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CAA पर कांग्रेस के ये 5 नेता भाजपा की जुबान बोल रहे हैं !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 21 जनवरी, 2020 10:58 AM
  • 21 जनवरी, 2020 10:58 AM
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एक ओर कांग्रेस नागरिकता कानून (CAA ) का पुरजोर विरोध कर रही है और साफ-साफ कह रही है कि वह उन राज्यों में इसे लागू नहीं होने देंगे, जहां कांग्रेस (Congress) सत्ता में है. वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के ही कुछ नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जो कांग्रेस के ही खिलाफ जा रहे हैं.

पिछले काफी दिनों से नागरिकता कानून (CAA) को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन देखने को मिला. जब इसे संसद से मंजूरी मिली थी, उसके बाद तो कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए, जिनमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई. अब 10 जनवरी से मोदी सरकार ने नागरिकता कानून को पूरे देश में लागू कर दिया है और इसी बीच लोगों को इसके बारे में जागरुक करने के लिए जगह-जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस की जा रही हैं. भले ही मोदी सरकार (Modi Government) ने नागरिकता कानून को पूरे देश में लागू कर दिया है, लेकिन जिन राज्यों में भाजपा या उसके किसी सहयोगी की सरकार नहीं है, उन राज्यों ने इसे लागू करने से मना कर दिया है. एक ओर कांग्रेस इस नागरिकता कानून का पुरजोर विरोध कर रही है और साफ-साफ कह रही है कि वह उन राज्यों में इसे लागू नहीं होने देंगे, जहां कांग्रेस (Congress) सत्ता में है. वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के ही कुछ नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जो कांग्रेस के ही खिलाफ जा रहे हैं.

CAA पर कांग्रेस के इन 5 नेताओं ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाले बयान दिए हैं.

1- शुरुआत भूपिंदर सिंह हुड्डा से

नागरिकता कानून को लेकर कांग्रेस की ओर से भारी विरोध हो रहा है और इसी बीच हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा (Bhupinder Hooda) ने ऐसा बयान दिया है जो कांग्रेस को अच्छा नहीं लगेगा. उन्होंने कहा है कि 'देश की संसद में अगर एक बार कोई कानून या एक्ट पास हो जाता है तो संवैधानिक तौर पर मैं सोचता हूं कि किसी भी राज्य को इसे लागू करने से ना नहीं कहना चाहिए, ना ही वह ऐसा कर सकते हैं. हालांकि, इसकी कानूनन जांच की जानी चाहिए'

2- कपिल सिब्बल ने भी कुछ ऐसा ही कहा था

हाल ही में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) केरल लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल हुए थे. उन्होंने...

पिछले काफी दिनों से नागरिकता कानून (CAA) को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन देखने को मिला. जब इसे संसद से मंजूरी मिली थी, उसके बाद तो कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए, जिनमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई. अब 10 जनवरी से मोदी सरकार ने नागरिकता कानून को पूरे देश में लागू कर दिया है और इसी बीच लोगों को इसके बारे में जागरुक करने के लिए जगह-जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस की जा रही हैं. भले ही मोदी सरकार (Modi Government) ने नागरिकता कानून को पूरे देश में लागू कर दिया है, लेकिन जिन राज्यों में भाजपा या उसके किसी सहयोगी की सरकार नहीं है, उन राज्यों ने इसे लागू करने से मना कर दिया है. एक ओर कांग्रेस इस नागरिकता कानून का पुरजोर विरोध कर रही है और साफ-साफ कह रही है कि वह उन राज्यों में इसे लागू नहीं होने देंगे, जहां कांग्रेस (Congress) सत्ता में है. वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के ही कुछ नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जो कांग्रेस के ही खिलाफ जा रहे हैं.

CAA पर कांग्रेस के इन 5 नेताओं ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाले बयान दिए हैं.

1- शुरुआत भूपिंदर सिंह हुड्डा से

नागरिकता कानून को लेकर कांग्रेस की ओर से भारी विरोध हो रहा है और इसी बीच हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा (Bhupinder Hooda) ने ऐसा बयान दिया है जो कांग्रेस को अच्छा नहीं लगेगा. उन्होंने कहा है कि 'देश की संसद में अगर एक बार कोई कानून या एक्ट पास हो जाता है तो संवैधानिक तौर पर मैं सोचता हूं कि किसी भी राज्य को इसे लागू करने से ना नहीं कहना चाहिए, ना ही वह ऐसा कर सकते हैं. हालांकि, इसकी कानूनन जांच की जानी चाहिए'

2- कपिल सिब्बल ने भी कुछ ऐसा ही कहा था

हाल ही में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) केरल लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल हुए थे. उन्होंने नागरिकता कानून पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि कोई भी राज्य नागरिकता संशोधन कानून लागू करने से मना नहीं कर सकता है. अगर संसद में कोई कानून पास हो जाता है और कोई राज्य इसे लागू करने से इनकार करते हैं तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक होगा. उन्होंने आगे कहा कि राज्य इसका विरोध कर सकते हैं और विधानसभा में इसके खिलाफ संकल्प पारित कर सकते हैं.

