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Rafale deal: राहुल गांधी के लिए 'द हिन्दू' ही CAG है

    • आईचौक
    • Updated: 13 फरवरी, 2019 03:34 PM
  • 13 फरवरी, 2019 03:33 PM
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CAG report on Rafale deal संसद में पेश हो चुकी है. और इस पर हो रही बहस बता रही है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपनी सुविधानुसार संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल करने लगे हैं.

CAG report on Rafale deal संसद में पेश हो चुकी है. यूपीए सरकार में कैग की रिपोर्ट विपक्ष का हथियार हुआ करती थी. विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का बड़ा मौका हुआ करता था. राफेल डील पर कैग की इस रिपोर्ट पर मोदी सरकार इतरा रही है और विपक्षी पार्टी कांग्रेस कोई तवज्जो नहीं दे रही है.

Rahul Gandhi कैग की रिपोर्ट आने के पहले से ही अंग्रेजी अखबार 'द हिन्दू' की रिपोर्ट को तरजीह दे रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे राहुल गांधी के लिए 'द हिन्दू' की रिपोर्ट कैग से बढ़ कर है या कम से कम उससे बेहतर है. कुछ ऐसा लग रहा है जैसे राफेल मामले में राहुल गांधी के लिए 'द हिन्दू' ही कैग की भूमिका में है.

संस्थाओं का सुविधानुसार इस्तेमाल

कांग्रेस नेतृत्व संवैधानिक संस्थाओं को बर्बाद करने का बीजेपी पर आरोप लगाता रहा है. हकीकत तो ये है कि संस्थाओं के नाम और उनकी बातें सुविधा के हिसाब से इस्तेमाल की जा रही हैं. इस मामले में रेस हो तो कोई पिछड़ने वाला नहीं लगता - न कांग्रेस, न बीजेपी. सुप्रीम कोर्ट से लेकर CAG तक सभी संस्थाओं को दोनों ही बड़ी पार्टियां अपने अपने हिसाब से सम्मान भी दे रही हैं और खारिज भी कर रही हैं.

जब किसी संवैधानिक संस्था का आदेश, फैसला या रिपोर्ट कांग्रेस के पक्ष में होता है तो वो लगातार उसकी मिसाल और दुहाई देती रहती है. यही रवैया बीजेपी की ओर से भी देखा जा रहा है.

राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम बीजेपी नेता बात बात पर जिक्र किया करते हैं. चूंकि राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के पक्ष में जाता है इसलिए राहुल गांधी और सारे कांग्रेस नेता उसकी चर्चा छिड़ने पर भी चुप्पी साध लेते हैं या टाइपो एरर की ओर ध्यान दिलाने लगते हैं. राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों में टाइपो एरर की बात सरकार ने ही स्वीकार की थी. जिस सुप्रीम कोर्ट का राफेल डील में बीजेपी हवाला देती रहती है, सबरीमाला केस में उसी अदालत के फैसले पर बीजेपी अध्यक्ष सवाल खड़े करते हैं. राम मंदिर...

CAG report on Rafale deal संसद में पेश हो चुकी है. यूपीए सरकार में कैग की रिपोर्ट विपक्ष का हथियार हुआ करती थी. विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का बड़ा मौका हुआ करता था. राफेल डील पर कैग की इस रिपोर्ट पर मोदी सरकार इतरा रही है और विपक्षी पार्टी कांग्रेस कोई तवज्जो नहीं दे रही है.

Rahul Gandhi कैग की रिपोर्ट आने के पहले से ही अंग्रेजी अखबार 'द हिन्दू' की रिपोर्ट को तरजीह दे रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे राहुल गांधी के लिए 'द हिन्दू' की रिपोर्ट कैग से बढ़ कर है या कम से कम उससे बेहतर है. कुछ ऐसा लग रहा है जैसे राफेल मामले में राहुल गांधी के लिए 'द हिन्दू' ही कैग की भूमिका में है.

संस्थाओं का सुविधानुसार इस्तेमाल

कांग्रेस नेतृत्व संवैधानिक संस्थाओं को बर्बाद करने का बीजेपी पर आरोप लगाता रहा है. हकीकत तो ये है कि संस्थाओं के नाम और उनकी बातें सुविधा के हिसाब से इस्तेमाल की जा रही हैं. इस मामले में रेस हो तो कोई पिछड़ने वाला नहीं लगता - न कांग्रेस, न बीजेपी. सुप्रीम कोर्ट से लेकर CAG तक सभी संस्थाओं को दोनों ही बड़ी पार्टियां अपने अपने हिसाब से सम्मान भी दे रही हैं और खारिज भी कर रही हैं.

