• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Delhi election: मनोज तिवारी के बदले प्रवेश वर्मा का नाम अमित शाह बार बार क्यों ले रहे?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 28 मार्च, 2020 05:23 PM
  • 27 दिसम्बर, 2019 08:33 PM
offline
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से बीजेपी की ओर से बहस के लिए सांसद प्रवेश वर्मा (Parvesh Verma) का नाम आगे बढ़ा कर अमित शाह ने पार्टी में बेचैनी बढ़ा दी है. क्या ये मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) के लिए खतरे की घंटी है या इरादे कुछ और हैं?

मनोज तिवारी की तरह प्रवेश वर्मा (Amit Shah prefers Parvesh Verma over Manoj Tiwari) भी दिल्ली के सात सांसदों में से एक हैं. मनोज तिवारी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं. लिहाजा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पर हमेशा हमलावर रहते आये हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने बीजेपी ने सीएम पद (Delhi CM candidate) के लिए इस बार अब तक कोई चेहरा पेश नहीं किया है. 2015 में किरण बेदी को बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उतारा था. जैसे ही किरण बेदी को बीजेपी में आगे किया गया, मनोज तिवारी बोले - हमें दारोगा नहीं चाहिये, हमें नेता की जरूरत है. बाद में मनोज तिवारी को समझाना पड़ा कि उनके शब्द और इरादे में फर्क था. वैसे मनोज तिवारी ने जो बात कही थी वो दिल्ली बीजेपी के ज्यादातर नेताओं के मन की बात ही थी. किरण बेदी जैसा तो नहीं, लेकिन मनोज तिवारी को भी दिल्ली बीजेपी के काफी नेता पसंद नहीं करते. मनोज तिवारी के प्रति नेताओं की नाराजगी तब देखने को मिली जब हरियाणवी सिंगर सपना चौधरी के बीजेपी ज्वाइन करने की बात चली. बहरहाल, जुलाई में सपना चौधरी ने बीजेपी ज्वाइन भी कर लिया.

दिल्ली में जोर पकड़ते चुनावी माहौल (Delhi Election 2020) के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अरविंद केजरीवाल को बहस की चुनौती दी है - गौर करने वाली बात ये है कि केजरीवाल से बहस के लिए शाह ने मनोज तिवारी की जगह प्रवेश वर्मा का नाम आगे किया है. तभी से ये सवाल उठने लगा है कि प्रवेश वर्मा का नाम इस तरह लिया जाना क्या मनोज तिवारी के लिए खतरे की कोई घंटी है या बीजेपी नेतृत्व के चुनावी रणनीति का हिस्सा?

मनोज तिवारी संदेश को कैसे समझें?

अमित शाह के बहस की चुनौती देने पर आम आदमी पार्टी का रिएक्शन भी आ गया है. मनीष सिसोदिया का सवाल है - 'पहले वो बता तो दें वो प्रवेश वर्मा जी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना रहे हैं या मनोज तिवारी जी को बना रहे हैं? पहले तय तो कर लें. 'अमित शाह ने पहली बार 17 दिसंबर को दिल्ली के...

मनोज तिवारी की तरह प्रवेश वर्मा (Amit Shah prefers Parvesh Verma over Manoj Tiwari) भी दिल्ली के सात सांसदों में से एक हैं. मनोज तिवारी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं. लिहाजा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पर हमेशा हमलावर रहते आये हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने बीजेपी ने सीएम पद (Delhi CM candidate) के लिए इस बार अब तक कोई चेहरा पेश नहीं किया है. 2015 में किरण बेदी को बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उतारा था. जैसे ही किरण बेदी को बीजेपी में आगे किया गया, मनोज तिवारी बोले - हमें दारोगा नहीं चाहिये, हमें नेता की जरूरत है. बाद में मनोज तिवारी को समझाना पड़ा कि उनके शब्द और इरादे में फर्क था. वैसे मनोज तिवारी ने जो बात कही थी वो दिल्ली बीजेपी के ज्यादातर नेताओं के मन की बात ही थी. किरण बेदी जैसा तो नहीं, लेकिन मनोज तिवारी को भी दिल्ली बीजेपी के काफी नेता पसंद नहीं करते. मनोज तिवारी के प्रति नेताओं की नाराजगी तब देखने को मिली जब हरियाणवी सिंगर सपना चौधरी के बीजेपी ज्वाइन करने की बात चली. बहरहाल, जुलाई में सपना चौधरी ने बीजेपी ज्वाइन भी कर लिया.

