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Citizenship Amendment Bill 2019: क्या वाकई इंदिरा गांधी ने 1971 में 5 करोड़ मुस्लिमों को बसाया था?

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 15 दिसम्बर, 2019 07:41 PM
  • 15 दिसम्बर, 2019 07:41 PM
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एक मैसेज सोशल मीडिया (Social Media) पर शेयर हो रहा है, जिसमें लिखा है कि इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने 1970 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) बनाए जाने के बाद 1971 में 5 करोड़ मुस्लिमों को जबरन बसाया और देश पर शरणार्थी टैक्स (Refugee Relief Tax) लगाया. जानिए इसका सच (Fact Check).

नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) पर चल रही बहस के बीच सोशल मीडिया (Social Media) पर एक मैसेज वायरल (Viral Message) होना शुरू हुआ है. मैसेज ये कि इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने 5 करोड़ शरणार्थी मुसलमानों को 1971 में भारत में बसाया था. वो भी 1970 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) बनाने के बाद. ये मैसेज इस बीच खूब शेयर किया जा रहा है, क्योंकि इस मैसेज के हिसाब से तो इंदिरा गांधी ने मुस्लिमों को प्राथमिकता दी थी और अब मोदी सरकार (Modi Government) नागरिकता संशोधन बिल में सिर्फ गैर मुस्लिमों की बात कर रही है, जिसका विपक्ष की ओर से सख्त विरोध किया जा रहा है. यानी मैसेज के जरिए ये जताने की कोशिश की जा रही है कि तब भी कांग्रेस की ओर से मुस्लिमों का पक्ष लिया गया था और अब भी कांग्रेस मुस्लिमों की बात कर रही है. उन हिंदुओं की परवाह नहीं कर रही जो पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और अफगानिस्तान (Afghanistan) में प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं.

इंदिरा गांधी द्वारा शरणार्थियो को भारत में बसाने से जुड़ा एक दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

मुस्लिम पर्सनल बोर्ड का कोई लेना-देना नहीं

वायरल हो रहे इस मैसेज में सबसे अधिक जोर इस बात पर दिया गया है कि 1970 में मुस्लिम पर्सनल बोर्ड बनाए जाने के बाद इंदिरा गांधी ने 1971 में देश में 5 करोड़ मुस्लिमों को पनाह दी. बता दें कि मुस्लिम पर्सनल बोर्ड 1970 नहीं, बल्कि 7 अप्रैल 1972 को बना था. यानी वायरल मैसेज का ये दावा गलत है कि इंदिरा गांधी ने मुस्लिम पर्सनल बोर्ड बनाए जाने के बाद शरणार्थियों को देश में पनाह दी.

कितने शरणार्थी और कितने हिंदू-मुस्लिम, पता नहीं !

वायरल मैसेज का दूसरा दावा ये है कि इंदिरा गांधी ने 1971...

नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill 2019) पर चल रही बहस के बीच सोशल मीडिया (Social Media) पर एक मैसेज वायरल (Viral Message) होना शुरू हुआ है. मैसेज ये कि इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने 5 करोड़ शरणार्थी मुसलमानों को 1971 में भारत में बसाया था. वो भी 1970 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) बनाने के बाद. ये मैसेज इस बीच खूब शेयर किया जा रहा है, क्योंकि इस मैसेज के हिसाब से तो इंदिरा गांधी ने मुस्लिमों को प्राथमिकता दी थी और अब मोदी सरकार (Modi Government) नागरिकता संशोधन बिल में सिर्फ गैर मुस्लिमों की बात कर रही है, जिसका विपक्ष की ओर से सख्त विरोध किया जा रहा है. यानी मैसेज के जरिए ये जताने की कोशिश की जा रही है कि तब भी कांग्रेस की ओर से मुस्लिमों का पक्ष लिया गया था और अब भी कांग्रेस मुस्लिमों की बात कर रही है. उन हिंदुओं की परवाह नहीं कर रही जो पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और अफगानिस्तान (Afghanistan) में प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं.

इंदिरा गांधी द्वारा शरणार्थियो को भारत में बसाने से जुड़ा एक दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

मुस्लिम पर्सनल बोर्ड का कोई लेना-देना नहीं

वायरल हो रहे इस मैसेज में सबसे अधिक जोर इस बात पर दिया गया है कि 1970 में मुस्लिम पर्सनल बोर्ड बनाए जाने के बाद इंदिरा गांधी ने 1971 में देश में 5 करोड़ मुस्लिमों को पनाह दी. बता दें कि मुस्लिम पर्सनल बोर्ड 1970 नहीं, बल्कि 7 अप्रैल 1972 को बना था. यानी वायरल मैसेज का ये दावा गलत है कि इंदिरा गांधी ने मुस्लिम पर्सनल बोर्ड बनाए जाने के बाद शरणार्थियों को देश में पनाह दी.

कितने शरणार्थी और कितने हिंदू-मुस्लिम, पता नहीं !

वायरल मैसेज का दूसरा दावा ये है कि इंदिरा गांधी ने 1971 में 5 करोड़ मुस्लिम शरणार्थियों को देश में बसाया. बता दें कि 1971 के दौरान बांग्लादेश की कुल आबादी ही 6.5 करोड़ थी, ऐसे में ये मुमकिन नहीं कि 5 करोड़ मुस्लिम भागकर भारत में आए हों. तमाम मीडिया रिपोर्ट्स से ये पता चलता है कि करीब 1 करोड़ शरणार्थी उस दौरान भारत आए थे. इसमें ये भी तय नहीं है कि कितने हिंदू थे और कितने मुस्लिम, लेकिन ये जरूर साफ है कि मुस्लिम शरणार्थी भी बड़ी संख्या में थे.

इंदिरा गांधी ने शरणार्थी टैक्स लगाया?

हां, इंदिरा गांधी ने इन शरणार्थियों को भारत में बसाने का फैसला किया और शरणार्थी टैक्स भी लगाया. इसके लिए इंदिरा गांधी ने 5 पैसे के स्टांप जारी किए थे. ये टैक्स 15 नवंबर 1971 को लागू हुआ था और 31 मार्च 1973 तक चला. सरकार का दावा था कि यह टैक्स शरणार्थियों के खाने-पीने और रहने की व्यवस्था के लिए खर्च किया गया. ये भी एक वजह हो सकती है, लेकिन जिस दौरान ये सब हुआ तब सबसे अधिक जरूरत थी पैसों की, क्योंकि पाकिस्तान के साथ जंग छिड़ गई थी. जंग की सूरत पहले से ही बनने लगी थी, इसलिए इंदिरा गांधी ने आनन-फानन में इस टैक्स को लगा दिया. यहां तक कि कई महीनों तक स्टांप नहीं होने के चलते शरणार्थी टैक्स की मुहर तक लगाई जाती रही. बता दें कि 3 दिसंबर को भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ और 16 दिसंबर तक भारत ने पाकिस्तान को चारों खाने चित कर के पूर्वी पाकिस्तान को अलग देश बांग्लादेश बना दिया.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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