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चुनावी आहट के साथ राम भक्तों को 108 फीट का झुनझुना !

    • अनुराग तिवारी
    • Updated: 10 अक्टूबर, 2017 04:50 PM
  • 10 अक्टूबर, 2017 04:50 PM
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्री राम की मूर्ति बनाने के सन्दर्भ में एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले से जहां एक तरफ उनके समर्थक उनकी वाह-वाह कर रहे हैं तो वहीं आलोचकों को भी योगी की आलोचना का बड़ा मौका मिल गया है.

केंद्र और उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के बाद से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का प्रेशर झेल रही बीजेपी ने आखिरकार समस्या का हल ढूंढ ही लिया है. सरकार ने अब अयोध्या में प्रभु श्रीराम की 108 फीट की प्रतिमा बनवाने का शिगूफा छेड़ दिया है. सरकार प्रभु श्रीराम की इस विशालकाय प्रतिमा के जरिये एक तीर से कई निशाने साधने का काम करेगी. बीजेपी सरकार के लिए मुश्किल ये है कि वे राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की दलील सुनने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में सुप्रीमकोर्ट के आदेशों में बंधी सरकार के लिए यह बीच का एक सुगम रास्ता होगा. वहीं राम भक्त भी इस बात से खुश रहेंगे कि चलो, सरकार का ध्यान तो गया इस मुद्दे पर और प्रभु श्रीराम के बारे में कुछ सोचा तो, अधूरा ही सही कुछ तो वादा पूरा हुआ.

अयोध्या में लगने वाली श्री राम की मूर्ति के अपने सियासी मायने हैं

यूपी के गवर्नर राम नाईक के ऑफिस से जारी हुई प्रेस रीलिज के मुताबिक, यूपी के टूरिज्म डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी ने गवर्नर को डिपार्टमेंट की ओर से 'नव्य अयोध्या' नाम का एक प्रेजेंटेशन दिखाया. इसके मुताबिक अयोध्या में सरयू नदी के तट पर प्रभु श्रीराम की एक 108 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा बनाई जाएगी. अब इसमें भी एक पेंच है, वह भी जान लीजिये. यह प्रतिमा तभी बन सकेगी जब इसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ग्रीन यानि हरी झंडी दिखायेगा.

इसके अलावा अयोध्या को विकसित करने के लिए योजना तो यह भी है कि सरयू के किनारों को टूरिस्ट्स को लुभाने केलिए डेवलप किया जाएगा और यहां काशी की गंगा आरती की तर्ज पर सरयू आरती शुरू की जाएगी. साथ ही रामकथा गैलरी, 'रानी हो' के स्मारक सौंदर्यीकरण होगा. इसके अलावा फैजाबाद शहर में सरयू किनारे श्रीराम की निर्वाण स्थली गुप्तार घाट की हालात में भी सुधार किया जाएगा. दिगम्बर अखाड़े में...

केंद्र और उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के बाद से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का प्रेशर झेल रही बीजेपी ने आखिरकार समस्या का हल ढूंढ ही लिया है. सरकार ने अब अयोध्या में प्रभु श्रीराम की 108 फीट की प्रतिमा बनवाने का शिगूफा छेड़ दिया है. सरकार प्रभु श्रीराम की इस विशालकाय प्रतिमा के जरिये एक तीर से कई निशाने साधने का काम करेगी. बीजेपी सरकार के लिए मुश्किल ये है कि वे राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की दलील सुनने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में सुप्रीमकोर्ट के आदेशों में बंधी सरकार के लिए यह बीच का एक सुगम रास्ता होगा. वहीं राम भक्त भी इस बात से खुश रहेंगे कि चलो, सरकार का ध्यान तो गया इस मुद्दे पर और प्रभु श्रीराम के बारे में कुछ सोचा तो, अधूरा ही सही कुछ तो वादा पूरा हुआ.

