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संसद में बैठे फिल्मी सितारों से राजनीति की उम्मीद नहीं!

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 05 सितम्बर, 2016 08:56 PM
  • 05 सितम्बर, 2016 08:56 PM
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बॉलीवुड से संसद का सफर अबतक कई फिल्मस्टार तय कर चुके हैं. कुछ ने भले यह साबित किया कि उन्हें देश की राजनीति में रुचि है लेकिन ज्यादातर आज भी फिल्मी सितारे ही हैं क्योंकि राजनीति में उनके आने का मकसद ही कुछ यूं है कि....

देश की संसद को राजनीति का मंदिर माना जाता है. सवा सौ करोड़ लोगो में से चंद लोगों को इस मंदिर में पहुंचने का सौभाग्य मिलता है. कुछ नेताओं को जनता चुनती है तो कुछ को राष्ट्रपति तो कुछ राज्यसभा से संसद का रास्ता बनाते हैं.

मगर लोकसभा हो या राज्यसभा हालात दोनों ही ओर बेहाल है. फिल्मी सितारों को देश की जनता से तो बहुत प्यार मिलता है. जिसकी बदौलत ही कुछ सितारे चुनाव जीत भी जाते हैं. मगर सितारों का लक्ष्य तो बस चुनाव जितना है क्योंकि वह उनकी प्रतिष्ठा का सवाल होता है.

मगर कई फिल्मी सितारे सांसद बनकर कभी संसद ही नहीं पहुंचते. अगर संसद पहुंच भी जाते हैं तो कोई सवाल नहीं पूंछते. ऐसे में क्या देश को ऐसे फिल्मी सितारों को चुनना चाहिए? ये सितारे सांसद बनकर जनता के पैसों पर मौज करते ही हैं, साथ ही साथ अपने फिल्मी करियर को भी आगे बढ़ाते रहते हैं.

कुछ सांसद आपको किसी कॉमेडी शो या डांस शो के जज बने भी दिखते हैं. मगर लगता है जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन हकीकत में ऐसा नही है. जब जनता को लगने लगता है की उनके साथ धोखा हुआ है और उनका सांसद तो 5 साल में गिनती के दिन ही क्षेत्र में आया और वह भी सिर्फ फोटो खिंचवाने. ऐसे में वह उन्हें सबक सिखाने के लिए भी तैयार रहते हैं. गोविंदा इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं. गोविंदा जब सासंद थे तो अपने क्षेत्र में केवल 2 या 3 बार ही गये. जिससे की जनता ने उन्हें पुरी तरह नकार दिया और आखिर गोविंदा ने राजनिती से सन्यास  ही ले लिया.

एक लिस्ट पर नज़र डाल लेते हैं कि किसकी कितनी उपस्थिती रही संसद में.

'रेखा' ने खिंची सबसे छोटी रेखा

 अभिनेत्री और सांसद...

देश की संसद को राजनीति का मंदिर माना जाता है. सवा सौ करोड़ लोगो में से चंद लोगों को इस मंदिर में पहुंचने का सौभाग्य मिलता है. कुछ नेताओं को जनता चुनती है तो कुछ को राष्ट्रपति तो कुछ राज्यसभा से संसद का रास्ता बनाते हैं.

मगर लोकसभा हो या राज्यसभा हालात दोनों ही ओर बेहाल है. फिल्मी सितारों को देश की जनता से तो बहुत प्यार मिलता है. जिसकी बदौलत ही कुछ सितारे चुनाव जीत भी जाते हैं. मगर सितारों का लक्ष्य तो बस चुनाव जितना है क्योंकि वह उनकी प्रतिष्ठा का सवाल होता है.

मगर कई फिल्मी सितारे सांसद बनकर कभी संसद ही नहीं पहुंचते. अगर संसद पहुंच भी जाते हैं तो कोई सवाल नहीं पूंछते. ऐसे में क्या देश को ऐसे फिल्मी सितारों को चुनना चाहिए? ये सितारे सांसद बनकर जनता के पैसों पर मौज करते ही हैं, साथ ही साथ अपने फिल्मी करियर को भी आगे बढ़ाते रहते हैं.

कुछ सांसद आपको किसी कॉमेडी शो या डांस शो के जज बने भी दिखते हैं. मगर लगता है जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन हकीकत में ऐसा नही है. जब जनता को लगने लगता है की उनके साथ धोखा हुआ है और उनका सांसद तो 5 साल में गिनती के दिन ही क्षेत्र में आया और वह भी सिर्फ फोटो खिंचवाने. ऐसे में वह उन्हें सबक सिखाने के लिए भी तैयार रहते हैं. गोविंदा इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं. गोविंदा जब सासंद थे तो अपने क्षेत्र में केवल 2 या 3 बार ही गये. जिससे की जनता ने उन्हें पुरी तरह नकार दिया और आखिर गोविंदा ने राजनिती से सन्यास  ही ले लिया.

