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ग्लोबल टाइम्स में मोदी के पक्ष में छपा सर्वे चीन की एक और धूर्त चाल

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 28 अगस्त, 2020 10:18 PM
  • 28 अगस्त, 2020 10:18 PM
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सरकार (China govt) के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के एक सर्वे (global Times Survey) में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को 50% चीनियों की पसंद बताया गया है. इस सर्वे को छापते हुए ग्लोबल टाइम्स अपनी नीयत नहीं छुपा पाया. मोदी की तारीफ करते हुए ग्लोबल टाइम्स ने यह भी उम्मीद जताई है कि भारत सरकार चीनी टेक कंपनी Huawei पर सख्ती नहीं करेगी.

आगे आने वाले वक्त में जब-जब भारत चीन संबंधों (India-China Relations) की बात होगी, तब-तब जून 2020 का जिक्र होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि लद्दाख (Ladakh) स्थित गलवान घाटी (Galwan Valley) में अपनी घुसपैठ के जरिये चीन ने उस भरोसे को तोड़ा था, जो दोनों देशों के बीच था. ध्यान रहे कि 2020 मई माह से ही भारत-चीन के बीच लद्दाख सीमा पर तनाव व्याप्त है. 15-16 जून को लद्दाख स्थित गलवान घाटी में एलएसी पर भारतीय सैनिकों की चीन के सैनिकों से झड़प भी हुई जिसमें इंडियन आर्मी (Indian Army) के एक कर्नल समेत 20 सैनिकों की मौत हुई. इस घटना को बीते वक़्त हो चुका है मगर दोनों देशों के बीच आई खटास कम होने का नाम नहीं ले रही है. भारत और चीन, दोनों ही देशों में तनाव बदस्तूर जारी है. वर्तमान में भले ही दोनों देशों के बीच सैन्य सत्तर की बातचीत चल रही है मगर नाराजगी कुछ इस हद तक है कि सारी कवायद बेनतीजा है. चीन द्वारा भारतीय सैनिकों पर किये गए हमले को भारत सरकार और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गंभीरता से लिया और ड्रैगन की पूंछ पर वार करते हुए बॉयकॉट चाइना (Boycott China) की बात की और तमाम चीनी ऐप्स को भारत में प्रतिबंधित किया. केंद्र की मोदी सरकार के पहले तक जैसा भारत का रवैया रहा है चीन को लगा कि हालात वैसे ही होंगे और स्थिति संभल जाएगी, मगर ऐसा नहीं हुआ. भारत अपने इस फैसले पर अड़ा रहा और नतीजा ये निकला कि चीन को आर्थिक मोर्चे पर गहरी चोट पड़ी. चीन ने अब डैमेज कंट्रोल के लिए एक चाल चली है. सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) में प्रधानमंत्री को लेकर एक सर्वे छापा गया है. बताया गया है कि यह चीन के लोगोंं की राय है. सर्वे में जो बड़ी बात निकल कर आई हैं वो ये कि चीन में 50 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसंद करते हैं. अब सवाल ये उठता है कि भारत की सीमाओं पर आक्रामक चीन ने अचानक मोदी के पक्ष में हुआ यह सर्वे क्यों जारी किया है?

