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बजट सत्र में काम हो न हो, हंगामे का एजेंडा फाइनल है

    • आईचौक
    • Updated: 29 जनवरी, 2016 05:08 PM
  • 29 जनवरी, 2016 05:08 PM
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मॉनसून सेशन हंगामों की बारिश में धुल गया. विंटर सेशन भी तकरीबन कामकाज के लिए ठिठुरते ही बीता - और अब बजट सेशन में हंगामे की तैयारी भी तकरीबन पूरी ही दिख रही है.

मॉनसून सेशन हंगामों की बारिश में धुल गया. विंटर सेशन भी तकरीबन कामकाज के लिए ठिठुरते ही बीता - और अब बजट सेशन में हंगामे की तैयारी भी तकरीबन पूरी ही दिख रही है.

दलित विरोधी सरकार?

विंटर सेशन में राहुल गांधी ने दलितों का मुद्दा जोर शोर से उठाया था - और अब तो मोदी सरकार को दलित विरोधी साबित करने की तैयारी है. उसी सेशन में कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने 2012 का एक मामला उछाल कर सरकार को निशाने पर लिया. शैलजा ने आरोप लगाया था कि गुजरात के द्वारका मंदिर में प्रवेश से पहले उनकी जाति पूछी गई थी. अरुण जेटली ने सबूतों के जरिये शैलजा को झुठलाने की कोशिश जरूर की लेकिन कांग्रेस का हंगामा जारी रहा.

अब मल्लिकार्जुन खड्गे का बयान आया है कि बजट सेशन में कांग्रेस रोहित वेमुला की खुदकुशी का मामला उठाएगी. खड्गे आरोप लगा रहे हैं कि वाइस चांसलर और मोदी सरकार ने मिल कर वेमुला की हत्या की है और मानवाधिकारों का हनन किया है.

खड्गे ने कहा है कि दलितों के मुद्दे पर कांग्रेस दूसरे विपक्षी दलों के साथ मिल कर रणनीति तैयार करेगी.

अल्पसंख्यक विरोधी सरकार?

असल में बजट सत्र विपक्ष के लिए चुनाव से पहले बेहतरीन वॉर्म-अप सेशन साबित हो रहा है. असम और पश्चिम बंगाल चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं, लिहाजा कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहता.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान चर्च पर हुए हमलों का मसला उठाया गया तो बिहार चुनाव के वक्त आरएसएस चीफ मोहन भागवत के आरक्षण पर बयान को खूब हवा दी गई.

चुनावों से पहले संसद मुद्दे उठाने और मोदी सरकार को घेरने के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म तो होगा ही, उसके दूरगामी परिणाम भी होंगे. विपक्ष ये बात बखूबी समझता है. समझती तो सरकार भी है - तभी तो संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू इस महीने एक सुबह सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे थे. वेंकैया की पेशकश थी कि अगर सभी राजनीतिक दल राजी हो जाएं तो बजट सत्र वक्त से पहले बुलाया लिया जाए. मकसद था - जीएसटी और रीयल एस्टेट बिल पास...

मॉनसून सेशन हंगामों की बारिश में धुल गया. विंटर सेशन भी तकरीबन कामकाज के लिए ठिठुरते ही बीता - और अब बजट सेशन में हंगामे की तैयारी भी तकरीबन पूरी ही दिख रही है.

दलित विरोधी सरकार?

विंटर सेशन में राहुल गांधी ने दलितों का मुद्दा जोर शोर से उठाया था - और अब तो मोदी सरकार को दलित विरोधी साबित करने की तैयारी है. उसी सेशन में कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने 2012 का एक मामला उछाल कर सरकार को निशाने पर लिया. शैलजा ने आरोप लगाया था कि गुजरात के द्वारका मंदिर में प्रवेश से पहले उनकी जाति पूछी गई थी. अरुण जेटली ने सबूतों के जरिये शैलजा को झुठलाने की कोशिश जरूर की लेकिन कांग्रेस का हंगामा जारी रहा.

अब मल्लिकार्जुन खड्गे का बयान आया है कि बजट सेशन में कांग्रेस रोहित वेमुला की खुदकुशी का मामला उठाएगी. खड्गे आरोप लगा रहे हैं कि वाइस चांसलर और मोदी सरकार ने मिल कर वेमुला की हत्या की है और मानवाधिकारों का हनन किया है.

खड्गे ने कहा है कि दलितों के मुद्दे पर कांग्रेस दूसरे विपक्षी दलों के साथ मिल कर रणनीति तैयार करेगी.

अल्पसंख्यक विरोधी सरकार?

असल में बजट सत्र विपक्ष के लिए चुनाव से पहले बेहतरीन वॉर्म-अप सेशन साबित हो रहा है. असम और पश्चिम बंगाल चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं, लिहाजा कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहता.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान चर्च पर हुए हमलों का मसला उठाया गया तो बिहार चुनाव के वक्त आरएसएस चीफ मोहन भागवत के आरक्षण पर बयान को खूब हवा दी गई.

चुनावों से पहले संसद मुद्दे उठाने और मोदी सरकार को घेरने के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म तो होगा ही, उसके दूरगामी परिणाम भी होंगे. विपक्ष ये बात बखूबी समझता है. समझती तो सरकार भी है - तभी तो संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू इस महीने एक सुबह सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे थे. वेंकैया की पेशकश थी कि अगर सभी राजनीतिक दल राजी हो जाएं तो बजट सत्र वक्त से पहले बुलाया लिया जाए. मकसद था - जीएसटी और रीयल एस्टेट बिल पास करा लिया जाए, लेकिन अब तक कोई रास्ता नहीं निकला दिखता.

विपक्ष अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लालमिया के अल्पसंख्यक दर्जे के मसले पर सरकार को घेरने की कोशिश में है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी, एनसीपी, सीपीएम और आप सांसदों की ओर से इस मुद्दे पर जारी संयुक्त बयान को भी इसी कड़ी से जोड़ कर देखा जा सकता है.

इतना ही नहीं, मौजूदा विपक्ष अब एनडीए में सेंध लगाने की तैयारी कर रहा है. इसके तहत एनडीए के उन सहयोगियों को साधने की कोशिश है जो कभी संयुक्त मोर्चे का हिस्सा रहे.

जेडीयू महासचिव के सी त्यागी के बयान को समझें तो अब अकाली दल, टीडीपी, एजीपी और पीडीपी जैसी पार्टियों को इस मसले पर राजी करने की तैयारी है.

निश्चित रूप से सरकार को भी इस बात का अहसास होगा ही कि विपक्ष कहां उसे टारगेट कर सकता है. रोहित वेमुला सुइसाइड केस में अपने दो नेताओं के चलते बीजेपी ने अपनी जो फजीहत कराई है उससे उसे आगे का अंदाजा तो लग ही गया होगा. फिर तो जीएसटी और दूसरे बिलों की उम्मीद या कोई और बात बेमानी ही होगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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