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2019 चुनाव से पहले ही महागठबंधन की गांठ खुल गई है!

    • विवेक त्रिपाठी
    • Updated: 21 अक्टूबर, 2018 12:03 PM
  • 21 अक्टूबर, 2018 12:03 PM
offline
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगभग 15 सालों से ज्यादा की एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर है तो राजस्थान में पिछले 25 सालों में कोई सरकार लगातार 2 बार सत्ता में नहीं आ सकी है. इस लिहाज से कांग्रेस के लिए जीत की संभवानाए अच्छी हैं और बसपा के साथ गठबंधन इस संभावना को काफी मजबूत बना देता.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजस्थान, मध्य प्रदेश में होने वाले चुनावों में कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन से इंकार कर दिया. छत्तीसगढ़ में वो पहले ही अजीत जोगी के साथ चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी थीं. मायावती के इस ऐलान से 2019 में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है.

इन 3 राज्यों के चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए बहुत मायने रखते हैं. लोकसभा चुनाव से पहले ये सबसे महत्वपूर्ण चुनाव हैं जिसमें जो भी पार्टी जीतेगी उसका आत्मविश्वास बहुत ऊंचा होगा. और इस जीत के सहारे उसे 2019 के लिए माहौल बनाने में आसानी होगी. पिछले 4 सालों में जिस तरह कांग्रेस की तमाम राज्यों में हार हुई है और बसपा अपने एकलौते राज्य उत्तर प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हार कर हाशिये पर है, उससे ये कयास लग रहे थे कि दोनों मिलकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव में भाजपा को हराने के लिए हाथ मिला लेगें. लेकिन ऐसा नही हुआ.

आईये जरा पिछले चुनाव 2013 में इन 3 राज्यों में कांग्रेस और बसपा के प्रदर्शन पर एक नजर डालते हैं.

states

INC

BSP

Rajasthan

21  (33.07%)

3 (3.37%)

Madhya Pradesh

58  (36.38%)

4 (6.29%)

Chattisgarh

39 ( 40.29%)

1...

बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजस्थान, मध्य प्रदेश में होने वाले चुनावों में कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन से इंकार कर दिया. छत्तीसगढ़ में वो पहले ही अजीत जोगी के साथ चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी थीं. मायावती के इस ऐलान से 2019 में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है.

इन 3 राज्यों के चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए बहुत मायने रखते हैं. लोकसभा चुनाव से पहले ये सबसे महत्वपूर्ण चुनाव हैं जिसमें जो भी पार्टी जीतेगी उसका आत्मविश्वास बहुत ऊंचा होगा. और इस जीत के सहारे उसे 2019 के लिए माहौल बनाने में आसानी होगी. पिछले 4 सालों में जिस तरह कांग्रेस की तमाम राज्यों में हार हुई है और बसपा अपने एकलौते राज्य उत्तर प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हार कर हाशिये पर है, उससे ये कयास लग रहे थे कि दोनों मिलकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव में भाजपा को हराने के लिए हाथ मिला लेगें. लेकिन ऐसा नही हुआ.

आईये जरा पिछले चुनाव 2013 में इन 3 राज्यों में कांग्रेस और बसपा के प्रदर्शन पर एक नजर डालते हैं.

states

INC

BSP

Rajasthan

21  (33.07%)

3 (3.37%)

Madhya Pradesh

58  (36.38%)

4 (6.29%)

Chattisgarh

39 ( 40.29%)

1 (4.27%)

Seat ( vote percentage)

ये चुनाव कांग्रेस के लिये बहुत मायने रखते हैं, इन राज्यों के चुनाव नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे और इसी दिन 2017 में यानि 1 साल पहले राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये थे. एक तरह से इन चुनावों को लोकसभा के पहले सेमीफाइनल माना जा रहा है. इसलिये इन चुनावों की अहमियत बसपा की तुलना में कांग्रेस के लिये बहुत ज्यादा है. अब सवाल उठता है कि क्या ये गठबंधन वाकई भाजपा को राज्य में सत्ता से बाहर कर सकता था.

दरअसल, 2013 के चुनाव में मध्यप्रदेश में अगर कांग्रेस और बसपा के बीच गठबंधन हुआ होता तो इससे इन दोनों को 41 सीटों का फायदा और भाजपा को 41 सीटों का नुकसान हुआ होता. इस चुनाव में कांग्रेस-बसपा को मिलाकर 62 सीटें मिली थीं और भाजपा को 165 सीटें, लेकिन अगर ये गठबंधन बना होता तो इसे 103 सीटें मिली होती और भाजपा को 124 सीटें. यह अलग बात है कि तब भी भाजपा को स्पष्ट बहुमत होता वो सरकार बना लेती.

बसपा जानती है कि कांग्रेस अगर जीती तो वो सीटों के लिए बाकी पार्टियों को दबाएगी

वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बसपा को मिलाकर 40 सीटें मिली थीं और भाजपा को 49 सीटें. लेकिन अगर कांग्रेस-बसपा का गठबंधन हुआ होता तो इस गठबंधन को 51 सीटें मिली होतीं और भाजपा को 38 सीटें. यानी पिछले चुनाव में रमन सिंह सत्ता से बाहर हो गये होते. राजस्थान में इस गठबंधन से भाजपा को सिर्फ 9 सीटों का नुकसान हुआ होता और 163 सीट जीतने वाली भाजपा को 154 सीटें मिली होती.

लेकिन तीनों राज्यों में हालात इस बार बहुत अलग हैं. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगभग 15 सालों से ज्यादा की एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर है तो राजस्थान में पिछले 25 सालों में कोई सरकार लगातार 2 बार सत्ता में नहीं आ सकी है. इस लिहाज से कांग्रेस के लिए जीत की संभवानाए अच्छी हैं और बसपा के साथ गठबंधन इस संभावना को काफी मजबूत बना देता.

दरअसल, बसपा जानती है कि इन 3 राज्यों में जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं है. इससे कांग्रेस का हौसला सातवें आसमान पर होगा और वो महागठबंधन को अपनी शर्तों पर लीड करने की स्थिति में होगी. इसके साथ ही कांग्रेस अपनी सहयोगी पार्टियों से मजबूती की स्थिति में सीट बटवारें के लिए सौदेबाजी करेगी और कम से कम सीटें देने की कोशिश करेगी. प्रधानमंत्री पद के लिए भी कांग्रेस अपने ही उम्मीदवार को आगे करेगी.

कांग्रेस भी गठबंधन ना हो पाने से निराश है लेकिन वो इसे एक मौके तौर पर देख रही है जहां मुकाबला सीधे भाजपा और कांग्रेस के बीच है इसलिये एंटी इनकम्बेंसी का फायदा सीधे कांग्रेस को मिलेगा और चुनाव जीतने पर 2019 के लिये ना सिर्फ पार्टी और कार्यकर्ताओं का मनोबल बहुत ऊंचा होगा बल्कि एक महागठबंधन बनाने में भी आसानी होगी. लेकिन हकीकत में होगा क्या ये तो 11 दिसंबर को पता चलेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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