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2019 आम चुनाव: हिन्दी बेल्ट में खासे नुकसान की भरपाई अब बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती

    • राहुल कंवल
    • Updated: 10 दिसम्बर, 2018 11:19 AM
  • 10 दिसम्बर, 2018 11:19 AM
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विधानसभा चुनावों के असल नतीजे आने में एक दिन ही बाकी रह गया है. लेकिन विधानसभा एग्जिट पोल डेटा के आंकड़े संकेत देते हैं कि बीजेपी अगले साल आम चुनाव में हिन्दी बेल्ट में अपने समर्थन की खासी ज़मीन खो सकती है.

अगर इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल की ओर से निकाले गए रूझान अगले साल आम चुनाव तक भी जारी रहते हैं तो बीजेपी को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीती 62 लोकसभा सीटों में से 32 को खोना पड़ सकता है. हिन्दी बेल्ट के इन तीन राज्यों ने 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को भरपूर समर्थन दिया. इन तीन राज्यों में बीजेपी ने करीब-करीब सभी जगह बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए 65 में से 62 लोकसभा सीटों पर कब्ज़ा किया. हालांकि, अगले साल होने वाले आम चुनावों में बीजेपी के लिए 2014 जैसी सुनहरी तस्वीर बनती नज़र नहीं आ रही है. इंडिया टुडे की डेटा टीम ने प्रत्येक विधानसभा सीट के रूझानों को लोकसभा सीटों की तस्वीर में ढाल कर देखा. ये सही है कि विधानसभा चुनाव जिन मुद्दों पर लड़े जाते हैं वो लोकसभा चुनाव से काफ़ी अलग होते हैं. एग्जिट पोल के रूझानों के विश्लेषण से दिलचस्प तथ्य सामने आए हैं जो राजनीति में गहराई से रूचि रखने वालों के मंथन के लिए अहम हो सकते हैं.

एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के पास सैम्पल हैं जिसके तहत हर विधानसभा सीट को शामिल किया गया. अगर हर विधानसभा सीट के रूझान विशेष को जोड़ा जाए तो हर लोकसभा सीट में किसी पार्टी की लोकप्रियता का मोटे तौर पर अनुमान लगाया जा सकता है.

पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस को करीब 30% का फायदा हो रहा है.

एक्सिस माई इंडिया के निष्कर्षों के मुताबिक लोकसभा चुनावों में इन तीन राज्यों से कांग्रेस की सीटें जो पिछले चुनाव में 3 थी, अब बढ़कर 35 तक पहुंच सकती हैं बशर्ते एग्जिट पोल के यही रूझान 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दोहराए जाएं. वहीं बीजेपी की सीटों की संख्या 62 से घट कर 30 पर आ सकती है.

अगर एग्जिट पोल के डेटा का राज्यवार विश्लेषण किया जाए तो बीजेपी को सबसे ज़्यादा नुकसान राजस्थान में हो सकता है....

अगर इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल की ओर से निकाले गए रूझान अगले साल आम चुनाव तक भी जारी रहते हैं तो बीजेपी को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीती 62 लोकसभा सीटों में से 32 को खोना पड़ सकता है. हिन्दी बेल्ट के इन तीन राज्यों ने 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को भरपूर समर्थन दिया. इन तीन राज्यों में बीजेपी ने करीब-करीब सभी जगह बेहतरीन प्रदर्शन दिखाते हुए 65 में से 62 लोकसभा सीटों पर कब्ज़ा किया. हालांकि, अगले साल होने वाले आम चुनावों में बीजेपी के लिए 2014 जैसी सुनहरी तस्वीर बनती नज़र नहीं आ रही है. इंडिया टुडे की डेटा टीम ने प्रत्येक विधानसभा सीट के रूझानों को लोकसभा सीटों की तस्वीर में ढाल कर देखा. ये सही है कि विधानसभा चुनाव जिन मुद्दों पर लड़े जाते हैं वो लोकसभा चुनाव से काफ़ी अलग होते हैं. एग्जिट पोल के रूझानों के विश्लेषण से दिलचस्प तथ्य सामने आए हैं जो राजनीति में गहराई से रूचि रखने वालों के मंथन के लिए अहम हो सकते हैं.

एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल के पास सैम्पल हैं जिसके तहत हर विधानसभा सीट को शामिल किया गया. अगर हर विधानसभा सीट के रूझान विशेष को जोड़ा जाए तो हर लोकसभा सीट में किसी पार्टी की लोकप्रियता का मोटे तौर पर अनुमान लगाया जा सकता है.

पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस को करीब 30% का फायदा हो रहा है.

एक्सिस माई इंडिया के निष्कर्षों के मुताबिक लोकसभा चुनावों में इन तीन राज्यों से कांग्रेस की सीटें जो पिछले चुनाव में 3 थी, अब बढ़कर 35 तक पहुंच सकती हैं बशर्ते एग्जिट पोल के यही रूझान 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दोहराए जाएं. वहीं बीजेपी की सीटों की संख्या 62 से घट कर 30 पर आ सकती है.

