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बौखला गया है चीन

    • अरिंदम डे
    • Updated: 01 जुलाई, 2017 04:46 PM
  • 01 जुलाई, 2017 04:46 PM
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भारत और चीन की सीमा रेखा पर लगातार विवाद होता रहता है. सिक्किम की सीमा रेखा पर चुंबी वैली के एक तरफ भूटान है तो दूसरी ओर चीन और तीसरी तरफ भारत है. इस जगह पर भी भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर लगातार विवाद बना रहता है.

हाल के महीनों में भारतीय सेना ने सिक्किम के इलाके में बंकर बनाने की शुरूआत कर दी है, जिससे चीन भड़क गया है. भारत ने उसके OBOR का भी बायकॉट किया. अफगानिस्तान के साथ भारत का एयर फ्रेट कॉरिडोर शुरू होने पर चीनी मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया आयी. प्रधानमंत्री मोदी के सफल अमरीकी दौरे ने बाकी रही सही कसर पूरी कर दी.

इसी का नतीजा है की चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को एंट्री देने का मामला अटका दिया है. आज सरकारी पुष्टि आ गई की नाथू ला के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा रेड कर दिया गया है.

इस के तुरंत बाद ही चीनी सेना के द्वारा भारतीय क्षेत्रों में फिर से घुसपैठ करने की खबर सामने आई है. चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों के दो बड़े बंकरों को भी नुकसान पहुंचाया है, और चीन के रक्षा मंत्रालय ने पूरा मामला भारत पर ही मढ़ दिया. यह टकराव भारत के साथ कई पुराने मुद्दों पर मतभेदों का नतीजा है, जोकि 2015 से ही और तेजी से बढ़े है. वैसे तो डोका ला में चीनी सैनिकों की घुसपैठ कोई बात नही कही है. वैसे भी चीन अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और दुसरे कई इलाकों को अपना मानता है.

हाल में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के अरुणाचंल प्रदेश जाने पर चीन काफी नाराज हो गया था. क्योंकि दलाई लामा पहली बार किसी सरकारी फंक्शन में आमंत्रित हुए थे.

भारत और चीन की सीमा रेखा पर लगातार विवाद होता रहता है. सिक्किम की सीमा रेखा पर चुंबी वैली के एक तरफ भूटान है तो दूसरी ओर चीन और तीसरी तरफ भारत है. इस जगह पर भी भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर लगातार विवाद बना रहता है. क्योंकि चीन उस धरती पर अपना अधिकार दिखाता रहता है.

विवाद को समाप्त करने के लिए कई बार बैठकें भी हुर्इं लेकिन निष्कर्ष शून्य ही रहा. सिक्किम के डोका ला क्षेत्र में नवंबर 2008 को भी पीएलए ने घुसपैठ कर भारत के कुछ सैन्य...

हाल के महीनों में भारतीय सेना ने सिक्किम के इलाके में बंकर बनाने की शुरूआत कर दी है, जिससे चीन भड़क गया है. भारत ने उसके OBOR का भी बायकॉट किया. अफगानिस्तान के साथ भारत का एयर फ्रेट कॉरिडोर शुरू होने पर चीनी मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया आयी. प्रधानमंत्री मोदी के सफल अमरीकी दौरे ने बाकी रही सही कसर पूरी कर दी.

इसी का नतीजा है की चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले भारतीयों को एंट्री देने का मामला अटका दिया है. आज सरकारी पुष्टि आ गई की नाथू ला के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा रेड कर दिया गया है.

इस के तुरंत बाद ही चीनी सेना के द्वारा भारतीय क्षेत्रों में फिर से घुसपैठ करने की खबर सामने आई है. चीनी सेना ने भारतीय सैनिकों के दो बड़े बंकरों को भी नुकसान पहुंचाया है, और चीन के रक्षा मंत्रालय ने पूरा मामला भारत पर ही मढ़ दिया. यह टकराव भारत के साथ कई पुराने मुद्दों पर मतभेदों का नतीजा है, जोकि 2015 से ही और तेजी से बढ़े है. वैसे तो डोका ला में चीनी सैनिकों की घुसपैठ कोई बात नही कही है. वैसे भी चीन अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और दुसरे कई इलाकों को अपना मानता है.

हाल में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के अरुणाचंल प्रदेश जाने पर चीन काफी नाराज हो गया था. क्योंकि दलाई लामा पहली बार किसी सरकारी फंक्शन में आमंत्रित हुए थे.

भारत और चीन की सीमा रेखा पर लगातार विवाद होता रहता है. सिक्किम की सीमा रेखा पर चुंबी वैली के एक तरफ भूटान है तो दूसरी ओर चीन और तीसरी तरफ भारत है. इस जगह पर भी भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर लगातार विवाद बना रहता है. क्योंकि चीन उस धरती पर अपना अधिकार दिखाता रहता है.

विवाद को समाप्त करने के लिए कई बार बैठकें भी हुर्इं लेकिन निष्कर्ष शून्य ही रहा. सिक्किम के डोका ला क्षेत्र में नवंबर 2008 को भी पीएलए ने घुसपैठ कर भारत के कुछ सैन्य बंकरों को नष्ट कर दिया था.

यह घटना चीन की बौखलाहट को स्पष्ट रूप से उजागर करती है. चीन अपने आपको एशिया का सबसे मजबूत एवं प्रबल शक्ति के रूप में देखता है. चीन लगातार भारत पर दबाव बनाने के लिए प्रयास करता रहता है. यह उसकी विदेश नीति का ही हिस्सा है. दूसरी सबसे बड़ी वजह यह है कि भारत और अमेरिका काफी नजदीक आ रहे हैं. विश्व राजनीति में चीन अपने अपको अमेरिका के समान मानता है, और चीन यह चाहता है कि भारत या तो अलग रहे या उसके अनुसार चले.

काफी समय से दक्षिण सागर में चीन की हरकतों से अमेरिका नाराज है, दूसरी वजह जिबूति में चीन का मिलिट्री बेस बनाया जाना है, तीसरी सबसे बड़ी वजह शायद चीन की उत्तरी कोरिया से नजदीकी.

भारत का रुख कुछ भी हो चीन की अपनी मानसिकताओं में कोई बदलाव नहीं आने वाला है. भारत को चीन से सावधान रहते हुए सुढृढ़ तरीके से इन मानसिकताओं की मुक़ाबला करना होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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