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यूपी में कांग्रेस कैसे पहुंची 309 से 09 पर

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 11 मार्च, 2017 05:04 PM
  • 11 मार्च, 2017 05:04 PM
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आज कांग्रेस अगर हाशिये पर है तो इसका ज़िम्मेदार कौन है? क्या राहुल गांधी इसके ज़िम्मेदार हैं? शायद राहुल को पूरी तरह से इसका दोष देना भी ठीक नहीं होगा.

यूपी को ये साथ पसंद है... ये उसी साथ कि बात हो रही है जो कांग्रस और समाजवादी पार्टी ने आपस में दिया. इस बार कांग्रेस ने 105 सीटों पर चुनाव लड़ा. जिसमें उसे सिर्फ 9 सीटें मिलती ही नड़र आ रही है. फिलहाल ये तो कुछ देर बाद ही तय होगा कि कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेगी. हो सकता है कि सीटें कम भी हो जाएं. मगर आज कांग्रेस अगर हाशिये पर है तो इसका ज़िम्मेदार कौन है? क्या राहुल गांधी इसके ज़िम्मेदार हैं? शायद राहुल को पूरी तरह से इसका दोष देना भी ठीक नहीं होगा.

वैसे ही कांग्रेस 27 सालों से यहां से नदारद है. जब गठबंधन नहीं हुआ था तब कांग्रेस ने यही नारा दिया था कि 27 साल यूपी बेहाल. तो 27 सालों से राहुल गांधी के उपर ये ज़िम्मेदारी नहीं थी कि वो कांग्रेस को जिताए. 27 साल पहले तो राहुल गांधी खुद 20 साल के थे.

इस बार बीजेपी उत्तर प्रदेश में 300 से ज्यादा सीटें जीतती नज़र आ रही है. मगर क्या आप जानते है किसी ज़माने में कांग्रेस ने भी उत्तर प्रदेश में 309 सीटें जीती थी. ये दौर था 1980 का जब कांग्रेस ने 400 सीटों में से 309 सीटें जीती थी. मगर इसके बाद जैसे-जैसे समय बीतता गया कांग्रेस की सीटें भी कम होती गई और आज स्थिति ये है कि कांग्रेस 09 सीटों पर भी संघर्ष करती नजर आ रही है.

एक ऩजर कांग्रेस के सफर पर

1980 में कांग्रेस ने 309 सीटें जीतीं, वहीं इसके बाद वाले चुनाव में यानी 1985 में 269 सीटें दर्ज की और सरकार बनाई. मगर इसके बाद जैसे कांग्रेस का जैसे पतन शुरु हो गया. 269 से कांग्रेस 1989 में 94 सीटों पर आ गई. ये वही दौर था जब राजीव गांधी ने राम मंदिर का दरवाजा खुलवाया था और उसका सिधा प्रसारण टीवी पर दिखाया गया. उसके बाद ही कांग्रेस पार्टी चुनाव हार गई थी. 1993 में कांग्रेस को मात्र 28 सीटें ही मीली. वहीं 1996 में 33 सीटों के साथ ही कांग्रेस को संतोष...

यूपी को ये साथ पसंद है... ये उसी साथ कि बात हो रही है जो कांग्रस और समाजवादी पार्टी ने आपस में दिया. इस बार कांग्रेस ने 105 सीटों पर चुनाव लड़ा. जिसमें उसे सिर्फ 9 सीटें मिलती ही नड़र आ रही है. फिलहाल ये तो कुछ देर बाद ही तय होगा कि कांग्रेस को कितनी सीटें मिलेगी. हो सकता है कि सीटें कम भी हो जाएं. मगर आज कांग्रेस अगर हाशिये पर है तो इसका ज़िम्मेदार कौन है? क्या राहुल गांधी इसके ज़िम्मेदार हैं? शायद राहुल को पूरी तरह से इसका दोष देना भी ठीक नहीं होगा.

वैसे ही कांग्रेस 27 सालों से यहां से नदारद है. जब गठबंधन नहीं हुआ था तब कांग्रेस ने यही नारा दिया था कि 27 साल यूपी बेहाल. तो 27 सालों से राहुल गांधी के उपर ये ज़िम्मेदारी नहीं थी कि वो कांग्रेस को जिताए. 27 साल पहले तो राहुल गांधी खुद 20 साल के थे.

इस बार बीजेपी उत्तर प्रदेश में 300 से ज्यादा सीटें जीतती नज़र आ रही है. मगर क्या आप जानते है किसी ज़माने में कांग्रेस ने भी उत्तर प्रदेश में 309 सीटें जीती थी. ये दौर था 1980 का जब कांग्रेस ने 400 सीटों में से 309 सीटें जीती थी. मगर इसके बाद जैसे-जैसे समय बीतता गया कांग्रेस की सीटें भी कम होती गई और आज स्थिति ये है कि कांग्रेस 09 सीटों पर भी संघर्ष करती नजर आ रही है.

एक ऩजर कांग्रेस के सफर पर

1980 में कांग्रेस ने 309 सीटें जीतीं, वहीं इसके बाद वाले चुनाव में यानी 1985 में 269 सीटें दर्ज की और सरकार बनाई. मगर इसके बाद जैसे कांग्रेस का जैसे पतन शुरु हो गया. 269 से कांग्रेस 1989 में 94 सीटों पर आ गई. ये वही दौर था जब राजीव गांधी ने राम मंदिर का दरवाजा खुलवाया था और उसका सिधा प्रसारण टीवी पर दिखाया गया. उसके बाद ही कांग्रेस पार्टी चुनाव हार गई थी. 1993 में कांग्रेस को मात्र 28 सीटें ही मीली. वहीं 1996 में 33 सीटों के साथ ही कांग्रेस को संतोष करना पड़ा.

2007 में जब कांग्रेस को बहुत उम्मीद थी कि वो किसी भी तरह यूपी में जीत दर्ज करेगी. क्योंकि कांग्रेस ने 2002 में केंद्र में सत्ता हासिल कर ली थी. लिहाज़ा कांग्रेस को उम्मीद थी कि यूपी इस बार वहीं जीतेंगे. मगर इस बार भी कांग्रेस की मात्र 22 सीटें ही आई. 2012 में भी जब केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी तब भी यूपी में सिर्फ 28 सीटों के साथ ही कांग्रेस को खुश रहना पड़ा.

अब यानी 2017 में, जब कांग्रस ने पहली बार मात्र 105 सीटों पर ही चुनाव लड़ा. ऐसे में कांग्रेस की 09 सीटें भी आई तो क्या गलत है. अगर आप थोड़ा गुणा भाग करें तो जब कांग्रेस 400 सीटों पर चुनाव लड़ी तो कांग्रेस को 22 सीटों तक मीली. ऐसे ही 105 सीटों पर लड़कर अगर कांग्रेस को 09 सीटें मीलती है तो ये तो कांग्रेस के लिये खुशी की ही बात है कि कम से कम 09 सीटें तो आई.

वरना बहुजन समाजवादी पार्टी ने 403 सीटों पर चुनाव लड़ा और देखिये मात्र 17 सीटों पर ही सिमट गई. तो अगर कांग्रेस ने 105 सीटों पर चुनाव लड़कर 09 सीटें भी जीती है तो ये कांग्रेस के लिये बहुत बड़ी बात है. फिलहाल कांग्रेस भी हार का ठीकरा अखिलेष पर ही फोड़ने वाली है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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