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Coronavirus पर छिड़ी जंग बीमारी के दायरे से बाहर निकल गई है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 03 फरवरी, 2020 09:49 PM
  • 03 फरवरी, 2020 06:50 PM
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कोरोना वायरस (Coronavirus) के बाद जैसी स्थिति चीन (China) की हुई है और जैसे पूरा मुल्क प्रभावित हुआ है. कहा जा सकता है कि बीमारी तो कहीं पीछे छूट गई है और अमेरिका (America) से लेकर रूस (Russia) और पाकिस्तान (Pakistan) तक एक नई जंग की शुरुआत हो गई है.

कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर चीन (China) की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. विदेशी मीडिया (Foreign Media) की माने तो खबरें दबाने और छुपाने की फितरत के चलते भले ही चीन (China) ने इस पूरे विषय पर चुप्पी साधी हो, मगर बीमारी, महामारी में तब्दील हो गई है. हालात कुछ यूं है कि चीन के अस्पताल मरीजों से भरे हैं. डॉक्टर्स के सामने एक बड़ी चुनौती उन मरीजों की जान बचाना है जो इस गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. बता दें कि चीन में कोरोना वायरस के चलते 300 से ऊपर मौतें हो चुकी हैं और 17,000 के आस पास लोग गंभीर रूप से इस बीमारी की चपेट में हैं. बीमारी का सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था (China Economy) पर देखने को मिल रहा है और बताया यही जा रहा है कि अर्थव्यवस्था के लिहाज से चीन करीब 30 साल के सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है. वहीं विश्व के अन्य देशों का रुख भी चीन के प्रति बदल गया है. जैसी स्थिति है चीन को इस बात का बखूबी अंदाजा हो गया है और उसने प्रतिक्रियाएं (Reactions) देनी शुरू कर दी हैं.

कोरोना वायरस को लेकर चीन की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और प्रभाव अब उसकी अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिल रहा है

ध्यान रहे कि मामला प्रकाश में आने के बाद भारत भी गंभीर हुआ और फ़ौरन ही हरकत में आया. भारत ने चीन के ई वीजा पर रोक लगाई और मदद के लिए चीन के पास मास्क भिजवाए. साथ ही उन भारतीय छात्रों को वापस भारत लाने के प्रयत्न शुरू किये जो चीन में फंसे थे. ज्ञात हो कि भारतीय छात्र एयर लिफ्ट करके वापस भारत आ गए हैं और उन्हें मानेसर स्थित कैंप में रखा गया है जहां वो खूब एन्जॉय कर रहे हैं और उनका एक वीडियो भी इंटरनेट पर खूब तेजी से वायरल हुआ है जिसमें वो हरियाणवी गाने पर डांस करते नजर आ रहे हैं.भारत के छात्र अपने देश लौट चुके हैं. ऐसे में...

कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर चीन (China) की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. विदेशी मीडिया (Foreign Media) की माने तो खबरें दबाने और छुपाने की फितरत के चलते भले ही चीन (China) ने इस पूरे विषय पर चुप्पी साधी हो, मगर बीमारी, महामारी में तब्दील हो गई है. हालात कुछ यूं है कि चीन के अस्पताल मरीजों से भरे हैं. डॉक्टर्स के सामने एक बड़ी चुनौती उन मरीजों की जान बचाना है जो इस गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. बता दें कि चीन में कोरोना वायरस के चलते 300 से ऊपर मौतें हो चुकी हैं और 17,000 के आस पास लोग गंभीर रूप से इस बीमारी की चपेट में हैं. बीमारी का सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था (China Economy) पर देखने को मिल रहा है और बताया यही जा रहा है कि अर्थव्यवस्था के लिहाज से चीन करीब 30 साल के सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है. वहीं विश्व के अन्य देशों का रुख भी चीन के प्रति बदल गया है. जैसी स्थिति है चीन को इस बात का बखूबी अंदाजा हो गया है और उसने प्रतिक्रियाएं (Reactions) देनी शुरू कर दी हैं.

कोरोना वायरस को लेकर चीन की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और प्रभाव अब उसकी अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिल रहा है

ध्यान रहे कि मामला प्रकाश में आने के बाद भारत भी गंभीर हुआ और फ़ौरन ही हरकत में आया. भारत ने चीन के ई वीजा पर रोक लगाई और मदद के लिए चीन के पास मास्क भिजवाए. साथ ही उन भारतीय छात्रों को वापस भारत लाने के प्रयत्न शुरू किये जो चीन में फंसे थे. ज्ञात हो कि भारतीय छात्र एयर लिफ्ट करके वापस भारत आ गए हैं और उन्हें मानेसर स्थित कैंप में रखा गया है जहां वो खूब एन्जॉय कर रहे हैं और उनका एक वीडियो भी इंटरनेट पर खूब तेजी से वायरल हुआ है जिसमें वो हरियाणवी गाने पर डांस करते नजर आ रहे हैं.भारत के छात्र अपने देश लौट चुके हैं. ऐसे में हमारे लिए पाकिस्तान के छात्रों का जिक्र कर लेना भी जरूरी है. पाकिस्तान ने अपने छात्रों को वापस लाने से माना कर दिया है और अजीब वो गरीब तर्क दिए हैं. मामले के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉक्टर आरिफ अल्वी का एक ट्वीट भी वायरल हुआ है. वायरल हुए इस ट्वीट में अल्वी कुछ ज्यादा ही धार्मिक होते नजर आ रहे हैं.अल्वी ने पैगंबर मोहम्मद का हवाला दिया है और कहा है कि रोगों और उनके प्रकोप के संबंध में आज भी पैगंबर के निर्देश अच्छे मार्गदर्शक हैं. मुस्लिम धर्म की दो प्रमुख किताबों बुखारी और मुस्लिम का हवाला देते हुए अल्वी ने कहा है कि यदि आप किसी भूमि में प्लेग के प्रकोप का सुनते हैं तो उसमें प्रवेश न करें. लेकिन आप यदि उस स्थान पर रहते हैं जहां प्लेग हुई है तो उस जगह को छोड़ें नहीं बल्कि प्लेग मे फंसे अन्य लोगों की मदद करें.

