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औलाद को सेट करने में लालू, चिदंबरम और आनंदी में फर्क कहां है?

    • आईचौक
    • Updated: 10 मार्च, 2016 05:07 PM
  • 10 मार्च, 2016 05:07 PM
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विरासत की राजनीति का मसला तो अपनी जगह कायम है ही, इन दिनों औलाद की वजह से दो नेता बाकियों के निशाने पर हैं. एक हैं पी. चिदंबरम तो दूसरी हैं आनंदीबेन पटेल.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लालू प्रसाद पर बेटे बेटी को सेट करने की बात कही तो खूब बवाल मचा. मोदी को लालू ने तो टारगेट किया ही, उनकी बेटी मीसा भारती ने भी जी भर कर सरेआम कोसा. बहरहाल, चुनाव जीतने के बाद लालू का एक बेटा डिप्टी सीएम तो दूसरा कैबिनेट मंत्री बन गया. अच्छी बात ये रही कि किसी ने ये दावा नहीं किया कि दोनों ने अपनी प्रतिभा और काबिलियत के बूते ये मुकाम हासिल किये.

कमजोर कड़ियां

चुनावों के दौरान बीजेपी नेता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी टारगेट करते रहे - कभी बेटे राहुल गांधी को लेकर तो कभी दामाद रॉबर्ट वाड्रा को लेकर. हालांकि, दोनों को कठघरे में घसीटने की अलग अलग वजहें रहीं.

विरासत की राजनीति का मसला तो अपनी जगह कायम है ही, इन दिनों औलाद की वजह से दो नेता बाकियों के निशाने पर हैं. एक हैं पी. चिदंबरम तो दूसरी हैं आनंदीबेन पटेल. दोनों ही नेता अपने अपने तरीके से बच्चों का बचाव भी कर रहे हैं.

ताजा कंट्रोवर्सी की खासियत ये है कि इसके जरिये कांग्रेस और बीजेपी दोनों को एक दूसरे को सड़क पर घसीटने का मौका मिल गया है. साथ ही साथ, जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके को भी चुनावी माहौल में इस बहती गंगा में हाथ धोने का मौका मिल गया है.

"मेरा बेटा..."

सीनियर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम का कहना है कि उनका बेटा होने की वजह से कार्ती को लेकर बिना मतलब विवाद खड़े किये जा रहे हैं. कार्ती भी बयान जारी कर आरोपों का खंडन कर चुके हैं - और दावा किया है कि उनके कारोबार नियम और कानून के हिसाब से बिलकुल सही हैं. पी. चिदंबरम ने भी इस बात को एनडोर्स किया है.

एक वाकया 2012 का है. तब कार्ती के पिता पी. चिदंबरम केंद्र की यूपीए सरकार में वित्त मंत्री थे.

ट्विटर पर रवि श्रीनिवासन के महज 16 फॉलोवर थे - लेकिन अगले 48 घंटे में उनकी संख्या दो हजार पार कर गई थी.

ये तब हुआ जब उन्होंने एक ट्वीट किया जिसमें कार्ती चिदंबरम और रॉबर्ट वाड्रा दोनों के नाम थे. कार्ती की...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब लालू प्रसाद पर बेटे बेटी को सेट करने की बात कही तो खूब बवाल मचा. मोदी को लालू ने तो टारगेट किया ही, उनकी बेटी मीसा भारती ने भी जी भर कर सरेआम कोसा. बहरहाल, चुनाव जीतने के बाद लालू का एक बेटा डिप्टी सीएम तो दूसरा कैबिनेट मंत्री बन गया. अच्छी बात ये रही कि किसी ने ये दावा नहीं किया कि दोनों ने अपनी प्रतिभा और काबिलियत के बूते ये मुकाम हासिल किये.

कमजोर कड़ियां

चुनावों के दौरान बीजेपी नेता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी टारगेट करते रहे - कभी बेटे राहुल गांधी को लेकर तो कभी दामाद रॉबर्ट वाड्रा को लेकर. हालांकि, दोनों को कठघरे में घसीटने की अलग अलग वजहें रहीं.

विरासत की राजनीति का मसला तो अपनी जगह कायम है ही, इन दिनों औलाद की वजह से दो नेता बाकियों के निशाने पर हैं. एक हैं पी. चिदंबरम तो दूसरी हैं आनंदीबेन पटेल. दोनों ही नेता अपने अपने तरीके से बच्चों का बचाव भी कर रहे हैं.

ताजा कंट्रोवर्सी की खासियत ये है कि इसके जरिये कांग्रेस और बीजेपी दोनों को एक दूसरे को सड़क पर घसीटने का मौका मिल गया है. साथ ही साथ, जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके को भी चुनावी माहौल में इस बहती गंगा में हाथ धोने का मौका मिल गया है.

