• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

कालेधन को लेकर फर्क मनमोहन और मोदी सरकार का

    • डा. दिलीप अग्निहोत्री
    • Updated: 18 जून, 2016 06:22 PM
  • 18 जून, 2016 06:22 PM
offline
मोदी सरकार ने पिछले दो वर्षों के दौरान छत्तीस हजार करोड़ रूपये की बचत की है जबकि मनमोहन सरकार के समय में यूपीए के कार्यकाल में औसतन प्रतिवर्ष इक्यावन अरब डॉलर की राशि गैर कानूनी ढंग से भारत के बाहर भेजी जा रही थी.

केन्द्र सरकार की सभी योजनाओं के देश पर दूरगामी परिणाम होंगे. यह सही हे कि इन सबके जमीन पर दिखाई देने में समय लग सकता है. फिर भी अनेक कदमों व सरकार की कार्यशैली ने असर दिखाना शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली ने सरकार के कार्यों में तेजी का संचार किया है, वहीं भ्रष्टाचार व घोटालों पर भी लगाम लगी है. जहां पिछली सरकार के प्रायः सभी कार्यों में भ्रष्टाचार की चर्चा होती थी, वहीं मोदी सरकार पर दो वर्षों में भ्रष्टाचार व घोटाले के आरोप नहीं लगे.

ऐसे में प्रधानमंत्री ने यह चुनावी वादा पूरा किया कि ना खाएंगे ना खाने देंगे. सरकार की कार्यशैली में बदलाव करने से छत्तीस हजार करोड़ रूपये की बचत हुई है. पहले यह रकम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती थी, अब सरकारी खजाने में जमा हो रही है. पांच सौ शहरों में एलईडी लगाकर दो हजार मेगावाट बिजली की बचत की गयी. इससे एक लाख करोड़ रुपयों की बचत होगी. गौरतलब है कि यह सभी बचत एक बार की नहीं है, वरन सरकार को प्रतिवर्ष इतनी बचत होगी. इसी प्रकार गैस सब्सिडी में भ्रष्टाचार रोककर पन्द्रह हजार करोड़ की बचत की गयी. सवा करोड़ लोगों ने प्रधानमंत्री के आह्वाहन पर गैस सब्सिडी छोड़ी है. इससे एक वर्ष में तीन करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन मिले.

यूपीए सरकार के दस वर्षों में काले धन की जड़े गहरी और विश्वव्यापी हुई थीं. अनेक कॉर्पोरेट घरानों के अलावा फिल्मी कलाकारों तक ने कालेधन पर सरकार की लापरवाही का खूब लाभ उठाया. विजय माल्या जैसे लोग उसी समय फले-फूले. भाजपा ने ठीक कहा कि विजय माल्या पर कांग्रेस उपाध्यक्ष जो सवाल वर्तमान सरकार से पूछ रहे हैं वह उन्हें अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से पूछना चाहिए. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री चिदंबरम दोनों बड़े अर्थशास्त्री माने जाते थे. वह जानते हैं कि विजय माल्या जैसे लोगों ने भारी कर्ज को किस प्रकार मौज-मस्ती और अवैध धन एकत्र करने का माध्यम बना लिया था.

विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस जब बन्द होने की कगार पर थी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री...

केन्द्र सरकार की सभी योजनाओं के देश पर दूरगामी परिणाम होंगे. यह सही हे कि इन सबके जमीन पर दिखाई देने में समय लग सकता है. फिर भी अनेक कदमों व सरकार की कार्यशैली ने असर दिखाना शुरू कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली ने सरकार के कार्यों में तेजी का संचार किया है, वहीं भ्रष्टाचार व घोटालों पर भी लगाम लगी है. जहां पिछली सरकार के प्रायः सभी कार्यों में भ्रष्टाचार की चर्चा होती थी, वहीं मोदी सरकार पर दो वर्षों में भ्रष्टाचार व घोटाले के आरोप नहीं लगे.

ऐसे में प्रधानमंत्री ने यह चुनावी वादा पूरा किया कि ना खाएंगे ना खाने देंगे. सरकार की कार्यशैली में बदलाव करने से छत्तीस हजार करोड़ रूपये की बचत हुई है. पहले यह रकम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती थी, अब सरकारी खजाने में जमा हो रही है. पांच सौ शहरों में एलईडी लगाकर दो हजार मेगावाट बिजली की बचत की गयी. इससे एक लाख करोड़ रुपयों की बचत होगी. गौरतलब है कि यह सभी बचत एक बार की नहीं है, वरन सरकार को प्रतिवर्ष इतनी बचत होगी. इसी प्रकार गैस सब्सिडी में भ्रष्टाचार रोककर पन्द्रह हजार करोड़ की बचत की गयी. सवा करोड़ लोगों ने प्रधानमंत्री के आह्वाहन पर गैस सब्सिडी छोड़ी है. इससे एक वर्ष में तीन करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन मिले.

यूपीए सरकार के दस वर्षों में काले धन की जड़े गहरी और विश्वव्यापी हुई थीं. अनेक कॉर्पोरेट घरानों के अलावा फिल्मी कलाकारों तक ने कालेधन पर सरकार की लापरवाही का खूब लाभ उठाया. विजय माल्या जैसे लोग उसी समय फले-फूले. भाजपा ने ठीक कहा कि विजय माल्या पर कांग्रेस उपाध्यक्ष जो सवाल वर्तमान सरकार से पूछ रहे हैं वह उन्हें अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से पूछना चाहिए. तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री चिदंबरम दोनों बड़े अर्थशास्त्री माने जाते थे. वह जानते हैं कि विजय माल्या जैसे लोगों ने भारी कर्ज को किस प्रकार मौज-मस्ती और अवैध धन एकत्र करने का माध्यम बना लिया था.

विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस जब बन्द होने की कगार पर थी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने निजी कंपनियों को सहायता देने की सलाह दी थी. सरकार के कहने के बाद बैंकों ने विजय माल्या को इक्तीस हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया था.

इतना ही नहीं अब ऐसे तथ्य प्रकाश में आ रहे हैं जिनसे अनुमान लगाया जा रहा है कि यूपीए सरकार के समय साढ़े चैंतीस लाख करोड़ से ज्यादा का कालाधन विदेश भेजा गया. सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कालेधन की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने राजस्व खुफिया निदेशालय को यूपीए काल में विदेश भेजे गए कालेधन की जांच का निर्देश दिया है. यह कोई राजनीतिक आरोप नहीं है.

ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी की रिर्पोट में इस बात का खुलासा किया गया था. इसके अनुसार यूपीए के कार्यकाल में औसतन प्रतिवर्ष इक्यावन अरब डॉलर की राशि गैर कानूनी ढंग से भारत के बाहर भेजी जा रही थी. इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा आयात-निर्यात सहित अन्य कारोबार की आड़ में भेजे गए. निर्यात करते समय वस्तुओं का मूल्य कम दिखाकर देश से पूरा भुगतान नहीं मंगाया जाता. इसी तरह आयात की कीमत ज्यादा दिखाकर विदेश में ज्यादा धन भेज दिया जाता है.

नरेन्द्र मोदी सरकार इसे रोकने की दिशा में प्रयास कर रही है. फिलहाल इस दिशा में मॉरीशस से दोहरे कराधान निवारण समझौते को संशोधित कर लिया गया है. 1983 का समझौता कालाधन रोकने में विफल था. यूपीए सरकार के समय मॉरीशस से भारी निवेश होने लगा था. एक समय तो यह कुल निवेश का चैबीस प्रतिशत जा पहुंचा था. इस पर मोदी सरकार ने संशोधन का फैसला लिया. अब मॉरीशस से आने वाले निवेश पर कैपिटल गेन लगेगा. इससे कालधन मॉरीशस भेजना और निवेश के नाम पर भारत लाना कठिन हो जाएगा. संशोधन का दबाव एक दशक से था लेकिन यूपीए सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था.

मनमोहन सरकार के समय में करीब साढ़े चौतीस लाख करोड़ से ज्यादा का कालाधन विदेश भेजा गया, जबकि मोदी सरकार ने दो वर्षो में छत्तीस हजार करोड़ की बचत की है

पिछले कई दशकों में कालाधन जमा करने के नए-नए रास्ते ईजाद किए गए. इसके पहले केवल स्विट्जरलैण्ड का ही नाम लिया जाता था. यह माना जाता था कि दुनिया भर के धनाड्य वहां अवैध धन जमा करते हैं. लेकिन पनामा, मॉरीशस, बहामास, ब्रिटिश, वर्जिन आईलैण्ड जैसी अनेक शरणस्थली बन चुकी है. यहां अवैध धन रखने वालों को कानूनी स्वामियों का लाभ मिलता है. जिससे अवैध धन जमा करने के बावजूद वह शिकंजे से बाहर रहते हैं. ऑफशोर कंपनी बनाकर चोरी करने और उसे यहां ठिकाने लगाने वालों की फेहरिस्त लेनी है. यूपीए सरकार में ऐसे लोगों का मनोबल बहुत बढ़ा.

पनामा घोटाले को अंजाम देने वाली लॉ फर्म मोसाक फोंसेका अपने उपभोक्ताओं के एवज में फर्जी कंपनियां बनाकर उन्हें चलाती रही. विदेशों में संपत्ति खरीदने व और वित्तीय सौदों को यह सुलभ बनाती रही. विभिन्न देशों के कानूनों में तालमेल ना होने का ऐसे लोग फायदा उठाते हैं. पनामा जैसे देशों के माध्यम से यूरोप, तक में प्रापर्टी खरीदने वालों में विश्व के बड़े-बड़े लोगों के नाम शामिल हैं.

इस प्रकार इतने देशों में कालाधन भेजा गया उसकी जांच में बेहद मुश्किल आ रही है. अलग-अलग कानून होने से भी सरकार कई बार लाचार हो जाती है. फिर भी नरेन्द्र मोदी सरकार दो स्तरों पर कार्य कर रही है. एक तो उसने कालेधन के निर्माण पर यथासंभव रोक लगाई है. दूसरा कालेधन को विदेश भेजना मुश्किल बनाया है. स्पेक्ट्रम, कोल ब्लॉक आवंटन में घोटाला रोककर मोदी सरकार ने उतनी रकम सरकारी खजाने में जमा करा दी जितनी यूपीए सरकार के समय घोटालों की भेंट चढ़ गयी थी.

यूपीए के कार्यकाल में घोटालों का स्वरूप संस्थागत बन गया था. नरेन्द्र मोदी ने इसे समाप्त करने में सफलता प्राप्त की है. यूपीए सरकार की उन नीतियों को बदला गया जिनमें घोटालों की पूरी गुंजाइश होती थी.

कालेधन के मुद्दे पर कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों का कुछ भी बोलना हास्यास्पद है. किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि कालेधन पर बोलने से उन्हें ईमानदार मान लिया जाएगा. दूसरी बात यह कि इस मुद्दे पर मोदी की ईमानदारी, इच्छाशक्ति और नीयत पर विश्वास किया जा सकता है. जिस प्रकार संघीय शासन के स्तर पर उन्होंने घोटाले रोकने में सफलता प्राप्त की है, उसी तरह भविष्य में विदेशों से काला धन वापस लाने का उनका प्रयास भी सफल हो सकता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