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जुर्म की दुनिया के VIP जब जेल में बने मजदूर !

    • आईचौक
    • Updated: 21 सितम्बर, 2017 03:00 PM
  • 21 सितम्बर, 2017 03:00 PM
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एक बार जेल पहुंचते ही उनकी सारी हेकड़ी बाहर आ जाती है. जेल में बंद दूसरे गुनाहगारों की तरह ही उन्हें भी अपनी काबिलियत के अनुसार काम करना होता है. जिसकी मजदूरी 20 रूपये से लेकर 50 रूपये प्रतिदिन मिलता है.

भारत में गुनाह कर के भी रईसों वाली जिंदगी जीने वालों की कमी नहीं है. वे पहले तो जुर्म करके अय्याशों वाली जिंदगी जीते हैं, लेकिन बाद में कोर्ट के सामने भिगी बिल्ली बन जाते हैं. हाथ-पैर जोड़कर रहम की भीख मांगने लगते हैं. लेकिन इंसाफ का तराजू सबको बराबर तौलता है. एक बार जेल पहुंचते ही उनकी सारी हेकड़ी बाहर आ जाती है. जेल में बंद दूसरे गुनाहगारों की तरह ही उन्हें भी अपनी काबिलियत के अनुसार काम करना होता है. जिसकी मजदूरी 20 रूपये से लेकर 50 रूपये प्रतिदिन मिलती है. वैसे ही कैदियों की एक फेहरिस्त मैं आपके सामने रखने वाला हूं, जो कि बाहर अपने उच्चे रसूक के लिए जाने जाते थे. लेकिन जेल के अंदर चंद रुपए की कमाई के लिए 8 घंटे की कड़ी मेहनत की.

गुरमीत राम रहीम1. गुरमीत राम रहीम

बाबा, जो कि अपने मस्ताने अंदाज के लिए जाना जाता था. अब रेप के जुर्म में 20 साल की सजा काट रहे हैं. राम रहीम को जेल में सब्जी उगाने का काम मिला है. इसके लिए उसे प्रतिदिन 20 रूपये मिलता है. उसे दिन के 8 घंटे कड़ी मेहनत करके गुजारनी पड़ते हैं. बता दें कि सब्जी उगाने के अलावा राम रहीम को पेड़ काटने का भी काम करना पड़ता है. (यह ऑफिशियल जानकारी है. वरना जेल के भीतर कौन देखने जा रहा है.)

लालू यादव2. लालू प्रसाद यादव

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव चारा घोटाले में दोषी पाए गए थे. लालू को तब पांच साल की सजा सुनाई गयी थी. लेकिन 2 महीने और 15 दिन बाद ही उन्हें जमानत मिल गयी थी. झारखंड के बिरसा मुंडा केंद्रिय कारावास में उन्हें...

भारत में गुनाह कर के भी रईसों वाली जिंदगी जीने वालों की कमी नहीं है. वे पहले तो जुर्म करके अय्याशों वाली जिंदगी जीते हैं, लेकिन बाद में कोर्ट के सामने भिगी बिल्ली बन जाते हैं. हाथ-पैर जोड़कर रहम की भीख मांगने लगते हैं. लेकिन इंसाफ का तराजू सबको बराबर तौलता है. एक बार जेल पहुंचते ही उनकी सारी हेकड़ी बाहर आ जाती है. जेल में बंद दूसरे गुनाहगारों की तरह ही उन्हें भी अपनी काबिलियत के अनुसार काम करना होता है. जिसकी मजदूरी 20 रूपये से लेकर 50 रूपये प्रतिदिन मिलती है. वैसे ही कैदियों की एक फेहरिस्त मैं आपके सामने रखने वाला हूं, जो कि बाहर अपने उच्चे रसूक के लिए जाने जाते थे. लेकिन जेल के अंदर चंद रुपए की कमाई के लिए 8 घंटे की कड़ी मेहनत की.

गुरमीत राम रहीम1. गुरमीत राम रहीम

बाबा, जो कि अपने मस्ताने अंदाज के लिए जाना जाता था. अब रेप के जुर्म में 20 साल की सजा काट रहे हैं. राम रहीम को जेल में सब्जी उगाने का काम मिला है. इसके लिए उसे प्रतिदिन 20 रूपये मिलता है. उसे दिन के 8 घंटे कड़ी मेहनत करके गुजारनी पड़ते हैं. बता दें कि सब्जी उगाने के अलावा राम रहीम को पेड़ काटने का भी काम करना पड़ता है. (यह ऑफिशियल जानकारी है. वरना जेल के भीतर कौन देखने जा रहा है.)

लालू यादव2. लालू प्रसाद यादव

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव चारा घोटाले में दोषी पाए गए थे. लालू को तब पांच साल की सजा सुनाई गयी थी. लेकिन 2 महीने और 15 दिन बाद ही उन्हें जमानत मिल गयी थी. झारखंड के बिरसा मुंडा केंद्रिय कारावास में उन्हें जेल के अंदर ही पढ़ाने-लिखाने का काम सौंपा गया था. इसके लिए उन्हें रोजना 25 रूपये मिलते थे. आम कैदियों की तरह ही उनका भी अकांउट खुलवाया गया था, जिसमें उनकी कमाई जमा होती थी.

