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आतंकी हमलों के लिए धर्म नहीं, खुली सरहदें हैं जिम्मेदार

    • राहुल मिश्र
    • Updated: 15 जुलाई, 2016 04:18 PM
  • 15 जुलाई, 2016 04:18 PM
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जिस तरह इस्लामिक आतंकवाद का विस्तार हो रहा है, अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की बात ठीक लगती है. यानी अपनी-अपनी सरहदों से इस्लामिक कट्टरपंथियों की नो एंट्री.

डोनाल्ड ट्रंप सिर्फ बकवास ही नहीं करते. उनकी बातों में कम से कम कुछ तो सच्चाई रहती है. अब अमेरिका और यूरोप को इस्लामिक आतंकवाद से बचाने के लिए ट्रंप का सुझाव ही देख लीजिए. ट्रंप का दावा है कि राष्ट्रपति बनने के बाद वह अमेरिका की सरहदों को इस्लामिक देशों के नागरिकों के लिए बंद कर देंगे. इसके साथ ही वह यूरोपीय देशों से भी अपील करते हैं कि उन्हें भी ओपन बॉर्डर की अपनी नीति को डब्बे में बंद कर अपनी-अपनी सरहदों को सुरक्षित करने की जरूरत है. ट्रंप के इस सुझाव पर भारत को भी गंभीरता से सोचने की जरूरत है. हमारे देश में भी आतंकवाद खुली सरहदों से अंदर आते हैं और आतंकी घटनाओं को अंजाम देकर अक्सर उन्हीं सरहदों से वापस अपने सुरक्षित ठिकानों पर पहुंच जाते हैं.

दुनिया में सबसे खतरनाक है भारत और पाकिस्तान की सीमा

भारतीय उपमहाद्वीप के नक्शे में भारत को देखिए. पड़ोसी मुल्क और आतंकवादियों की पनाहगार माने जाने वाले पाकिस्तान से हमारे पांच राज्यों की सरहद है. गुजरात, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर. बीते 6 दशकों के दौरान इन सरहदों से पाकिस्तानी सेना के हमले के लिए भले हम हमेशा तैयार रहे हों लेकिन इस दौरान पाकिस्तान ने इन सरहदों से सिर्फ आतंकवाद एक्सपोर्ट करने का काम किया है. हमारी सीमा के पार पाकिस्तानी क्षेत्र में आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंपों का मौजूद होना अब महज एक ओपेन सीक्रेट है.

भारत पाकिस्तान सीमा

पाकिस्तान ने 1980 और 1990 के दशक में पंजाब और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को प्रायोजित किया और उस दौरान आतंकी हमलों के साए में रहने के लिए देश की राजधानी दिल्ली भी मजबूर हो गई थी. आपको याद होगा कि उस...

डोनाल्ड ट्रंप सिर्फ बकवास ही नहीं करते. उनकी बातों में कम से कम कुछ तो सच्चाई रहती है. अब अमेरिका और यूरोप को इस्लामिक आतंकवाद से बचाने के लिए ट्रंप का सुझाव ही देख लीजिए. ट्रंप का दावा है कि राष्ट्रपति बनने के बाद वह अमेरिका की सरहदों को इस्लामिक देशों के नागरिकों के लिए बंद कर देंगे. इसके साथ ही वह यूरोपीय देशों से भी अपील करते हैं कि उन्हें भी ओपन बॉर्डर की अपनी नीति को डब्बे में बंद कर अपनी-अपनी सरहदों को सुरक्षित करने की जरूरत है. ट्रंप के इस सुझाव पर भारत को भी गंभीरता से सोचने की जरूरत है. हमारे देश में भी आतंकवाद खुली सरहदों से अंदर आते हैं और आतंकी घटनाओं को अंजाम देकर अक्सर उन्हीं सरहदों से वापस अपने सुरक्षित ठिकानों पर पहुंच जाते हैं.

