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केजरीवाल का इरादा समझिये- पहले ही भाषण से BJP के एजेंडे में घुसपैठ

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 11 फरवरी, 2020 10:21 PM
  • 11 फरवरी, 2020 10:21 PM
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दिल्ली चुनाव (Delhi Election Results 2020) में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की छप्परफाड़ जीत ने उनके खिलाफ उठने वाले सारे सवालों का जवाब दे दिया है - जीत के जोश से भरपूर केजरीवाल लगता है बीजेपी के एजेंडा हिंदुत्व और राष्ट्रवाद (BJP agenda of Hindutva and Nationalism) में घुसपैठ शुरू कर दी है.

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली चुनाव (Delhi Election Results 2020) में बीजेपी को महज शिकस्त नहीं दी है, आगे के लिए भी अपना राजनीतिक इरादा भी साफ कर दिया है. केजरीवाल को आतंकवादी बताकर बीजेपी नेताओं ने दिल्ली में बीजेपी के लिए मौका ही नहीं गंवाया है, हनुमान चालीसा के नाम पर आप नेता को घेर कर आगे के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर ली है.

हिंदुत्व और राष्ट्रवाद (BJP agenda of Hindutva and Nationalism) - ये दोनों ही बीजेपी के एजेंडे में सबसे ऊपर रहे हैं. आम चुनाव में बीजेपी ने मंदिर का मुद्दा भले ही होल्ड कर लिया था, लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के रास्ते दिल्ली पहुंच कर भी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर डटी रही. ऐसा लगता है अरविंद केजरीवाल ने दोनों ही मुद्दों के साथ आगे बढ़ने का फैसला कर लिया है.

जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने जीत के बाद पहला भाषण दिया, जिस तरह के नारे लगाये और लगवाये - ये सब जता रहा है कि भविष्य में आम आदमी पार्टी का चुनावी एजेंडा क्या होने वाला है.

'लगे रहो केजरीवाल' अब हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की ओर!

अरविंद केजरीवाल ने वोटिंग से पहले ही दिल्ली वालों को बोल रखा था - अगर आतंकवादी समझते हो तो बीजेपी को वोट दे देना. भारी भरकम जीत के साथ आम आदमी पार्टी के दफ्तर में जब अरविंद केजरीवाल पहली बार लोगों के सामने आये तो नारा लगा - 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम्'. वैसे तो केजरीवाल ने पहले की तरह इंकलाब जिंदाबाद के भी नारे लगाये, लेकिन दो ऐसे नारे रहे जो सीधे सीधे बीजेपी पर जवाबी हथियार रहे. ये नारे बीजेपी के लिए बहुत मायने रखते हैं और बीजेपी विरोधी राजनीति करने वाले खास कर कांग्रेस नेता पूरी तरह इससे परहेज करते हैं. आम चुनाव के दौरान बिहार की रैली में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरे बीजेपी नेता ये नारे लगा रहे थे तो नीतीश कुमार मंच पर बैठे मुस्कुराते देखे गये थे. ये वीडियो वायरल भी हो गया था - तब नीतीश कुमार खुद के सेक्युलर राजनीति करने वाली लाइन पर कायम रखने का मैसेज देना चाहते थे. बहरहाल, अब तो वो दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के विरोध में चुनावी रैली भी कर चुके हैं.

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली चुनाव (Delhi Election Results 2020) में बीजेपी को महज शिकस्त नहीं दी है, आगे के लिए भी अपना राजनीतिक इरादा भी साफ कर दिया है. केजरीवाल को आतंकवादी बताकर बीजेपी नेताओं ने दिल्ली में बीजेपी के लिए मौका ही नहीं गंवाया है, हनुमान चालीसा के नाम पर आप नेता को घेर कर आगे के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर ली है.

हिंदुत्व और राष्ट्रवाद (BJP agenda of Hindutva and Nationalism) - ये दोनों ही बीजेपी के एजेंडे में सबसे ऊपर रहे हैं. आम चुनाव में बीजेपी ने मंदिर का मुद्दा भले ही होल्ड कर लिया था, लेकिन महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के रास्ते दिल्ली पहुंच कर भी हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर डटी रही. ऐसा लगता है अरविंद केजरीवाल ने दोनों ही मुद्दों के साथ आगे बढ़ने का फैसला कर लिया है.

जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने जीत के बाद पहला भाषण दिया, जिस तरह के नारे लगाये और लगवाये - ये सब जता रहा है कि भविष्य में आम आदमी पार्टी का चुनावी एजेंडा क्या होने वाला है.

'लगे रहो केजरीवाल' अब हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की ओर!

अरविंद केजरीवाल ने वोटिंग से पहले ही दिल्ली वालों को बोल रखा था - अगर आतंकवादी समझते हो तो बीजेपी को वोट दे देना. भारी भरकम जीत के साथ आम आदमी पार्टी के दफ्तर में जब अरविंद केजरीवाल पहली बार लोगों के सामने आये तो नारा लगा - 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम्'. वैसे तो केजरीवाल ने पहले की तरह इंकलाब जिंदाबाद के भी नारे लगाये, लेकिन दो ऐसे नारे रहे जो सीधे सीधे बीजेपी पर जवाबी हथियार रहे. ये नारे बीजेपी के लिए बहुत मायने रखते हैं और बीजेपी विरोधी राजनीति करने वाले खास कर कांग्रेस नेता पूरी तरह इससे परहेज करते हैं. आम चुनाव के दौरान बिहार की रैली में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरे बीजेपी नेता ये नारे लगा रहे थे तो नीतीश कुमार मंच पर बैठे मुस्कुराते देखे गये थे. ये वीडियो वायरल भी हो गया था - तब नीतीश कुमार खुद के सेक्युलर राजनीति करने वाली लाइन पर कायम रखने का मैसेज देना चाहते थे. बहरहाल, अब तो वो दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के विरोध में चुनावी रैली भी कर चुके हैं.

अरविंद केजरीवाल के टीवी पर हनुमान चालीसा पढ़ने का भी बीजेपी नेताओं ने खूब मजाक उठाया था. जब केजरीवाल दिल्ली के कनॉट प्लेस में हनुमान मंदिर गये तो मनोज तिवारी ने बोल दिया कि मंदिर को ही अशुद्ध कर डाला. केजरीवाल ने दोनों ही मुद्दों को पलटवार का हथियार बनाया और चुनाव में जीत हासिल की. केजरीवाल का पहला भाषण सुनने के बाद तो ऐसा लगता है जैसे वो इसे भविष्य की राजनीति का महत्वपूर्ण हथियार बनाने जा रहे हों - और बीजेपी के एजेंडे हिदुंत्व और राष्ट्रवाद में सीधे सीधे घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं.

नारे लगाने के बाद केजरीवाल बोले - 'दिल्लीवालों, गजब कर दिया... आई लव यू!'

फिर इतना ही बोले - 'आज मंगलवार है'. ये सुनते ही सामने मौजूद लोग शोर मचाते हुए ताली बजाने लगे. इशारा मंगलवार यानी हनुमान जी के दिन की ओर था. लोग वो बात समझ चुके थे जो केजरीवाल समझाना चाहते थे.

अरविंद केजरीवाल ने कहा - ये हनुमान जी की कृपा है... हनुमान जी ने दिल्ली पर अपनी कृपा बरसाई है... हनुमान जी का बहुत बहुत धन्यवाद!

चुनावी जीत को हनुमान जी की कृपा बता कर अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक रणनीति साफ कर दी है

असल में 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर अरविंद केजरीवाल के वीडियो मैसेज ने बीजेपी के टारगेट पर ला दिया था. बीजेपी ने वीडियो मैसज को लेकर कहा था कि वो सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहे हैं. दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लोगों के धरना और प्रदर्शन को लेकर बीजेपी नेता केजरीवाल को पाकिस्तान का समर्थक साबित करने की कोशिश किये - बाद में तो आतंकवादी ही बता डाला.

बार बार ललकारने के बावजूद अरविंद केजरीवाल शाहीन बाग पर बीजेपी के चंगुल में नहीं फंसे. मनीष सिसोदिया ने शाहीन बाग के लोगों के साथ होने का बयान देकर थोड़ी मुसीबत बढ़ायी लेकिन बाद में संभल गये. वोटों की गिनती के वक्त भी वही वाकया दोहरा रहा था - और आखिरकार संभल गये.

