• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

दो प्रधानमंत्रियों का निधन, लेकिन दोनों की 'विदाई' में इतनी फर्क क्‍यों ?

    • अमित अरोड़ा
    • Updated: 31 अगस्त, 2018 12:49 PM
  • 30 अगस्त, 2018 10:17 PM
offline
अटल बिहारी वाजपेयी और नरसिम्हा राव दोनों भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं. दोनों के निधन के समय उनकी अपनी पार्टी की ही केंद्र में सरकार थी. लेकिन दोनों की अंतिम विदाई में बड़ा फर्क था.

16 अगस्त 2018 को भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दहांत हो गया. वाजपेयी जी ने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आखरी साँसे लीं, जहाँ से उनके पार्थिव शरीर को उनके आधिकारिक निवास स्थान, 6 A कृष्णा मेनन मार्ग पर लाया गया. रात में वाजपेयी जी के पार्थिव शरीर को लोगों के दर्शन के लिए उनके आधिकारिक निवास स्थान पर रखा गया.

अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं, वाजपेयी जी से जुड़े लोगों, आम नागरिकों ने अपने चहेते नेता को यहाँ श्रद्धांजलि दी. अगले दिन वाजपेयी जी के पार्थिव शरीर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ भाजपा मुख्यालय लाया गया. अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए वाजपेयी जी के पार्थिव शरीर को भाजपा मुख्यालय, दीन द्याल उपाध्याय मार्ग से राष्ट्रीय स्मृति स्थल लाया गया. उनकी इस अंतिम यात्रा में हज़ारों की भीड़ उमड़ी. जिस वाहन में उनका शरीर ले जाया जा रहा था उसके पीछे-पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय सरकार के मंत्रीगण पैदल चल रहे थे.

भारतीय इतिहास में शायद ही पहले कभी केंद्र और राज्य सरकार के इतने शीर्ष नेताओं ने पैदल चलकर किसी पूर्व प्रधानमंत्री को सम्मान दिया होगा. उनका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान और राजकीय सम्मान से किया गया. देश, विदेश के गणमान्य लोगों ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर उपस्थित रहकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

अटल बिहारी वाजपेयी की शव यात्रा में 6 किलोमीटर पैदल चले प्रधानमंत्री मोदी

इस शव यात्रा को देखकर एक और पूर्व प्रधानमंत्री की अंतिम यात्रा की याद आती है. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का निधन भी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुआ था. नरसिम्हा राव जी के पार्थिव शरीर को...

16 अगस्त 2018 को भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का दहांत हो गया. वाजपेयी जी ने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आखरी साँसे लीं, जहाँ से उनके पार्थिव शरीर को उनके आधिकारिक निवास स्थान, 6 A कृष्णा मेनन मार्ग पर लाया गया. रात में वाजपेयी जी के पार्थिव शरीर को लोगों के दर्शन के लिए उनके आधिकारिक निवास स्थान पर रखा गया.

अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं, वाजपेयी जी से जुड़े लोगों, आम नागरिकों ने अपने चहेते नेता को यहाँ श्रद्धांजलि दी. अगले दिन वाजपेयी जी के पार्थिव शरीर को पूरे राजकीय सम्मान के साथ भाजपा मुख्यालय लाया गया. अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए वाजपेयी जी के पार्थिव शरीर को भाजपा मुख्यालय, दीन द्याल उपाध्याय मार्ग से राष्ट्रीय स्मृति स्थल लाया गया. उनकी इस अंतिम यात्रा में हज़ारों की भीड़ उमड़ी. जिस वाहन में उनका शरीर ले जाया जा रहा था उसके पीछे-पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय सरकार के मंत्रीगण पैदल चल रहे थे.

भारतीय इतिहास में शायद ही पहले कभी केंद्र और राज्य सरकार के इतने शीर्ष नेताओं ने पैदल चलकर किसी पूर्व प्रधानमंत्री को सम्मान दिया होगा. उनका अंतिम संस्कार पूरे विधि विधान और राजकीय सम्मान से किया गया. देश, विदेश के गणमान्य लोगों ने राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर उपस्थित रहकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

अटल बिहारी वाजपेयी की शव यात्रा में 6 किलोमीटर पैदल चले प्रधानमंत्री मोदी

इस शव यात्रा को देखकर एक और पूर्व प्रधानमंत्री की अंतिम यात्रा की याद आती है. भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का निधन भी दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुआ था. नरसिम्हा राव जी के पार्थिव शरीर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से उनके आधिकारिक निवास स्थान 9 मोतीलाल नेहरू मार्ग पर लाया गया था. नरसिम्हा राव का निधन 23 दिसंबर 2004 को सुबह करीब 11 बजे हुआ था. उस समय मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे. नरसिम्हा राव को भी उनके निवास स्थान पर देश के राजनेताओं ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

