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एग्जिट पोल ने तो क्षेत्रीय पार्टियों के गेम की 'पोल' ही खोल दी

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 08 दिसम्बर, 2018 04:52 PM
  • 08 दिसम्बर, 2018 04:52 PM
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संकेत ऐसे मिल रहे हैं कि क्षेत्रीय दलों को उम्मीद के अनुसार सफलता मिलने नहीं जा रही है. इंडिया टुडे-एक्सिस एग्जिट पोल के मुताबिक क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन कुछ भी खास करते हुए नज़र नहीं आ रहा है.

अगर एग्जिट पोल को मानें तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन सफल होते नज़र नहीं आ रहा है. संकेत ऐसे मिल रहे हैं जैसे क्षेत्रीय दलों को उम्मीद के अनुसार सफलता मिलने नहीं जा रही है. कांग्रेस से अलग होकर समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी साथ-साथ चुनाव लड़े लेकिन एग्जिट पोल के मुताबिक इन्हें कोई फायदा होता नज़र नहीं आ रहा है. हो सकता है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिले. ठीक इसी तरह तेलंगाना में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अगुआई वाली टीडीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर टीआरएस के खिलाफ बड़ा गठबंधन बनाया था. लेकिन यहां भी एग्जिट पोल के मुताबिक टीआरएस सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें जीतने के करीब है.

छत्तीसगढ़ में मायावती की पार्टी बसपा ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जेसीसी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था. बसपा ने 35 सीटों पर जबकि जेसीसी ने 55 सीटों पर चुनाव लड़ा था. यहां इंडिया टुडे-एक्सिस एग्जिट पोल के मुताबिक इस गठबंधन को मात्रा 4 से 8 सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा. इसी तरह दूसरे एग्जिट पोल ने भी इस गठबंधन को दहाई की संख्या में पहुंचते हुए नहीं दिखाया. मतलब साफ़ है- क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन कुछ भी खास करते हुए नज़र नहीं आ रहा है.

एग्जिट पोल के मुताबिक क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन सफल होते नज़र नहीं आ रहा है

अगर बात तेलंगाना की हो तो, इंडिया टुडे-एक्सिस के एग्जिट पोल के मुताबिक टीआरएस को 79-91 सीटें और कांग्रेस+ को 21-33 सीटें मिल सकती हैं. यही नहीं तेलुगु टीवी 9 के अनुसार टीआरएस को 75 से 85 तथा कांग्रेस+ को 25 से 35 सीटें मिल सकती हैं. वहीं सी-वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक टीआरएस को 54 सीटें, कांग्रेस को 53 सीटें, भाजपा को 5 सीटें और अन्य को 7 सीटें मिल सकती...

अगर एग्जिट पोल को मानें तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन सफल होते नज़र नहीं आ रहा है. संकेत ऐसे मिल रहे हैं जैसे क्षेत्रीय दलों को उम्मीद के अनुसार सफलता मिलने नहीं जा रही है. कांग्रेस से अलग होकर समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी साथ-साथ चुनाव लड़े लेकिन एग्जिट पोल के मुताबिक इन्हें कोई फायदा होता नज़र नहीं आ रहा है. हो सकता है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिले. ठीक इसी तरह तेलंगाना में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की अगुआई वाली टीडीपी ने कांग्रेस के साथ मिलकर टीआरएस के खिलाफ बड़ा गठबंधन बनाया था. लेकिन यहां भी एग्जिट पोल के मुताबिक टीआरएस सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें जीतने के करीब है.

छत्तीसगढ़ में मायावती की पार्टी बसपा ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जेसीसी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था. बसपा ने 35 सीटों पर जबकि जेसीसी ने 55 सीटों पर चुनाव लड़ा था. यहां इंडिया टुडे-एक्सिस एग्जिट पोल के मुताबिक इस गठबंधन को मात्रा 4 से 8 सीटों पर ही संतोष करना पड़ेगा. इसी तरह दूसरे एग्जिट पोल ने भी इस गठबंधन को दहाई की संख्या में पहुंचते हुए नहीं दिखाया. मतलब साफ़ है- क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन कुछ भी खास करते हुए नज़र नहीं आ रहा है.

एग्जिट पोल के मुताबिक क्षेत्रीय पार्टियों का गठबंधन सफल होते नज़र नहीं आ रहा है

अगर बात तेलंगाना की हो तो, इंडिया टुडे-एक्सिस के एग्जिट पोल के मुताबिक टीआरएस को 79-91 सीटें और कांग्रेस+ को 21-33 सीटें मिल सकती हैं. यही नहीं तेलुगु टीवी 9 के अनुसार टीआरएस को 75 से 85 तथा कांग्रेस+ को 25 से 35 सीटें मिल सकती हैं. वहीं सी-वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक टीआरएस को 54 सीटें, कांग्रेस को 53 सीटें, भाजपा को 5 सीटें और अन्य को 7 सीटें मिल सकती हैं.

यहां अगर कांग्रेस-टीडीपी को ज़्यादा सफलता हासिल नहीं होती है तो आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में इस गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठ सकता है. और हो सकता है कि कांग्रेस-टीडीपी के रिश्तों में दरार आ जाए. संभावना इस बात की भी है कि अगर एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो इसका हश्र यूपी में एसपी-कांग्रेस के गठबंधन जैसा ना हो जाए, जहां हार मिलते ही एक दूसरे से अलग हो जाएं. कांग्रेस के लिए तो अगले पांच सालों के लिए सियासी रास्ते और भी कठिन हो जाएंगे. 2019 में सीटों की संख्या के लिहाज से भी कांग्रेस को झटका लग सकता है. और तो और चंद्रबाबू नायडू के पूरे विपक्ष को एकजुट करने के प्रयासों पर भी असर पड़ सकता है.

एग्जिट पोल के अनुसार इस बार के चुनावों में गठबंधन बेअसर दिख रहा है. हालांकि यह केवल एग्जिट पोल है, यानी संभावनाएं हैं. इनका असली चेहरा तो 11 दिसम्बर को पता चलेगा जब चुनावों के नतीजे घोषित होंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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