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भरोसा रखिये! कैप्टन नचिकेता की तरह विंग कमांडर अभिनंदन जल्द लौटेंगे

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 27 फरवरी, 2019 08:59 PM
  • 27 फरवरी, 2019 08:59 PM
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1999 में जिस तरह कैप्टन नचिकेता को पाकिस्तान ने गिरफ्तार किया था, वैसा ही कुछ विंग कमांडर नचिकेता के साथ हुआ है. मगर देश को अपनी सरकार पर पूरा यकीन है अतः जल्द ही गिरफ्तार किये गए विंग कमांडर को सकुशल वापस लाया जाएगा.

पाकिस्तान में पकड़े गए भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. गिरफ़्तारी पर पाकिस्तानी सेना का कहना है कि जिस व्यक्ति अभिनंदन को पाक अधिकृत कश्मीर में गिरफ्तार किया गया है वो भारतीय वायुसेना में बतौर विंग कमांडर कार्यरत है. वहीं भारत ने मामले पर चुप्पी साध रखी है. भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी वायुसेना के एक लड़ाकू विमान को ध्वस्त किया है. इस संघर्ष में हमारा MIG 21 क्षतिग्रस्त हुआ है साथ ही हमारा एक पायलट 'मिसिंग' है. पाकिस्तान ये कह रहा है कि वो हमारे कब्जे में है. हम तथ्यों की पड़ताल कर रहे हैं.

गिरफ्तारी के बाद एक बड़ा वर्ग है जो कह रहा है कि जिनेवा कन्वेंशन के तहत पाकिस्तान विंग कमांडर अभिनंदन को ठीक उसी तरह भारत को वापस करे जैसे उसने 1999 में के नचिकेता को 9 दिन बाद वापस भारत भेजा था.

क्या है जिनेवा कन्वेंशन

युद्धबंदियों के अधिकारों को बरकरार रखने के जेनेवा कन्वेंशन में कई नियम दिए गए हैं. जेनेवा समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल शामिल हैं, जिसका मकसद युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना है. मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी. इसके बाद दूसरी और तीसरी संधि 1906 और 1929 में हुई. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी.

कहा जा रहा है कि पाकिस्तान द्वारा  विंग कमांडर अभिनंदन को वैसे ही भारत भेजा जाए जैसे उसने नचिकेता को भेजा था

इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास के मुताबिक जेनेवा समझौते में युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों और घायल लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना है इसको लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं....

पाकिस्तान में पकड़े गए भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. गिरफ़्तारी पर पाकिस्तानी सेना का कहना है कि जिस व्यक्ति अभिनंदन को पाक अधिकृत कश्मीर में गिरफ्तार किया गया है वो भारतीय वायुसेना में बतौर विंग कमांडर कार्यरत है. वहीं भारत ने मामले पर चुप्पी साध रखी है. भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी वायुसेना के एक लड़ाकू विमान को ध्वस्त किया है. इस संघर्ष में हमारा MIG 21 क्षतिग्रस्त हुआ है साथ ही हमारा एक पायलट 'मिसिंग' है. पाकिस्तान ये कह रहा है कि वो हमारे कब्जे में है. हम तथ्यों की पड़ताल कर रहे हैं.

गिरफ्तारी के बाद एक बड़ा वर्ग है जो कह रहा है कि जिनेवा कन्वेंशन के तहत पाकिस्तान विंग कमांडर अभिनंदन को ठीक उसी तरह भारत को वापस करे जैसे उसने 1999 में के नचिकेता को 9 दिन बाद वापस भारत भेजा था.

क्या है जिनेवा कन्वेंशन

युद्धबंदियों के अधिकारों को बरकरार रखने के जेनेवा कन्वेंशन में कई नियम दिए गए हैं. जेनेवा समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल शामिल हैं, जिसका मकसद युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना है. मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी. इसके बाद दूसरी और तीसरी संधि 1906 और 1929 में हुई. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी.