अगर एग्जिट पोल के डेटा का राज्यवार विश्लेषण किया जाए तो बीजेपी को सबसे ज़्यादा नुकसान राजस्थान में हो सकता है. यहां पार्टी ने 2014 में सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. एग्जिट पोल के निष्कर्षों के मुताबिक राजस्थान में बीजेपी सिर्फ़ 9 लोकसभा सीटों पर ही आरामदायक स्थिति में हैं. राज्य की 16 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को बीजेपी पर बढ़त हासिल है. कांग्रेस जयपुर, जयपुर देहात, सीकर, अलवर, भरतपुर, दौसा, पाली, बाड़मेर और आठ अन्य सीटों पर आगे है. वहीं बीजेपी सिर्फ गंगानगर, बीकानेर, जालौर, उदयपुर, बांसवाड़ा और चार अन्य सीटों पर ही बढ़त बनाए हुए है.

राजस्थान में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान की उम्मीद जताई जा रही है

मध्य प्रदेश में बीजेपी कहीं बेहतर स्थिति में है. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मध्य प्रदेश में 29 में से 27 सीटों पर जीत हासिल की थी. एग्जिट पोल के डेटा के मुताबिक बीजेपी मध्य प्रदेश में भी अपनी कुछ लोकसभा सीटें खोने जा रही है. एक्सिस माई इंडिया के डेटा के निष्कर्ष संकेत देते हैं कि मध्य प्रदेश में बीजेपी को 17 और कांग्रेस को 12 सीटों पर बढ़त हासिल है. कांग्रेस मध्य प्रदेश में मुरैना, गुना, भिंड, ग्वालियर, मंदसौर, रतलाम, भोपाल, राजगढ़, छिंदवाड़ा, शहडोल, जबलपुर और देवास में आगे नज़र आ रही है. वहीं बीजेपी सागर, टीकमगढ़, खजुराहो, रीवा, धार, इंदौर, खरगौन और 10 अन्य लोकसभा सीटों पर बढ़त वाली स्थिति में है.

एग्जिट पोल के निष्कर्षों के मुताबिक बीजेपी को छत्तीसगढ़ में भी नुकसान उठाना पड़ सकता है. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से 10 पर जीत हासिल हुई थी. अगर एक्सिस एग्जिट पोल वाला रूझान 2019 चुनाव तक जारी रहता है तो कांग्रेस राज्य में 7 सीट हासिल कर सकती है वहीं बीजेपी को महज़ 4 सीट से ही संतोष करना पड़ सकता है.

बीजेपी की बड़ी उम्मीद यही होगी कि विधानसभा चुनावों के नतीजे का लोकसभा चुनाव पर असर सीमित ही रहेगा. क्योंकि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकारों को तीन-तीन कार्यकाल की एंटी-इंक्मबेंसी (सत्ता विरोधी रूझान) का सामना था, ऐसे में बीजेपी के रणनीतिकार तर्क देते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता इन राज्यों में मुख्यमंत्रियों की अपेक्षा कहीं ज्यादा बनी हुई है. ये एक्सिस माई इंडिया की ओर से इंडिया टुडे ग्रुप के लिए किए गए पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) से भी सामने आई.

राजस्थान में सितंबर के महीने में की गई ट्रैकिंग के मुताबिक सिर्फ 35% ही प्रतिभागी वसुंधरा राजे को राज्य की मुख्यमंत्री के तौर पर आगे भी देखना चाहते थे. वहीं दूसरी ओर 57% प्रतिभागियों का कहना था कि वे 2019 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के तौर पर एक और कार्यकाल देने के पक्ष में हैं.

शिवराज सिंह चौहान की तुलना में नरेंद्र मोदी की छवि लोगों के बीच ज्यादा बेहतर है

यहां तक कि मध्य प्रदेश जैसे राज्य में भी जहां मुख्यमंत्री खासे लोकप्रिय हैं, वहां भी प्रधानमंत्री की लोकप्रियता मुख्यमंत्री से ज्यादा है. 46% प्रतिभागियों ने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री के तौर पर एक और कार्यकाल दिए जाने के पक्ष में राय जताई, वहीं नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर एक और कार्यकाल देने की हिमायत करने वाले प्रतिभागी 56% रहे. छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री की लोकप्रियता और भी ज्यादा दिखी. वहां 59% प्रतिभागी नरेंद्र मोदी को ही अगले कार्यकाल में प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं. वहीं डॉ रमन सिंह को छत्तीसगढ़ का अगला मुख्यमंत्री देखने के पक्ष में राय जताने वाले 41% ही रहे.

इन राज्यों में मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी के उम्मीदवार और प्रधानमंत्री की लोकप्रियता में न्यूनतम अंतर 10% और अधिकतम 22% रहा. इसके मायने हैं कि प्रधानमंत्री की छवि और कामकाज बीजेपी को लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करेंगे.

बीजेपी के लिए 2014 आम चुनाव के नतीजों ने नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के शिखर को दर्शाया था. वहीं एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल संकेत देता है कि 2019 में पार्टी का ग्राफ कितना नीचे आ सकता है. वास्तविक अर्थों में कहा जाए तो 2014 के शिखर को 5 साल तक सत्ता में रहने के बाद दोहराने की संभावना बहुत कम है. बीजेपी हिन्दी बेल्ट में अपने ग्राफ को नीचे जाने से किस हद तक रोक पाने में सक्षम रहती है, इसी पर निर्भर करेगा कि पार्टी अपने मजबूत गढ़ों से बाहर वाले क्षेत्रों में 2019 के लिए कितना उभार पा सकती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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