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मोदी-खट्टर विरोधी टाइम-लाइन से बीजेपी की लाइन पर क्या मुंह लेकर आएंगे दुष्यंत चौटाला?

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 26 अक्टूबर, 2019 06:18 PM
  • 26 अक्टूबर, 2019 06:18 PM
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कहीं न कहीं तो दुष्यंत चौटाला को थोड़ी सी तो शर्मिंदगी महसूस होती होगी कि आखिर किस तरह उन्होंने खट्टर सरकार पर झूठ, भ्रष्टाचार और न जाने कितने ही आरोप लगाए थे. उनकी ट्विटर टाइमलाइन खुद उन्हें शर्मिंदा करने के लिए काफी है.

राजनीति भी ऐसी शय है जो अच्छे-अच्छों को अर्श से फर्श पर ले आती है और किसी को भी फर्श से अर्श पर. हरियाणा चुनाव के नतीजों में राजनीति का बड़ा ही अद्भुत खेल देखने को मिला है.

केवल 10 महीने पहले ही बनी जननायक जनता पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में 10 सीटें जीती और राज्य की सत्ता में किंगमेकर बनकर उभरी है. पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला हैं जिन्होंने चुनाव के पहले बीजेपी की खट्टर सरकार के खिलाफ बोल-बोलकर ही जनता का ध्यान अपनी तरफ खींचा था.   

गुरुवार को सामने आए नतीजों में किसी दल को बहुमत नहीं मिला. इसलिए 90 सीटों में से 40 सीटें जीतने वाली भाजपा को सरकार बनाने के लिए समर्थन चाहिए था. और भाजपा को समर्थ दिया जेजेपी ने. यानी तय हो गया है कि प्रदेश में बीजेपी-जेजेपी सरकार बनेगी. 27 अक्टूबर यानी दीवाली के दिन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री का ताज पहनेंगे दुष्यंत चौटाला.

मनोहर लाल खट्टर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे दुष्यंत चौटाला

लेकिन दुष्यंत चौटाला के पिछले कुछ महीनों का रिपोर्ट कार्ड देखें तो उन्होंने बीजेपी और खट्टर सरकार के खिलाफ इतनी मेहनत से माहौल बनाया था जिसका नतीजा उन्हें जीत के रूप में हरियाणा की जनता ने दिया है. लेकिन कितना अजीब है न कि बीजेपी के खिलाफ खड़े होकर चिल्लाने वाले दुष्यंत नतीजों के बाद बीजेपी के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. कहीं न कहीं तो दुष्यंत चौटाला को थोड़ी सी तो शर्मिंदगी महसूस होती होगी कि आखिर किस तरह उन्होंने खट्टर सरकार पर झूठ, भ्रष्टाचार और न जाने कितने ही आरोप लगाए थे.

दुष्यंत ने सोशल मीडिया पर खट्टर को सबसे बड़ा झूठा करार दिया था. उनकी ट्विटर टाइमलाइन खुद उन्हें शर्मिदा करने के लिए काफी है, जहां उन्होंने खट्टर सरकार...

राजनीति भी ऐसी शय है जो अच्छे-अच्छों को अर्श से फर्श पर ले आती है और किसी को भी फर्श से अर्श पर. हरियाणा चुनाव के नतीजों में राजनीति का बड़ा ही अद्भुत खेल देखने को मिला है.

केवल 10 महीने पहले ही बनी जननायक जनता पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में 10 सीटें जीती और राज्य की सत्ता में किंगमेकर बनकर उभरी है. पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला हैं जिन्होंने चुनाव के पहले बीजेपी की खट्टर सरकार के खिलाफ बोल-बोलकर ही जनता का ध्यान अपनी तरफ खींचा था.   

गुरुवार को सामने आए नतीजों में किसी दल को बहुमत नहीं मिला. इसलिए 90 सीटों में से 40 सीटें जीतने वाली भाजपा को सरकार बनाने के लिए समर्थन चाहिए था. और भाजपा को समर्थ दिया जेजेपी ने. यानी तय हो गया है कि प्रदेश में बीजेपी-जेजेपी सरकार बनेगी. 27 अक्टूबर यानी दीवाली के दिन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री का ताज पहनेंगे दुष्यंत चौटाला.

मनोहर लाल खट्टर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे दुष्यंत चौटाला

लेकिन दुष्यंत चौटाला के पिछले कुछ महीनों का रिपोर्ट कार्ड देखें तो उन्होंने बीजेपी और खट्टर सरकार के खिलाफ इतनी मेहनत से माहौल बनाया था जिसका नतीजा उन्हें जीत के रूप में हरियाणा की जनता ने दिया है. लेकिन कितना अजीब है न कि बीजेपी के खिलाफ खड़े होकर चिल्लाने वाले दुष्यंत नतीजों के बाद बीजेपी के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. कहीं न कहीं तो दुष्यंत चौटाला को थोड़ी सी तो शर्मिंदगी महसूस होती होगी कि आखिर किस तरह उन्होंने खट्टर सरकार पर झूठ, भ्रष्टाचार और न जाने कितने ही आरोप लगाए थे.

दुष्यंत ने सोशल मीडिया पर खट्टर को सबसे बड़ा झूठा करार दिया था. उनकी ट्विटर टाइमलाइन खुद उन्हें शर्मिदा करने के लिए काफी है, जहां उन्होंने खट्टर सरकार के खिलाफ कितना कुछ लिख रखा है.

10 अक्टूबर को किए एक ट्वीट में दुष्यंत ने लिखा कि- सीएम साहब आपसे झूठा कोई नहीं!! आपने सफीदों में कहा कि एक भी नौकरी हरियाणा से बाहर के व्यक्ति को नहीं दी. झूठ !! आपके इसी बिजली विभाग ने 2018 में SDO बिजली की सामान्य कैटेगरी में 55 में से 47 हरियाणा से बाहर के थे.

इससे पहले 5 सितंबर को भी ट्वीट करके दुष्यंत ने सीएम खट्टर पर बेरोज़गारी को लेकर हमला किया था.

छोटे से छोटे मामले को उठाकर दुष्यंत ने खट्टर सरकार को घेरने की खूब कोशिशें की थीं.

खट्टर को तो छोड़िए, दुष्यंत ने प्रधानमंत्री मोदी जी को भी नहीं छोड़ा था. सोशल मीडिया पर मोदी जी से सीधे-सीधे सवाल जवाब करते दिखाई दिए थे.

जाहिर है चुनाव प्रचार के वक्त इस तरह के ट्वीट करके सत्ता में रही पार्टी को ऐसे ही आड़े हाथों लिया जाता है. दुष्यंत भी यही कर रहे थे. लेकिन नतीजों के बाद दुष्यंत ने बीजेपी को समर्थन देकर खट्टर के खिलाफ अपनी पिछली बातों को एक सिरे से खारिज कर दिया.

राजनीति इसी को कहते हैं. यहां कुछ भी संभव है. दुष्यंत राजनीति के नए खिलाड़ी हैं और उन्हें अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए बीजेपी का दामन थामना जरूरी था. लेकिन कल्पना करो तो कितना मुश्किल पल होगा जब शपथ ग्रहण करते वक्त मोदी-खट्टर विरोध का झंडा थामकर चलने वाले दुष्यंत चौटैला मुख्यमंत्री बने खट्टर के पांव छू रहे होंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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