• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

साध्वी प्रज्ञा से पहले दिग्विजय सिंह भी हेमंत करकरे को विवादों में घसीट चुके हैं!

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 19 अप्रिल, 2019 10:14 PM
  • 19 अप्रिल, 2019 10:14 PM
offline
हेमंत करकरे पर बयान देकर खुद दिग्विजय सिंह भी अपनी किरकिरी करा चुके हैं. साध्वी ने हेमंत करकरे को श्राप देने की बात कह कर यू-टर्न जरूर लिया है, लेकिन काम तो उनका हो ही गया है.

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयान के बाद बवाल मच गया है. हेमंत करकरे पर साध्वी प्रज्ञा के बयान पर हमलावर हो चुकी है, तो शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग इस बात की जांच कर रहा है कि आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है या नहीं. 26/11 के वक्त मुंबई ATS चीफ रहे हेमंत करकरे 2008 में आतंकवादियों हमले में शहीद हो गये थे.

हेमंत करकरे को विवादों में घसीटने वाली पहली राजनीतिक व्यक्ति साध्वी प्रज्ञा नहीं हैं - बल्कि भोपाल से उनके सामने चुनाव मैदान में उतरने जा रहे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह हैं. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर बीजेपी के टिकट पर भोपाल से चुनाव लड़ने जा रही हैं.

तो क्या साध्वी प्रज्ञा ने हेमंत करकरे को लेकर यूं ही बयान दे दिया है?

चूंकि मालेगांव ब्लास्ट की जांच हेमंत करकरे ही कर रहे थे इसलिए साध्वी प्रज्ञा का गुस्सा स्वाभाविक लगता है, लेकिन ये ऊपरी बातें हैं. असल बात तो ये है कि हेमंत करकरे के बहाने दिग्विजय सिंह को घेरने की ये बीजेपी की रणनीति का हिस्सा लगता है - क्योंकि ये टॉपिक दिग्विजय सिंह की कमजोर कड़ी है.

क्या कहा था दिग्विजय सिंह ने?

दिसंबर, 2010 में हेमंत करकरे को लेकर दिग्विजय सिंह के भी एक बयान पर खूब बवाल मचा था. हेमंत करकरे से आखिरी बार फोन पर बात होने का जिक्र कर दिग्विजय सिंह बुरी तरह फंस गये. जिस तरह आज कांग्रेस साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ हमला बोल रही है, तब बीजेपी और शिवसेना दिग्विजय सिंह के साथ ऐसे ही पेश आ रहे थे. नौबत यहां तक आ गयी कि कांग्रेस के पल्ला झाड़ लेने के बाद दिग्विजय सिंह अपने बयान से पलट गये.

खबर आयी थी कि एक किताब के विमोचन के मौके पर दिग्विजय सिंह ने मुंबई हमले से कुछ ही देर पहले हेमंत करकरे से फोन पर बात होने का दावा किया था. दिग्विजय के मुताबिक हेमंत करकरे ने फोन पर बताया था कि मालेगांव विस्फोट केस की जांच के कारण उन्हें हिंदूवादी संगठनों से धमकी मिली थी.

दिग्विजय सिंह के बयान पर सबसे पहले हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे ने आपत्ति जताते हुए शहादत का मजाक उड़ाना...

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बयान के बाद बवाल मच गया है. हेमंत करकरे पर साध्वी प्रज्ञा के बयान पर हमलावर हो चुकी है, तो शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग इस बात की जांच कर रहा है कि आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है या नहीं. 26/11 के वक्त मुंबई ATS चीफ रहे हेमंत करकरे 2008 में आतंकवादियों हमले में शहीद हो गये थे.

हेमंत करकरे को विवादों में घसीटने वाली पहली राजनीतिक व्यक्ति साध्वी प्रज्ञा नहीं हैं - बल्कि भोपाल से उनके सामने चुनाव मैदान में उतरने जा रहे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह हैं. साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर बीजेपी के टिकट पर भोपाल से चुनाव लड़ने जा रही हैं.

तो क्या साध्वी प्रज्ञा ने हेमंत करकरे को लेकर यूं ही बयान दे दिया है?

