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डोनाल्ड ट्रंप ने जाते जाते अमेरिका की किरकिरी ही करा दी!

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 08 जनवरी, 2021 08:20 PM
  • 08 जनवरी, 2021 08:20 PM
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America के Washington DC में Donald Trump के समर्थकों ने जो हिंसा को अंजाम दिया है वह अमेरिका के लिए किरकिरी का सबब बन गया है. अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश है और अब इस लोकतंत्र पर सवाल खड़े होने लगे हैं.

दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश अमेरिका अपने सबसे खराब समय में जा पहुंचा है. राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही अमेरिका में वर्तमान राष्ट्रपति और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के समर्थक आपस में उलझे पड़े हैं. वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के 10-12 दिन ही रह गए हैं लेकिन वह नतीजे आने के दो महीने बाद भी अपनी हार मानने को तैयार नहीं हैं. राष्ट्रपति चुनाव के दो महीने के बाद वाशिंगटन डीसी स्थित कैपिटल हिल में इलेक्टोरल कॅालेज की गिनती की प्रक्रिया चल रही थी, इसी गिनती के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की जीत पर मुहर लगनी थी. पूरी प्रक्रिया चल ही रही थी कि हज़ारों की संख्या में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने एक रैली निकाल दंगाईयों की भांति कैपिटल हिल के अंदर धावा बोल दिया. कैपिटल हिल की सुरक्षा एजेंसिया इतनी बड़ी भीड़ को रोकने में नाकाम साबित हुई और कुछ ट्रंप समर्थक चेयर की कुर्सी तक जा बैठे. माइक में तोड़फोड़ की और तमाम तरह के उपद्रव मचाए. यहां पर ये जानना ज़रूरी हो जाता है कि संसद की कार्यवाई शुरू होने से पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा था कि चुनाव में धांधली हुयी है, और धांधली वाले चुनाव का नतीजा स्वीकार नहीं करना चाहिए. डोनाल्ड ट्रंप के इसी भाषण के बाद से ही वाशिंगटन डीसी का माहौल खराब हो गया जो बाद में हिंसा के रूप में बदल गया. जो बाइडन समेत सभी बड़े नेताओं ने डोनाल्ड ट्रंप को ही इस पूरी घटना के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है.

ट्रंप के चलते बानहीं ले रही हैं इडेन की परेशानियां खत्म होने का नाम

डोनाल्ड ट्रंप कितने अकेले हैं ये बात आप कुछ यूं समझ लीजिए कि उनके अपने ही साथी और ट्रंप सरकार में उपराष्ट्रपति माइक पेंस भी इस घटना को कलंक करार देते हैं. सियासी खींचतान के...

दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश अमेरिका अपने सबसे खराब समय में जा पहुंचा है. राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही अमेरिका में वर्तमान राष्ट्रपति और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के समर्थक आपस में उलझे पड़े हैं. वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के 10-12 दिन ही रह गए हैं लेकिन वह नतीजे आने के दो महीने बाद भी अपनी हार मानने को तैयार नहीं हैं. राष्ट्रपति चुनाव के दो महीने के बाद वाशिंगटन डीसी स्थित कैपिटल हिल में इलेक्टोरल कॅालेज की गिनती की प्रक्रिया चल रही थी, इसी गिनती के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की जीत पर मुहर लगनी थी. पूरी प्रक्रिया चल ही रही थी कि हज़ारों की संख्या में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने एक रैली निकाल दंगाईयों की भांति कैपिटल हिल के अंदर धावा बोल दिया. कैपिटल हिल की सुरक्षा एजेंसिया इतनी बड़ी भीड़ को रोकने में नाकाम साबित हुई और कुछ ट्रंप समर्थक चेयर की कुर्सी तक जा बैठे. माइक में तोड़फोड़ की और तमाम तरह के उपद्रव मचाए. यहां पर ये जानना ज़रूरी हो जाता है कि संसद की कार्यवाई शुरू होने से पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा था कि चुनाव में धांधली हुयी है, और धांधली वाले चुनाव का नतीजा स्वीकार नहीं करना चाहिए. डोनाल्ड ट्रंप के इसी भाषण के बाद से ही वाशिंगटन डीसी का माहौल खराब हो गया जो बाद में हिंसा के रूप में बदल गया. जो बाइडन समेत सभी बड़े नेताओं ने डोनाल्ड ट्रंप को ही इस पूरी घटना के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है.

ट्रंप के चलते बानहीं ले रही हैं इडेन की परेशानियां खत्म होने का नाम

डोनाल्ड ट्रंप कितने अकेले हैं ये बात आप कुछ यूं समझ लीजिए कि उनके अपने ही साथी और ट्रंप सरकार में उपराष्ट्रपति माइक पेंस भी इस घटना को कलंक करार देते हैं. सियासी खींचतान के बीच अमेरिका में इमेरजेंसी का ऐलान कर दिया गया है, अगले दो हफ्तों तक डीसी में इमेरजेंसी लगी रहेगी. डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए कई राज्यों में केस दर्ज किया था जिसमें अधिकतर जगह उनकी याचिका खारिज ही हो गई है जिससे डोनाल्ड ट्रंप आगबबूला हो बैठे हैं.

डोनाल्ड ट्रंप हिंसा होने के बावजूद टस से मस नहीं हुए और चुनावी नतीजे को खारिज करते हुए चुनाव में धांधली के आरोप लगाए, उन्होंने ट्वीट भी किया और फेसबुक पर भी पोस्ट किया. इन दोनों ही कंपनियों ने डोनाल्ड ट्रंप के इस पोस्ट को डिलीट करते हुए ट्रंप का अकाउंट ही ब्लाक कर दिया है. डोनाल्ड ट्रंप को किसी का भी साथ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है. अमेरिका के घटनाक्रम पर सिर्फ और सिर्फ अमेरिका की ही किरकिरी हो रही है.

दुनिया भर के तमाम बड़े नेता इस पूरे घटना की निंदा कर रहे हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि "सत्ता का हस्तांत्रण शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैरकानूनी विरोध प्रदर्शन के माध्यम से प्रभावित नहीं होने दिया जा सकता है" इसके साथ ही ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, सहित अन्य देश के राष्ट्राध्यक्षों ने भी इस पूरे घटना की निंदा की है. अमेरिका के धुर विरोधी चीन ने इस पूरी घटना का मज़ाक उड़ाया है और अमेरिका के लोकतंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

डोनाल्ड ट्रंप को 20 जनवरी तक व्हाइट हाउस को खाली कर देना है. 20 जनवरी 2021 को ही नए राष्ट्रपति जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ भी लेंगे. अब अगर तब तक वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस खाली नहीं किया तो एक अलग ही तरह का संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा और अमेरिका पर एक और काला धब्बा लग जाएगा. डोनाल्ड ट्ंरप कब और कैसे अपनी हार मानेंगे इसका पता तो खुद डोनाल्ड ट्रंप को ही नहीं है क्योंकि कभी तो वह नतीजे को अपना लेते हैं तो कभी इसको खारिज कर देते हैं.

अमेरिका पर लगने वाले दाग के ज़िम्मेदार डोनाल्ड ट्रंप 2024 में दोबारा चुनाव भी लड़ना चाहते हैं इसलिए वह क्या करना चाहते हैं वो खुद ही इस बात को जान सकते हैं. फिलहाल अमेरिका में जो कुछ भी हो रहा है वह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए सही संदेश नही है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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