आगे आने वाले वक्त में जब-जब भारत चीन संबंधों (India-China Relations) की बात होगी, तब-तब जून 2020 का जिक्र होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि लद्दाख (Ladakh) स्थित गलवान घाटी (Galwan Valley) में अपनी घुसपैठ के जरिये चीन ने उस भरोसे को तोड़ा था, जो दोनों देशों के बीच था. ध्यान रहे कि 2020 मई माह से ही भारत-चीन के बीच लद्दाख सीमा पर तनाव व्याप्त है. 15-16 जून को लद्दाख स्थित गलवान घाटी में एलएसी पर भारतीय सैनिकों की चीन के सैनिकों से झड़प भी हुई जिसमें इंडियन आर्मी (Indian Army) के एक कर्नल समेत 20 सैनिकों की मौत हुई. इस घटना को बीते वक़्त हो चुका है मगर दोनों देशों के बीच आई खटास कम होने का नाम नहीं ले रही है. भारत और चीन, दोनों ही देशों में तनाव बदस्तूर जारी है. वर्तमान में भले ही दोनों देशों के बीच सैन्य सत्तर की बातचीत चल रही है मगर नाराजगी कुछ इस हद तक है कि सारी कवायद बेनतीजा है. चीन द्वारा भारतीय सैनिकों पर किये गए हमले को भारत सरकार और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गंभीरता से लिया और ड्रैगन की पूंछ पर वार करते हुए बॉयकॉट चाइना (Boycott China) की बात की और तमाम चीनी ऐप्स को भारत में प्रतिबंधित किया. केंद्र की मोदी सरकार के पहले तक जैसा भारत का रवैया रहा है चीन को लगा कि हालात वैसे ही होंगे और स्थिति संभल जाएगी, मगर ऐसा नहीं हुआ. भारत अपने इस फैसले पर अड़ा रहा और नतीजा ये निकला कि चीन को आर्थिक मोर्चे पर गहरी चोट पड़ी. चीन ने अब डैमेज कंट्रोल के लिए एक चाल चली है. सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) में प्रधानमंत्री को लेकर एक सर्वे छापा गया है. बताया गया है कि यह चीन के लोगोंं की राय है. सर्वे में जो बड़ी बात निकल कर आई हैं वो ये कि चीन में 50 प्रतिशत लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसंद करते हैं. अब सवाल ये उठता है कि भारत की सीमाओं पर आक्रामक चीन ने अचानक मोदी के पक्ष में हुआ यह सर्वे क्यों जारी किया है?

ग्लोबल टाइम्स ने जो तारीफ पीएम मोदी कि की है वो सब चीन के आर्थिक फायदे के लिए है

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक उसने इस सर्वे में चीन के दस बड़े शहरों के तक़रीबन 2000 लोगों की राय जानी है. सर्वे में भारत की छवि, हाल के दिनों में सीमा पर तनाव, भारत में चीनी सामान के बहिष्कार से लेकर दोनों देशों के रिश्तों में अमरीका के हस्तक्षेप पर सवाल पूछे गए हैं. भले ही भारतीय प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए इस सर्वे को छापकर ग्लोबल टाइम्स ने बड़ी बड़ी बातें की हों लेकिन क्या वाक़ई स्थिति ऐसी है? सीधा जवाब है नहीं. चीनी हुकूमत के कहने पर ये जो सर्वे हुआ है इसके पीछे की एक बड़ी वजह टेक कंपनी Huawei है. चीन की सरकार अपने इस सर्वे के जरिये हुआवेई को फायदा पहुंचाना चाहती है. जो भारत में 5जी सेवाएं लागू करने के लिए बड़ी दावेदारी कर रही थी. चीन का रवैया देखकर मोदी सरकार ने इस कंपनी को सभी सेवाओं और आगामी परियोजनाओं में उसकी हिस्सादारी को फिलहाल रोक दिया है. आइए, विस्तार से समझते हैं कि ग्लोबल टाइम्स के इस सर्वे और मोदी सरकार की हुआवेई पर कार्रवाई में क्या रिश्ता है.

मोदी को 51 फीसदी से अधिक चीनी पसंद करते हैं

सर्वे में जिस तरह के जवाब कथित तौर पर चीन की जनता ने दिए हैं उसके अनुसार चीन के 51 प्रतिशत लोग भारतीय प्रधानमंत्री को पसंद करते हैं. सर्वे में लोग भारतीय प्रधानमंत्री की कार्यशैली और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता से प्रभावित दिखते हैं. सर्वे के मद्देनजर एक दिलचस्प बात ये भी है कि लेकिन तक़रीबन 26 फ़ीसद लोग भारत को अच्छे पड़ोसी के तौर पर देखते हैं. ये लोग भारत को चीन के 'मोस्ट फ़ेवरेबल नेशन' में चौथे नंबर पर देखते हैं.

