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हिंदू-हिंदू खेल रहे 'विधर्मी' दिग्विजय सिंह को साध्वी प्रज्ञा ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 28 सितम्बर, 2021 05:11 PM
  • 28 सितम्बर, 2021 05:11 PM
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हिंदू- हिंदू खेल रहे दिग्विजय सिंह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौर में खुद को राहुल गांधी से बड़ा हिंदू साबित करने के चक्कर में कहीं खुद का कैप्टन अमरिंदर और गुलाम नबी आजाद वाला हाल न कर लें.

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में इस बात को सारा देश जानता है कि उत्तर प्रदेश के मद्देनजर विकास की बातें कितनी भी क्यों न हो जाएं चुनाव का आधार हिंदू मुस्लिम ही रहता है. ऐसे में अगर कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अपनी जम्मू यात्रा पर खुद को कश्मीरी पंडित बता दें तो हैरत कैसी? लेकिन आश्चर्य तब होता है जब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार दिग्विजय सिंह को खुद को हिंदू बताना पड़े और भाजपा इसपर न केवल चुटकी ले बल्कि दिग्विजय सिंह के हिंदू होने पर सवालिया निशान लगाए. असल में हुआ कुछ यूं है कि मुस्लिम तुष्टिकरण के पारंगत खिलाड़ियों में से एक दिग्विजय सिंह का मुस्लिम प्रेम पुनः जागा है जिसके चलते वो भावुक हो गए हैं और ऐसा बहुत कुछ कह दिया है जिसने एक नए संवाद को पंख दे दिए हैं.

एमपी के मुख्यमंत्री रह चुके और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार दिग्विजय सिंह ने कहा है कि भारत में मुसलमानों की जन्मदर घट रही है जोकि साल 2028 तक देश में हिंदुओं के बराबर हो जाएगी. एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा है कि 1951 के बाद से मुसलमानों की जन्मदर में गिरावट दर्ज की गई है और जनसंख्या के तहत देश को मुसलमानों से कोई खतरा नहीं है.

अपने हालिया बयानों से राहुल गांधी का सबसे ज्यादा नुक्सान दिग्विजय कर रहे हैं जिन्हें साध्वी प्रज्ञा ने सबक दे दिया है

ध्यान रहे कि देश में मुसलमानों की आबादी बताने वाले बयान के बाद से आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है जिसपर सफाई देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मैं हिंदू हूं, था और हमेशा हिंदू ही रहूंगा. इस सफाई के दौरान भी दिग्विजय ने हिंदू मुस्लिम को वर्गीकृत किया है और कहा है कि अच्छा हिंदू वही होता है, जो अच्छे मुसलमान और अन्य धर्मों का भी सम्मान करे.

दिग्विजय सिंह...

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में इस बात को सारा देश जानता है कि उत्तर प्रदेश के मद्देनजर विकास की बातें कितनी भी क्यों न हो जाएं चुनाव का आधार हिंदू मुस्लिम ही रहता है. ऐसे में अगर कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अपनी जम्मू यात्रा पर खुद को कश्मीरी पंडित बता दें तो हैरत कैसी? लेकिन आश्चर्य तब होता है जब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार दिग्विजय सिंह को खुद को हिंदू बताना पड़े और भाजपा इसपर न केवल चुटकी ले बल्कि दिग्विजय सिंह के हिंदू होने पर सवालिया निशान लगाए. असल में हुआ कुछ यूं है कि मुस्लिम तुष्टिकरण के पारंगत खिलाड़ियों में से एक दिग्विजय सिंह का मुस्लिम प्रेम पुनः जागा है जिसके चलते वो भावुक हो गए हैं और ऐसा बहुत कुछ कह दिया है जिसने एक नए संवाद को पंख दे दिए हैं.

एमपी के मुख्यमंत्री रह चुके और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार दिग्विजय सिंह ने कहा है कि भारत में मुसलमानों की जन्मदर घट रही है जोकि साल 2028 तक देश में हिंदुओं के बराबर हो जाएगी. एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा है कि 1951 के बाद से मुसलमानों की जन्मदर में गिरावट दर्ज की गई है और जनसंख्या के तहत देश को मुसलमानों से कोई खतरा नहीं है.

