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इमरान खान क्या वाशिंगटन में विश्वास मत हासिल करने गए थे?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 22 जुलाई, 2019 04:46 PM
  • 22 जुलाई, 2019 04:46 PM
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जिस तरह वॉशिंगटन में इमरान खान ने पाकिस्तानी मूल के लोगों को संबोधित करते हुए अपनी बातें कहीं, उससे ये तो साफ लग रहा था कि वह अमेरिका के इस दौरे पर विश्वास मत हासिल करने गए हुए हैं.

इन दिनों कर्नाटक का सियासी संकट सबसे अधिक चर्चा में है. कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ चुकी है और भाजपा सरकार बनाने की जुगत में है. संसद में अब बहुमत साबित करना कुमारस्वामी के लिए चुनौती जैसा हो गया है. इसी बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका के दौरे पर गए हैं. वह ट्रंप से भी मिलेंगे, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप और उनके बाकी मंत्री उन्हें शायद ही भाव दें. वैसे जिस तरह वॉशिंगटन में इमरान खान ने पाकिस्तानी मूल के लोगों को संबोधित करते हुए अपनी बातें कहीं, उससे ये तो साफ लग रहा था कि वह अमेरिका के इस दौरे पर विश्वास मत हासिल करने गए हुए हैं.

पाकिस्तान पर हमेशा ही आतंकियों को पनाह देने के आरोप लगते रहते हैं. आतंकियों को संरक्षण देने के दाग के साथ ही जब इमरान खान अमेरिका पहुंचे तो वहां भी उनकी फजीहत ही हुई. पहले तो डोनाल्ड ट्रंप की सरकार का कोई भी मंत्री उनके स्वागत के लिए एयरपोर्ट नहीं पहुंचा और फिर जब वह एक कार्यक्रम को संबोधित करने वॉशिंगटन पहुंचे तो वहां पर बलूचिस्तान समर्थकों ने पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाए. ट्रंप की नजरों में पाकिस्तान की क्या अहमियत है, ये तो इमरान खान एयरपोर्ट पर ही समझ गए थे. जो बची-खुची कसर थी, वो कार्यक्रम में बलूचिस्तान समर्थकों ने पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाकर पूरी कर दी.

पूरे भाषण में विपक्ष को कोसते रहे

अगर इमरान खान का वॉशिंगटन में दिया गया पूरा भाषण सुनेंगे तो ये तो साफ हो जाएगा कि इमरान खान वॉशिंटन में पाकिस्तानी मूल के लोगों के सामने विपक्ष को कोसने गए थे. ये जताने गए थे कि उन पर पूरा भरोसा किया जाए और उनकी ही पार्टी है जो एक बदलाव ला सकती है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की राजनीति में परिवारवाद ने अपनी जड़ें गड़ा रखी हैं, जिसकी वजह से एक अच्छा नेता सामने नहीं आ पा रहा है. पाकिस्तान में अब तक सभी नेता अपने ही परिवार के लोगों को आगे बढ़ाने में लगे रहे, ना कि टैलेंट को.

क्रिकेट और शिक्षा पर भी साधा निशाना

हाल ही में हुए वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के...

इन दिनों कर्नाटक का सियासी संकट सबसे अधिक चर्चा में है. कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ चुकी है और भाजपा सरकार बनाने की जुगत में है. संसद में अब बहुमत साबित करना कुमारस्वामी के लिए चुनौती जैसा हो गया है. इसी बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका के दौरे पर गए हैं. वह ट्रंप से भी मिलेंगे, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप और उनके बाकी मंत्री उन्हें शायद ही भाव दें. वैसे जिस तरह वॉशिंगटन में इमरान खान ने पाकिस्तानी मूल के लोगों को संबोधित करते हुए अपनी बातें कहीं, उससे ये तो साफ लग रहा था कि वह अमेरिका के इस दौरे पर विश्वास मत हासिल करने गए हुए हैं.

