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Captain Amrinder के इस्तीफ़े पर आश्चर्य कैसा? वरिष्ठों की ब्रेकद्री कांग्रेस की रीत बन गई

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 18 सितम्बर, 2021 07:15 PM
  • 18 सितम्बर, 2021 07:15 PM
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किसी जमाने में राजीव गांधी के विश्वासपात्रों में शामिल कैप्टन अमरिंदर को लेकर हम बस इतना ही कहेंगे कि एक दिन ऐसा होगा इसका यकीन था. मगर वो दिन इतनी जल्दी आएगा इसके विषय में शायद ही कभी किसी ने सोचा हो.

पूरी कांग्रेस पार्टी एक तरफ. कैप्टन अमरिंदर सिंह के तेवर एक तरफ. पार्टी में मशहूर था कि पंजाब में जैसे तेवर कैप्टन के हैं. खुद पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी एटिट्यूड के मद्देनजर उनके आगे पानी भरते नजर आते हैं. अब चूंकि इंसान को अपने 'एटीट्यूड' का खामियाजा जीवन में कभी न कभी भुगतना ही पड़ता है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. पंजाब कांग्रेस में राजनीतिक गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. 'कार्यप्रणाली' को लेकर 40 विधायकों द्वारा मोर्चा खोलने के बाद आखिरकार कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. वहीं कैप्टन के मंत्रिमंडल ने भी अपने इस्तीफे की पेशकश कर न केवल कैप्टन के प्रति अपनी लॉयल्टी सिद्ध की है बल्कि पंजाब में कांग्रेस की मुसीबतों में इजाफा किया है.

कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफ़ा एक पार्टी के रूप में कांग्रेस को सवालों के घेरे में खड़ा करता है

इस्तीफे के बाद राजभवन से निकलकर कैप्टन मीडिया से मुखातिब हुए हैं. अपने इस्तीफे पर कैप्टन अमरिंदर ने कहा है कि मेरा फैसला सुबह ही हो गया था. सुबह मैंने कांग्रेस प्रेसिडेंट से बात की थी और कह दिया था कि मैं इस्तीफा दे रहा हूं. अपनी आप बीती बताते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा है कि पिछले कुछ महीनों में ये तीसरी बार हो रहा है. मुझे तीसरी बार दिल्ली बुलाया गया और शक किया गया कि मैं सरकार चला नहीं सका.

कैप्टन के अनुसार जो कुछ भी उनके साथ हुआ उससे वो शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं. पार्टी आलाकमान पर बड़ा आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि 2 महीने में 3 बार आपने असेंबली मेंबर्स को बुला लिया दिल्ली. जिसके बाद ही उन्होंने सीएम पद छोड़ने का फैसला किया. अब पार्टी जिसपर भरोसा करे उसे मुख्यमंत्री बना सकती है. कांग्रेस अध्यक्ष का कुछ ऐसा ही फैसला है और ये ठीक...

पूरी कांग्रेस पार्टी एक तरफ. कैप्टन अमरिंदर सिंह के तेवर एक तरफ. पार्टी में मशहूर था कि पंजाब में जैसे तेवर कैप्टन के हैं. खुद पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी एटिट्यूड के मद्देनजर उनके आगे पानी भरते नजर आते हैं. अब चूंकि इंसान को अपने 'एटीट्यूड' का खामियाजा जीवन में कभी न कभी भुगतना ही पड़ता है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. पंजाब कांग्रेस में राजनीतिक गतिरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. 'कार्यप्रणाली' को लेकर 40 विधायकों द्वारा मोर्चा खोलने के बाद आखिरकार कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. वहीं कैप्टन के मंत्रिमंडल ने भी अपने इस्तीफे की पेशकश कर न केवल कैप्टन के प्रति अपनी लॉयल्टी सिद्ध की है बल्कि पंजाब में कांग्रेस की मुसीबतों में इजाफा किया है.

कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफ़ा एक पार्टी के रूप में कांग्रेस को सवालों के घेरे में खड़ा करता है

इस्तीफे के बाद राजभवन से निकलकर कैप्टन मीडिया से मुखातिब हुए हैं. अपने इस्तीफे पर कैप्टन अमरिंदर ने कहा है कि मेरा फैसला सुबह ही हो गया था. सुबह मैंने कांग्रेस प्रेसिडेंट से बात की थी और कह दिया था कि मैं इस्तीफा दे रहा हूं. अपनी आप बीती बताते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा है कि पिछले कुछ महीनों में ये तीसरी बार हो रहा है. मुझे तीसरी बार दिल्ली बुलाया गया और शक किया गया कि मैं सरकार चला नहीं सका.