हनुमान जी को धन्यवाद देने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली वालों को भी थैंकयू बोला - 'मैं सभी दिल्लीवासियों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं... तीसरी बार अपने बेटे पर भरोसा किया. ये जीत मेरी जीत नहीं है. ये सभी दिल्लीवासियों की जीत है. ये दिल्ली के हर उस परिवार की जीत है जिसने मुझे अपना बेटा समझकर हमें जबर्दस्त समर्थन दिया.'

अरविंद केजरीवाल को हर तरफ से बधाइयां तो मिल ही रही हैं, ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे ने जो बात कही है वो भी मोदी विरोधी राजनीति पर विशेष टिप्पणी है. अरविंद केजरीवाल को उद्धव ठाकरे की बधाई हुए ममता बनर्जी ने कहा है, 'केवल विकास की राजनीति ही काम करेगी. जनता ने CAA, NRC और NPR को खारिज कर दिया है.'

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तो अरविंद केजरीवाल की बधाई के बहाने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही निशाना बना डाला है, "मैं आम आदमी पार्टी की जीत पर दिल्ली के लोगों और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बधाई देता हूं. लोगों ने ये दिखाया है कि देश 'जन की बात' से चलता है न कि 'मन की बात' से. बीजेपी ने केजरीवाल को आतंकवादी तक करार दिया लेकिन उन्हें हरा नहीं सकी."

नये तरीके वाली राजनीति में केजरीवाल की वापसी

जीत हमेशा हर सवाल का जबाव होती है. दिल्ली में जीत की हैट्रिक ने अरविंद केजरीवाल को हर सवाल के ताजातरीन जवाबों से लैस कर दिया है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार बंपर जीत हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल को नयी तरह की राजनीति का ढोल फिर से पीटने का बड़ा मौका दे दिया है.

भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल की मांग को लेकर आंदोलन के रास्ते राजनीति में आये केजरीवाल पर बाकी दलों के राजनीतिक रंग में रंग जाने का आरोप लगने लगा था, लेकिन एक और चुनावी जीत ने केजरीवाल को ऐसी तमाम तोहमतों से उबार दिया है.

तभी तो बड़े शान से केजरीवाल कहते हैं - 'ये एक नई किस्म की राजनीति की शुरुआत है. ये एक शुभ संकेत है. ये राजनीति 21वीं सदी में ले जा सकती है.'

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव के नतीजे को 'काम की राजनीति की जीत' बताया है. कहते भी हैं, 'दिल्ली के लोगों ने आज एक नई किस्म की राजनीति को जन्म दिया है, जिसका नाम है - काम की राजनीति... दिल्ली के लोगों ने अब संदेश दे दिया कि वोट उसी को जो मोहल्ला क्लीनिक बनवाएगा... वोट उसी को मिलेगा जो 24 घंटे बिजली देगा... घर घर पानी देगा... मोहल्ला क्लिनिक बनवाएगा... मोहल्ले में सड़क बनवाएगा.'

अरविंद केजरीवाल की नारेबाजी और भाषण में तो संदेश था ही, मंच पर पूरे परिवार की मौजूदगी में भी खास मैसेज छिपा हुआ था. केजरीवाल ने बताया कि पत्नी सुनीता केजरीवाल का बर्थ डे है. बेटा और बेटी भी मंच पर मौजूद थे - ये भी एक आम आदमी परिवार को पेश करने की मिसाल रही.

ये तो चुनावों से पहले ही पता चल गया था कि अरविंद केजरीवाल पहले जैसे नहीं रहे. केजरीवाल बदल गये हैं. केजरीवाल बहुत बदल गये हैं - लेकिन ये बदलाव उन चीजों को पीछे छोड़ने वाला रहा जो केजरीवाल की राजनीतिक राह में मुश्किलें खड़ी कर रहा था. केजरीवाल पूरे चुनाव के दौरान बहुत ही विनम्र दिखे - और अब तो मैच्योर भी कहा जा सकता है. जो केजरीवाल कल तक ये बताते रहे कि उनके राजनीतिक विरोध काम नहीं करने देते वो साबित कर चुके हैं कि काम सिर्फ वो ही करते हैं और विरोधियों को भी अब वोट चाहिये तो काम करना ही होगा.

ये नये तरीके की राजनीति में केजरीवाल की वापसी है - और उनके विरोधियों के लिए सबसे बड़ा अलर्ट भी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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