पाकिस्तान पर हमेशा ही आतंकियों को पनाह देने के आरोप लगते रहते हैं. आतंकियों को संरक्षण देने के दाग के साथ ही जब इमरान खान अमेरिका पहुंचे तो वहां भी उनकी फजीहत ही हुई. पहले तो डोनाल्ड ट्रंप की सरकार का कोई भी मंत्री उनके स्वागत के लिए एयरपोर्ट नहीं पहुंचा और फिर जब वह एक कार्यक्रम को संबोधित करने वॉशिंगटन पहुंचे तो वहां पर बलूचिस्तान समर्थकों ने पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाए. ट्रंप की नजरों में पाकिस्तान की क्या अहमियत है, ये तो इमरान खान एयरपोर्ट पर ही समझ गए थे. जो बची-खुची कसर थी, वो कार्यक्रम में बलूचिस्तान समर्थकों ने पाकिस्तान के खिलाफ नारे लगाकर पूरी कर दी.

पूरे भाषण में विपक्ष को कोसते रहे

अगर इमरान खान का वॉशिंगटन में दिया गया पूरा भाषण सुनेंगे तो ये तो साफ हो जाएगा कि इमरान खान वॉशिंटन में पाकिस्तानी मूल के लोगों के सामने विपक्ष को कोसने गए थे. ये जताने गए थे कि उन पर पूरा भरोसा किया जाए और उनकी ही पार्टी है जो एक बदलाव ला सकती है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की राजनीति में परिवारवाद ने अपनी जड़ें गड़ा रखी हैं, जिसकी वजह से एक अच्छा नेता सामने नहीं आ पा रहा है. पाकिस्तान में अब तक सभी नेता अपने ही परिवार के लोगों को आगे बढ़ाने में लगे रहे, ना कि टैलेंट को.

क्रिकेट और शिक्षा पर भी साधा निशाना

हाल ही में हुए वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खराब प्रदर्शन को भी इमरान खान भूले नहीं हैं. उन्होंने वॉशिंगटन में भाषण देते हुए यह भी साफ कर दिया कि अब क्रिकेट में भी परिवारवाद को हटाकर टैलेंट को ऊपर लाने की जरूरत है. ये भी कहा कि अब वह इस दिशा में भी काम करेंगे. इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान शिक्षा के मामले में बहुत पीछे है, जिसकी वजह से वह आगे नहीं बढ़ पा रहा है. भ्रष्टाचार बहुत है, इसलिए भी कोई विदेशी कंपनी देश में आकर बिजनेस स्टार्ट नहीं करना चहाती है.

ऐसा लग रहा है कि इमरान खान अमेरिका के इस दौरे पर विश्वास मत हासिल करने गए हुए हैं.

मरियम और नवाज शरीफ से लेकर जरदारी तक पर उन्होंने हमला बोला. जेल में एसी और टीवी लगाए जाने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इसे भी हटाया जाएगा. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि उनके भाषण का अधिकतर हिस्सा विपक्ष पर हमला करने वाला रहा. इस तरह वह अपनी तारीफ करते नजर आए और विपक्ष को कोसते रहे. पिछली सरकारों ने जो कर्जा चढ़ा दिया, उसे लेकर भी इमरान खान ने विपक्ष पर निशाना साधा और कहा कि उनकी सरकार सब ठीक कर देगी.

आतंकवाद पर एक शब्द भी नहीं बोले

भ्रष्टाचार, परिवारवाद, कर्ज सारी बातें तो इमरान खान ने बोलीं, लेकिन करीब 50 मिनट के अपने भाषण में उस आतंकवाद की कोई बात नहीं की, जिसका कलंक पाकिस्तान के माथे पर लगा हुआ है. यहां तक कि इमरान खान पर भी आतंकवाद को पनाह देने के आरोप लगे हैं. इसी वजह से अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद रोक दी. एफएटीएफ ने आतंकवाद के खिलाफ पर्याप्त कदम नहीं उठाने की वजह से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इमरान खान आतंकवाद पर क्या बोलते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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