दिल्ली में जोर पकड़ते चुनावी माहौल (Delhi Election 2020) के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अरविंद केजरीवाल को बहस की चुनौती दी है - गौर करने वाली बात ये है कि केजरीवाल से बहस के लिए शाह ने मनोज तिवारी की जगह प्रवेश वर्मा का नाम आगे किया है. तभी से ये सवाल उठने लगा है कि प्रवेश वर्मा का नाम इस तरह लिया जाना क्या मनोज तिवारी के लिए खतरे की कोई घंटी है या बीजेपी नेतृत्व के चुनावी रणनीति का हिस्सा?

मनोज तिवारी संदेश को कैसे समझें?

अमित शाह के बहस की चुनौती देने पर आम आदमी पार्टी का रिएक्शन भी आ गया है. मनीष सिसोदिया का सवाल है - 'पहले वो बता तो दें वो प्रवेश वर्मा जी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना रहे हैं या मनोज तिवारी जी को बना रहे हैं? पहले तय तो कर लें. 'अमित शाह ने पहली बार 17 दिसंबर को दिल्ली के द्वारका में एक कार्यक्रम के दौरान अरविंद केजरीवाल से बहस के लिए प्रवेश वर्मा का नाम आगे बढ़ाया था. तब माना गया कि चूंकि प्रवेश वर्मा इलाके के सांसद हैं इसलिए उनका नाम लेकर शाह ने केजरीवाल को निशाना बनाया होगा.

फिर 26 दिसंबर को भी ऐसा ही हुआ और वो भी तब जब मंच पर मनोज तिवारी और गौतम गंभीर मौजूद थे. ध्यान देने वाली बात ये भी रही कि वो इलाका भी प्रवेश वर्मा का नहीं था, बल्कि गौतम गंभीर का रहा और पास में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी खामोशी से सुन रहे थे.

पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा में ईस्ट दिल्ली हब का शिलान्यास करने पहुंचे अमित शाह बोले, 'पांच साल का लेखा जोखा लेकर मैं उनको कहना चाहता हूं कि दिल्ली का कोई भी सार्वजनिक स्थान तय कर लो... भारतीय जनता पार्टी का सांसद प्रवेश वर्मा आपके साथ चर्चा करने के लिए उपलब्ध हो जाएगा. भारत सरकार ने क्या किया दिल्ली सरकार ने क्या किया?'

क्या केजरीवाल से बहस के लिए दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष की मौजूदगी में प्रवेश वर्मा का नाम आगे किया जाना मनोज तिवारी के लिए खतरे की कोई घंटी है?

अमित शाह की रणनीति अरविंद केजरीवाल के खिलाफ है या मनोज तिवारी के?

आम चुनाव के कुछ ही दिन बाद मीडिया में खबरें आयी थीं कि RSS के कुछ पदाधिकारी भी मनोज तिवारी के कामकाज से खफा हैं. आम चुनाव तो नहीं, लेकिन MCD चुनावों के लिए जब उम्मीदवारों की सूची तैयार की जा रही थी तब भी कुछ वाकये ऐसे हुए थे जो पार्टी आलाकमान को भी नागवार गुजरी थी. फिर भी लोगों के बीच भोजपुरी सिंगर और एक्टर के तौर पर लोकप्रियता मनोज तिवारी का बचाव करती आयी है.

जिन दिनों सपना चौधरी को लेकर मनोज तिवारी पार्टी में ही अपने विरोधियों के निशाने पर रहे, एक नेता की टिप्पणी रही - 'आप एक ऑर्केस्ट्रा की तरह एक पार्टी नहीं चला सकते हैं - और न ही आप गाना गाकर चुनाव जीत सकते हैं.'

क्या अमित शाह के मन में भी मनोज तिवारी को लेकर ऐसी कोई धारणा हो सकती है?

सितंबर में मनोज तिवारी दिल्ली बचाओ परिवर्तन यात्रा पर निकले थे और तब दो नारे लगाये जा रहे थे. एक था - 'देश में मोदी दिल्ली में भाजपा तभी बनेगी बात, दिल्ली चलेगा मोदी के साथ' और दूसरा, 'बेसुरों को हटाना है, सुर वालों को लाना है!'