कैप्टन के अनुसार जो कुछ भी उनके साथ हुआ उससे वो शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं. पार्टी आलाकमान पर बड़ा आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि 2 महीने में 3 बार आपने असेंबली मेंबर्स को बुला लिया दिल्ली. जिसके बाद ही उन्होंने सीएम पद छोड़ने का फैसला किया. अब पार्टी जिसपर भरोसा करे उसे मुख्यमंत्री बना सकती है. कांग्रेस अध्यक्ष का कुछ ऐसा ही फैसला है और ये ठीक भी है.

फ्यूचर पॉलिटिक्स पर बात करते हुए कैप्टन अमरिंदर ने साफ कह दिया है किफ्यूचर पॉलिटिक्स क्या है, उसका हमेशा विकल्प रहता है तो उसका मैं उस विकल्प का इस्तेमाल करूंगा. जो मेरे साथी हैं, सपोर्टर हैं, साढ़े 9 साल मैं मुख्यमंत्री रहा, उस दौरान जो मेरे साथ रहे, उनसे बातचीत करके मैं आगे का फैसला करूंगा.

भले ही कैप्टन अपने को कांग्रेस पार्टी का अभिन्न अंग बता रहे हों और साथियों से बात करके आगे की पॉलिटिक्स का फैसला करने की बात कह रहे हों मगर जैसा सुलूक उनके साथ कांग्रेस पार्टी ने किया है वो विचलित बिल्कुल भी नहीं करता है. जैसा अपने नेताओं के प्रति कांग्रेस का रवैया है कहना गलत नहीं है कि कांग्रेस में ये होता आया है. ये होता रहेगा.

उधर, कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफा की पेशकश से कांग्रेस पार्टी तिलमिला गयी है. जल्द ही कांग्रेस के विधायक दलों की बैठक की खबरें हैं और माना भी यही जा रहा है कि इसी बैठक में विधायक दल के नए नेता का चुनाव होगा. वहीं, सिद्धू खेमे की ओर से कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने की चर्चा है.

खबरों पर यदि यकीन किया जाए तो नाराज विधायक नवजोत सिंह सिद्धू या सुनील जाखड़ का नाम बतौर अगले विधायक दल के नेता के तौर पर आगे बढ़ा सकते हैं. गौरतलब है कि 2022 में पंजाब में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में पंजाब कांग्रेस में पैर पसार चुका गतिरोध और कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस तरह इस्तीफ़ा देना. एक पार्टी के रूप में कांग्रेस की कार्यप्रणाली पर तो सवालिया निशान लगा ही रहा है.

साथ ही इस बात का भी एहसास करा देता है कि पार्टी के पुराने वफादारों को चावल में पड़े कंकड़ की तरह निकालना एक पार्टी के रूप में कांग्रेस और सोनिया गांधी, राहुल गांधी की पुरानी रीत है. बात सीधी और साफ़ है पंजाब में भले ही विधायक कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज हों लेकिन जब बात जनता की आती है तो जनता के बीच कैप्टन जबरदस्त फैन बेस रखते हैं.

बाकी कैप्टन को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का कयास ये भी है कि कांग्रेस पार्टी द्वारा यूं ठुकराए जाने के बाद कैप्टन भाजपा का रुख कर सकते हैं. खुद सोचिये यदि ऐसी स्थिति बनती है और कैप्टन अमरिंदर भाजपा के खेमे में चले जाते हैं तो कांग्रेस और राहुल गांधी को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

बहरहाल जिस तरह कांग्रेस और सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ इस तरह का सुलूक किया है उसे सारा देश देश रहा है. अब चूंकि अपने इस्तीफ़े से अमरिंदर सिंह ने सारे गतिरोध पर अंकुश लगाने का काम किया है तो किसी जमाने में राजीव गांधी के विश्वासपात्रों में शामिल कैप्टन अमरिंदर को लेकर हम बस इतना ही कहेंगे कि एक दिन ऐसा होगा इसका यकीन था मगर वो दिन इतनी जल्दी आएगा इसके विषय में शायद ही कभी किसी ने सोचा हो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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