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Lawyers vs Police: इस मुकाबले का कोई अंपायर नहीं!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 04 नवम्बर, 2019 10:55 PM
  • 04 नवम्बर, 2019 10:55 PM
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दिल्ली में ड्यूटी पर तैनात पुलिस वाले को वकीलों द्वारा मारे जाने के बाद भले ही एक वर्ग पुलिस के समर्थन में आ गया हो मगर लोगों को याद रखना चाहिए कि पुलिस और वकील संविधान रुपी सिक्के के दो पहलू हैं जो आज नहीं तो कल दोबारा एक हो जाएंगे.

दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प और आगजनी से मचा हडकंप अभी शांत नहीं हुआ है. इस घटना के बाद अब दिल्ली की ही साकेत कोर्ट का एक विडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ है. वायरल हुए इस विडियो में एक ऑन ड्यूटी पुलिस वाले को कोर्ट परिसर में ही पुलिस वालों द्वारा न सिर्फ लानत मलामत का सामना करना पड़ा बल्कि उसके साथ मारपीट भी हुई. बात बस इतनी भर है और पुलिस की रक्षा के लिए मॉरल पुलिसिंग की शुरुआत हो गई है. मामला प्रकाश में आने के बाद समाज का वो वर्ग जो सोशल मीडिया पर सक्रिय है और चीन-पाकिस्तान, इजराइल-अमरीका, तेल की कीमतों से लेकर डॉलर तक किसी भी मुद्दे पर प्रतिक्रिया देता है, ने मामले पर अपना अपना पक्ष लेने की शुरुआत कर दी है. एक वर्ग पुलिस के साथ है. जबकि दूसरा वकीलों के पक्ष में है. जो पुलिस के पक्ष में हैं उनके तर्क अलग हैं. वहीं जो वकीलों के साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़े हैं वो अलग तरह का राग अलाप रहे हैं. सिर्फ दिल्ली ही क्यों कानपुर, ग्वालियर तक में वकील सड़कों पर हैं और बातों का दौर जारी है.

दिल्ली के साकेत कोर्ट में जैसे वकीलों ने पुलिस के साथ मारपीट की एक वर्ग पुलिस के समर्थन में आ गया है

कुछ और बात करने से पहले बात दिल्ली की साकेत कोर्ट में हुई घटना पर. बीते दिन जो दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हुआ उसके खिलाफ दिल्ली की सभी जिला अदालतों के वकील हड़ताल पर थे. वकील इस हड़ताल के प्रति कितने गंभीर थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है दिल्ली हाई कोर्ट में भी वकील जज के सामने पेश नहीं हुए. अपने साथ हुई ज्यादती की बात कहकर प्रदर्शन करने वाले वकीलों ने आम लोगों को रोककर ट्रैफिक जाम किया और पत्रकारों, आम लोगों और पुलिस के साथ मारपीट की.

दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प और आगजनी से मचा हडकंप अभी शांत नहीं हुआ है. इस घटना के बाद अब दिल्ली की ही साकेत कोर्ट का एक विडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ है. वायरल हुए इस विडियो में एक ऑन ड्यूटी पुलिस वाले को कोर्ट परिसर में ही पुलिस वालों द्वारा न सिर्फ लानत मलामत का सामना करना पड़ा बल्कि उसके साथ मारपीट भी हुई. बात बस इतनी भर है और पुलिस की रक्षा के लिए मॉरल पुलिसिंग की शुरुआत हो गई है. मामला प्रकाश में आने के बाद समाज का वो वर्ग जो सोशल मीडिया पर सक्रिय है और चीन-पाकिस्तान, इजराइल-अमरीका, तेल की कीमतों से लेकर डॉलर तक किसी भी मुद्दे पर प्रतिक्रिया देता है, ने मामले पर अपना अपना पक्ष लेने की शुरुआत कर दी है. एक वर्ग पुलिस के साथ है. जबकि दूसरा वकीलों के पक्ष में है. जो पुलिस के पक्ष में हैं उनके तर्क अलग हैं. वहीं जो वकीलों के साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़े हैं वो अलग तरह का राग अलाप रहे हैं. सिर्फ दिल्ली ही क्यों कानपुर, ग्वालियर तक में वकील सड़कों पर हैं और बातों का दौर जारी है.