एक लिस्ट पर नज़र डाल लेते हैं कि किसकी कितनी उपस्थिती रही संसद में.

'रेखा' ने खिंची सबसे छोटी रेखा

 अभिनेत्री और सांसद रेखा

रेखा यूं तो हर एक अवॉर्ड समारोह में आपको नज़र आ जाएंगी. भले ही वहां उनका कोई काम हो ना हो. मगर हर साल फिल्म फेअर अवॉर्ड तो रेखा के हाथों ही मिलता है. लेकिन अफसोस वह संसद में ऐसा नही हैं. 2012 में नॉमिनेटेड रेखा ने अभीतक सदन में एक भी सवाल नहीं पूछा और न ही किसी सत्र में हिस्सा लिया. राज्यसभा सांसद रेखा की अटेंडेंस सबसे कम सिर्फ 5% है.

देव की हाजिरी सिर्फ 9%

फिल्म 'अग्निशपथ' से चर्चित हुए एक्टर और घटाल से टीएमसी सांसद देव अधिकारी की हाजिरी भी कम है. पार्लियामेंट सत्र में इनकी मौजूदगी सिर्फ 9% है. अभीतक इन्होंने सदन में सिर्फ एक बार डिबेट में हिस्सा लिया हालांकि अभीतक कोई भी सवाल नहीं पूछा है.

मिथुन की 10%

 मिथुन चक्रवर्ती

आपने  मिथुन दादा को डांस शो मैं तो खूब ग्रैंड सेल्युट देते हुए देखा होगा मगर संसद में ये कम ही नज़र आते हैं. टीएमसी के राज्यसभा सांसद मिथुन चक्रवर्ती की भी हाजिरी महज 10% रही है. मिथुन दादा ने भी संसद में अभीतक न तो कभी कोई सवाल पूछा और न ही किसी बहस में हिस्सा लिया.

हेमा मालिनी की मौजूदगी मात्र 37%

मथुरा से सांसद हेमा मालिनी की संसद में मौजूदगी महज 37 फिसदी है. हां मगर कम से कम हेमा ने 10 बार डिबेट में हिस्सा लिया और अभीतक 113 सवाल भी वह सदन में पूछ चुकी हैं.

शत्रुघ्न की 68% अटेंडेंस

पटना साहिब से बीजेपी के लोकसभा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की सदन में मौजूदगी 68 फीसदी है. वैसे तो शत्रुघ्न सिन्हा सिर्फ नितीश कुमार की तारिफ ही करते नज़र आते हैं. मगर ये जितने सवाल मीडिया के सामने उठाते हैं, संसद में पता नही इन्हें क्या हो जाता है?  इन महाशय ने संसद में ना तो कोई सवाल पूछा और ना ही किसी चर्चा में हिस्सा लिया.

जया बच्चन की 74%

जया इस मामले में ठोड़ी अलग हैं. उनकी मौजूदगी अवॉर्ड समारोह में कम और संसद में ज्यादा होती है. आखिर पूरी तरह से रेखा के उलट है. रेखा संसद में कम अवॉर्ड समारोह में ज्यादा दिखाई देती हैं. सपा की राज्यसभा सांसद जया बच्चन की हाजिरी 74 फीसदी रही.

किरण 85% हाजिरी के साथ टॉप पर

किरण ही एक ऐसी मात्र एक्टर है जो की हर क्षेत्र में अव्वल हैं. चाहे किसी शो में जज बनकर मनोरंजन करना हो या फिर किसी फिल्म में एक मां की किरदार या फिर अपने पति अनुपम के लिये संसद में लड़ना हो. किरण खेर हमेशा हर जगह ही अव्वल आती हैं. संसद में इनकी मौजूदगी 85 % है. खेर चंडीगढ़ से बीजेपी की सांसद हैं.

इसके अलावा परेश रावल और मनोज तिवारी की संसद में मौजूदगी भी ठीक-ठाक है. दोनों की ही 76 फीसदी उपस्थिती रही है. जाहिर है ज्यादातर ऐसे फिल्मी सितारें और सांसद हैं जिनके लिये अभी भी पहले फिल्म और सिर्फ फिल्मी दुनिया है. और हो भी क्यों ना. जिस चीज़ के कारण वो आज सांसद बने है उसे सबसे उपर ही तो रखेंगे. क्योंकि राजनीतिक दल को उन्हें संसद में इसलिए लाते हैं जिससे चुनाव के वक्त उनकी लोकप्रियता के चलते कुछ वोट बटोर लें. कोई वह राजनीति करने संसद आए हैं क्या?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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