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सिसोदिया अच्छे भले शिक्षा विभाग चला रहे थे, उन्हें शराब का काम दिया ही क्यों केजरीवाल ने?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 27 फरवरी, 2023 07:06 PM
  • 27 फरवरी, 2023 07:06 PM
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शराब नीति में कथित घोटाले के आरोप में सीबीआई ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया है. सिसोदिया की गिरफ्तारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चाल चरित्र और चेहरे को बेनकाब करती नजर आ रही है. सिसोदिया पढ़ाई लिखाई वाले आदमी थे. उनके हाथ में शराब थमाकर सबसे बड़ी गलती खुद अरविंद केजरीवाल ने की थी.

आखिरकार वो हुआ जो नियति से ज्यादा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंजूर था. सीबीआई ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया. सिसोदिया पर शराब नीति में कथित घोटाले के आरोप थे. बताया जा रहा है कि सिसोदिया पर लगे आरोपों पर सीबीआई ने करीब 6 महीने जांच की इस दौरान सीबीआई ने सबूत जुटाने के उद्देश्य से सिसोदिया के अलग अलग ठिकानों पर छापेमारी भी की. ध्यान रहे सिसोदिया से जुड़ा ये मामला 17 अगस्त 2022 का है जब सीबीआई ने नयी आबकारी नीति में धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी के आरोप में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री समेत 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

माना जा रहा है कि सतेंद्र जैन के बाद जिस तरह सीबीआई ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को अपने शिकंजे में लिया वो आम आदमी पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल को मुसीबत में डालेगा. सिसोदिया की गिरफ़्तारी केजरीवाल और उनकी सियासत को कितना प्रभावित करेगी इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन तमाम सवाल हैं जो सिसोदिया कीगिरफ़्तारी के बाद खड़े हो रहे हैं. 

सोचने वाली बात ये है कि आखिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हुआ क्या था? आखिर कैसे कोई उस इंसान को शराब का विभाग सौंप सकता है जिसकी जिम्मेदारी दिल्ली के नौनिहालों को शिक्षित करना और उनका सर्वांगीण विकास करना था. 

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी केजरीवाल को चिंता में डालने के लिए काफी है

 

घोटाला/रिश्वतखोरी या बाकी किस्म की धांधली सब अपनी जगह है लेकिन जो व्यक्ति अपनी दक्षता और कुशलता से शिक्षा विभाग चला रहा था जिसका डंका सिर्फ देश और भाजपा के नेताओं के बीच नहीं बल्कि विदेशों तक में बज रहा था उसे आबकारी विभाग अगर सौंपा गया तो कहना गलत नहीं है कि केजरीवाल कुछ भी हों...

आखिरकार वो हुआ जो नियति से ज्यादा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंजूर था. सीबीआई ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया. सिसोदिया पर शराब नीति में कथित घोटाले के आरोप थे. बताया जा रहा है कि सिसोदिया पर लगे आरोपों पर सीबीआई ने करीब 6 महीने जांच की इस दौरान सीबीआई ने सबूत जुटाने के उद्देश्य से सिसोदिया के अलग अलग ठिकानों पर छापेमारी भी की. ध्यान रहे सिसोदिया से जुड़ा ये मामला 17 अगस्त 2022 का है जब सीबीआई ने नयी आबकारी नीति में धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी के आरोप में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री समेत 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

माना जा रहा है कि सतेंद्र जैन के बाद जिस तरह सीबीआई ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को अपने शिकंजे में लिया वो आम आदमी पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल को मुसीबत में डालेगा. सिसोदिया की गिरफ़्तारी केजरीवाल और उनकी सियासत को कितना प्रभावित करेगी इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन तमाम सवाल हैं जो सिसोदिया कीगिरफ़्तारी के बाद खड़े हो रहे हैं. 

सोचने वाली बात ये है कि आखिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हुआ क्या था? आखिर कैसे कोई उस इंसान को शराब का विभाग सौंप सकता है जिसकी जिम्मेदारी दिल्ली के नौनिहालों को शिक्षित करना और उनका सर्वांगीण विकास करना था. 