ज्यादातर को लगता है कि भारत चीन संबंध ठीक हो जाएंगे

इस सर्वे का दूसरा पक्ष ये मानता है कि आज भले ही दोनों देशों के बीच छत्तीस का आंकड़ा हो मगर जैसे जैसे दिन बीतेंगे स्थिति संभलेगी और वर्तमान के दुश्मन दोनों देश पुनः दोस्त बन जाएंगे. भले ही इस सर्वे में चीन के 90 फीसद लोग भारत के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई को सही ठहराते हों और ये कह रहे हों कि भारत चीन के प्रति ज्यादा शत्रुतापूर्ण व्यवहार रखता है मगर साथ ही लोग ये भी मान रहे हैं कि आगे आने वाले समय में ये नफरत दोस्ती में बदलेगी. सर्वे में हमें उस पहलू को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जिसमें चीन के 26 प्रतिशत लोगों ने भारत को एक अच्छा पड़ोसी माना है और भारत को दक्षिण कोरिया से ऊपर रखा है. सर्वे ये भी कहता है कि चीन में 56 प्रतिशत लोग भारत के विषय में अच्छी जानकारी रखते हैं

ग्लोबल टाइम्स का सर्वे Huawei के लिए PR एक्सरसाइज

एक ऐसे वक़्त में जब गलवान घाटी के चलते भारत और चीन के बीच गतिरोध अपने चरम पर हो. और भारत टिक टॉक, हेलो, शेयर इट जैसी कई चीनी एप्स बैन कर चुका हो. हमें इस तारीफ से खुश होने या फिर चीन के बहकावे में आने की कोई ज़रूरत नहीं है. वर्तमान में पीएम मोदी की तारीफ और भारत को अच्छा बताकर चीन सिर्फ और सिर्फ हमें दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है.चीन ने ये जो कुछ किया है इसका एकमात्र उद्देश्य Huawei को फायदा पहुंचाना है.यानी ये तमाम तारीफें उस पीआर एक्सरसाइज का हिस्सा है जो चीन huawei को भारत में स्थापित करने के लिए कर रहा है.

बता दें कि गलवान में जो कुछ भी चीन ने भारतीय सैनिकों के साथ किया उसका खामियाजा हुआवेई को भी भुगतना पड़ा था. भारत ने हुआवेई को देश से निकालने की बात की थी. वहीं हुआवेई अमेरिका, यूके और ऑस्ट्रेलिया में पूर्ण बैन का सामना कर रहा है. साथ ही न्यूज़ीलैण्ड में भी इसे काफी हद तक बैन किया गया है जिसकी वजह से एक बड़ा नुकसान कंपनी को भोगना पड़ रहा है. वहीं खबर है कि कनाडा भी हुआवेई पर बैन लगा सकता है. अब चूंकि भारत एक बड़ा बाजार है इसलिए कहीं न कहीं चीन का अपनी सबसे बड़ी कंपनी को बचाने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री की तारीफ करना एक मज़बूरी है.

हमें इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि भारत चीन गतिरोध के बाद हुआवेई लगातार विज्ञापन जारी कर रहा है और बार बार इस बात को दोहरा रहा है कि वो भारत में पिछले  20 सालों से व्यापार कर रहा है इसलिए भारत को उसपर भरोसा करना चाहिए. यानी ये अपने आप साफ़ हो जाता है कि हुआवेई पर दुनिया के बड़े देशों ने पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि भारत ने सिर्फ सस्पेंशन किया है. हुआवेई भारत के अखबारों में विज्ञापन देकर अपना विश्वास जगा रही है. ऐसे में चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स का सर्वे मोदी की तारीफ नहीं, huawei के लिए PR एक्सरसाइज है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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