संजय दत्त3. संजय दत्त

1993 के मुंबई ब्लास्ट के आरोपी संजय दत्त को पांच साल की सजा हुई थी. फिल्मस्टार ने जेल में बिताये 28 महीनों के दौरान 440 रूपये की कमाई की. जेल में संजय दत्त को बेंत के सामान और कागज के लिफाफे बनाने का काम मिला था. इसके अलावा फिल्मस्टार ने रेडियो जॉकी की भूमिका भी निभाई. कैदी अक्सर उनसे रेडियो पर उन्हीं की फिल्मों के गाने और उनके सुपरहिट डायलॉग सुनाने की फरमाइश करते थे.

शशिकला4. शशिकला

तमिलनाडु की पार्टी एआईएडीएमके (AIADMK) की जनरल सेक्रेटरी को आय से अधिक संपत्ति मामले में 4 साल की सजा हुई है. बंगलुरु के पाराप्पाना अग्रहारा सेंट्रल जेल में फिलहाल वो अपनी सजा काट रही है. उन्हें मोमबत्ती बनाने का काम सैंपा गया है. इसके लिए उन्हें रोजाना तौर पर 50 रूपये मिलते हैं. ये अलग बात है कि पिछले दिनों एक सनसनीखेज वीडियो में दिखाई दिया था कि वे जेल के भीतर भी ऐशोआराम की जिंदगी जी रही हैं. आरोप लगाया गया कि इसके लिए उन्‍होंने जेल अधिकारियों को मोटी रकम दी है.

कनीमोझी5. कनीमोझी

2जी घोटाले में दोषी पायी गयी एमके कनीमोझी ने सात महीने जेल में बिताये. बता दें कि तब वो तमिलनाडु सत्ता पर काबिज डीएमके(DMK) के चीफ एम करुणानिधि की बेटी हैं. वे खुद भी एक सांसद थी. तिहाड़ जेल प्रशासन ने उन्हें एक मॉडल कैदी बताया था, जो कि हमेशा नियमों के अनुसार चलती थीं. शुरूआती दिनों में कनीमोझी ने मोमबत्ती बनाना सीखा था. इसके बाद उन्होंने जेल के अलग-अलग हिस्सों में जाकर घड़ा बनाने, कपड़े सिलने जैसे काम सीखने में भी कुछ समय बिताया. जेल के सूत्रों का कहना था कि कनीमोझी आमतौर पर किताबें पढ़ते नज़र आती थी. वे जेल के पुस्तकालय में भी काफी समय बिताती थीं.

ए राजा6. ए. राजा

जबतक अदालत की कोई खास अनुमती नहीं देता है, सबको आम कैदी की तरह ही रहना पड़ता है. 2जी घोटाले के अहम दोषी ए राजा को भी आम कैदियों की तरह 15*10 फीट की कोठरी में रहना पड़ता था. तिहाड़ जेल में उन्हें 6 कंबल दिए गए. इसमें से 2 को वो गद्दे की तरह इस्तेमाल कर के उसपर सोता था. अदालत के आदेश पर उसे हफ्तें में दो दिन घर का पका खाने की इज्जात थी. बशर्ते उसमें करी और फल ना हो.

दो विशेष 'कॉर्पोरेट' कैदी : राजू और सहारा

एम. रामालिंगा राजू7. रामालिंगम राजू

सत्यम कंपनी के मालिक रामालिंगम राजू को अदालत ने खास दर्जे का कैदी बताया था. कैदियों के पास अपने समाजिक और आर्थिक स्थिति के हिसाब से कुछ खास सुविधाएं लेने का अधिकार है. इसके तहत राजू को एक-एक गद्दा, दो तकिये, एक मच्छरदानी, एक कुर्सी और एक मेज और इसके अलावा एक आरामदायक कुर्सी भी उसे मिली थी. इस विशेषाधिकार के तहत उसे फल भी मिलता था, जो कि आम कैदियों के लिए उपलब्ध नहीं था. राजू को धुले कपड़े और पढ़ने के लिए किताबें भी जेल परिसर में मिलते थे. बावजूद इन सब सुविधाओं के राजू को दस महीने अस्‍पताल में रहना पड़ा था. हैपेटाइटिस सी और दिल की बिमारी के कारण.

सुब्रत रॉय सहारा8. सुब्रत रॉय सहारा

निवेशकों के 20 हजार करोड़ रुपए न लौटाने के कारण सुब्रत रॉय सहारा पर भी गाज गिरी. 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में इनकी पेशी हुई थी, जिसमें कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने उन्हें जेल में रहने का आदेश दिया गया. जहां विशेष सुविधाओं के लिए उन्होंने जेल प्रशासन को 31 लाख रूपये चुकाए थे. 57 दिनों के लिए उन्हें एयर-कंडिशंड रूम, मोबाइल, वाई-फाई और वीडियो कॉन्फेंसिंग की सुविधा प्राप्त थी. जिसके लिए रोजाना वे 54.4 हजार रुपए चुकाते थे. इसके अलावा सुब्रत रॉय के जान के उपर खतरे को देखते हुए सुरक्षाकर्मी भी उपलब्ध करवाया गया था.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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