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बीजेपी में बस मोदी नाम की लूट है !

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 26 अप्रिल, 2017 02:44 PM
  • 26 अप्रिल, 2017 02:44 PM
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दिल्ली के तीनों नगर निगमों में बीजेपी बहुमत साफ करता है कि जनता ने यह फैसला प्रधानमंत्री की छवि के मद्देनजर दिया है.

राम नाम महिमा का वर्णन करते हुए तुलसीदास ने कहा था, 'कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा!' लेकिन अब कलयुग में हम कह सकते हैं कि मोदी नाम केवल अधारा- नाम लेत नर उतरहि चुनाव पारा!

जिस दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में आते ही झटका दे दिया था, उसी दिल्ली ने दो साल बाद आप को झटका दे दिया है. दिल्ली के तीनों नगर निगमों (दक्षिणी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, उत्तरी दिल्ली) में बीजेपी बहुमत साफ करता है कि जनता ने यह फैसला प्रधानमंत्री की छवि के मद्देनजर दिया है. इसका श्रेय उन्हें इसलिए भी मिला क्योंकि उन्होंने सभी पूर्व पार्षदों का टिकट केवल इसलिए काट दिया था कि उनकी छवि उनके इलाकों में खराब थी. अन्यथा दस सालों की इंकम्बैंसी बीजेपी को ले डूबती. लेकिन एक फैसले ने सारे समीकरणों को ही बदल कर रख दिया.

अब जनता ने फिर पांच साल के लिए बीजेपी को अपना भाग्य विधाता चुना है. जाहिर है जिम्मेदारियां भी अब अधिक होंगी. विधानसभा चुनावों में अभी लगभग तीन साल बाकी हैं, आप को जनता ने नकार दिया है. लेकिन अति सर्वत्र वर्जयेत को बीजेपी को भी हर वक्त आगे रखना होगा. वरना जो हाल आप पार्टी का विगत दो सालो में हो गया है, वही बीजेपी का दिल्ली में हो सकता है.

अब उन्हें काम करना होगा, बहाने से अब काम नहीं चलेगा. राजनैतिक झाड़ू चलाने के बाद अब वास्तविक झाड़ू चलानी होगी. वरना जो हाल देश में कांग्रेस व दिल्ली में आप का है बीजेपी का भी हो सकता है. बीजेपी को अब जरुरत है तो अति उत्साह से बचने की. हारने वाले को तो बस बहाना चाहिए सो केजरीवाल की टीम चुनाव परिणामों से पहले ही कह रही थी कि ईवीएम खराब हैं सो कह दिया.

राम नाम महिमा का वर्णन करते हुए तुलसीदास ने कहा था, 'कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा!' लेकिन अब कलयुग में हम कह सकते हैं कि मोदी नाम केवल अधारा- नाम लेत नर उतरहि चुनाव पारा!

जिस दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में आते ही झटका दे दिया था, उसी दिल्ली ने दो साल बाद आप को झटका दे दिया है. दिल्ली के तीनों नगर निगमों (दक्षिणी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, उत्तरी दिल्ली) में बीजेपी बहुमत साफ करता है कि जनता ने यह फैसला प्रधानमंत्री की छवि के मद्देनजर दिया है. इसका श्रेय उन्हें इसलिए भी मिला क्योंकि उन्होंने सभी पूर्व पार्षदों का टिकट केवल इसलिए काट दिया था कि उनकी छवि उनके इलाकों में खराब थी. अन्यथा दस सालों की इंकम्बैंसी बीजेपी को ले डूबती. लेकिन एक फैसले ने सारे समीकरणों को ही बदल कर रख दिया.

अब जनता ने फिर पांच साल के लिए बीजेपी को अपना भाग्य विधाता चुना है. जाहिर है जिम्मेदारियां भी अब अधिक होंगी. विधानसभा चुनावों में अभी लगभग तीन साल बाकी हैं, आप को जनता ने नकार दिया है. लेकिन अति सर्वत्र वर्जयेत को बीजेपी को भी हर वक्त आगे रखना होगा. वरना जो हाल आप पार्टी का विगत दो सालो में हो गया है, वही बीजेपी का दिल्ली में हो सकता है.

अब उन्हें काम करना होगा, बहाने से अब काम नहीं चलेगा. राजनैतिक झाड़ू चलाने के बाद अब वास्तविक झाड़ू चलानी होगी. वरना जो हाल देश में कांग्रेस व दिल्ली में आप का है बीजेपी का भी हो सकता है. बीजेपी को अब जरुरत है तो अति उत्साह से बचने की. हारने वाले को तो बस बहाना चाहिए सो केजरीवाल की टीम चुनाव परिणामों से पहले ही कह रही थी कि ईवीएम खराब हैं सो कह दिया.

दिल्ली की सरकार के पास अभी भी तीन साल बाकी हैं. एक आदर्श सरकार चलाने के लिए उनके पास अभी समय है. केजरीवाल सरकार को अब अपनी सरकार की खामियों को दूर करना होगा. रही बीजेपी और कांग्रेस की बात तो वे तो केजरीवाल सरकार से इस्तीफा मांगेंगे ही.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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