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी केजरीवाल को चिंता में डालने के लिए काफी है

 

घोटाला/रिश्वतखोरी या बाकी किस्म की धांधली सब अपनी जगह है लेकिन जो व्यक्ति अपनी दक्षता और कुशलता से शिक्षा विभाग चला रहा था जिसका डंका सिर्फ देश और भाजपा के नेताओं के बीच नहीं बल्कि विदेशों तक में बज रहा था उसे आबकारी विभाग अगर सौंपा गया तो कहना गलत नहीं है कि केजरीवाल कुछ भी हों एक कुशल एडमिनिस्ट्रेटर तो हरगिज नहीं हैं.

सीढ़ी बात है केजरीवाल ने अगर दिल्ली के लिए आबकारी जैसा पोर्टफोलियो यदि सिसोदिया को दिया तो कारण बस इतना था कि दिल्ली सरकार के लिए सिसोदिया रेवेन्यू जुटाएं. ऐसे में हम दिल्ली की गद्दी पर बैठे केजरीवाल से ये जरूर पूछना चाहेंगे कि आम आदमी पार्टी बनाने और दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने से पहले वो खुद रेवेन्यू में थे. जानते थे कि इस विभाग की पेचीदगियां क्या होती हैं. किन चुनौतियों से इस विभाग से जुड़े व्यक्तियों का आमना सामना होता है.

जब वो सिसोदिया को ये जिम्मेदारी दे रहे थे तो क्या उन्हें इस बात का बिलकुल भी अंदाजा था कि वो इस विभाग को संभाल पाएंगे.

नहीं मतलब वाक़ई हैरत होती है ये देखकर कि वो आदमी जो दिल्ली के छोटे छोटे बच्चों को 17 का पहाड़ा, घर के सामने पड़े कूड़े के लिए नगर निगम को कैसे अंग्रेजी में प्रार्थना पत्र भेजना है? कैसे उन्हें हिंदी भाषा में उपसर्ग, प्रत्यय, पर्यायवाची सिखाना है इसके लिए जतन कर रहा था. वो व्यक्ति अपनी मूलभूत जिम्मेदारियां छोड़कर Buy One Get One में उलझा दिया गया.

दिलचस्प ये कि ये सब किसी और के नहीं बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के इशारे पर हुआ. इस बात में कोई शक नहीं कि सज्जन आदमी हैं दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया. ऐसे जिनकी रूचि किसी और चीज में नहीं लिखने पढ़ने में हैं. जो ये चाहते थे कि दिल्ली के सरकारी स्कूल वर्ल्ड क्लास बनें. ऐसा नहीं था कि सिसोदिया ने जो कुछ भी शिक्षा के मद्देनजर कहा वो कोरी लफ्फाजी था. जब बात करने की आई मनीष सिसोदिया ने अपने को साबित भी किया. 

बताया जा रहा है कि दिल्ली के ही स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद तमाम विभाग थे जो सिसोदिया के हिस्से में आए. ऐसे में पूर्व में ही उनमें ऐसा बहुत कुछ हो चुका था जो विभाग संभालने वाले के लिए मुसीबत था. सवाल ये भी है कि क्या केजरीवाल को इस बात का कोई इल्म नहीं था?

काश के केजरीवाल ने सिसोदिया को सिर्फ स्कूलों, शिक्षा और उसके प्रचार प्रसार के लिए ही रखा होता. बाकी अभी बीते दिन ही मनीष सिसोदिया ने ये बताया था कि उनकी पत्नी को मल्टीपल स्क्लेरोसिस नाम की बीमारी है ऐसे में अगर सिसोदिया की गिरफ्तारी की खबर के बाद उनकी पत्नी को कुछ होता है तो क्या इसकी जिम्मेदारी केजरीवाल लेंगे? 

सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद सवाल तमाम हैं. लेकिन अब जबकि शराब घोटाले मामले में सीबीआई ने मनीष सिसोदिया पर नकेल कस ही दी है. तो देखना दिलचस्प रहेगा कि केजरीवाल उन्हें सकुशल बाहर निकाल पाते हैं. या फिर ये मामला अदालत और तारीख पर तारीख की भेंट चढ़ जाएगा?  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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