दिल्ली के साकेत कोर्ट में जैसे वकीलों ने पुलिस के साथ मारपीट की एक वर्ग पुलिस के समर्थन में आ गया है

कुछ और बात करने से पहले बात दिल्ली की साकेत कोर्ट में हुई घटना पर. बीते दिन जो दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में हुआ उसके खिलाफ दिल्ली की सभी जिला अदालतों के वकील हड़ताल पर थे. वकील इस हड़ताल के प्रति कितने गंभीर थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है दिल्ली हाई कोर्ट में भी वकील जज के सामने पेश नहीं हुए. अपने साथ हुई ज्यादती की बात कहकर प्रदर्शन करने वाले वकीलों ने आम लोगों को रोककर ट्रैफिक जाम किया और पत्रकारों, आम लोगों और पुलिस के साथ मारपीट की.

बात साकेत कोर्ट की चल रही है तो बता दें कि साकेत कोर्ट के पास वकीलों ने एक दिल्ली पुलिस के जवान की पिटाई कर दी. बाइक सवार दिल्ली पुलिस के जवान को वकीलों ने घेर लिया और थप्पड़ जड़ने लगे. जब जवान वहां से भागने लगा तो वकीलों ने उस पर हेलमेट चलाकर मारा. हालांकि हेलमेट उसके बाइक पर लगा. पीड़ित पुलिसवाले ने साकेत थाने में शिकायत दर्ज कराई है. बताया जा रहा है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती है.

साकेत कोर्ट के बाहर जो सुलूक वकीलों ने पुलिस वालों के साथ किया उसके बाद जो लोग पुलिस के साथ हैं. उनका कहना है कि जो लोग अपने को कानून का रखवाला समझते हैं यदि वही ऐसा करें तो स्थिति काफी गंभीर है. लोगों ने मांग की है कि इस तरह के बर्ताव के लिए साकेत कोर्ट के बाहर पुलिस पर हमला करने वाले वकीलों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.

वकीलों की बर्बरता देखकर आहत लोग लगातार पुलिस को संतावना दे रहे हैं. वकीलों के खिलाफ आम से लेकर खास तक सबकी आवाज बुलंद है.

मामले को एक बड़ा मुद्दा बनाकर, कहने को तो हम तमाम बातें कह सकते हैं. बात अगर पुलिस के पक्ष में लेख वगैरह लिखने की आए तो उसे भी लिखा जा सकता है. मगर जब हम दोनों पक्षों और उनकी कार्यप्रणाली पर गौर करें तो मिलता है कि यदि देश का संविधान कोई सिक्का है. तो पुलिस और वकील उस सिक्के के दो अलग पहलू हैं. जिन्हें अपना झगड़ा सुलझाने के लिए किसी भी पक्ष की जरूरत नहीं है.

दोनों ही पक्षों के बीच जैसे रिश्ते हैं खुद कल्पना करिए कि इस लड़ाई के बाद यदि पुलिस मामला दर्ज करती है तो अंत में उसे अदालत ही जाना है. इसी तरह अगर वकीलों को एफआईआर दर्ज करनी है तो उन्हें थाने आना होगा. इसलिए दोनों के मामले में मीडिया समेत किसी को नहीं पड़ना चाहिए और इन्हें इनके हाल पर छोड़ देना चाहिए.

अदालत में दोनों को साथ में काम करना है. यदि दोनों साथ न हों या फिर अलग अलग ढर्रे पर काम करे तो वो जो व्यक्ति जिसने न्याय की आस में न्यायालय का रुख किया है उसे कभी भी न्याय नहीं मिल सकता.

मामले में दोनों ही पक्षों का पक्ष लेते हुए जिराह कर रहे लोगों को हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि अभी दोनों के रिश्तों में तनाव और गर्मी है. जैसे जैसे दिन बीतेंगे और स्थिति संभलेगी दोनों के रिश्ते वापस पटरी पर आ जाएंगे और दोनों फिर कंधे से कंधा मिलाकर साथ काम करेंगे.

अच्छा चूंकि साकेत कोर्ट का मामला पुलिस के साथ हुई मारपीट से जुड़ा है तो अगर हम दिल्ली पुलिस के ट्विटर पेज पर नजर डालें तो इस मामले पर एक भी ट्वीट न करते हुए दिल्ली पुलिस ने बता दिया है कि पुलिस और वकील का रिश्ता घर का रिश्ता है और घर के रिश्ते लंबे नहीं चलते और कुछ ही दिनों में कॉम्प्रोमाइज हो जाता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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