अयोध्या में लगने वाली श्री राम की मूर्ति के अपने सियासी मायने हैं

यूपी के गवर्नर राम नाईक के ऑफिस से जारी हुई प्रेस रीलिज के मुताबिक, यूपी के टूरिज्म डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी ने गवर्नर को डिपार्टमेंट की ओर से 'नव्य अयोध्या' नाम का एक प्रेजेंटेशन दिखाया. इसके मुताबिक अयोध्या में सरयू नदी के तट पर प्रभु श्रीराम की एक 108 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा बनाई जाएगी. अब इसमें भी एक पेंच है, वह भी जान लीजिये. यह प्रतिमा तभी बन सकेगी जब इसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ग्रीन यानि हरी झंडी दिखायेगा.

इसके अलावा अयोध्या को विकसित करने के लिए योजना तो यह भी है कि सरयू के किनारों को टूरिस्ट्स को लुभाने केलिए डेवलप किया जाएगा और यहां काशी की गंगा आरती की तर्ज पर सरयू आरती शुरू की जाएगी. साथ ही रामकथा गैलरी, 'रानी हो' के स्मारक सौंदर्यीकरण होगा. इसके अलावा फैजाबाद शहर में सरयू किनारे श्रीराम की निर्वाण स्थली गुप्तार घाट की हालात में भी सुधार किया जाएगा. दिगम्बर अखाड़े में मल्टी परपज ऑडिटोरियम बनाने का भी प्लान तैयार हुआ है.

पता नहीं जनता ने गौर किया है या नहीं, जब एक बीजेपी नेता राम मंदिर के जल्द निर्माण का दावा करता है तो दूसरा तुरंत सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाल देकर कहता है कि आपसी बातचीत के जरिये जल्द बीच का रास्ता निकाला जाएगा. ऐसे में बखूबी समझा जा सकता है कि जनता को झुनझुना देकर जबतक संभव हो बहलाया जाए. लेकिन अब 2019 की निर्णायक घड़ी नजदीक आती जा रही है तो इस बार जनता को 108 फीट का झुनझुना थमा दिया गया है. अब जनता भी खुश, आका भी खुश.

योगी के इस फैसले के बाद विपक्ष को भी आलोचना का एक मुद्दा मिल गया है

इतनी सारी योजनाओं की तैयारियों की चर्चा सुनकर आश्चर्य नही होता है कि अगर यह सभी सुविधाएं पहले की सरकारों (इसमें कांग्रेस सपा, बसपा और बीजेपी सभी शामिल हैं) ने अयोध्या में दे दीं होतीं तो शायद अयोध्या का खूनी विवाद कभी इतिहास के पन्नों में दर्ज ही न हुआ होता. पूरी दुनिया का इतिहास उठाकर देखिए, जहां कहीं भी हिंसक विवादों ने सर उठाया है तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण वहां के लोगों का खलिहर रहना ही पाया जाएगा.

अब इसे ज़रा सुप्रीम कोर्ट के विवादित स्थल पर यथा-स्थिति बनाए रखने के आदेश के मद्दे नजर भी देखें. बीजेपी के नेता और वर्तमान यूपी सरकार के मंत्री आये दिन दावा करते रहते हैं कि 2018 से पहले ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा. यह दावा वे खुद नहीं करते, यह दावा करवाता है उनका बड़बोलापन. इसी बडबोलेपन में में उन्होंने बहुसंख्यक हिन्दुओं को जल्द श्रीराम को टेंट से आजादी दिलाकर भव्य मंदिर में स्थापित करने का चुनावी वादा किया था.

ऐसे में यूपी सरकार की 108 फुटा योजना भक्तों का तो ध्यान मूल मुद्दे से कुछ हद तक डाइवर्ट तो कर देगी. ज़रा प्रभु श्रीराम के बारे में भी सोचिये, वे इतनी ऊंचाई से पता नहीं कब तक उस टेंट को निहारेंगे, जिसमें उनकी प्रतिमा रख देश में सरकारें सिर्फ धर्म की राजनीति करती चली आ रही हैं.

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