"मेरा बेटा..."

सीनियर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम का कहना है कि उनका बेटा होने की वजह से कार्ती को लेकर बिना मतलब विवाद खड़े किये जा रहे हैं. कार्ती भी बयान जारी कर आरोपों का खंडन कर चुके हैं - और दावा किया है कि उनके कारोबार नियम और कानून के हिसाब से बिलकुल सही हैं. पी. चिदंबरम ने भी इस बात को एनडोर्स किया है.

एक वाकया 2012 का है. तब कार्ती के पिता पी. चिदंबरम केंद्र की यूपीए सरकार में वित्त मंत्री थे.

ट्विटर पर रवि श्रीनिवासन के महज 16 फॉलोवर थे - लेकिन अगले 48 घंटे में उनकी संख्या दो हजार पार कर गई थी.

ये तब हुआ जब उन्होंने एक ट्वीट किया जिसमें कार्ती चिदंबरम और रॉबर्ट वाड्रा दोनों के नाम थे. कार्ती की शिकायत पर पुड्डुचेरी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने रवि को रिमांड पर लेने की मांग की लेकिन जज ने नामंजूर करते हुए उन्हें जमानत दे दी.

निश्चित रूप से न तो पुलिस इतनी तेजी से काम करती और न ही रवि को हवालात की हवा खानी पड़ती - अगर कार्ती की जगह कोई और होता. ये भी संभव था कि पुलिस या तो रिपोर्ट ही दर्ज नहीं करती या फिर एक्शन लेने में इतना वक्त लगा देती कि शिकायत करने वाला भी रिमाइंड करना भूल जाता.

"मेरी बेटी..."

दिल्ली में एक सम्मेलन में आनंदीबेन से जब उनकी बेटी अनार जयेश पटेल को जमीन आवंटन के मामले में उठते सवालों को पूछा गया तो उन्होंने कहा, "ये देखिये कि कितने बच्चों को वो शिक्षा दे रही है, कितनी महिलाओं की मदद कर रही है. दूसरे तमाम मुख्यमंत्रियों के बच्चों को देखिये और फिर उनकी जिंदगी देखिये. मेरी बेटी ने कुछ भी गलत नहीं किया है."

संसद में बवाल

चिदंबरम और आनंदीबेन के बेटे-बेटी का मामला संसद में भी उछला - और दोनों सदनों में खूब हंगामा हुआ. दोनों मुद्दे ऐसे हैं कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को एक दूसरे के खिलाफ सॉफ्ट टारगेट मिला - जिसका दोनों ने पूरा फायदा उठाया. इसमें सत्ता पक्ष को एआईएडीएमके सासंदों का भी साथ मिला.

इसके चलते लोकसभा को तीन बार और राज्यसभा को छह बार स्थगित करना पड़ा.

लोकसभा में एआईएडीएमके नेता पी. वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि कार्ती ने अवैध तरीके से लंदन, दुबई, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका के अलावा दुनिया भर में जगह जगह भारी संपत्ति अर्जित की है. एआईएडीएमके सांसद उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे.

दूसरी तरफ कांग्रेस का आरोप है कि गुजरात की राजस्व मंत्री रहते हुए आनंदीबेन ने अपनी बेटी अनार जयेश पटेल के हिस्सेदारी वाली कंपनी को गिर लॉयन सैंक्चुरी के पास 250 एकड़ जमीन 15 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर के हिसाब से दी थी. कांग्रेस इल्जाम लगा रही है कि बाजार के हिसाब से जो जमीन 125 करोड़ की होनी चाहिए उसे महज डेढ़ करोड़ में दे दिया गया.

लालू का मामला बिहार चुनावों में उछला और जीत तले दब भी गया. बाद में ललित मोदी प्रकरण में सुषमा स्वराज की बेटी का भी नाम लिया गया - सुषमा की सफाई और खंडन के बाद वो भी ठंडे बस्ते में चला गया. राहुल गांधी को लेकर रह रह कर बीजेपी नेता सोनिया पर हमले करते रहते हैं. अरुण जेटली ने तो हाल ही में टिप्पणी की थी कि मालूम नहीं वो कब समझेंगे?

डायनेस्टी पॉलिटिक्स पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन उनमें सिर्फ राजनीति की बात होती है - राजनीति का उससे इतर लाभ लेने की नहीं. कार्ती और अनार के अलावा बाकी नेताओं के बेटे-बेटी भी अपने अपने हिसाब से फल फूल रहे हैं - किसी ने बिजनेस और कॅरियर ग्रोथ में राजनीतिक लाभ लिया तो किसी ने राजनीतिक को ही कॅरियर बनाया. वाकई अपनी अपनी फितरत है - जिसको जो सौगात मिले.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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