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क्या हो अगर ट्रम्प आपका सोशल मीडिया पासवर्ड मांगें?

    • संतोष चौबे
    • Updated: 08 अप्रिल, 2017 01:56 PM
  • 08 अप्रिल, 2017 01:56 PM
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अमेरिका अपनी एक्सट्रीम वेटिंग प्रक्रिया के तहत अमेरिका आने वाले आवेदकों से उनके फोन कॉन्टेक्ट्स और सोशल मीडिया खातों के पासवर्ड मांग कर सकता है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि आप किनके संपर्क में हैं.

आधार योजना को लेकर मोदी सरकार के फोकस पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं. कहा जा रहा है कि डेटा चोरी होने पर निजी जानकारियों का दुरुपयोग हो सकता है. लेकिन अमेरिका में ट्रंप सरकार जो करने जा रही है, उससे हम जान जाएंगे कि दुनिया में निजी जानकारियों की कितनी अहमियत है. 

जी हां, निकट भविष्य में ऐसा हो सकता है, अगर आप अमेरिका जाने की योजना बना रहे हैं तो!

अमेरिकी अखबार द वाल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका अपनी एक्सट्रीम वेटिंग (चरम निरिक्षण) प्रक्रिया के तहत अमेरिका आने वाले आवेदकों से उनके फोन कॉन्टेक्ट्स और सोशल मीडिया खातों के पासवर्ड की मांग कर सकता है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि आप किनके संपर्क में हैं. और आपकी सोशल मीडिया गतिविधि ये बता सकती है कि कहीं आपकी विचारधारा अमेरिकी हितों के खिलाफ तो नहीं है और अगर ऐसा है तो अमेरिका जाने का आपका सपना या आपकी योजना धरी की धरी ही रह सकती है.

अमेरिका के आतंरिक मामलों के मंत्री जॉन केली के मुताबिक वो जानना चाहते हैं कि आप कैसी वेबसाइट पर जाते हैं और इंटरनेट पर क्या करते हैं और इसके लिए आपको अपना पासवर्ड उनसे साझा करना होगा. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको अमेरिका आने की कोई जरूरत नहीं है.  

और ऐसा सिर्फ अमेरिकी हवाई-अड्डों पर ही नहीं होगा, बल्कि ये प्रक्रिया तो वीसा आवेदन के साथ ही शुरू हो जाएगी. मतलब आपको अपने वीसा आवेदन पत्र में ही अपने फोन कॉन्टेक्ट्स की और सोशल मीडिया की जानकारियां साझा करनी होंगी. और अमेरिका की इस एक्सट्रीम वेटिंग की जद में इसके मित्र और सहयोगी राष्ट्रों, जैसे जापान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के भी आने की उम्मीद है.  

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक्सट्रीम वेटिंग के बारे में अपने चुनाव अभियान के दिनों से बात करते रहे हैं. पिछले साल...

आधार योजना को लेकर मोदी सरकार के फोकस पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं. कहा जा रहा है कि डेटा चोरी होने पर निजी जानकारियों का दुरुपयोग हो सकता है. लेकिन अमेरिका में ट्रंप सरकार जो करने जा रही है, उससे हम जान जाएंगे कि दुनिया में निजी जानकारियों की कितनी अहमियत है. 

जी हां, निकट भविष्य में ऐसा हो सकता है, अगर आप अमेरिका जाने की योजना बना रहे हैं तो!

अमेरिकी अखबार द वाल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका अपनी एक्सट्रीम वेटिंग (चरम निरिक्षण) प्रक्रिया के तहत अमेरिका आने वाले आवेदकों से उनके फोन कॉन्टेक्ट्स और सोशल मीडिया खातों के पासवर्ड की मांग कर सकता है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि आप किनके संपर्क में हैं. और आपकी सोशल मीडिया गतिविधि ये बता सकती है कि कहीं आपकी विचारधारा अमेरिकी हितों के खिलाफ तो नहीं है और अगर ऐसा है तो अमेरिका जाने का आपका सपना या आपकी योजना धरी की धरी ही रह सकती है.

अमेरिका के आतंरिक मामलों के मंत्री जॉन केली के मुताबिक वो जानना चाहते हैं कि आप कैसी वेबसाइट पर जाते हैं और इंटरनेट पर क्या करते हैं और इसके लिए आपको अपना पासवर्ड उनसे साझा करना होगा. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको अमेरिका आने की कोई जरूरत नहीं है.  

और ऐसा सिर्फ अमेरिकी हवाई-अड्डों पर ही नहीं होगा, बल्कि ये प्रक्रिया तो वीसा आवेदन के साथ ही शुरू हो जाएगी. मतलब आपको अपने वीसा आवेदन पत्र में ही अपने फोन कॉन्टेक्ट्स की और सोशल मीडिया की जानकारियां साझा करनी होंगी. और अमेरिका की इस एक्सट्रीम वेटिंग की जद में इसके मित्र और सहयोगी राष्ट्रों, जैसे जापान, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के भी आने की उम्मीद है.  

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक्सट्रीम वेटिंग के बारे में अपने चुनाव अभियान के दिनों से बात करते रहे हैं. पिछले साल राष्ट्रपति बनने के पहले ट्रम्प ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अमेरिका भविष्य में एक्सट्रीम वेटिंग लागू करेगा. उन्होंने कहा था के वो पता लगा के रहेंगे के जो लोग अमेरिका आ रहे हैं वो कौन हैं और कहां से आ रहे हैं. उसके बाद से ट्रम्प ने ये बात अपने कई भाषणों में और ट्वीट्स में दुहराई है.

राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प ने इसे लागू करना शुरू कर भी दिया है. हालांकि अमेरिकी अदालतों ने ट्रम्प के शरणार्थियों और कुछ मुस्लिम देशों के लोगों पर यात्रा प्रतिबन्ध के विवादस्पद निर्णय पर रोक लगा दी है, ट्रम्प प्रशासन ने कहा है कि वो एक्सट्रीम वेटिंग लागू करने के लिए काम करते रहेंगे.  

और आपके फोन कॉन्टेक्ट्स और सोशल मीडिया पासवर्ड की जानकारी मांगना ट्रम्प के यात्रा प्रतिबन्ध वाले शासकीय आदेश का ही हिस्सा है जिसपर अमेरिकी अदालतों ने रोक लगाने से इंकार कर दिया है.  

पर इसके खिलाफ अमेरिका में आवाजें उठने लगीं हैं. विरोधी तर्क दे रहे हैं कि अगर दूसरे देश भी इसका अनुसरण करते हुए अमेरिकी नागरिकों के फोन कॉन्टेक्ट्स और सोशल मीडिया पासवर्ड की जानकारी मांगे लगें तो! उनका ये भी कहना है कि इन प्रावधानों के लागू होने के बाद भी आतंवादी आसानी से इनकी काट खोज सकते हैं, उनको बस अपने फोन से सोशल मीडिया खातों, इंटरनेट उपयोग का इतिहास और कॉन्टेक्ट्स की जानकारी हटानी होगी. विरोधी ये भी तर्क दे रहे हैं कि ये निजता के मूल अधिकारों का हनन है. ट्रम्प प्रशासन अभी इस कानून की रूपरेखा बना रहा है लेकिन जैसे संकेत मिले हैं अगर ये कानून वैसा ही विवादस्पद रहा तो मामला निश्चित ही अदालतों में पहुंचेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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