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चंद्रबाबू नायडू से ज्‍यादा अमीर है उनका 6 साल का पोता, कोई टिप्पणी?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 22 फरवरी, 2020 01:15 PM
  • 22 फरवरी, 2020 01:15 PM
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आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने संपत्ति का ब्योरा दिया है जिसमें वो लगातार दूसरी बार अपने पोते देवांश (Devansh)से पिछड़े हैं. नायडू या उनके पोते की संपत्ति देखकर हमें इसलिए भी हैरत में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में नायडू एक जाना माना नाम हैं.

भ्रष्टाचार (Corruption) एक बीमारी है, जिससे प्रभावित पूरा देश है. आज आलम ये है कि सिर्फ इस बीमारी के कारण वश हमारा देश तिल-तिल कर मरने पर मजबूर है. ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार के मद्देनजर हम सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. साल 2011 में भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए हम इंडिया अगेंस्ट करप्शन (India Against Corruption) जैसे आंदोलन को उभरते देख चुके हैं. अन्ना हजारे (Anna Hazare) के नेतृत्व में एक बड़े आंदोलन को उभरते हुए देख चुके हैं. आंदोलन 2011 में हुआ था ये 2020 है. सवाल ये है कि क्या इन बीते हुए 9 सालों में कुछ बदला है? क्या देश में भ्रष्टाचार कम हुआ है? जवाब हमें आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू (N Chandrababu Naidu) को देखकर अपने आप पता चल जाता है. नायडू की संपत्ति (Property) की गणना हुई है और पिछले साल की तरफ इस वित्तीय वर्ष में भी नायडू अपने 6 साल के पोते देवांश (Devansh) के मुकाबले 'गरीब' नजर आ रहे हैं. संपत्ति के मद्देनजर 6 साल के देवांश को अपने दादा से ज्यादा धनी बताया जा रहा है.पोते की संपत्ति अपने दादा के मुकाबले तकरीबन 15.6 करोड़ रुपये अधिक बताई जा रही है. देवांश के पास इतनी संपत्ति कहां से आई अगर इसे बताना पड़े या फिर कोई ये सवाल पूछे तो फिर इसे सवाल पूछने वाले उस व्यक्ति के भोलेपन से क्यादा कुछ नहीं कहा जाएगा.

संपत्ति के मामले में एन चंद्रबाबू नायडू के पोते देवांश नायडू ने अपने दादा को मात दी है

बता दें कि एन चंद्रबाबू नायडू के पुत्र लोकेश नायडू ने अपने परिवार के सभी सदस्यों की संपत्तियों और देनदारियों का ब्योरा दिया है. ध्यान रहे कि ये 9 वीं बार है जबएन चंद्रबाबू नायडू के पुत्र लोकेश नायडू ने ये ब्योरा दिया है. इस ब्योरे में चंद्रबाबू नायडू, उनकी...

भ्रष्टाचार (Corruption) एक बीमारी है, जिससे प्रभावित पूरा देश है. आज आलम ये है कि सिर्फ इस बीमारी के कारण वश हमारा देश तिल-तिल कर मरने पर मजबूर है. ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार के मद्देनजर हम सिर्फ हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. साल 2011 में भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए हम इंडिया अगेंस्ट करप्शन (India Against Corruption) जैसे आंदोलन को उभरते देख चुके हैं. अन्ना हजारे (Anna Hazare) के नेतृत्व में एक बड़े आंदोलन को उभरते हुए देख चुके हैं. आंदोलन 2011 में हुआ था ये 2020 है. सवाल ये है कि क्या इन बीते हुए 9 सालों में कुछ बदला है? क्या देश में भ्रष्टाचार कम हुआ है? जवाब हमें आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू (N Chandrababu Naidu) को देखकर अपने आप पता चल जाता है. नायडू की संपत्ति (Property) की गणना हुई है और पिछले साल की तरफ इस वित्तीय वर्ष में भी नायडू अपने 6 साल के पोते देवांश (Devansh) के मुकाबले 'गरीब' नजर आ रहे हैं. संपत्ति के मद्देनजर 6 साल के देवांश को अपने दादा से ज्यादा धनी बताया जा रहा है.पोते की संपत्ति अपने दादा के मुकाबले तकरीबन 15.6 करोड़ रुपये अधिक बताई जा रही है. देवांश के पास इतनी संपत्ति कहां से आई अगर इसे बताना पड़े या फिर कोई ये सवाल पूछे तो फिर इसे सवाल पूछने वाले उस व्यक्ति के भोलेपन से क्यादा कुछ नहीं कहा जाएगा.