विजय सितापति ने राव पर किताब लिखी है 'Half-Lion: How P.V. Narasimha Rao Transformed India'. इस किताब के अलावा कुछ नेताओं के बयानों में राव के निधन के तत्‍काल बाद हुई विचार-विमर्श और तर्क-वितर्क का जिक्र है. राव साहब का परिवार चाहता था कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में ही किया जाए और उनकी याद में एक स्मारक का निर्माण हो. 23 दिसंबर 2004 की शाम से रात तक जो भी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नरसिम्हा राव को श्रद्धांजलि अर्पित करने आए उन सबसे ही राव साहब के परिवार ने यही निवेदन किया. कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आज़ाद, गृहमंत्री शिवराज पाटिल, उस समय के आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी सभी ने नरसिम्हा राव के परिवार से पार्थिव शरीर को हैदराबाद ले जाकर, वहां अंतिम संस्कार करने का आग्रह किया. जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी के साथ वहां पहुंचे तो मनमोहन सिंह ने परिवार से अंतिम संस्कार के बारे में उनकी इच्छा पूछी. राव साहब के परिवार ने मनमोहन सिंह से निवेदन किया कि मंत्रिमंडल के सदस्य उनपर हैदराबाद में जाकर अंतिम संस्कार करने का दबाव डाल रहे हैं. परिवार ने पुनः प्रधानमंत्री से दिल्ली में कार्यक्रम रखने की इच्छा व्यक्त की, जिसका मनमोहन ने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया.   

सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी लगातार परिवार से पार्थिव शरीर को हैदराबाद ले जाने का आग्रह करते रहे. राव साहब के परिवार के सदस्य रात 9:30 को प्रधानमंत्री निवास जाकर मनमोहन सिंह से मिलते हैं और अपने निवेदन को दोहराते हैं. राव साहब के परिवार को यह अहसास हो जाता है कि उन्हें दिल्ली में अंतिम संस्कार की अनुमति नहीं मिलेगी. वह प्रधानमंत्री सिंह से कम से कम एक स्मारक बनवाने का आग्रह करते हैं. राव साहब के परिवार की स्मारक की मांग को मनमोहन सिंह उस मुलाकात में स्वीकार कर लेते हैं.

पी वी नरसिम्हा रावको श्रद्धांजलि अर्पित करतीं सोनिया गांधी 

अगले दिन 24 दिसंबर को नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर को विभिन्न राजनीतिक दल के नेता 9 मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित निवास पर श्रद्धांजलि देते हैं. 9 मोतीलाल नेहरू मार्ग से हैदराबाद ले जाने के लिए पार्थिव शरीर को तिरंगे से सुशोभित किया जाता है. फूलों से सजे सेना के वाहन में यह यात्रा आरंभ होती है. 9 मोतीलाल नेहरू मार्ग से शुरू होकर यह यात्रा कांग्रेस के मुख्यालय 24 अकबर रोड पर पहुंचती है, परंतु कांग्रेस मुख्यालय के द्वार बंद पाए जाते हैं. नरसिम्हा राव परिवार के सदस्य पार्थिव शरीर को मुख्यालय के अंदर ले जाने का निवेदन करते हैं पर उनकी प्रार्थना कोई नहीं सुनता. कांग्रेस की परंपरा है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्षों के पार्थिव शरीर पार्टी मुख्यालय के अंदर रखे जाते हैं. ऐसा इसलिए ताकि आम पार्टी कार्यकर्ता पार्थिव शरीर को अपनी श्रद्धांजलि दे सकें. इस परंपरा को 24 दिसंबर 2004 को दरकिनार कर दिया गया. नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर के लिए कांग्रेस मुख्यालय के लिए दरवाजे बंद थे.

नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर का दिल्ली में अंतिम संस्कार नहीं हुआ और मनमोहन सिंह के वादे के बावजूद उनका कोई स्मारक दिल्ली में नहीं बना. यह घटना साफ दर्शाती है कि उस समय की कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी नहीं चाहती थीं कि नरसिम्हा राव की देश की राजधानी में कोई यादगार बने. यदि नरसिम्हा राव का स्मारक दिल्ली में बन जाता तो गांधी परिवार से बाहर के एक कांग्रेसी नेता को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल जाती.

अटल बिहारी वाजपेयी और नरसिम्हा राव दोनों भारत के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं. दोनों के निधन के समय उनकी अपनी पार्टी की ही केंद्र में सरकार थी. एक तरफ भाजपा के नेता वाजपेयी के लिए उनकी शव यात्रा में 6 किलोमीटर पैदल चलते हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस के नेता नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर को पार्टी मुख्यालय में घुसने ही नहीं देते. नरसिम्हा राव का परिवार स्मारक की मांग करता रह जाता है पर कांग्रेस नेतृत्व पर जूं नहीं रेंगती. भाजपा जहां अपने नेता का सम्मान करने से नहीं थकती तो दूसरी ओर कांग्रेस परिवारवाद के चलते गैर गांधी नेताओं को सम्मान देना नहीं चाहती है. जब तक कांग्रेस अपने इस गांधी प्रेम को नहीं छोड़ेगी तब तक ऐसी तुलना होती रहेंगी.

ये भी पढ़ें-

राहुल गांधी के लिए भी वाजपेयी से सीखने के लिए बहुत कुछ है

क्यों मनमोहन सरकार की डबल डिजिट ग्रोथ भी छोटी है मोदी के सामने

पाकिस्तान को 'भीख' न मांगनी पड़े, इसके लिए ये 5 काम करेंगे इमरान


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