पहले वाले नारे का मतलब तो साफ था, लेकिन दूसरा स्लोगन एक तरीके से मनोज तिवारी का अपने विरोधियों पर सीधा हमला रहा. अब जबकि दिल्ली विधानसभा चुनाव के मुहाने पर जा खड़ी हुई है, जो कुछ भी मनोज तिवारी के खिलाफ जाता है - कहीं से भी अच्छा नहीं है.

खबर ये भी है कि दिल्ली के ज्यादातर सांसदों को चुनावी टास्क दे दिये गये हैं. मसलन - दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी पूर्वांचल से जुड़े लोगों पर फोकस करेंगे. वैसे भी मनोज तिवारी को दिल्ली लाने और प्रदेश की कमान सौंपे जाने की यही एकमात्र वजह भी रही. इसी तरह प्रवेश वर्मा को ओबीसी तबके से जुड़े मामले और हंसराज हंस को अनुसूचित जाति से जुड़े मसले देखने को कहा गया है. युवाओं से जुड़ी समस्याओं पर गौतम गंभीर को काम करना है जबकि महिलाओं के मुद्दे मीनाक्षी लेखी देखेंगी और कारोबारियों और पार्टी के बीच विजय गोयल सेतु बनने की कोशिश करेंगे.

क्या मनोज तिवारी पर प्रवेश वर्मा बीस पड़ेंगे?

प्रवेश वर्मा और मनोज तिवारी दोनों ही दिल्ली से दोबारा सांसद बने हैं. मनोज तिवारी की भोजपुरी बोलने वाले पूर्वांचली लोगों के बीच पैठ ही असली ताकत है. प्रवेश वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं और हरियाणा से सटे दिल्ली के इलाकों में रहने वाले जाट समुदाय में उनकी खासी पैठ मानी जाती है.

प्रवेश वर्मा 2009 में पश्चिम दिल्ली लोक सभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन तब जनकपुरी के विधायक जगदीश मुखी को टिकट दे दिया गया. जगदीश मुखी कांग्रेस के महाबल मिश्रा से चुनाव हार गये. बड़ी बात ये नहीं, बल्कि मार्च 2013 में आयोजित एक पंचायत में प्रवेश वर्मा को टिकट न दिये जाने के बीजेपी के फैसले की हुई आलोचना रही.

प्रवेश वर्मा दिल्ली में रिकॉर्ड वोटों के साथ जीतते आ रहे हैं. 2019 भी वो दिल्ली में सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीतने वाले बीजेपी के उम्मीदवार रहे. प्रवेश वर्मा ने पश्चिम दिल्ली सीट से कांग्रेस के महाबल मिश्रा को 5,78,586 वोटों के अंतर से हराया था, जबकि उत्तर-पश्चिम दिल्ली में मनोज तिवारी और शीला दीक्षित के बीच हार का अंतर 3,66,102 वोट रहा. वोट शेयर के मामले में भी प्रवेश वर्मा 40.13 फीसदी पाकर मनोज तिवारी के 25.05 फीसदी पर भारी पड़े थे.

अमित शाह के बार बार प्रवेश वर्मा का नाम लेने से बार बार एक ही सवाल उठता है - क्या दिल्ली में बीजेपी नेतृत्व लड़ाई को केजरीवाल बनाम प्रवेश वर्मा बनाने की कोशिश कर रहा है? किसी को भी मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं बनाने की सूरत में केजरीवाल के सामने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही दिखाई पड़ रहे हैं. फिर भी अगर दांव उलटा पड़ गया तो ठीकरा फोड़ने के लिए कोई सिर तो चाहिये ही - तो क्या प्रवेश वर्मा सिर्फ तोहमत कबूल करने के लिए आगे किये जा रहे हैं? अगर ऐसा है तो मनोज तिवारी में ऐसे गुण की क्या कमी देखी गयी है?

इन्हें भी पढ़ें :

दिल्ली चुनाव में BJP धमाकेदार पैकेज के साथ केजरीवाल को घेरने वाली है

'बाहरी' वाली राजनीति के लिये केजरीवाल को पहले बाल ठाकरे बनना होगा



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