जब किसी संवैधानिक संस्था का आदेश, फैसला या रिपोर्ट कांग्रेस के पक्ष में होता है तो वो लगातार उसकी मिसाल और दुहाई देती रहती है. यही रवैया बीजेपी की ओर से भी देखा जा रहा है.

राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम बीजेपी नेता बात बात पर जिक्र किया करते हैं. चूंकि राफेल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के पक्ष में जाता है इसलिए राहुल गांधी और सारे कांग्रेस नेता उसकी चर्चा छिड़ने पर भी चुप्पी साध लेते हैं या टाइपो एरर की ओर ध्यान दिलाने लगते हैं. राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल दस्तावेजों में टाइपो एरर की बात सरकार ने ही स्वीकार की थी. जिस सुप्रीम कोर्ट का राफेल डील में बीजेपी हवाला देती रहती है, सबरीमाला केस में उसी अदालत के फैसले पर बीजेपी अध्यक्ष सवाल खड़े करते हैं. राम मंदिर के मुद्दे पर तो संघ, वीएचपी और बीजेपी के नेता सुप्रीम कोर्ट पर मामले को लटकाने तत के आरोप लगा चुके हैं. एक हिन्दूवादी नेता ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के घेराव तक की अपील कर डाली थी.

कैग की रिपोर्ट को लेकर जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से सवाल पूछा जाता है तो वो 'द हिन्दू' की रिपोर्ट का हवाला देने लगते हैं - 'द हिन्दू की रिपोर्ट पढ़ी आपने?'

वैसे भी कांग्रेस की तो कैग से पुरानी दुश्मनी रही है. यूपीए दो सरकार में 2G स्कैम तो कैग की रिपोर्ट से ही सामने आ पाया और उसके बाद तो इतने घोटाले सामने आये की लंबी फेहरिस्त तैयार होने लगी. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने तो 2G मामले में भी कैग की रिपोर्ट खारिज कर दी थी

संसद परिसर में कांग्रेस नेताओं का विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी - 'चौकीदार चोर है'

कांग्रेस को तो सीएजी पर पहले भी भरोसा नहीं रहा है. तब कपिल सिब्बल का कहना था कि 2जी मामले को कैग ने बढ़ा चढ़ा कर दिखाया. इस बार भी कैग के खिलाफ कपिल सिब्बल ने ही विरोध का बीड़ा उठाया है. CAG राजीव महर्षि को लेकर कपिल सिब्बल ने कहा था, 'चूंकि तत्कालीन वित्त सचिव के तौर पर वो इस वार्ता का हिस्सा थे इसलिए उन्हें ऑडिट प्रक्रिया से खुद को अलग कर लेना चाहिये.' कैग सुप्रीम कोर्ट की तरह तो है नहीं कि एक जज हट गया तो दूसरा फैसला सुना सकता है. राजीव महर्षि अलग हो गये तो फिर नये सीएजी की जरूरत होगी. फिर तो कांग्रेस के भरोसे वाली कैग की रिपोर्ट तब तक नहीं आ सकेगी जब तक नये सीएजी की नियुक्ति नहीं हो जाती - और अभी तो ये होने से रही.

मीडिया के मामले में भी राजनीतिक दलों का रवैया सुविधानुसार ही होता है. कर्नाटक के किसानों की कर्जमाफी के मामले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हैं, तो उनके मंत्री वीके सिंह पत्रकारों को प्रेस्टिट्युट करार देते हैं और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर बीजेपी समर्थकों की सेना मीडिया पर टूट पड़ती है.

द हिन्दू की जिस रिपोर्ट को राहुल गांधी कैग से बेहतर बता रहे हैं, उसे बीजेपी 'पार्टनर इन क्राइम' बता चुकी है.

कैग से पहले 'द हिन्दू' की एक और रिपोर्ट

राफेल के मुद्दे पर संसद में कैग यानी नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट आने से पहले भी अंग्रेजी अखबार ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें सौदे की प्रक्रिया पर कई सवाल उठाये गये हैं.

CAG की रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए की तुलना में एनडीए सरकार की राफेल डील सस्ती तो है, लेकिन मोदी सरकार का वो दावा भी खारिज हो जाता है, जिसमें कहा गया था कि मौजूदा सरकार ने राफेल विमान 9 फीसदी सस्ता खरीदे हैं.

