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Deepika Padukone का JNU में 'सोशल एक्सपेरिमेंट' कामयाब रहा भी, नहीं भी

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 09 जनवरी, 2020 07:47 PM
  • 09 जनवरी, 2020 07:46 PM
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JNU कैंपस में बिताए 10 मिनट Deepika Padukone को फिलहाल भारी पड़ रहे हैं. दीपिका की फिल्म छपाक (chhapaak) के रिलीज होने में अभी दो दिन भी नहीं बचे कि दीपिका की फिल्म का बहिष्कार करने की मांग उठने लगी.

JN हिंसा और CAA के विरोध पर लोग अपना अपना पक्ष रख रहे हैं. अभी हाल ही में दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) से जब इस बारे में उनकी राय ली गई तो उन्होंने कहा था कि 'यह देखकर गर्व होता है कि हम अपनी बात कहने से डर नहीं रहे हैं. चाहे हमारी सोच कुछ भी हो, लेकिन हम देश और इसके भविष्य पर सोच रहे हैं, ये अच्छी बात है.' दीपिका पादुकोण ने बड़े साफ और संतुलित शब्दों में अपनी बात कह दी थी. लेकिन तब लोगों को इससे कोई परेशानी नहीं थी. परेशानी तब हुई जब दापिका पादुकोण ने मंगलवार को JN campus में प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों के बीच 10 मिनट बिताए (Deepika Padukone at JN). ये वही वक्त था जब दीपिका मौन रहकर JN छात्रों के समर्थन में दिखाई दीं.

JN कैंपस में बिताए वो 10 मिनट दीपिका को फिलहाल बहुत भारी पड़ रहे हैं. दीपिका की फिल्म छपाक (chhapaak) के रिलीज होने में अभी दो दिन भी नहीं बचे कि दीपिका की फिल्म का बहिष्कार करने की मांग उठने लगी. जैसे ही दीपिका को कन्हैया कुमार के पास खड़े देखा गया तभी से सोशल मीडिया पर #boycottchhapaak ट्रेंड करने लगा. और बुधवार पूरे दिन लोग दीपिका को कोसते रहे. हालांकि #ISupportDeepika और #IStandwithDeepika कहने वाले भी थे, जिन्हें दीपिका का ये कदम साहसिक लगा था और जिसके लिए उनकी तारीफ की जा रही थी.

दीपिका पादुकोण का जेएनयू जाने पर हंगामा हो रहा है

हालांकि कुछ ऐसे भी थे जो दीपिका के JN कैंपस में जाने को पब्लिसिटी स्टंट और अपनी फिल्म का प्रमोशन बता रहे थे. उनका कहना था कि फिल्म के प्रमोशन के लिए दीपिका इतना गिर गईं कि वो टुकड़े-टुड़े गैंग के साथ खड़ी हो गईं. हालांकि दीपिका का जेएनयू जाना किसी आश्चर्य से कम नहीं था क्योंकि दीपिका को कभी भी किसी ऐसे मामले पर बोलते नहीं सुना या देखा गया. और न ही वो इससे पहले...

JN हिंसा और CAA के विरोध पर लोग अपना अपना पक्ष रख रहे हैं. अभी हाल ही में दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) से जब इस बारे में उनकी राय ली गई तो उन्होंने कहा था कि 'यह देखकर गर्व होता है कि हम अपनी बात कहने से डर नहीं रहे हैं. चाहे हमारी सोच कुछ भी हो, लेकिन हम देश और इसके भविष्य पर सोच रहे हैं, ये अच्छी बात है.' दीपिका पादुकोण ने बड़े साफ और संतुलित शब्दों में अपनी बात कह दी थी. लेकिन तब लोगों को इससे कोई परेशानी नहीं थी. परेशानी तब हुई जब दापिका पादुकोण ने मंगलवार को JN campus में प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों के बीच 10 मिनट बिताए (Deepika Padukone at JN). ये वही वक्त था जब दीपिका मौन रहकर JN छात्रों के समर्थन में दिखाई दीं.

JN कैंपस में बिताए वो 10 मिनट दीपिका को फिलहाल बहुत भारी पड़ रहे हैं. दीपिका की फिल्म छपाक (chhapaak) के रिलीज होने में अभी दो दिन भी नहीं बचे कि दीपिका की फिल्म का बहिष्कार करने की मांग उठने लगी. जैसे ही दीपिका को कन्हैया कुमार के पास खड़े देखा गया तभी से सोशल मीडिया पर #boycottchhapaak ट्रेंड करने लगा. और बुधवार पूरे दिन लोग दीपिका को कोसते रहे. हालांकि #ISupportDeepika और #IStandwithDeepika कहने वाले भी थे, जिन्हें दीपिका का ये कदम साहसिक लगा था और जिसके लिए उनकी तारीफ की जा रही थी.