3- जयराम रमेश की लाइन भी इससे अलग नहीं थी

कांग्रेस के ही एक अन्य नेता जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने भी इस मुद्दे पर कपिल सिब्बल और भूपिंदर हुड्डा जैसी ही बात कही थी. उन्होंने कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि जो राज्य नागरकिता कानून को लागू नहीं करने की बात कह रहे हैं वो न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर पाएंगे. उन्होंने केरल के प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि ये एक राजनीतिक प्रस्ताव है और ये न्यायिक प्रक्रिया का कितना सामना कर पाएगा इस बारे में मैं 100 फीसदी सुनिश्चित नहीं हूं.

4- सलमान खुर्शीद ने भी तो यही कहा है

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने कहा है कि इस कानून की संवैधानिक स्थिति संदेहास्पद है. सुप्रीम कोर्ट ने अगर इसमें हस्तक्षेप नहीं किया तो यह कानून की किताब में कायम रहेगा और इसके चलते उसे सभी को मानना पड़ेगा. यानी वह सीधे-सीधे ये कह रहे हैं कि राज्य इस कानून को लागू करने से मना नहीं कर सकते हैं और जब तक सुप्रीम कोर्ट इसमें हस्तक्षेप ना करें, तब तक इस मामले में कुछ भी नहीं किया जा सकता है.

5- कांग्रेस नेता जॉन फर्नांडिस भी नागरिकता कानून के समर्थन में

गोवा कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद जॉन फर्नांडिस (John Fernandes) ने भी नागरिकता कानून पर कांग्रेस के खिलाफ टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है कि नागरिकता कानून एक अच्छा कानून है, जिसे सभी लोगों को स्वीकार करना चाहिए. वह बोले कि देश के सर्वोच्च सदन संसद से पारित कानून के खिलाफ प्रदर्शन नहीं करना चाहिए और संसद के फैसले का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने तो पणजी में एक सभा को संबोधित करते हुए जामिया सहित विश्वविद्यालय परिसरों में किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों पर कहा कि उन्हें यह सही नहीं लगता. वह बोले कि हमने पिछले 70 वर्षों में गलतियां की हैं तो हमें क्यों उन्हीं गलतियों को जारी रखना चाहिए? क्या कानून सड़कों पर बनाए जा सकते हैं? या फिर यह जंगल का कानून है? संसद द्वारा कानून पास किए जाने के बाद इन विषयों पर बहस नहीं की जानी चाहिए." हालांकि, उन्होंने ये कहा कि यह उनकी निजी राय है, लेकिन इसे कांग्रेस से तो जोड़ा ही जाएगा.

सवाल ये कि क्या वाकई राज्य इसे लागू होने से रोक सकते हैं?

कांग्रेस के इन नेताओं ने भले ही कांग्रेस के विरोध में बयान दिया है, लेकिन उन्होंने कहा एकदम सच है. भारत का नागरिक कौन होगा, यह तय करने का अधिकार सिर्फ केंद्र के पास है, राज्यों के पास नहीं. यानी भले ही राज्य चाहें ना चाहें, उन्हें इस कानून को लागू करना ही होगा. पूर्व कानून सचिव पीके मल्होत्रा ने भी कहा है कि संसद द्वारा पारित कानून को मानने से राज्य सरकारें मना नहीं कर सकती हैं. संविधान की सातवीं अनसूची की सूची 1 में इस बात का उल्लेख है. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने भी यही कहा है कि नागरिकता देना केंद्र का मामला है, राज्यों की इसमें कोई भूमिका नहीं. हां अगर केंद्र सरकार नागरिकों के लिए एनआरसी लागू करती है तो इसे लागू करने में उसे राज्यों की मदद की जरूरत पड़ेगी. यानी इस पूरी कवायद का निष्कर्ष ये निकलता है कि अब सुप्रीम कोर्ट ही आखिरी सहारा है, क्योंकि बाकी तरीकों से नागरिकता कानून को लागू होने से रोकना गैर संवैधानिक होगा.

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