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1965 की जंग: पिता पाक का हीरो, बेटा भारत का

    • विवेक शुक्ला
    • Updated: 20 सितम्बर, 2015 05:01 PM
  • 20 सितम्बर, 2015 05:01 PM
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यह भारत में ही मुमकिन है कि उस अदनान सामी को बेमुद्दत रहने का वीजा मिल जाता है, जिनके पिता 1965 के युद्ध में भारत के खिलाफ लड़े होते हैं. और तो और, उनकी किताब को लॉन्च करने के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री भी मौजूद रहे.

एक मिनट के लिए जरा सोचिए कि क्या पाकिस्तान के खिलाफ हुई जंगों में भारत के किसी नायक का पाकिस्तान में इलाज हो सकता है? क्या उसकी किताब का इस्लामाबाद में लॉन्च कार्यक्रम मुमकिन है? क्या उसका बेटा पाकिस्तान में सेलिब्रेटी बन सकता है? आप तुरंत कहेंगे - कतई नहीं. लेकिन हमारे इधर ये सब हो रहा है. यानी हमारे इधर उस शख्स का सम्मान होता है, जिसने हमारे ऊपर गोले बरसाए.

आजकल जब सारा देश 1965 की जंग की स्वर्ण जयंती का जश्न मना रहा है तो आपको बता दें कि पाकिस्तान के 1965 की जंग के ‘नायक’ स्क्वॉड्रन लीडर अरशद सामी का बेटा अदनान सामी को भारत में बेमुद्दत रहने का वीजा मिल चुका है.

एक दौर में अरशद सामी खान भारत लगातार आते थे. उनकी किताब ‘थ्री प्रेसिडेंट्स एंड एन ऐड : लाइफ, पॉवर एंड पॉलिटिक्स (Three presidents and an Aide : LIFE POWER & POLITICS)’ का विमोचन फरवरी 2008 को राजधानी के इंडिया हैबिटैट सेंटर में हुआ था. उसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत तमाम खासमखास चेहरे मौजूद थे. विमोचन के बाद ड्रिंक्स का भी दौर चला था. वे 1965 की जंग से जुड़े सवालों के जवाब नहीं दे रहे थे. वे अंग्रेजी, उर्दू और पंजाबी में गुफ्तुगू कर रहे थे. वहां पर ही पता चला कि सामी साहब कौन हैं और अदनान सामी का उनसे क्या संबंध है. अदनान सामी बुक लॉन्च में मौजूद नहीं थे.

अरशद सामी खान के लिए पाकिस्तान एयरफोर्स दावा करती है, 'फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान ने भारत के खिलाफ 1965 की जंग में शत्रु (भारत) का एक लड़ाकू विमान, 15 टैंक और 12 वाहनों को नष्ट किया. वे रणभूमि में विपरीत हालतों के बावजूद शत्रु की सेना का बहादुरी से मुकाबला करते रहे. फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान को उनकी बहादुरी के लिए सितारा-ए-जुर्रत से नवाजा जाता है.'

फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान के संबंध में किए गए पाकिस्तानी एयरफोर्स के इस दावे की जांच की जरूरत नहीं है. सभी देश अपने योद्धाओं के रणभूमि के कारनामों...

एक मिनट के लिए जरा सोचिए कि क्या पाकिस्तान के खिलाफ हुई जंगों में भारत के किसी नायक का पाकिस्तान में इलाज हो सकता है? क्या उसकी किताब का इस्लामाबाद में लॉन्च कार्यक्रम मुमकिन है? क्या उसका बेटा पाकिस्तान में सेलिब्रेटी बन सकता है? आप तुरंत कहेंगे - कतई नहीं. लेकिन हमारे इधर ये सब हो रहा है. यानी हमारे इधर उस शख्स का सम्मान होता है, जिसने हमारे ऊपर गोले बरसाए.

आजकल जब सारा देश 1965 की जंग की स्वर्ण जयंती का जश्न मना रहा है तो आपको बता दें कि पाकिस्तान के 1965 की जंग के ‘नायक’ स्क्वॉड्रन लीडर अरशद सामी का बेटा अदनान सामी को भारत में बेमुद्दत रहने का वीजा मिल चुका है.

एक दौर में अरशद सामी खान भारत लगातार आते थे. उनकी किताब ‘थ्री प्रेसिडेंट्स एंड एन ऐड : लाइफ, पॉवर एंड पॉलिटिक्स (Three presidents and an Aide : LIFE POWER & POLITICS)’ का विमोचन फरवरी 2008 को राजधानी के इंडिया हैबिटैट सेंटर में हुआ था. उसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत तमाम खासमखास चेहरे मौजूद थे. विमोचन के बाद ड्रिंक्स का भी दौर चला था. वे 1965 की जंग से जुड़े सवालों के जवाब नहीं दे रहे थे. वे अंग्रेजी, उर्दू और पंजाबी में गुफ्तुगू कर रहे थे. वहां पर ही पता चला कि सामी साहब कौन हैं और अदनान सामी का उनसे क्या संबंध है. अदनान सामी बुक लॉन्च में मौजूद नहीं थे.

अरशद सामी खान के लिए पाकिस्तान एयरफोर्स दावा करती है, 'फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान ने भारत के खिलाफ 1965 की जंग में शत्रु (भारत) का एक लड़ाकू विमान, 15 टैंक और 12 वाहनों को नष्ट किया. वे रणभूमि में विपरीत हालतों के बावजूद शत्रु की सेना का बहादुरी से मुकाबला करते रहे. फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान को उनकी बहादुरी के लिए सितारा-ए-जुर्रत से नवाजा जाता है.'

फ्लाइट लेफ्टिनेंट अरशद सामी खान के संबंध में किए गए पाकिस्तानी एयरफोर्स के इस दावे की जांच की जरूरत नहीं है. सभी देश अपने योद्धाओं के रणभूमि के कारनामों को महिमामंडित करते हैं. पाकिस्तान तो इस तरह के दावों के लिए हमेशा से कुख्यात रहा है. सामी साहब का साल 2012 में मुंबई में निधन हुआ था.

खैर, अब ये सवाल तो बनता ही है कि क्या पाकिस्तान 1965 की जंग के भारतीय हीरो अब्दुल हामिद या एयर मार्शल डेंजिल किलर के पुत्र या पुत्री को अपनी नागरिकता देगा? क्या इन नायकों की जीवनी या आत्मकथा इस्लामाबाद में लॉन्च होगी? क्या उसमें प्रधानमंत्री नवाज शरीफ शिरकत करेंगे. जरा सोचिए!

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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