कैग के मुताबिक राफेल विमान यूपीए सरकार से सस्ते खरीदे गये, लेकिन उतने नहीं जितना मोदी सरकार का दावा रहा.

कैग की रिपोर्ट में राफेल विमानों की कीमत तो नहीं बतायी गयी है, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए सरकार के मुकाबले मोदी सरकार की डील 2.86 फीसदी सस्ती बतायी गयी है. कैग रिपोर्ट के अनुसार 2015 में रक्षा मंत्रालय की एक टीम ने 126 राफेल विमानों का सौदा खत्म करने की सलाह दी थी. टीम ने ये भी बताया कि इस डील में दसॉ एविएशन सबसे कम बोली लगाने वाला नहीं था - और यूरोपियन ऐरोनॉटिक डिफेंस एंड स्पेस कंपनी यानी EADS टेंडर की सभी शर्तों को पूरा नहीं कर रहा था.

द हिन्दू की रिपोर्ट के मुताबिक डील में शामिल सात में से तीन विशेषज्ञों की राय थी कि फ्लाइवे कंडीशन में 36 राफेल विमान हासिल करने के मोदी सरकार का सौदा यूपीए सरकार द्वारा दसॉ एविएशन से 126 विमानों के खरीद के प्रस्ताव से 'बेहतर शर्तों' पर नहीं था. इन अधिकारियों की ये भी राय रही कि नये सौदे में 36 राफेल विमान में पहले चरण में 18 विमानों की आपूर्ति का शिड्यूल भी यूपीए सरकार के दौरान मिले प्रस्ताव की तुलना में सुस्त है. द हिन्दू के अनुसार अधिकारियों के निष्कर्ष मोदी सरकार के उस दावे को भी खारिज करते हैं जिसमें आपूर्ति की प्रक्रिया को पहले के मुकाबले तेज बताया गया है. साथ ही, 'लेटर ऑफ कम्फर्ट' स्वीकार किये जाने पर भी अधिकारियों की चिंता को अहम माना गया है.

अखबार की रिपोर्ट पर सवाल और एन. राम का बचाव

जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने भाषण में राफेल डील पर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया था, उसके अगले ही दिन द हिन्दू अखबार की पहली रिपोर्ट आयी थी. प्रधानमंत्री ने कांग्रेस से पूछा था - 'आप किस कंपनी की पैरवी कर रहे हो?' यही बात बढ़ते बढ़ते ये रूप अख्तियार कर चुकी है कि कांग्रेस मोदी के लिए 'बिचौलिया' और बीजेपी राहुल गांधी के लिए 'लॉबी' करने वाला बता रही है.

रिपोर्ट को लेकर अखबार पर सवाल उठा था कि उसने अधिकारी का नोट तो छापा, लेकिन उस पर मंत्री का जवाब नहीं प्रकाशित किया. इसी कारण बीजेपी अखबार पर अपराध में साथी कहते हुए हमलावर हो गयी थी.

जब बीबीसी हिंदी ने ये सवाल पत्रकार एन. राम से पूछा तो उन्होंने अपनी रिपोर्ट का बचाव करते हुए कहा, 'उस दिन हमें मनोहर पर्रिकर के जवाब वाले दस्तावेज नहीं मिले थे इसलिए हमने उसे रिपोर्ट में नहीं शामिल किया. सरकार ने इस दस्तावेज को एक दिन बाद जारी किया.'

एन. राम का कहना है, 'ये कोई तर्क नहीं है. कुछ चीजें केवल क्रमशः सामने आती हैं.' एन. राम का कहना है कि जैसे जैसे दस्तावेज मिलेंगे वो छापेंगे और राफेल में कुछ और भी खुलासे हो सकते हैं.

राज्यसभा में सीएजी रिपोर्ट पेश होने के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने ट्विटर पर अपनी टिप्पणी दी है. अरुण जेटली ने लिखा है - 'सत्यमेव जयते - आखिरकार सच सामने आया...'

संसद में राफेल पर कैग की रिपोर्ट पेश किये जाने के बीच कांग्रेस सांसदों ने राहुल गांधी की अगुवाई में संसद परिसर में प्रदर्शन किया. इस दौरान भी 'चौकीदार चोर है' के नारे लगाये गये. विरोध प्रदर्शन में सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल थे - और बाद में विपक्ष की रैली के लिए दिल्ली पहुंची ममता बनर्जी ने भी संसद परिसर पहुंच कर महात्मा गांधी की मूर्ति के सामने प्रार्थना की - मोदी सरकार को हटाने के लिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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