अपने हालिया बयानों से राहुल गांधी का सबसे ज्यादा नुक्सान दिग्विजय कर रहे हैं जिन्हें साध्वी प्रज्ञा ने सबक दे दिया है

ध्यान रहे कि देश में मुसलमानों की आबादी बताने वाले बयान के बाद से आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है जिसपर सफाई देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मैं हिंदू हूं, था और हमेशा हिंदू ही रहूंगा. इस सफाई के दौरान भी दिग्विजय ने हिंदू मुस्लिम को वर्गीकृत किया है और कहा है कि अच्छा हिंदू वही होता है, जो अच्छे मुसलमान और अन्य धर्मों का भी सम्मान करे.

दिग्विजय सिंह का हिंदू मुस्लिम में भेद बताना भर था भाजपा नेता और भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा ने दिग्विजय सिंह को विधर्मी बता दिया है. दिग्विजय को लेकर साध्वी प्रज्ञा का यही मानना है कि चूंकि दिग्विजय सिंह को अपने हिंदू होने का सबूत देना पड़ रहा है इसलिए वो हिंदू हो ही नहीं सकते.

गौरतलब है कि एमपी के सीहोर में किसान पदयात्रा कार्यक्रम के समापन के वक़्त दिग्विजय का मुस्लिम प्रेम जाहिर हो चला और बड़ा बयान देते हुए उन्होंने कह दिया कि देश में हिंदुओं के मुकाबले मुसलमानों की जन्म दर लगातार घट रही है. 1951 से लेकर आज तक मुसलमानों की जन्मदर जितनी तेजी से घटी है उतनी तेजी से हिंदुओं की जन्मदर नहीं घटी है.

प्यू रिसर्च सेंटर वाशिंगटन डीसी से तैयार रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए दिग्विजय सिंह ने बताया कि वर्तमान में मुसलमानों की जन्मदर 2.7 है जबकि हिंदुओं में ये संख्या 2.3 है. दिग्विजय सिंह का दावा है कि 2028 तक देश में हिंदू और मुसलमानों की जन्मदर बराबर हो जाएगी इसलिए देश को अब मुसलमानों से डरने की जरूरत नहीं है.

गौरतलब है कि जिस रिपोर्ट का हवाला देकर दिग्विजय सिंह ने सुर्खियां बटोरने का काम किया है उसे हर 10 साल में होने वाली जनगणना और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के आधार पर निर्मित किया गया है. रिपोर्ट में भारत की धार्मिक आबादी को लेकर कई दिलचस्प खुलासे किए गए हैं.रिपोर्ट के कई तथ्य सिर्फ हिंदू मुस्लिम ही नहीं बल्कि पूरे देश को चिंता में डाल सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई लगभग सभी धार्मिक समूहों की प्रजनन दर में गिरावट देखने को मिली है.

अब चूंकि मुद्दा रिपोर्ट नहीं भाजपा का दिग्विजय सिंह पर पलटवार है तो बताना बहुत जरूरी हो जाता है कि साध्वी प्रज्ञा ने दिग्विजय की आलोचना उनके 'मुस्लिम प्रेम' के कारण तो की ही है साथ ही इसका एक प्रमुख कारण दिग्विजय सिंह का बीते दिनों दिया गया वो बयान भी है जिसमें उन्होंने संघ के स्कूलों को आड़े हाथों लिया था और कहा था कि सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के लिए संघ स्कूलों का इस्तेमाल कर रहा है.

दिग्विजय सिंह का मानना था कि सरस्वती शिशु मंदिर में दूसरे धर्मों के खिलाफ नफरत का बीज बोया जा रहा है. जिससे सांप्रदायिक कटुता और दंगे फसाद होते हैं. दिग्विजय सिंह की इस बात ने भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा को आहत कर दिया और उन्होंने दिग्विजय को विधर्मी बता दिया.

बहरहाल अब जबकि दिग्विजय ने ख़ुद को विराट हिंदू बताकर फैलाया हुआ रायता समेटने की कोशिश की है. देखना दिलचस्प रहेगा कि ये मामला अभी और कितनी दूर जाता है. और वो राहुल गांधी जो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 'हिंदू' बनकर नई रणनीतियां बना रहे हैं दिग्विजय के हिंदुत्व पर उनका क्या स्टैंड रहता है.

एक ऐसे समय में जब उत्तर प्रदेश के चुनाव का बड़ा मुद्दा हिंदू और हिंदुत्व रहेगा. सवाल ये भी है कि कहीं यूं इस तरह हिंदू बनना दिग्विजय को महंगा न पड़ जाए और उनका भी हाल कैप्टन और गुलाब नबी आजाद सरीखा न हो जाए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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