कहा जा रहा है कि पाकिस्तान द्वारा  विंग कमांडर अभिनंदन को वैसे ही भारत भेजा जाए जैसे उसने नचिकेता को भेजा था

इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास के मुताबिक जेनेवा समझौते में युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों और घायल लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना है इसको लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं. इसमें साफ तौर पर ये बताया गया है कि युद्धबंदियों के क्या अधिकार हैं. साथ ही समझौते में युद्ध क्षेत्र में घायलों की उचित देखरेख और आम लोगों की सुरक्षा की बात कही गई है. जेनेवा समझौते में दिए गए अनुच्छेद 3 के मुताबिक युद्ध के दौरान घायल होने वाले युद्धबंदी का अच्छे तरीके से उपचार होना चाहिए.

युद्धबंदियों  के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए. उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. साथ ही सैनिकों को कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी. जेनेवा संधि के तहत युद्धबंदियों को डराया-धमकाया नहीं जा सकता. इसके अलावा उन्हें अपमानित नहीं किया जा सकता. इस संधि के मुताबिक युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है. इसके अलावा युद्ध के बाद युद्धबंदियों को वापस लैटाना होता है. कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता. युद्धबंदियों से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है.

साल 1999 में जिनेवा कन्वेंशन को ही आधार बनाकर कैप्टन के नचिकेता को रिहा किया गया था

1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान भी जिनेवा कन्वेशन को आधार बनाकर पाकिस्तान ने कैप्टन के नचिकेता को गिरफ्तार करने के 9 दिन बाद छोड़ा था. कैप्टन नचिकेता के शत्रु के चंगुल में फंसने और फिर बाहर आने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. आइये जानें कि क्या हुआ था MIG 27 के पायलट के नचिकेता के साथ.

3 जून 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान IAF के फाइटर पायलट के नचिकेता को भारतीय वायु सेना की ओर से चलाए गए ऑपरेशन 'सफेद सागर' के लिए MIG 27 उड़ाने का काम सौंपा गया . उस वक्त कैप्टन की आयु 26 बरस थी. नचिकेता ने दुश्मन के खेमे के बिलकुल करीब जाकर 17 हजार फुट से रॉकेट दागे और दुश्मन के कैंप पर लाइव रॉकेट फायरिंग से हमला किया. लेकिन इसी बीच उनके विमान का इंजन खराब हो गया. जिसके बाद इंजन में आग लगने से MIG 27 क्रैश हो गया.

कैप्टन नचिकेता विमान से सुरक्षित तो बाहर निकल आए मगर वो अपनी धरती पर नहीं थे. कैप्टन नचिकेता पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के पास स्कार्दू में फंस गए. पाकिस्तानी सौनिकों ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया था. जिसके बाद पाकिस्तान सेना ने उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से टॉर्चर किया. पाकिस्तानी आर्मी उनसे भारतीय आर्मी की जानकारी निकालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया.

नचिकेता ने बताया कि उन्हें बुरी तरह पीटा जाता था. उनके प्लेन क्रैश की खबरें इंटरनेशनल मीडिया में रहीं. पाकिस्तान सरकार पर दबाव रहा और 8 दिन बाद पाकिस्तानी आर्मी ने नचिकेता को इंटरनेशनल कमेटी ऑफ द रेड क्रॉस को सौंपा. जिसके बाद नचिकेता को वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत भेजा गया.

हमें उम्मीद है विंग कमांडर अभिनंदन भी जल्द ही कैप्टन नचिकेता की तरह सकुशल लौट आएंगे. सरकार और सेना अपना काम कर रही है और जिस तरह का अब तक पाकिस्तान पर भारत का रुख रहा है, निश्चित है इस हरकत की एक बड़ी कीमत पाकिस्तान को चुकानी होगी और शायद हम भविष्य में पाकिस्तान को घुटनों के बल बैठे हुए और भारत से इस घटना के लिए माफ़ी मांगते हुए देखें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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