संपत्ति के मामले में एन चंद्रबाबू नायडू के पोते देवांश नायडू ने अपने दादा को मात दी है

बता दें कि एन चंद्रबाबू नायडू के पुत्र लोकेश नायडू ने अपने परिवार के सभी सदस्यों की संपत्तियों और देनदारियों का ब्योरा दिया है. ध्यान रहे कि ये 9 वीं बार है जबएन चंद्रबाबू नायडू के पुत्र लोकेश नायडू ने ये ब्योरा दिया है. इस ब्योरे में चंद्रबाबू नायडू, उनकी पत्नी भुवनेश्वरी, लोकेश नायडू और उनकी पत्नी तथा बेटे देवांश को शामिल किया गया है.

दिलचस्प बात ये है कि इस बार के ब्योरे में नायडू पहले के मुकाबले 87 लाख रुपए ज्यादा अमीर हुए हैं. उनकी कुल संपत्ति 3.87 करोड़ बताई जा रही है और साथ ही होम लोन के कारण उनपर करीब 5.13 करोड़ की देनदारी भी है. नायडू की पत्नी भुवनेश्वरी की संपत्ति में 8 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्शाई जा रही है. भुवनेश्वरी की कुल संपत्ति 39.58 करोड़ रुपये के आस पास है.

संपत्तियों का ये ब्योरा इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि लोकेश ने गुजरे साल के मुकाबले इस साल अपने को  2 करोड़ रुपये की 'गरीबी' झेलने वाले व्यक्ति के रूप में दर्शाया है. लोकेश की कुल संपत्ति इस वक़्त 19 करोड़ हैं जो कि साल 2019 में 21 करोड़ के आसपास थी. लोकेश पर  5.70 करोड़ की देनदारी है. संपत्ति के मामले में लोकेश के पुत्र और चंद्रबाबू नायडू के पोते 6 साल के देवांश ने सभी को पिछाड़ दिया है. उनके पास कोई देनदारी नहीं है और वो 19.42 करोड़ रुपए के मालिक हैं.

एक ऐसे वक़्त में जब पूरा देश भ्रष्टाचार को एक बड़ी चुनौती की तरह देख रहा हो. चंद्रबाबू नायडू और उनके पोते के पास संपत्ति का लगा ये अम्बार देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि इस देश को समस्या अगर किसी से है तो वो देश के राजनेता है जो जायज/नाजायज तरीकों से पैसे को अपनी झोली में डाल रहे हैं और लगातार देश को खोखला कर रहे हैं.

इस घटना के बाद कहा यही जा सकता है कि देश से भ्रष्टाचार के बदल तब तक नहीं छटेंगे जब तक ऐसे लोगों के खिलाफ एक्शन नहीं लिया जाता. अब वो वक़्त आ गया है जब हमारे चुने हुए प्रतिनिधियों को इस बात को समझना होगा कि यदि आज वो किसी पद पर हैं या फिर मंत्री बने नोट छाप रहे हैं तो इसकी वजह जनता है जनता ने ही उन्हें शासन करने का मौका दिया है जिसका वो लोग नाजायज फायदा उठा रहे हैं.

विषय क्योंकि चंद्रबाबू नायडू और उनकी संपत्ति है तो बता दें कि इनके ऊपर राज्य के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पैनी नजर है और वो मौके बेमौके इन्हें आड़े हाथों लेते ही रहते हैं. बात बीते दिनों की है. नायडू परिवार में उस वक़्त हडकंप मचा था जब खबर आई कि इन्हें अपना अमरावती का घर खाली करना होगा. बताया गया था कि घर का निर्माण अवैध है जिसे तोड़ा जाएगा. नायडू की प्रोपर्टी पर जगन मोहन रेड्डी सरकार का तर्क था कि जिस जमीन पर ये घर बना है उसकी खरीद फरोख्त में बड़ी धांधली हुई है और इसे मुख्यमंत्री रहते हुए चंद्रबाबू नायडू ने अपने रसूख से हासिल किया था.

बहरहाल बात चंद्रबाबू नायडू संपत्ति की हुई है और पोते का जिक्र भी हुआ है तो हमें वो चालबाजियां समझ में आ गई हैं कि कैसे चंद्रबाबू नायडू के पोते के पास इतनी संपत्ति अर्जित हुई. एक नेता के तौर पर चंद्रबाबू जो कर रहे हैं वो शर्मनाक है और स्थिति जब ऐसी हो फिर शायद किसी तरह की कोई टिप्पणी की गुंजाइश भी नहीं बचती.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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