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एक अफवाह उड़ी, गोलियां चलीं और 'गावस्कर' की मौत!

    • धीरेंद्र राय
    • Updated: 13 अप्रिल, 2016 03:56 PM
  • 13 अप्रिल, 2016 03:56 PM
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कश्‍मीर में भारतीय सेना के खिलाफ चल रहे प्रोपोगेंडा वॉर का यह सबसे घिनौना चेहरा है. इसने हंदवाड़ा के नईम कादिर भट्ट जैसे युवा क्रिकेटर को भी नहीं बख्‍शा. अब उसकी मां विलाप करते हुए कह रही है कि कोई मेरे गावस्कर को ला दो...

कश्‍मीर घाटी के कस्बे हंदवाड़ा के मुख्‍य चौराहे से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर है बंदे मोहल्ला. यहीं पर घर है नईम का, जहां आज मातम पसरा है. मंगलवार की दोपहर नईम कुछ युवकों के साथ सेना के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचा था. लोग उस खबर से आगबबूला थे कि किसी सैनिक ने एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की है. गुस्साई भीड़ ने सेना के बंकर में आग लगा दी. फिर सैनिकों से झड़प के बाद फा‍यरिंग करने लगे. सेना की ओर से हुई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई. जिसमें राज्यस्‍तरीय अंडर-19 क्रिकेट टीम का सदस्य नईम भी था.

नईम कादिर भट्ट, जिसकी सेना की फायरिग में मौत हुई.

नईम की मौत इसलिए चिंता का सबब है, क्योंकि वह किसी पॉलिटिकल पार्टी से नहीं जुड़ा था और न ही वह किसी अलगाववादी गुट का सदस्य है. वह एक छात्र था और क्रिकेट का दीवाना. शायद भविष्‍य का एक बड़ा क्रिकेटर. शायद गावस्कर जैसा ही.

नईम कश्‍मीर के उभरते हुए क्रिकेटरों में से एक था.

अब एक बार फिर पूरे घटनाक्रम को रिवर्स करके देखते हैं. मंगलवार सुबह कुछ युवक नईम के पास आए और बोले कि सेना ने एक लड़की से बदसलूकी की है, चलो प्रदर्शन करने. और वह भीड़ का हिस्सा बन जाता है. एक स्थानीय व्यक्ति अब्दुल रशीद सराफ के मुताबिक नईम इस झड़प को अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर रहा था. तभी उसे गोली लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

कश्‍मीर घाटी के कस्बे हंदवाड़ा के मुख्‍य चौराहे से सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर है बंदे मोहल्ला. यहीं पर घर है नईम का, जहां आज मातम पसरा है. मंगलवार की दोपहर नईम कुछ युवकों के साथ सेना के खिलाफ प्रदर्शन करने पहुंचा था. लोग उस खबर से आगबबूला थे कि किसी सैनिक ने एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की है. गुस्साई भीड़ ने सेना के बंकर में आग लगा दी. फिर सैनिकों से झड़प के बाद फा‍यरिंग करने लगे. सेना की ओर से हुई गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई. जिसमें राज्यस्‍तरीय अंडर-19 क्रिकेट टीम का सदस्य नईम भी था.

नईम कादिर भट्ट, जिसकी सेना की फायरिग में मौत हुई.

नईम की मौत इसलिए चिंता का सबब है, क्योंकि वह किसी पॉलिटिकल पार्टी से नहीं जुड़ा था और न ही वह किसी अलगाववादी गुट का सदस्य है. वह एक छात्र था और क्रिकेट का दीवाना. शायद भविष्‍य का एक बड़ा क्रिकेटर. शायद गावस्कर जैसा ही.

नईम कश्‍मीर के उभरते हुए क्रिकेटरों में से एक था.

अब एक बार फिर पूरे घटनाक्रम को रिवर्स करके देखते हैं. मंगलवार सुबह कुछ युवक नईम के पास आए और बोले कि सेना ने एक लड़की से बदसलूकी की है, चलो प्रदर्शन करने. और वह भीड़ का हिस्सा बन जाता है. एक स्थानीय व्यक्ति अब्दुल रशीद सराफ के मुताबिक नईम इस झड़प को अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर रहा था. तभी उसे गोली लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

एक ओर जहां नईम के घर बुरा हाल था, तो दूसरी ओर उस लड़की का वीडियो सामने आ गया, जिसने इस हंगामे की कहानी ही पलट दी. उस लड़की ने बताया कि उसके साथ किसी सैनिक ने नहीं, बल्कि वहीं के कुछ स्थानीय युवकों ने बदसलूकी की. सेना के बंकर के पास बने बाथरूम से जब वह बाहर निकली तो एक युवक ने उसे थप्पड़ मारा और बैग छीन लिया. उसे इस बदसलूकी से वहीं के रहने वाले शफी नामक बुजुर्ग ने बचाया. लड़की का कहना है कि वह उस युवक को पहचान भी लेगी.

भारत विरोधी साजिश का खुलासा करता है ये वीडियो-

तो आखिर नईम का हत्यारा कौन है?

-क्या सेना, जिस पर इल्जाम है कि वह कश्‍मीर में जबरन अमन लाने की कोशिश कर रही है. या अपना आपा खोने पर कहीं कहीं वह एक्शन लेती है जिसमें बेगुनाह भी मारे जाते हैं.

-या वे प्रोपोगेंडा फैलाने वाले, जिन्होंने एक झूठ गढ़ा और फिर नईम जैसों को विरोध के लिए उकसाया. लेकिन, अलगाववादियों का तो यही एजेंडा है. बल्कि अब तो वे नईम को शहीद कह रहे होंगे.

-या सोशल मीडिया पर सक्रिय वे लोग जो जाने अनजाने भारत-विरोधी प्रोपोगेंडा का हिस्‍सा बनते हैं. सेना के खिलाफ जहर उगलते हैं और नईम जैसों को प्रेरणा देते हैं कि उनका विरोध जायज है. ऐसे लोगों को अपराधी इसलिए भी माना जा सकता है क्योंकि उस लड़की के वीडियो आने के बाद उन्‍होंने शायद ही अपनी जहरीली फेसबुक पोस्‍ट या ट्वीट को माफी मांगते हुए हटाया हो.

सेना के खिलाफ झूठ फैलाने वालों ने नईम की जान ही नहीं ली, बल्कि एक अपराध और किया है. अब सेना की बदसलूकी की कोई भी खबर कश्‍मीर से आएगी तो उस पर एक सवालिया निशान तो पहले से ही लगा होगा कि कहीं यह अफवाह तो नहीं है. यानी सच भी झूठ लगेगा.

90 के दशक की याद दिला दी

सेना की ज्यादती की इस झूठी कहानी ने 90 के दशक की उस तस्वीर को दोबारा सामने ला दिया है, जब घाटी में भारत-विरोध और आतंकवाद अपने चरम पर था. स्थानीय लोग अपने घरों में आतंकियों को पनाह देते थे. लेकिन बाद में यही आतंकी उनके घर की महिलाओं से ज्यादती करने लगे और इल्जाम सेना पर डालने लगे. जब पानी सिर से गुजरने लगा तो लोगों ने सिर उठाया. और आतंकियों के पैर उखाड़ दिए.

झूठ ने फिर पैर पसारे हैं. हंदवाड़ा के नईम और उसकी मां के गावस्कर को छीना है. उम्मीद है इस झूठ के पैर जल्द ही फिर उखड़ेंगे...


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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