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आपसी सिर फुटव्वल से जूझती कांग्रेस के लिए आगे की राह आसान नहीं है

    • प्रशांत तिवारी
    • Updated: 15 जुलाई, 2022 09:32 PM
  • 15 जुलाई, 2022 09:32 PM
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कांग्रेस (Congress) को अपना पूर्णकालिक अध्यक्ष कब मिलेगा? फिलहाल ये 'यक्ष प्रश्न' बन चुका है. इतना ही नहीं, कांग्रेस में संगठन के स्तर पर गांधी परिवार (Gandhi Family) और उनकी नीतियों पर उठ रही विरोध की आवाजों को भी अनसुना किया जा रहा है. जिससे राज्यों में गुटबाजी (Groupism) और अंतर्कलह चरम पर पहुंचती जा रही है.

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के हाथों से लगातार सत्ता खिसकती जा रही है. पंजाब की हार के साथ कांग्रेस के पास सिर्फ दो राज्य बचे हैं. इसके अलावा दो राज्यों में सहयोगी के रूप में सरकार है. लगातार दो आम चुनावों में अपमानजनक पराजय और साल 2022 की शुरुआत में देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद आपसी झगड़ा और असंतोष लगभग सभी राज्य इकाइयों में पनप रहा है. हाल ही में महाराष्ट्र, गोवा के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस में आपसी गुटबाजी के कारण तीन वरिष्ठ कांग्रेस के नेताओं ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया. यही नहीं आने वाले राज्यों में जहां-जहां चुनाव हैं. वहां कांग्रेस आपसी गुटबाजी से जूझ रही है.

कांग्रेस की स्थिति हर राज्य में बिगड़ती जा रही है. और, गांधी परिवार फिलहाल नेशनल हेराल्ड केस की सुनवाई में फंसा है.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव

हिमाचल विधानसभा के चुनाव इस साल के अंत में होने हैं. हिमाचल में बीते दो दशक से भाजपा और कांग्रेस ने बारी-बारी से सरकार चलाई है. लेकिन, इस बार भाजपा, कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी पूरे जोर-शोर से चुनाव तैयारियों में जुट गयी हैं. कायदे से तो इस बार हिमाचल में कांग्रेस की बारी है लेकिन, मौजूदा हालात को देखकर यही लगता है कि इस बार बीजेपी को सत्ता से हटा पाना आसान नहीं है. इसका मुख्य कारण प्रदेश कांग्रेस के भीतर आपसी गुटबाजी का माहौल चरम पर होना है. हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा और बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा की मुलाकात हुई. जिससे उनके बीजेपी में शामिल होने की चर्चाएं तेज हो गईं. लेकिन, आनंद शर्मा ने इस बात का खंडन किया. आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी गुटबाजी से बाहर निकलती नजर नहीं आ रही है. इससे चुनावी तैयारियां प्रभावित हो रही हैं. अब तो पार्टी में फूट का खतरा भी लग रहा है.

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के हाथों से लगातार सत्ता खिसकती जा रही है. पंजाब की हार के साथ कांग्रेस के पास सिर्फ दो राज्य बचे हैं. इसके अलावा दो राज्यों में सहयोगी के रूप में सरकार है. लगातार दो आम चुनावों में अपमानजनक पराजय और साल 2022 की शुरुआत में देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद आपसी झगड़ा और असंतोष लगभग सभी राज्य इकाइयों में पनप रहा है. हाल ही में महाराष्ट्र, गोवा के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस में आपसी गुटबाजी के कारण तीन वरिष्ठ कांग्रेस के नेताओं ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया. यही नहीं आने वाले राज्यों में जहां-जहां चुनाव हैं. वहां कांग्रेस आपसी गुटबाजी से जूझ रही है.