चूंकि मालेगांव ब्लास्ट की जांच हेमंत करकरे ही कर रहे थे इसलिए साध्वी प्रज्ञा का गुस्सा स्वाभाविक लगता है, लेकिन ये ऊपरी बातें हैं. असल बात तो ये है कि हेमंत करकरे के बहाने दिग्विजय सिंह को घेरने की ये बीजेपी की रणनीति का हिस्सा लगता है - क्योंकि ये टॉपिक दिग्विजय सिंह की कमजोर कड़ी है.

क्या कहा था दिग्विजय सिंह ने?

दिसंबर, 2010 में हेमंत करकरे को लेकर दिग्विजय सिंह के भी एक बयान पर खूब बवाल मचा था. हेमंत करकरे से आखिरी बार फोन पर बात होने का जिक्र कर दिग्विजय सिंह बुरी तरह फंस गये. जिस तरह आज कांग्रेस साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ हमला बोल रही है, तब बीजेपी और शिवसेना दिग्विजय सिंह के साथ ऐसे ही पेश आ रहे थे. नौबत यहां तक आ गयी कि कांग्रेस के पल्ला झाड़ लेने के बाद दिग्विजय सिंह अपने बयान से पलट गये.

खबर आयी थी कि एक किताब के विमोचन के मौके पर दिग्विजय सिंह ने मुंबई हमले से कुछ ही देर पहले हेमंत करकरे से फोन पर बात होने का दावा किया था. दिग्विजय के मुताबिक हेमंत करकरे ने फोन पर बताया था कि मालेगांव विस्फोट केस की जांच के कारण उन्हें हिंदूवादी संगठनों से धमकी मिली थी.

दिग्विजय सिंह के बयान पर सबसे पहले हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे ने आपत्ति जताते हुए शहादत का मजाक उड़ाना बताया. कविता करकरे ने कहा था, 'ऐसे बयान लोगों को गुमराह करेंगे और इससे पाकिस्तान को फायदा होगा. सितंबर, 2014 कविता करकरे का ब्रेन हेमरेज के बाद मुंबई के अस्पताल में निधन हो गया था.

बीजेपी और शिवसेना के हमले और कांग्रेस नेतृत्व से सफाई की मांग पर पार्टी प्रवक्ता ने कह दिया, 'ये दोनों की आपसी बातचीत है. बेहतर होगा कि इस बारे में दिग्विजय सिंह ही प्रतिक्रिया दें.'

हेमंत करकरे पर हो चुकी है दिग्विजय की किरकिरी...

खुद को अकेले पाकर दिग्विजय सिंह अपने बयान से पलट गये - और बोले, 'मैं ऐसा कभी कहा ही नहीं कि हेमंत करकरे की मौत में हिंदू कट्टरपंथियों का हाथ है. अब तक मिले सबूतों के मुताबिक करकरे पाकिस्तानी आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए थे.'

महीने भर बाद जनवरी, 2011 में दिग्विजय सिंह ने हेमंत करकरे से हुई बातचीत का कॉल रिकॉर्ड पेश किया. बीएसएनएल के भोपाल ऑफिस से मिले कॉल रिकॉर्ड के ब्योरे को साथ दिग्विजय सिंह मीडिया से कहा, ‘जिन लोगों ने मुझे झूठा बताया और मेरी ईमानदारी, निष्ठा एवं विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़ा किया उन्हें अब माफी मांगनी चाहिए या खेद प्रकट करना चाहिए - क्योंकि मैने दस्तावेज पेश कर दिये हैं.'

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का बयान

भोपाल से बीजेपी की टिकट पर कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को चुनौती देने जा रही साध्वी प्रज्ञा का दावा है कि हेमंत करकरे को उनका दिया हुआ श्राप भलीभूत हो गया. साध्वी प्रज्ञा के मुताबिक करकरे को उन्होंने सर्वनाश का श्राप दिया था.

साध्वी प्रज्ञा ने भोपाल में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, 'मैं मुंबई जेल में थी उस समय... जांच जो बिठाई थी... सुरक्षा आयोग के सदस्य ने हेमंत करकरे को बुलाया और कहा कि जब सबूत नहीं है तुम्हारे पास तो साध्वीजी को छोड़ दो... सबूत नहीं है तो इनको रखना गलत है, गैरकानूनी है... वो व्यक्ति कहता है कि मैं कुछ भी करूंगा, मैं सबूत लेकर के आऊंगा. कुछ भी करूंगा, बनाऊंगा करूंगा, इधर से लाऊंगा, उधर से लाऊंगा लेकिन मैं साध्वी को नहीं छोडूंगा.'

