी जानकारों के बीच में होती हैं. काफी समय के लिए इकट्ठे घूमते हैं, एक दिन अनबन हो गई उस दिन उठाकर एफआईआर करवा देते हैं कि इसने मुझे रेप किया.' खट्टर के इस बयान पर काफी किरकिरी भी हुई थी.

इससे पहले 2014 लोकसभा चुनावों से पहले खट्टर ने महिलाओं के लिए ड्रेस कोड की बात भी कही थी. उन्होंने कहा था कि अगर कोई लड़की शालीन दिखने वाले कपड़े पहनती है तो कोई लड़का उसे गलत ढंग से नहीं देखेगा. यही नहीं, जब उनसे लड़कियों और लड़कों की आजादी के विकल्प के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'अगर आप आजादी चाहते हैं तो फिर नंगे क्यों नहीं घूमते. स्वतंत्रता सीमित होनी चाहिए. छोटे-छोटे कपड़ों पर पश्चिम का प्रभाव है. हमारे देश की परंपरा में लड़कियों से शालीन कपड़े पहनने के लिए कहा गया है.'

मनोहर लाल खट्टर पहले भी अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहे थे

अब बात करें हरियाणा की तो इस पर बेटियों के प्रति बेरुखी के लिए बदनामी का बरसों पुराना कलंक है जिससे निकलने की बात अक्सर मुख्यमंत्री खट्टर करते हैं लेकिन उनके मुंह से कश्मीर या बिहार की महिलाओं के प्रति की गयी टिप्पणी शोभा नहीं देती. वैसे भी चुनाव सिर पर हैं ऐसे में उन्हें इस तरह के बयानों से बचना चाहिये क्योंकि विरोधी पार्टियां इसके लिए उनकी खूब आलोचना कर रही हैं.

वैसे खबरों की मानें तो हरियाणा में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान का बहुत असर हुआ है और लिंगानुपात में लगातार वृद्धि हो रही है. 2011 के सेन्सस के मुताबिक हरियाणा की स्थिति बहुत खराब थी जहां प्रति 1000 पुरुषों पर 877 महिलाएं थीं. तब राष्ट्रीय स्तर पर औसत 940 था जो कि हरियाणा से बहुत ही बेहतर था. नीति आयोग के मुताबिक हरियाणा में 2012-14 के बीच लिंगानुपात 866 था जो कि 2013-15 में घटकर 831 पर आ गया लेकिन हाल की ख़बरों पर यकीन करें तो यह 900 के पार है.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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