कांग्रेस की स्थिति हर राज्य में बिगड़ती जा रही है. और, गांधी परिवार फिलहाल नेशनल हेराल्ड केस की सुनवाई में फंसा है.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव

हिमाचल विधानसभा के चुनाव इस साल के अंत में होने हैं. हिमाचल में बीते दो दशक से भाजपा और कांग्रेस ने बारी-बारी से सरकार चलाई है. लेकिन, इस बार भाजपा, कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी पूरे जोर-शोर से चुनाव तैयारियों में जुट गयी हैं. कायदे से तो इस बार हिमाचल में कांग्रेस की बारी है लेकिन, मौजूदा हालात को देखकर यही लगता है कि इस बार बीजेपी को सत्ता से हटा पाना आसान नहीं है. इसका मुख्य कारण प्रदेश कांग्रेस के भीतर आपसी गुटबाजी का माहौल चरम पर होना है. हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा और बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा की मुलाकात हुई. जिससे उनके बीजेपी में शामिल होने की चर्चाएं तेज हो गईं. लेकिन, आनंद शर्मा ने इस बात का खंडन किया. आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी गुटबाजी से बाहर निकलती नजर नहीं आ रही है. इससे चुनावी तैयारियां प्रभावित हो रही हैं. अब तो पार्टी में फूट का खतरा भी लग रहा है.

गुजरात विधानसभा चुनाव

इस साल गुजरात में भी चुनाव होना है. यहां कांग्रेस पिछले 27 साल से बीजेपी को सत्ता से हटाने की कोशिश कर रही है. लेकिन, यहां भी कांग्रेस आपसी कलह से लड़ रही है. जिस कारण कई नेता पार्टी छोड़ अन्य दलों का थाम रहे है. इसका हालिया उदाहरण पटेल समुदाय के बड़े नेता हार्दिक पटेल का बीजेपी में शामिल होना है. ऐसे में यहां पार्टी को एकजुट रखना भी एक चुनौती है.

कर्नाटक में सिद्धारमैया बनाम डीके शिवकुमार

कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. लेकिन, पार्टी सिद्धारमैया बनाम डीके शिवकुमार खेमे में बंटी है. पार्टी के दो बड़े नेता एक-दूसरे के आमना-सामने आ चुके हैं. साथ ही पार्टी के भीतर गुटबाजी भी बढ़ती जा रही है. इस स्थिति में आगामी चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी को हराना और ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है.

छत्तीसगढ़ में भी गुटबाजी

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है. 15 साल से जमी बीजेपी की सरकार को हटाकर कांग्रेस पूरे बहुमत से सत्ता में आई थी, लेकिन सीएम भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव गुट के बीच आपसी विवाद की खबरें सामने आती रहती हैं. ये आपसी विवाद दिल्ली दरबार तक भी पहुंचा था. हालांकि, कांग्रेस आलाकमान दोनों नेताओं में सुलह कराने में कामयाब दिख रहा है. फिर भी जब-तब दोनों के बीच अनबन की खबरें आती ही रहती हैं.

राजस्थान में गहलोत-पायलट संघर्ष

राजस्थान में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. चुनाव के लिहाज से राजस्थान कांग्रेस के लिए बेहद अहम राज्य है. राजस्थान में तो कांग्रेस लंबे वक्त से जबरदस्त गुटबाजी का सामना कर रही है. मुख्यमंत्री पद की चाहत रखने वाले सचिन पायलट तो एक बार ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर निकल भी चुके थे. लेकिन, कांग्रेस आलाकमान ने किसी तरह इसे रोका और राजस्थान में मध्य प्रदेश की कहानी दोहराए जाने से बचा लिया. लेकिन राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तंज भरे बयानों से ऐसा नहीं लगता है और दोनों के बीच सत्ता को लेकर वर्चस्व का जिन्न रह-रहकर बाहर निकल ही आता है.

चुनाव दर चुनाव कांग्रेस की लगातार हार से पार्टी में शीर्ष नेतृत्व के प्रति असंतोष भी बढ़ रहा है. पार्टी के कई बड़े नेता कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को लेकर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठा चुके हैं. जिन्हे G-23 का नाम मिला है. इनमे गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा जैसे बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं. जो अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को खत लिखकर शीर्ष नेतृत्व की कार्यशैली और संगठन चुनाव में देरी की आलोचना भी कर चुके हैं.

आने वाला समय चुनाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि, इस दौरान कई राज्यों में चुनाव होने है. इनमें गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे कई अहम राज्य हैं. इसके अलावा 2024 का लोकसभा चुनाव भी है. कांग्रेस आपसी अंतर्कलह और गुटबाजी के कारण ही हर राज्य में अपना वजूद खोती जा रही है. अगर समय रहते कठोर कदम नहीं उठाया तो कांग्रेस का भगवान ही मालिक है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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