पाकिस्तान ने ये बयान क्यों जारी किया ? क्यों नहीं वो अपने छात्रों को बाहर निकाल रहा है ? दोनों ही सवालों के जवाब पाकिस्तान के चीन से दोस्ताना संबंध तो हैं ही पाकिस्तान के ऐसा न करने की एक बड़ी वजह उसका आर्थिक रूप से मजबूत न होना भी माना जा रहा है. भले ही इस मामले को लेकर पाकिस्तान कुछ भी तर्क दे मगर उसकी खुद की तंगहाली इसके पीछे की एक बड़ी वजह मानी जा सकती है.

भले ही राष्ट्रपति द्वारा कही इस बात को लेकर पाकिस्तान की आलोचना हो रही हो मगर चीन ने पाकिस्तान के इस 'बड़प्पन' का पूरा संज्ञान लिया है और इसका नजारा हमें कहीं और नहीं बल्कि ट्विटर पर देखने को मिल रहा है. जहां चीनी अधिकारियों द्वारा उन  ट्वीट्स को लगातार रीट्वीट दिए जा रहे हैं जो 'कोरोना वायरस' के मामले में चीन और पाकिस्तान की दोस्ती दर्शा रहे हैं.

पाकिस्तान और चीन भले ही एक दूसरे से दोस्ती के लाख दावे कर लें लेकिन हमें उन छात्रों को भी नहीं भूलना चाहिए जो इन मुश्किल हालात में अब भी चीन में फंसे हुए हैं और वीडियो के जरिये ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि नागरिक सुरक्षा के मोर्चे पर पाकिस्तान बुरी तरह से विफल हुआ है.

कोरोना वायरस को लेकर इंडिया पाकिस्तान और छात्रों की बातें अपनी जगह है मगर जब हम इस मामले पर अन्य मुल्कों का रुख करें तो मिलता है कि कोरोना वायरस पर एक नई तरह की जंग छिड़ी है जो इस बीमारी के दायरे से बाहर है.

गौरतलब है कि कोरोना वायरस से ग्रस्त चीन ने पूरे विश्व से अनुरोध किया है कि इस पूरे मामले को लेकर संयम बरते. चीन न कहना है कि कोरोना वायरस को लेकर जो बातें हो रही हैं वो भय का माहौल पैदा कर रही हैं जो किसी भी समस्या के निजात का सही रास्ता नहीं है. चीनी विदेश मंत्रालय से जुड़ी. हुआ चुनयिंग ने एक बयान जारी किया है और कहा है कि चीन को उम्मीद थी कि अलग अलग देश विज्ञानं के आधार पर ऐसे निर्णय लेंगे जिनमें संयम और शांति को प्राथमिकता दी जाएगी.

सवाल होगा कि चीन के विदेश मंत्रालय को ये बयान क्यों जारी करना पड़ा ? वजह है अमेरिका. ज्ञात हो कि अमेरिका अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर हमेशा से ही गंभीर रहा है और यदि इस मामले का ही अवलोकन करें तो मिलता है कि अमेरिका ने जबरदस्त प्रोपोगेंडा फैलाना हुआ है जिससे कोरोना वायरस को लेकर डर का माहौल बना है. चीन का आरोप है कि कोरोना को लेकर अमेरिका का रवैया सही नहीं है और वो मदद करने के बजाए डर पैदा करने वाली बातें कर रहा है.

चीन में इस बीमारी के बाद रूस ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. बताया जा रहा है कि रूसी प्रधानमंत्री ने दक्षिणी रूस के सोची में आयोजित हो रहे इकॉनोमिक फोरम को स्थगित करने का प्रस्ताव पारित किया है

साथ ही रूसी प्रधानमंत्री ने ये भी कहा है कि विदेश से आने वाले लोगों में यदि कोरोना वायरस पाया गया तो उन्हें डिपोर्ट कर दिया जाएगा.

चीन में कोरोनो वायरस को लेकर जहां पूरा विश्व दो धड़ों में बंट गया हो ऐसे भी देश हैं जो चीन के समर्थन में हैं और जिस्नका मानना है कि इस मुश्किल वक़्त में सभी मुल्कों को चीन की मदद के लिए आगे आना चाहिए. मालदीव ने इस मुश्किल वक़्त में चीन का साथ देने की बात कही है. तो वहीं हांगकांग जैसा देश चीन से कन्नी काटता नजर आ रहा है.

एक ऐसे समय में जब बीमारी के कारण चीन में लगातार लोगों की जान जा रही हो और राहत और बचाव कार्य चल रहा हो. चीन के आला अधिकारियों का इसे एक मामूली बीमारी बताना और हलके में लेना कई गंभीर सवाल खड़े करता है.

बहरहाल, बीमारी को लेकर अभी और कितनी मौतें होती हैं? चीन क्या इस परेशानी से निकलकर अपने को संभल लेगा? जैसे तमाम सवालों के जवाब वक़्त की गर्त में छुपे हैं. लेकिन जिस तरह से पूरा विश्व इस बीमारी को लेकर अपनी सुचिता और सुविधा से तर्क दे रहा है. कहा जा सकता है बीमारी तो कहीं एक ओर हो गई है और एक नई जंग की शुरुआत हो गई है जिसमें कुछ लोग चीन के साथ हैं कुछ उसके खिलाफ.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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