दीपिका पादुकोण का जेएनयू जाने पर हंगामा हो रहा है

हालांकि कुछ ऐसे भी थे जो दीपिका के JN कैंपस में जाने को पब्लिसिटी स्टंट और अपनी फिल्म का प्रमोशन बता रहे थे. उनका कहना था कि फिल्म के प्रमोशन के लिए दीपिका इतना गिर गईं कि वो टुकड़े-टुड़े गैंग के साथ खड़ी हो गईं. हालांकि दीपिका का जेएनयू जाना किसी आश्चर्य से कम नहीं था क्योंकि दीपिका को कभी भी किसी ऐसे मामले पर बोलते नहीं सुना या देखा गया. और न ही वो इससे पहले किसी भी तरह के पाड़ितों से मिलने कहीं भी गई थीं. लेकिन वो JN हमले में घायल छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष से मुलीं उनके गले लगीं और चंद मिनटों में ही वहां से चली भी गईं.

दीपिका जो अपनी फिल्म के प्रमोशन में आजकल बहुत व्यस्त हैं. वो जगह-जगह ईवेंट्स में जा रही हैं. एसिड अटैक सर्ववाइवर्स से भी मिल रही हैं. सोशल एक्सपेरिमेंट भी कर रही हैं. ऐसे में उनका जेएनयू जाना भी एक सोशल एक्सपेरिमेंट की तरह ही लगा, जो काफी हद तक सफल भी रहा और असफल भी.

JN स्टूडेंट्स पर हिंसा और CAA पर होने वाली राजनीति जोरों पर है. इस मुद्दे पर ध्रुवीकरण हो चुका है और अब दोनों ही पक्ष आमने सामने हैं, एक दूसरे को काट खाने को दौड़ रहे हैं. और इस बेहद गंभीर मुद्दे पर लोग पक्ष और विपक्षी खेमे टटोल रहे हैं. सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटी को टैग कर के उन्हें JN और CAA पर बोलने के लिए मजबूर कर रहे हैं. 'अब तो बोलो' 'अब नहीं तो कब' कहकर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है. ऐसे में दीपिका पादुकोण ने जेएनयू जाकर अपना जवाब दे दिया है. अब इसे सरकार विरोधी कहा जाए, देशद्रोही या anti national कहा जाए, वो लोगों की अपनी समझ है.

लोग दीपिका की फिल्म chhapaak का बायकॉट कर रहे हैं और दीपिका की फिल्म छपाक के साथ ही रिलीज होने वाली अजय देवगन की फिल्म तान्हा जी को प्रमोट कर रहे हैं. #TanhajiChallenge के तहत फिल्म तान्हा जी के फ्री टिकट लोगों को बांटे जा रहे हैं.

ये सिर्फ इसलिए कि लोग छपाक नहीं, तान्हा जी देखें और दीपिका को नुकसान हो. अगर इस विरोध के चलते दीपिका की फिल्म को नुकसान होता है तो इस सोशल एक्सपेरिमेंट को दीपिका की असफलता ही कहा जाएगा. छपाक के बॉयकॉट की बात पर मोदी सरकार में मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साफ कर दिया कि 'हमारी पार्टी और सरकार सभी को अपनी बात कहने, किसी का पक्ष लेने की आजादी की पक्षधर है. दीपिका यदि JN गई हैं तो ये उनका अधिकार है.' उधर बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रिया अभी दीपिका पादुकोण के स्‍टैंड को पक्षपातपूर्ण बता रहे हैं. उनका कहना है कि यदि दीपिका JN में हुई हिंसा से आहत हैं तो उन्‍हें Left यूनियन से जुड़े छात्रों के पास जाने के अलावा ABVP के उन छात्रों से भी मिलना चाहिए था, जो JN की हिंसा में घायल हुए हैं.

खैर, इस वाद-विवाद के बीच दीपिका के लिए अच्‍छी खबर ये है कि उनकी फिल्म छपाक को मध्‍यप्रदेश में मनोरंजन कर से मुक्‍त (Chhapaak tax-free) करने का एलान खुद मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने किया है. 2005 में एसिड हमले का शिकार हुई लक्ष्‍मी अग्रवाल के जीवन पर बनी यह फिल्म समाज को एसिड अटैक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर जागरुक करने का काम करेगी. उम्‍मीद है कि यह फिल्‍म दीपिका पादुकोण के JN visit controversy से अछूती रहे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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