दिग्विजय तो सिर्फ बहाना है, निशाने पर तो कांग्रेस है...

फिर साध्वी प्रज्ञा ने बताया, 'वो तमाम सारे प्रश्न करता था. ऐसा क्यों हुआ? वैसा क्यों हुआ? ये देशद्रोह था. ये धर्मविरुद्ध था. मैंने कहा मुझे क्या पता भगवान जाने... तो क्या ये सब जानने के लिए मुझे भगवान के पास जाना पड़ेगा. मैंने कहा बिल्कुल अगर आपको आवश्यकता है तो अवश्य जाइये. आपको विश्वास करने में थोड़ी तकलीफ होगी, देर लगेगी - लेकिन मैंने कहा तेरा सर्वनाश होगा.'

सिर्फ दिग्विजय सिंह नहीं, बीजेपी के निशाने पर कांग्रेस है

बीजेपी साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से टिकट देकर सिर्फ दिग्विजय सिंह को नहीं, बल्कि पूरे कांग्रेस को घेरा है ताकि 2018 के विधानसभा चुनाव की हार का कायदे से बदला लिया जा सके.

एक तो भोपाल बीजेपी का गढ़ रहा है, दूसरे मध्य प्रदेश प्रभार भी किसी बाहरी नेता को न देकर शिवराज सिंह चौहान को ही सौंपा गया है. खुद शिवराज सिंह चौहान भी यही चाहते थे. अब शिवराज सिंह चौहान के साथ साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी हद से ज्यादा सक्रिय हो गया है.

दिग्विजय को घेरने के खास मकसद से ही बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को उनके खिलाफ उतारने का फैसला किया. बीजेपी को मालूम है कि साध्वी प्रज्ञा के चुनाव लड़ने पर कांग्रेस उनके आंतकवादी गतिविधियों में शामिल होने का इल्जाम उछालेगी. वैसे भी प्रज्ञा ठाकुर केस से बरी नहीं हुई हैं बल्कि सिर्फ जमानत पर छूटी हैं.

ये दिग्विजय सिंह ही है जिन्होंने 'भगवा आतंकवाद' के आरोपों को हवा दी. हालांकि, इस मामले में तत्कालीन गृह सचिव आरके सिंह के नाम पर साध्वी प्रज्ञा कन्नी काट जाती हैं. जब बीबीसी ने ये सवाल पूछा कि मीडिया के सामने सैफ्रन टेरर बताने वाले आरके सिंह तो बीजेपी में ही हैं, साध्वी प्रज्ञा सवाल टालते हुए जानकारी नहीं होने की बात कहने लगीं.

बीजेपी एक रणनीति के तहत अपने खिलाफ कांग्रेस का हिडेन एजेंडा सामने लाने की कोशिश कर रही है. बीजेपी की कोशिश है कि वो लोगों को बताये कि किस तरह सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस से लेकर मालेगांव ब्लास्ट मामले तक कांग्रेस सरकार बीजेपी और उससे जुड़े संगठनों के नेताओं को टारगेट कर रही थी.

बीजेपी के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए साध्वी प्रज्ञा से बेहतर राजनीतिक हथियार कोई हो भी नहीं सकता. साध्वी प्रज्ञा के जरिये बीजेपी कांग्रेस के भगवा आतंकवाद के एजेंडे को भी काउंटर कर रही है और दिग्विजय सिंह को कठघरे में खड़ा करने के लिए हेमंत करकरे का नाम लिया गया था. जब काम हो गया तो साध्वी प्रज्ञा ने भी बयान से पलट जाने का फैसला किया. अब वो कह रही हैं कि चूंकि उनके बयान से दुश्मन मजबूत हो रहे हैं इसलिए बयान वापस ले रही हैं.

बीजेपी के कांग्रेस से बदला लेने में साध्वी प्रज्ञा कारगर तो हैं, लेकिन रिस्क भी है. भोपाल से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को काउंटर करने के लिए बीजेपी के पास साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से बेहतर कोई उम्मीदवार हो भी नहीं सकता था - बस एक ही बात का डर है, साध्वी प्रज्ञा का दुधारी तलवार की तरह प्रदर्शन कहीं बैकफायर न करने लगे?


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