दुनिया में सबसे खतरनाक है भारत और पाकिस्तान की सीमा

भारतीय उपमहाद्वीप के नक्शे में भारत को देखिए. पड़ोसी मुल्क और आतंकवादियों की पनाहगार माने जाने वाले पाकिस्तान से हमारे पांच राज्यों की सरहद है. गुजरात, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर. बीते 6 दशकों के दौरान इन सरहदों से पाकिस्तानी सेना के हमले के लिए भले हम हमेशा तैयार रहे हों लेकिन इस दौरान पाकिस्तान ने इन सरहदों से सिर्फ आतंकवाद एक्सपोर्ट करने का काम किया है. हमारी सीमा के पार पाकिस्तानी क्षेत्र में आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंपों का मौजूद होना अब महज एक ओपेन सीक्रेट है.

भारत पाकिस्तान सीमा

पाकिस्तान ने 1980 और 1990 के दशक में पंजाब और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को प्रायोजित किया और उस दौरान आतंकी हमलों के साए में रहने के लिए देश की राजधानी दिल्ली भी मजबूर हो गई थी. आपको याद होगा कि उस वक्त टेलिवीजन का शुरुआती दौर था और पंजाब और कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था. टेलीवीजन और रेडियो पर अनजान वस्तु के बम होने की हिदायत से पूरे देश को आतंकवाद की शुरुआती झलक मिल रही थी. आज इन रास्तों से पाकिस्तान से आतंकियों के घुसपैठ की कोशिशें चरम पर है. यहां तक कि गुजरात से मुंबई तक की समुद्री सीमा तक को भेदने में पाकिस्तानी आतंकवादी कई बार सफल हो चुके हैं.

उत्तर पूर्व की सीमा से लगातार बढ़ता खतरा

देश के पश्चिमी छोर पर पाकिस्तानी हमले और घुसपैठ के लिए हमने बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात कर रखा है. इसका नतीजा यह हुआ कि देश की उत्तर-पूर्वी क्षेत्र आतंकियों के निशाने पर आ गया. देश में हुए कुछ आतंकी हमलों को बांग्लादेश की सीमा लांघ कर आए आतंकियों ने अंजाम दिया. इसके साथ ही असम और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में अलगाववादी गुटों को भी लगातार सीमा पार से मदद मिलती रहती है. मणिपुर और नागालैंड में नागा अलगाववादियों के भी पड़ोसी देशों में सुरक्षित ठिकाने होने की बात कई बार पुष्ट हो चुकी है. बांग्लादेश और म्यांमार से सटी सीमा पर पाकिस्तान प्रायोजित इस्लामिक आतंकियों की भी लगातार नजर बनी रहती है.

भारत बांग्लादेश सीमा

भारत और बांग्लादेश के बीच दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी 4,096 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा है. इसमें लगभग 2,217 किलोमीटर की सीमा पश्चिम बंगाल, 262 किलोमीटर की सीमा असम, 856 किलोमीटर की सीमा त्रिपुरा और 443 किलोमीटर की सीमा मेघालय के साथ है. इन सभी सीमाओं से मुस्लिम घुसपैठियों के आने का खतरा लगातार बना रहता है जिनकी आड़ में पाकिस्तान प्रायोजित कट्टरपंथी और आतंकी संगठन देश में आतंकवाद को इंपोर्ट करने की लगातार कोशिश में रहते हैं.

बीते कुछ दशकों में आतंकवाद और घुसपैठ से सबस लेने के बाद भारत सरकार ने बांग्लादेश सीमा को सुरक्षित करने के लिए कटीले तारों और दीवार बनाने का काम शुरू कर दिया है. लेकिन यूरोपीय देशों में मुस्लिम देशों से खुली सीमा के चलते बढ़ रहे हमलों के देखते हुए भारत को इस काम में तेजी लाने की जरूरत है. साथ ही डोनाल्ड ट्रंप की बात से सहमति जताते हुए उसे न सिर्फ बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल की सीमा को सुरक्षित करने की कवायद को तेज करना चाहिए बल्कि प्राथमिकता के साथ पाकिस्तान से सटी सीमा को भी अभेद करने के काम में तेजी लाने की जरूरत है. इतना साफ है कि जबतक देश की सरहद को पड़ोसी देशों से महफूज नहीं किया जाएगा, इस्लामिक आतंकवाद भारत में दाखिल होकर धार्मिक सौहार्द के माहौल को खराब करता रहेगा और आरोप सिर्फ धर्म पर लगता रहेगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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